छत्तीसगढ़ प्रदेश: कक्षा छठवीं विषय संस्कृत पाठ 6

कक्षा छठवीं विषय संस्कृत पाठ 6 छत्तीसगढ़ प्रदेश:

भारतः अस्माकं देशः अस्ति। भारतवर्षस्य मध्यदक्षिणभागे छत्तीसगढ़प्रदेशः विराजते। छत्तीसगढ़प्रदेशस्य प्रमुखानदी महानदी अस्ति। सिहावा पर्वतात् उद्भूता महानदी छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य पवित्रतमा नदी अस्ति । यस्याः सहायक नदीषु शिवनाथ, हसदो ईब, पैरी, चोक, केलो, उदन्ती प्रभृतयः नद्यः अनवरतं छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य भूमिमुर्वरां विदधति । दक्षिणे गोदावरी नदी प्रवहति । यस्याः सहायिका इन्द्रावती नदी बस्तर मण्डलान्तर्गतं पश्चिम दिशायां प्रवहति। छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य राजधानी रायपुर नगरम् अस्ति ।

शब्दार्था:- अस्माकं = हमारा, विराजते = विद्यमान है, उद्भूताः = निकली हुई, प्रभृतयः = इत्यादि, नद्यः = नदियाँ, अनवरतं = निरन्तर विदधति बढ़ाती है, प्रवहति बहती है, दक्षिणे= दक्षिण में, दिशायां दिशा में

अनुवाद – भारत हमारा देश है। भारतवर्ष के मध्य-दक्षिण भाग में छत्तीसगढ़ प्रदेश विद्यमान है। छत्तीसगढ़ प्रदेश की प्रमुख नदी महानदी है। सिहावा पर्वत से उत्पन्न हुई महानदी छत्तीसगढ़ प्रदेश की सबसे पवित्र नदी है। जिसकी सहायक नदियों में शिवनाथ, हसदो ईब, पैरी, चोक, केलो, उदन्ती इत्यादि नदियाँ लगातार छत्तीसगढ़ प्रदेश की भूमि की उपजाऊपन को बढ़ाती हैं। दक्षिण में गोदावरी नदी बहती है। जिसकी सहायक इच्चावती नदी बस्तर मण्डल के अन्तर्गत पश्चिम दिशा में बहती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी रायपुर नगर है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश: 2000 तमे ख्रिस्ताब्दे नवम्बर मासस्य प्रथम दिनाङ्के सुगठितः। प्रदेशस्य राजिम नगरं महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलम् अभिधीयते । यत्र महानदी, पैरी, सोंदूर, प्रभृतीनाम्, त्रिसृणाम् नदीनाम् संगम स्थली छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य ‘गङ्गया’ इति उच्यते ऐतिहासिकस्थलं ‘सिरपुरम्’ सोम- वंशीयराज्ञां राजधानी आसीत्। तत्र आनन्दपुरी विहारभग्नः बौद्धविहार: चापि सन्ति प्रदेशस्य कवधक्षेत्रे भोरमदेव: छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य खजुराहो नाम्ना विख्यातः ।

शब्दार्थाः सुगठितः = गठित हुआ, अभिधीयते = कहते हैं, यत्र = जहाँ प्रभृतीनाम इत्यादि, उच्यते = कहलाता है, तत्र = वहीं, नाम्ना नाम से।

अनुवाद – छत्तीसगढ़ प्रदेश, सन् 2000 ई. वर्ष में नवम्बर माह की पहली तारीख को गठित हुआ। प्रदेश के राजिम नगर को महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल कहते हैं। जहाँ महानदी, पैरी, सौदूर तीन नदियों के संगम स्थल छत्तीसगढ़ प्रदेश की ‘गंगा’ कहलाता है। ऐतिहासिक स्थल ‘सिरपुर सोमवंशीय राजाओं की राजधानी थी। वहाँ आनन्दपुरी, विहारभग्न और बौद्धविहार हैं। प्रदेश के कवर्धा क्षेत्र में भोरमदेव छत्तीसगढ़ प्रदेश का खजुराहो’ नाम से प्रसिद्ध है।

छत्तीसगढ़ प्रदेशस्य राजस्वसम्भागः बिलासपुरमस्ति मण्डलान्तर्गतं रतनपुरम् इति ऐतिहासिकस्थलमस्ति पुरा कलचुरीराज्ञां राजधानी आसीत् । तत्र महामाया मन्दिरं सुविख्यातम् । सरगुजा जिलान्तर्गतं रामगढ़ क्षेत्रस्य पहाड़ी स्थानम् महाकवि कालिदासस्य मेघदूतकाव्यस्य रचनास्थली अभिधीयते दन्तेवाड़ाजिलायां दन्तेवाड़ा दन्तेश्वरी देव्याः नाम्ना प्रसिद्धा ।

शब्दार्था: पुरा =प्राचीनकाल में, आसीत् = थी, सुविख्यातम् = प्रसिद्ध हैं, अभिधीयते= कहलाता है, राज्ञां =राजाओं को, मंडल =जिला, नाम्ना =नाम से, जिलायां =जिला में।

अनुवाद- छत्तीसगढ़ प्रदेश का राजस्व सम्भाग बिलासपुर है। मण्डल (जिले) के अन्तर्गत रतनपुर ऐतिहासिक स्थल है। पहले कलचुरी राजाओं की राजधानी थी। वहाँ महामाया मन्दिर सुविख्यात (प्रसिद्ध है। सरगुजा जिले के अन्तर्गत रामगढ़ क्षेत्र पहाड़ी स्थान महाकवि कालिदास के मेघदूत काव्य की रचना स्थल कहलाता है। दन्तेवाड़ा जिले में ‘दन्तेवाड़ा’ दन्तेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है।

अस्मिन् प्रदेशे प्रभूतमन्नमुत्पन्नं भवति । अतः छत्तीसगढ़ प्रदेशः ‘धान्य का कटोरा’ इति उच्यते। छत्तीसगढ़ प्रदेशः अरण्यानां प्रदेशोऽपि अस्ति। वनेभ्यः वयं काष्ठानि फलानि औषधयः च प्राप्नुमः वनेषु खगाः मृगाः व्याघ्राः च निवसन्ति । अस्मिन् प्रदेशे बारनवापारा सीतानदी अभ्यारण्य, मैत्री- उद्यानं च ख्याति लब्धानि उद्यानानि सन्ति ।

शब्दार्थाः -अस्मिन्= इस प्रभूतं = प्रचुर, उच्यते = कहलाता है, अरण्यानां=वनों का, वनेभ्यः = वनों से, वयं = हम सब, काष्ठानि = लकड़ियाँ प्राप्नुमः = प्राप्त करते हैं, खगाः = पक्षी, मृगाः = हिरन.

अनुवाद :- इस प्रदेश में प्रचुर अन्न उत्पन्न होता है। अतः छत्तीसगढ़ प्रदेश धान्य का कटोरा’ कहलाता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश वनों का प्रदेश भी है। वनों से हम सब लकड़ियाँ, फल और औषधियाँ प्राप्त करते हैं। वनों में पक्षियों, हिरण और बाघ रहते हैं। इस प्रदेश में बारनवापारा, सीतानदी अभ्यारण्य और मैत्री उद्यान प्रतिष्ठा प्राप्त उद्यान हैं।

प्रदेशस्य वस्तरक्षेत्रे आदिवासिजनानां बाहुल्यं लक्ष्यते। ते जनाः वनेषु निर्भयं भूत्वा विचरन्ति। साम्प्रतम् शासनम् एषाम् उन्नत्यै बहुयतते प्रदेशस्य देवभोग मैनपुर च रत्नानां खनिभूमिः । इस्पातनगरी भिलाई लौहादयः खनिजाः उद्योगानाम् आधारभूताः एवं राष्ट्र जीवने छत्तीसगढ़ प्रदेशः प्रियतरः । जयतु जयतु छत्तीसगढ़ प्रदेशः ।

शब्दार्था:–बाहुल्यं = बहुलता, लक्ष्यते = दिखाई देती है, निर्भय = निडर, भूत्वा = होकर, साम्प्रतम् = इस समय, उन्नत्यैः उन्नति के लिए, बहुयतते = बहुत प्रयास कर रहा है, जयतु जय हो। 

अनुवाद-प्रदेश के बस्तर क्षेत्र में आदिवासी लोगों की बहुलता दिखाई देती है। ये सब वनों में निर्भय होकर विचरण करते हैं। इस समय शासन इनकी उन्नति (विकास) के लिए बहुत प्रयास कर रहा है। प्रदेश का देवभोग और मैनपुर रत्नों की खान है। इस्पात नगरी भिलाई लौह आदि खनिज उद्योगों का आधार है। इस प्रकार राष्ट्रीय जीवन में छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रिय है। छत्तीसगढ़ प्रदेश की जय हो! जय हो!

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