कोई भी निर्णय लेते समय आपको कुछ न कुछ जानकारियों की आवश्यकता होती है। इन आवश्यक संख्यात्मक जानकारियों को ही आँकड़े कहते हैं।
प्रत्येक मान के लिए एक खड़ी लकीर खींचने की प्रक्रिया को टैली (Tally) लगाना कहते हैं तथा इस विधि को टैली विधि (Tally method) द्वारा आंकड़ों का संकलन (Collection of Data) कहते हैं एवं इससे प्राप्त सारणी को बारम्बारता सारणी (Frequency Table) कहते हैं। इससे गिनने में सरलता होती है।
आंकड़ों का चित्र : आरेख
चित्र संकेतों द्वारा सांख्यिकीय आंकड़ों का ग्राफीय निरूपण आंकड़ों का चित्र आरेख कहलाता है।
दण्ड आरेख बराबर दूरी पर लिए गए एक समान चौड़ाई वाले क्षैतिज या उर्ध्वाधर दण्डों (आयतों) द्वारा संख्यात्मक आंकड़ों का चित्रीय निरूपण होता है।
दण्ड आरेख को देखकर बहुत से निष्कर्ष आसानी से निकाले जा सकते हैं।
उर्ध्वाधर दण्ड आारेख (Vertical Bar Graph)
आंकड़ों को प्रदर्शित करने में दण्ड को उर्ध्वाधर बनाया गया है इसे उर्ध्वाधर दण्ड आारेख (Vertical Bar Graph) कहते हैं।
क्षैतिज दण्ड आरेख (Horizontal Bar Graph)
दण्डों को क्षैतिज रूप में प्रदर्शित करें तो उसे क्षैतिज दण्ड आरेख (Horizontal Bar Graph) कहते हैं।
जब सामान्यतः कोई व्यापारी अपने ग्राहक को कोई समान बेचता हैं, तो अंकित मूल्य पर कुछ छूट देता हैं, इसी छूट को बट्टा कहते हैं बट्टे का सामान्य अर्थ छूट से हैं।
Note : बट्टा सदैव अंकित मूल्य पर दिया जाता हैं।
विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य – बट्टा
यदि किसी वस्तु को बेचने पर r% का बट्टा दिया जा रहा हो, तो
वस्तु का विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य × (100-r)/100
बट्टा के महत्वपूर्ण तथ्य :
यदि किसी वस्तु के अंकित मूल्य पर क्रमशः r% व R% का बट्टा दिया जा रहा हो, तो
वस्तु का विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य × (100 – r) / 100 × (100 – R) / 100)
यदि दो बट्टा श्रेणी r% तथा R% हो, तो
इनके समतुल्य बट्टा (r + R – rR/100)% होगा।
यदि किसी वस्तु पर r% छूट देकर भी R% का लाभ प्राप्त करना हो, तो
वस्तु का अंकित मूल्य = क्रय मूल्य × [(100 + R) / (100 – r)
यदि किसी वस्तु पर r% छूट देने के उपरान्त भी R% का लाभ प्राप्त करना हो, तो
वस्तु का अंकित मूल्य [(r + R / 100 – r) × 100] बढ़ाकर अंकित किया जाएगा।
औसत मान = सभी राशियों का योगफल ÷ राशियों की कुल संख्या सभी राशियों का योगफल = औसत मान × राशियों की कुल संख्या राशियों की कुल संख्या = सभी राशियों का योगफल ÷ राशियों की कुल संख्या
औसत के सूत्र [Formula for Average]
दो या दो से अधिक सजातीय पदों का ‘औसत’ वह संख्या है, जो दिए गए पदों के योगफल को उन पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसे ‘मध्यमान’ भी कहा जाता है।
प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1)/2 n तक की प्राकृत संख्याओं का औसत = (n+1)/2 लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं का औसत = n/2 n तक की सम संख्याओं का औसत = (n+2)/2 लगातार n तक की प्राकृत विषम संख्याओं का औसत = (n+1)/2 n तक विषम संख्याओं का औसत = n लगातार n तक सम संख्याओं का औसत = n+1 प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1) (2n+1)/6 प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का औसत = n(n+1)² / 4 औसत = (पहली संख्या+अंतिम संख्या) / 2 नए व्यक्ति की आयु = (नया औसत × नयी संख्या) – (पुराना औसत × पुरानी संख्या) G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो तो (G₁+G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) + (G₂×A₂) / (G₁ + G₂) होगा। G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो, तो (G₁ – G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) – (G₂×A₂) / (G₁ – G₂) होगा। औसत के गुण : यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की वृद्धि होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की वृद्धि होगी। यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की कमी होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की कमी होगी। यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की गुणा की जाती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की गुणा होगी। यदि सभी संख्याओं को ‘a’ से भाग दिया जाता है तो उनके औसत में भी ‘a’ से भाग होगा।
औसत पर आधारित महत्वपूर्ण बिंदु
यदि सभी संख्याओं में x से गुणा किया जाता हैं, तो उनके औसत में x गुणा की कमी होती हैं। यदि किसी संख्या में x से भाग किया जाता हैं। तो उनके औसत में भी x से भाग होता हैं। अगर सभी संख्याओं में x की वृद्धि होती है, तो उनके औसत में भी x की वृद्धि होती हैं। यदि सभी संख्याओं में x की कमी होती है, तो उनके औसत में भी x की कमी होती हैं। दो क्रमागत पदों या संख्याओं का अन्तर समान हो, तो औसत = पहली संख्या + अन्तिम संख्या / 2
किसी समतल पर कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है वह उसका क्षेत्रफल होता है।
क्षेत्रफल का मात्रक वर्ग इकाई होता है।
क्षेत्रफल : त्रिभुज और चतुर्भुज का क्षेत्रफल
त्रिभुज का क्षेत्रफल
आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई ग चौड़ाई
वर्ग का क्षेत्रफल = भुजा x भुजा = (भुजा)2
एक आयत की लम्बाई 7 सेमी व चौड़ाई 3 सेमी है, इसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
समान्तर चतुर्भुज का आधार =क्षेत्रफल/ऊँचाई समान्तर चतुर्भुज का ऊँचाई =क्षेत्रफल/आधार समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार x ऊँचाई
उस समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसका आधार 26.5 सेमी तथा शीर्ष लंब 7 सेमी है।
उस समान्तर चतुर्भुज का आधार ज्ञात कीजिए, जिसका क्षेत्रफल 390 वर्ग सेमी तथा शीर्ष लंब 26 सेमी हो।
उस समान्तर चतुर्भुज का शीर्ष लंब ज्ञात कीजिए, जिसका क्षेत्रफल 1200 वर्ग मीटर और आधार 60 मीटर है।
चतुर्भुज का क्षेत्रफल
समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल (Area of a Trapezium)
एक ऐसा चतुर्भुज जिसकी दो सम्मुख भुजाएँ एक-दूसरे के समान्तर होती हैं। ABCD एक समलंब चतुर्भुज दिखाया गया है। भुजा AB भुजा DC के समान्तर है। दो समान्तर भुजाओं की लम्बवत दूरी को AM तथा CL से दर्शाया गया है। यदि हम इस त्रिभुज का विकर्ण AC खींचे इससे समलंब चतुर्भुज दो त्रिभुज ABC तथा ACD प्राप्त होते हैं। अतः समलंब चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = त्रिभुज ABC का क्षेत्रफल + त्रिभुज ACD का क्षेत्रफल समलंब चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = 1/2 AB XCL+ 1/2 DCXAM चूंकि CL तथा AM समलंब चतुर्भुज की ऊंचाई है अतः यह बराबर होगी। माना कि यह h के बराबर है। समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 AB x h + 1/2 DC x h
यदि AB =b1 एवं DC=b2 है तो समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 b1 xh+1/2 b2x h = 1/2(b1+b2)xh = 1/2 X (समांतर भुजाओं का योग) उनके बीच की दूरी समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 X (समांतर भुजाओं का योग) ऊँचाई समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 x (b1 + b2) x h
अभ्यास
एक समचतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिसके विकर्ण 24 सेमी व 10 सेमी हैं।
एक समचतुर्भुज की एक भुजा 7.5 सेमी और शीर्ष लंब 4 सेमी है तो उसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
एक समलंब चतुर्भुज की समांतर भुजाएं 20 मी व 8 मी है। इन भुजाओं के बीच की दूरी 12 सेमी है, इसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
आधार 30 सेमी और 24.4 सेमी वाले समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए यदि शीर्ष लंब 1.5 सेमी है।
एक समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल 105 वर्ग सेमी तथा ऊंचाई 7 सेमी है, समान्तर भुजाओं में से यदि एक दूसरी से 6 सेमी अधिक है तो दोनों समान्तर भुजाएं ज्ञात करो।
आयताकार पथ का क्षेत्रफल
एक 25 सेमी लंबी तथा 10 सेमी चौड़े चित्र के बाहर चारों ओर 2 सेमी चौड़ाई की पट्टी बनी है। पट्टी का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
एक आयताकार खेल का मैदान 35 मी X 25 मी माप का है। इसके बीचों-बीच लम्बाई के समान्तर 3 मीटर चौड़ा तथा चौड़ाई के समान्तर 2 मीटर चौड़ा रास्ता है। रास्ते का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
एक बास्केटबॉल का मैदान 28 मीटर लम्बा तथा 15 मीटर चौड़ा है। इसके बाहर चारों ओर 5 मीटर चौड़ी समतल दर्शक दीर्घा बनानी है। दीर्घा का क्षेत्रफल तथा दर्शक दीर्घा को बनाने का खर्च 5.25 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से ज्ञात कीजिए।
वृताकार मार्ग का क्षेत्रफल
यदि एक वृत जिसकी त्रिज्या r है तो परिधि C= 2nr तथा क्षेत्रफल = nr2 होता है। जहां n एक नियतांक है जिसका मान लगभग या 3.14 होता है।
दो सकेन्द्री वृत्तों की त्रिज्याएं क्रमशः 9 सेमी व 12 सेमी हैं दोनों वृत्तों के बीच बनने वाले वृत्ताकार मार्ग का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
एक वृत्त का क्षेत्रफल 616 वर्ग सेमी है। इस वृत्त के बाहर 2 मीटर चौड़ाई का मार्ग है। उस मार्ग का क्षेत्रफल कितना होगा।
वर्ग ग्रिड द्वारा बहुभुज का अनुमानित क्षेत्रफल-
बहुभुज ABCDEFA में, पूरे तथा आधे से बड़े वर्गों की संख्या=29 ठीक आधे वर्गों की संख्या=2 ठीक पूरे वर्गों की संख्या=29+1/2 x2 अतः बहुभुज ABCDEFA का क्षेत्रफल=29+1=30 वर्ग सेमी.
सूत्र द्वारा बहुभुज के क्षेत्रफल की गणना-
बहुभुज ABCDEFA का क्षेत्रफल = त्रिभुज AGB का क्षेत्रफल + समलम्ब चतुर्भुज BGIC का क्षेत्रफल + त्रिभुज CID का क्षेत्रफल + त्रिभुज DHE का क्षेत्रफल + आयत HEFG का क्षेत्रफल + त्रिभुज GFA का क्षेत्रफल
समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3/4 × (भुजा)² समबाहु त्रिभुज को परिमिति = 3 × भुजा समबाहु त्रिभुज के शीर्ष बिंदु से डाले गए लम्ब की लम्बाई = √3/4 × भुजा समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/4a√4b² – a² समद्विबाहु त्रिभुज की परिमिति = a + 2b या a + 2c समद्विबाहु त्रिभुज के शीर्ष बिंदु A से डाले गए लम्ब की लंबाई = √(4b² – a²) विषमबाहु त्रिभुज की परिमिति = तीनों भुजाओं का योग = a + b + c त्रिभुज का अर्ध परिमाप S = ½ × (a + b + c) विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s(s – a)(s – b)(s – c) समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × आधार × लम्ब समकोण त्रिभुज की परिमिति = लंब + आधार + कर्ण = a + b + c समकोण त्रिभुज का कर्ण = √(लम्ब)² + (आधार)² = √(c² + a²) समकोण त्रिभुज का लम्ब = √(कर्ण)² – (आधार)² = √(b² – a²) समकोण त्रिभुज का आधार = √(कर्ण)² – (लम्ब)² = √b² – c² समद्विबाहु समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ¼ (कर्ण)² किसी त्रिभुज की प्रत्येक भुजा को x गुणित करने पर परिमिति x गुणित तथा क्षेत्रफल x^2 गुणित हो जाती हैं। समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° होता हैं। समकोण त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° अर्थात दो समकोण होता हैं।
आयत (Rectangle):
आयत का क्षेत्रफल = लंबाई ×चौड़ाई आयत का विकर्ण =√(लंबाई² + चौड़ाई²) आयत का परिमाप = 2(लम्बाई + चौड़ाई) किसी आयताकार मैदान के अंदर से चारों ओर रास्ता बना हो, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 2 × रास्ते की चौड़ाई × [(मैदान की लंबाई + मैदान की चौड़ाई) – (2 × रास्ते की चौड़ाई)] यदि आयताकार मैदान के बाहर चारों ओर रास्ता बना हों, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 2 × रास्ते की चौड़ाई × [(मैदान की लम्बाई + मैदान की चौड़ाई) + (2 × रास्ते की चौड़ाई)
वर्ग (Square):
वर्ग का क्षेत्रफल = (एक भुजा)² = a² वर्ग का क्षेत्रफल = (परिमिति)²/16 वर्ग का क्षेत्रफल = ½ × (विकर्णो का गुणनफल) = ½ × AC × BD वर्ग की परिमिति = 4 × a वर्ग का विकर्ण = एक भुजा × √2 = a × √2 वर्ग का विकर्ण = √2 × वर्ग का क्षेत्रफल वर्ग की परिमिति = विकर्ण × 2√2 वर्गाकार क्षेत्र के बाहर चारों ओर रास्ता बना हो तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा + रास्ते की चौड़ाई) वर्गाकार क्षेत्र के अंदर चारों ओर रास्ता बना हो तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा – रास्ते की चौड़ाई)
घन (Cube):
घन का आयतन = a × a × a घन का आयतन = (एक भुजा)³ घन की एक भुजा 3√आयतन घन का विकर्ण = √3a सेंटीमीटर। घन का विकर्ण = √3 × एक भुजा घन की एक भुजा = विकर्ण/√3 घन का परिमाप = 4 × a × a घन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 6 a² वर्ग सेंटीमीटर।
बेलन (Cylinder):
बेलन का आयतन = πr²h बेलन के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2πrh बेलन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (2πrh + 2πr²h) वर्ग सेंटीमीटर। दोनों सतहों का क्षेत्रफल = 2πr² खोखले बेलन का आयतन = πh(r²1 – r²2) खोखले बेलन का वक्रप्रष्ठ = 2πh(r1 + r2) खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2πh(r1 + r2) + 2π (r²1 – r²1)
शंकु (Cone):
शंकु का वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = πrl शंकु के पृष्ठों का क्षेत्रफल = πr(r + l) शंकु का आयतन = (πr²h)/3 घन सेंटीमीटर। शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = √(r² + h²) शंकु की ऊँचाई (h) = √(l² – r²) शंकु की त्रिज्या (r) = √(l² – h²) शंकु का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (πrl + πr²) वर्ग सेंटीमीटर। शंकु का छिन्नक (Frastrum):
शंकु के छिन्नक का आयतन = (πh)/3 (R² + r² + Rr) तिर्यक भाग का क्षेत्रफल = π (R + r)³, l² = h² + (R – r)² छिन्नक के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = π[R² + r² + l(R + r)] तिर्यक ऊँचाई = √(R – r)² + h²
समलम्ब चतुर्भुज (Trapezium Quadrilateral):
समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × समान्तर भुजाओं का योग × समांतर भुजाओं के बीच की दूरी समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × ऊँचाई × समान्तर भुजाओं का योग समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × h × (AD + BC) समान्तर चतुर्भुज की परिमिति = 2 × (आसन्न भुजाओं का योगफल) समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × विकर्णो का गुणनफल समचतुर्भुज की परिमिति = 4 × एक भुजा किसी चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × एक विकर्ण समचतुर्भुज की एक भुजा = √(विकर्ण)² + (विकर्ण)² समचतुर्भुज का एक विकर्ण = √भुजा² – (दूसरा विकर्ण/2)²
बहुभुज (Polygon):
n भुजा वाले चतुर्भुज का अन्तः कोणों का योग = 2(n -2) × 90° n भुजा वाले बहुभुज के बहिष्कोणों का योग = 360° n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक अन्तः कोण = [2(n – 2) × 90°] / n n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक भहिष्यकोण = 360°/n बहुभुज की परिमिति = n × एक भुजा नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 6 × ¼√3 (भुजा)² नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 3√3×½ (भुजा)² नियमित षट्भुज की परिमति = 6 × भुजा समषट्भुज की भुजा = परिवृत की त्रिज्या n भुजा वाले नियमित बहुभुज के विकर्णो की संख्या = n(n – 3)/2
घनाभ (Cuboid):
घनाभ के फलक का आकार = आयताकार घनाभ में 6 सतह या फलक होते हैं। घनाभ में 12 किनारे होते हैं। घनाभ में 8 शीर्ष होते हैं। घनाभ का आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई घनाभ की लंबाई = आयतन/(चौड़ाई × ऊँचाई) घनाभ की चौड़ाई = आयतन/(लम्बाई × ऊँचाई) घनाभ की ऊँचाई = आयतन/(लंबाई × चौड़ाई) घनाभ का आयतन = l × b × h घनाभ का परिमाप = 2(l + b) × h घनाभ के समस्त पृष्ठों का क्षेत्रफल = 2(लम्बाई × चौड़ाई + चौड़ाई × ऊँचाई + ऊँचाई × लम्बाई) घनाभ के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl) घनाभ के विकर्ण = √(लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)² घनाभ का विकर्ण = √l² + b² + h² खुले बक्से के सम्पूर्ण पृष्ठों का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौडाई + 2(चौडाई × ऊँचाई + ऊँचाई × लम्बाई) कमरे के चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2 × ऊँचाई × (लम्बाई + चौड़ाई) किसी कमरे में लगने वाली अधिकतम लम्बाई वाली छड़ = √(लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)²
गोला (Sphere):
गोला का आयतन = (4πr³)/3 घन सेंटीमीटर गोले का वक्र पृष्ठ = 4πr² वर्ग सेंटीमीटर गोले की त्रिज्या = ∛3/4π × गोले का आयतन गोले का व्यास = ∛ (6 × गोले का आयतन)/π गोलाकार छिलके का आयतन = 4/3π(R³ – r³) गोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 4πr गोले की त्रिज्या = √सम्पूर्ण पृष्ठ/4π गोले का व्यास = √सम्पूर्ण पृष्ठ/π गोलाकार छिलके का आयतन = 4/3π(R³ – r³)
अर्द्धगोला (Semipsphere):
अर्द्ध गोले का वक्र पृष्ठ = 2πr² अर्द्धगोले का आयतन = 2/3πr³ घन सेंटीमीटर अर्द्धगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr² वर्ग सेंटीमीटर अर्द्वगोले की त्रिज्या r हो, तो अर्द्वगोले का आयतन = 2/3 πr³ अर्द्वगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr²
वृत्त (CIRCLE):
वृत्त का व्यास = 2 × त्रिज्या = 2r वृत्त की परिधि = 2π त्रिज्या = 2πr वृत्त की परिधि = π × व्यास = πd वृत्त का क्षेत्रफल = π × त्रिज्या² = πr² वृत्त की त्रिज्या = √वृत्त का क्षेत्रफल/π अर्द्ववृत्त की परिमिति = (n + 2)r = (π + 2)d/2 अर्द्ववृत्त का क्षेत्रफल = 1/2πr² = 1/8 πd² त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × वृत्त क्षेत्रफल = θ/360° × πr² त्रिज्याखण्ड की परिमिति = (2 + πθ/180°)r वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r² वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई चाप की लम्बाई = θ/360° × वृत्त की परिधि चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr दो संकेन्द्रीय वृत्तों जिनकी त्रिज्याए R1, R2, (R1 ≥ R2) हो तो इन वृत्तों के बीच का क्षेत्रफल = π(r²1 – r²2)
आयतन के सूत्र:
घन का आयतन = भुजा³ घनाभ का आयतन = लम्बाई × चौड़ाई ×ऊंचाई बेलन का आयतन = πr²h खोखले बेलन का आयतन = π(r1² – r2²)h शंकु का आयतन = ⅓ πr2h शंकु के छिन्नक का आयतन = ⅓ πh[r1² + r2²+r1r2] गोले का आयतन = 4/3 πr3 अर्द्धगोले का आयतन = ⅔ πr3 गोलीय कोश का आयतन = 4/3 π(r13 – r23)
किसी गणितीय व्यंजक को साधारण भिन्न या संख्यात्मक रूप में बदलने की प्रक्रिया ‘सरलीकरण’ कहलाती है।
इसके अन्तर्गत गणितीय संक्रियाओं जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि को BODMAS क्रम के आधार पर हल करते हुए दिए गए व्यंजक का मान प्राप्त किया जाता है।
कोष्ठक चार प्रकार के होते हैं –
― → रेखा कोष्ठक (Line Bracket)
( ) → छोटा कोष्ठक (Simple or Small Bracket)
{ } → मझला कोष्ठक (Curly Bracket)
[ ] → बड़ा कोष्ठक (Square Bracket)
इनको इसी क्रम में सरल करते हैं ।
यदि कोष्ठक के पहले ऋण चिह्न हो, तो सरल करने पर अन्दर के सभी चिह्न बदल जाते हैं।
BODMAS का नियम :-
BODMAS में कोष्ठक (Bracket), का (of), भाग (Division), गुणा (Multiplication), जोड़ (Addition), तथा घटाव (Subtraction) की क्रिया एक साथ की जाती हैं।
अतः BODMAS संबंधी प्रश्नों को हल करने के लिए प्रश्नों को उपर्युक्त दिए गए क्रम में ही हल करें अर्थात सबसे पहले Bracket की क्रिया करते हैं।
Bracket में सबसे पहले रेखा कोष्ठक ( – ) फिर छोटा कोष्ठक ( ) फिर मझोला कोष्ठ { } फिर बड़ा कोष्ठक [ ] को हल करते हैं।
तब का (of) की क्रिया, फिर भाग (÷) की क्रिया, फिर गुणा (×) की क्रिया तथा अंत में घटाव की क्रिया करते हैं उपर्युक्त क्रियाओं में से एक या अधिक के अनुपस्थित रहने पर क्रम में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं।
B → कोष्ठक ( Bracket ) रेखा कोष्ठक, छोटा कोष्ठक, मझला कोष्ठक, बड़ा कोष्ठक
O → का ( Of )
D → भाग ( Division )
M → गुणा ( Multiplication )
A → योग ( Addition )
S → अन्तर ( Subtraction )
यहाँ कुछ BODMAS नियम पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) दिए गए हैं:
BODMAS के अनुसार निम्नलिखित में से सही गणना क्या है? 8+6÷2×3
(A) 21
(B) 17
(C) 22
(D) 19
BODMAS नियम का पालन करते हुए इस समीकरण को हल करें: 7+3×(4−2)÷2
(A) 10
(B) 12
(C) 13
(D) 14
BODMAS के अनुसार निम्नलिखित में सही उत्तर क्या होगा? 18÷3×2+5
(A) 17
(B) 13
(C) 16
(D) 15
BODMAS का उपयोग करके इस समीकरण को हल करें: 6+(12÷4)×3
(A) 15
(B) 21
(C) 18
(D) 24
निम्नलिखित में BODMAS के अनुसार सही हल क्या है? 10×(6+2)÷4
(A) 16
(B) 20
(C) 14
(D) 15
BODMAS नियम को ध्यान में रखते हुए यह समीकरण हल करें: (5+10)÷5+2×4
(A) 11
(B) 14
(C) 12
(D) 13
BODMAS (Bracket, Orders, Division and Multiplication, Addition and Subtraction) नियमों के आधार पर इन प्रश्नों का सही उत्तर ढूँढना है।
किसी भी त्रिभुज में तीन शीर्ष, तीन भुजाएँ और तीन कोण होते हैं।
2. जिन त्रिभुजों की तीनों भुजाएँ बराबर लम्बाई की हों, उन्हें समबाहु त्रिभुज कहते हैं। 3. जिन त्रिभुजों की दो भुजाएँ बराबर लम्बाई की हों, उन्हें समद्विबाहु त्रिभुज कहते हैं।
4. जिनकी सभी भुजाएँ असमान लम्बाई की हों, उन्हें विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं।
5. जिन त्रिभुजों के तीनों कोण न्यूनकोण होते हैं, उन्हें न्यूनकोण त्रिभुज कहते हैं।
6. जिस त्रिभुज में कोई एक कोण समकोण हो, तो उसे समकोण त्रिभुज कहते हैं।
7. जिस त्रिभुज में कोई एक कोण अधिक कोण हो, उसे अधिक कोण त्रिभुज कहते हैं।
8. ऐसा चतुर्भुज, जिसमें आमने-सामने की भुजाएँ समान लम्बाई की हों तथा चारों कोण समकोण हों, आयत कहलाता है।
9. ऐसा आयत, जिसकी चारों भुजाएँ समान लम्बाई की हों, वर्ग कहलाता है।
कोण: नामकरण एवं मापन
अभ्यास
चाँदे की सहायता से निम्न कोण बनाएं- (i)45° (ii)75° (iii) 90° (iv) 120° (v)155° (vi) 210°
6 बजे घड़ी की दोनों सुईयों (घंटा एवं मिनट) के बीच कितना कोण बनेगा।
समान प्रकार की दो राशियों / वस्तुओं के बीच सम्बन्ध को अनुपात कहते हैं। दो राशियों का अनुपात एक भिन्न के बराबर होता है , अतः यह प्रदर्शित करता है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी कम या अधिक है। माना, एक राशि x तथा दूसरी राशि y है, तब इनके बीच अनुपात = x : y
अनुपात: सारणी समझ और अभ्यास
अनुपात: सारणी
पूर्वपद (Antecedent):
अनुपात में पहले स्थान पर आने वाले पद को पूर्वपद कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 3:5 है, तो यहाँ 3 पूर्वपद है। यह उस वस्तु या संख्या को दर्शाता है जिसकी पहले तुलना की जा रही है।
उत्तरपद (Consequent):
अनुपात में दूसरे स्थान पर आने वाले पद को उत्तरपद कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 3:5 है, तो 5 उत्तरपद है। यह दूसरी संख्या या वस्तु है जिसकी तुलना की जा रही है।
अनुपात का उदाहरण:
यदि किसी कक्षा में 10 लड़के और 15 लड़कियाँ हैं, तो लड़के और लड़कियों का अनुपात 10:15 होगा। इसमें:
पूर्वपद (Antecedent) = 10 (लड़के)
उत्तरपद (Consequent) = 15 (लड़कियाँ)
अनुपात: समझ
50 पुस्तकों एवं 10 पुस्तकों के मध्य अनुपात = 50:10 = 5:1 राम की उम्र 20 वर्ष एवं श्याम की उम्र 30 वर्ष है। दोनों के उम्र के मध्य अनुपात =20:30=2:3 400 किलो गेहूं एवं 100 किलो गेहूं के मध्य अनुपात = 400: 100 = 4:1 राशि a तथा राशि b के मध्य अनुपात = a : b
अनुपात: अभ्यास
एक स्कूल में कुल विद्यार्थियों की संख्या 1500 है। उसमें से लड़कियों की संख्या 600 है। लड़कों तथा लड़कियों की संख्या का अनुपात ज्ञात कीजिए?
20 गुब्बारों को दो बच्चों के बीच 2: 3 के अनुपात में बांटिए। बताइए दोनों को कितने-कितने गुब्बारे मिले ?
राजेश और जावेद ने मिलकर एक दुकान खोली। दुकान में राजेश ने 45000 रु तथा जावेद ने 36000 रु लगाए। बताइए राजेश और जावेद द्वारा लगाई पूंजियों का मूल अनुपात क्या है ?
किसी परीक्षा में 117 परीक्षार्थियों में से 65 असफल हो गए तो सफल और असफल परीक्षार्थियों की संख्या में क्या अनुपात है ?
रत्ना और शीला ने मिलकर अपने चाचा के बगीचे से 18 आम तोड़े। दोनों अब इस आम को आपस में बाँटना चाहते हैं। रत्ना चाहती है कि उम्र के अनुपात में आमों को बांटना चाहिए। अब बताइए कि ऐसे बाँटने पर रत्ना और शीला को कितने-कितने आम मिलेंगे जबकि रत्ना की उम्र 15 वर्ष तथा शीला की उम्र 12 वर्ष है।
तीन कॉपियों की कीमत 16.50 रू. है। तो 7 कॉपियों की कीमत ज्ञात कीजिए।
किसी मज़दूर की 25 दिनों की आय 1500 रु. है। उसकी 30 दिनों की आय ज्ञात कीजिए।
यदि 22 मीटर कपड़े का मूल्य 704 रु है तो 20 मीटर कपड़े का मूल्य क्या होगा ?
हमने सीखा
दो समान राशियों का अनुपात यह दर्शाता है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी है।
दो राशियों का अनुपात प्रायः उनके सरलतम रूप में व्यक्त किया जाता है। जैसे na : nb को a :b लिखा जाता है।
दी गई राशियों से पहले एक राशि का इकाई मान ज्ञात कर फिर वांछित संख्या में राशियों का मान ज्ञात करने की विधि को ऐकिक विधि कहा जाता है।
यदि दो अनुपात x : y तथा P : Q दिए गए हैं, तो Px : Qy मिश्रित अनुपात में कहलाएंगे।
दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती (Mean proportional):–
माना मध्य समानुपाती x है, तब a : x :: x : b (सही स्थिति) हल:- x² = a.b ⇒ x = √a.b अतः दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती = √a.b होता हैं। यदि a : b :: C : d हो , तो a : c :: b : d एकान्तरानुपात (Altermendo) कहलाता है अर्थात् a/b = c/d या a/c = b/d (एकान्तरानुपात) यदि a : b :: c : d हो, तो (a + b) : b :: (c + d) : d योगानुपात (Componendo) कहलाता है। अर्थात् a/b = c/d, तब (a + b)b = (c + d)d (योगानुपात) या a/b + 1 c/d + 1 ⇒ (a + b)/b = (c + d)/d यदि a : b :: c : d हो , तब ( a – b ) : b :: ( c – d ) : d अन्तरानुपात ( Dividendo ) कहलाता है। अर्थात् a/b = c/d ⇒ a/b – 1 = c/d – 1 ⇒ (a – b)/b = (c – d)/d (अन्तरानुपात)
योगान्तरानुपात (Componendo and Dividendo) :
योगानुपात तथा अन्तरानुपात का सम्मिलन है। यदि a : b :: c : d हो , तब ( a + b ) : ( a – b ) :: ( c + d ) : ( c – d ) योगान्तरानुपात है
दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती (Third Proportional) –
माना दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती x है। तब a : b = b : x (सही स्थिति) हल:- a/b : b/x ⇒ b2 = ax ∴ x = b²/a अतः दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती b²/a होता है। तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती ( Fourth Proportional ) माना a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती x है, तब a : b = c : r ( सही स्थिति ) हल:- a/b = c/x ⇒ a.x = bc ⇒ x bc/a अतः तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती = bc/a होता है।
किसी भी भिन्न का जोड़ करने से पहले हमें यह देखना होगा कि उनका हर समान है या नहीं। यदि दोनों भिन्नों का हर समान है तो हम हर को वैसा ही रखकर अंशों को जोड़ देंगे। जैसे –
3/5 + 3/5 ( इन दोनों भिन्नों का हर समान है तब ) = 3 + 3/5 = 6/5 उत्तर
अगर हर समान ना हो तो
भिन्नों का जोड़ करते समय यदि भिन्नों का हर समान नहीं है तब हम उन भिन्नों के हर का लघुत्तम समापवर्त्य LCM लेते हैं फिर LCM को दूसरी भिन्न के हर से भाग करके जो उत्तर आएगा उसको पहली भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे तथा पहली भिन्न के हर से LCM को भाग करके जो उत्तर आएगा उसे दूसरी भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे और प्राप्त दोनों अंशो को जोड़ देंगे तथा हर की जगह Lcm लिख देंगे।
भिन्नों का घटाना / Subtraction of fraction
अगर भिन्नों का हर समान हो
किसी भी भिन्न की घटा करने से पहले हमें यह देखना होगा कि उनका हर समान है या नहीं। यदि दोनों भिन्नों का हर समान है तो हम हर को वैसा ही रखकर अंशों को घटा देंगे। जैसे –
3/5 – 2/5 ( इन दोनों भिन्नों का हर समान है तब ) = 3 – 2/5 = 1/5 उत्तर
अगर हर समान ना हो तो
भिन्नों की घटा करते समय यदि भिन्नों का हर समान नहीं है तब हम उन भिन्नों के हर का लघुत्तम समापवर्त्य LCM लेते हैं फिर LCM को दूसरी भिन्न के हर से भाग करके जो उत्तर आएगा उसको पहली भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे तथा पहली भिन्न के हर से LCM को भाग करके जो उत्तर आएगा उसे दूसरी भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे और प्राप्त दोनों अंशो को घटा देंगे तथा हर की जगह Lcm लिख देंगे। जैसे-
भिन्नों को गुणा / Multiplication of fraction
दो भिन्नों की गुणा करने के लिए हमें किसी विशेष नियम का पालन नहीं करना होता। दो भिन्नों की गुणा करने के लिए दोनों भिन्नों के अंश को आपस मे गुणा करके लिख देंगे तथा दोनों भिन्नों के हर को आपस मे गुणा करके लिख देंगे।
3/5 × 6/7
जैसा कि हम देख सकते हैं कि आने वाली भिन्न का हर 35 होगा। अब हम आने वाली भिओंन के अंश को ज्ञात करने के लिए दोनों भिन्नों के अंशों को गुना कर देंगे।
3 × 6 = 18
हम देख सकते हैं अब हमने अंश भी ज्ञात कर लिया है। अब हम अंश एवं हर को एक दुसरे के ऊपर लिख देंगे। अतः
इन भिन्नों के गुना का हल होगा : 18/35
भिन्नों का भाग / Division of fraction
दो भिन्नों का भाग करने के लिए सबसे पहले दूसरी भिन्न को उल्टा करके लिख देते हैं जैसे दूसरी भिन्न के अंश को उसके हर की जगह लिख देंगे तथा हर को अंश की जगह लिख देंगे। ऐसा करने से भाग का निशान बदलकर गुणा का निशान हो जाएगा। उसके बाद भिन्नों की गुणा कर देंगे। जैसा अभी हमने किया था।
इन्हें याद रखें
प्रत्येक भिन्न में अंश ऊपर और हर नीचे होता है।
ऐसी सभी भिन्नें जो किसी इकाई के एक ही हिस्से को प्रदर्शित करती हैं, उन्हें तुल्य भिन्नें कहते हैं।
समान हर वाली भिन्नों को जोड़ने के लिए भिन्नों के अंशों को जोड़कर अंश में लिखते हैं और हर को एक ही बार हर में लिखते हैं।
समान हर वाली भिन्नों को घटाने के लिए भिन्नों के अंशों को घटाकर अंश में लिखते हैं और हर को एक ही बार हर में लिखते हैं।
दो भिन्नों का गुणा करने के लिए अंशों का गुणा कर अंश में लिखते हैं तथा हरों का गुणा कर हर में लिखते हैं इस तरह मिलने वाली भिन्न ही दोनों भिन्नों का गुणनफल है।
भिन्नों का भाग करने के लिए भाजक के अंश को हर के स्थान पर तथा हर को अंश के स्थान पर रखकर भाज्य से गुणा करना चाहिए।
1 से 30 तक के घनों में 1 से 30 तक की सभी संख्याओं के घनों की सूची है। 1 से 30 तक के घनों का मान 1 से 27000 तक है। इन मानों को याद करने से छात्रों को समय लेने वाले समीकरणों को जल्दी से सरल बनाने में मदद मिलेगी। घातीय रूप में किसी भी संख्या x का घन (x) 3 के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
प्रतिपादक रूप: (x) 3
उच्चतम मूल्य: 30 3 = 30 × 30 × 30 = 27000
निम्नतम मान: 1 3 = 1 × 1 × 1 = 1
घन संख्या तालिका [Cube Number Table]
सीखने वाले क्यूब्स 1 से 30 छात्रों को 1 से 27000 तक सभी सही क्यूब्स को पहचानने में मदद कर सकते हैं और ज्ञात क्यूब्स के बीच इंटरपोलेट करके क्यूब रूट का अनुमान लगा सकते हैं। 1 से 30 तक के घनों के मान नीचे दी गई तालिका में सूचीबद्ध हैं।
1 से 30 तक सभी क्यूब्स की सूची
1 3 = 1
2 3 = 8
3 3 = 27
4 3 = 64
5 3 = 125
6 3 = 216
7 3 = 343
8 3 = 512
9 3 = 729
10 3 = 1000
11 3 = 1331
12 3 = 1728
13 3 = 2197
14 3 = 2744
15 3 = 3375
16 3 = 4096
17 3 = 4913
18 3 = 5832
19 3 = 6859
20 3 = 8000
21 3 = 9261
22 3 = 10648
23 3 = 12167
24 3 = 13824
25 3 = 15625
26 3 = 17576
27 3 = 19683
28 3 = 21952
29 3 = 24389
30 3 = 27000
छात्रों को सलाह दी जाती है कि गणित में तेजी से गणना करने के लिए इन घन संख्याओं 1 से 30 तक के मानों को अच्छी तरह से याद कर लें।
घन 1 से 30 – सम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका सम संख्याओं के लिए 1 से 30 तक के घनों के मान दर्शाती है।
2 3 = 8
4 3 = 64
6 3 = 216
8 3 = 512
10 3 = 1000
12 3 = 1728
14 3 = 2744
16 3 = 4096
18 3 = 5832
20 3 = 8000
22 3 = 10648
24 3 = 13824
26 3 = 17576
28 3 = 21952
30 3 = 27000
घन 1 से 30 – विषम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका विषम संख्याओं के लिए 1 से 30 तक के घनों के मान दर्शाती है।
1 3 = 1
3 3 = 27
5 3 = 125
7 3 = 343
9 3 = 729
11 3 = 1331
13 3 = 2197
15 3 = 3375
17 3 = 4913
19 3 = 6859
21 3 = 9261
23 3 = 12167
25 3 = 15625
27 3 = 19683
29 3 = 24389
1 से 30 तक के घनों की गणना कैसे करें?
1 से 30 तक के घनों के मान की गणना करने के लिए , हम नीचे दी गई विधि का उपयोग कर सकते हैं:
गुणन अपने आप में:
इस विधि में, एक ही संख्या को तीन बार गुणा किया जाता है और परिणामी गुणनफल हमें उस संख्या का घन देता है। उदाहरण के लिए, 7 का घन = 7 × 7 × 7 = 343। यहाँ, परिणामी उत्पाद “343” हमें संख्या “7” का घन देता है। यह तरीका छोटी संख्या के लिए अच्छा काम करता है।
प्रतिशत का अर्थ "प्रति सैंकड़ा" से है। प्रतिशत को भिन्न, दशमलव तथा अनुपात में व्यक्त कर सकते हैं एवं भिन्न, दशमलव तथा अनुपात को भी प्रतिशत में व्यक्त कर सकते हैं।
किसी भिन्न का हर यदि 100 हो तो वह भिन्न, अंश के प्रतिशत के बराबर होता है।
480 किलोग्राम का 15% कितना होगा।
सीता को 500 में से 250 अंक प्राप्त हुए। उसके प्राप्तांक का प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
राम को 10 रु. की गणित की पुस्तक में 10% छूट मिलती है तो वह पुस्तक उसे कितने में मिलेगी?
एक शाला में 15 अगस्त के दिन कुल 300 टॉफियाँ लायी गयी। उनमें से 99% टॉफियाँ छात्रों में बाँटी गयी। बची हुई टॉफियों की संख्या ज्ञात कीजिए।
यदि किसी रबर को खींचकर दुगुना लम्बा कर दिया जाता है, तो लम्बाई में वृद्धि प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
किसी शहर की कुल जनसंख्या का 40% पुरुष 35% महिलाएँ और शेष बच्चे हैं। यदि बच्चों की संख्या 18,000 हो तो पुरुषों और महिलाओं की संख्या ज्ञात कीजिए।
किसी गाँव की जनसंख्या 3000 है, पहले वर्ष 10% बढ़ती है। एक वर्ष बाद उसमें 10% की कमी आती है तो जनसंख्या में होने वाली प्रतिशत बढ़ोतरी या कमी ज्ञात कीजिए।
संख्याओं, अक्षर संख्याओं तथा मूलभूत संक्रियाओं के चिहनो की सहायता से दिखाइए।
एक वृत्त का व्यास उसकी त्रिज्या से दोगुना है।
एक आयत का क्षेत्रफल उसकी लम्बाई एवं चौड़ाई के गुणनफल के बराबर है।
विक्रय मूल्य, क्रय मूल्य तथा लाभ के योगफल के बराबर होता है।
किसी संख्या में दूसरी संख्या को जोड़ा गया है।
किसी संख्या में से 7 निकाले गए।
मिश्रधन, मूलधन तथा ब्याज के योगफल के बराबर होता है।
हमने सीखा
जो अक्षर, संख्याओं को दर्शाने के काम में आते है, अक्षर संख्या कहलाते हैं। ये अक्षर चरांक के रूप में संख्याओं को ही दर्शाते हैं, अतः वे उन सभी नियमों का पालन करते हैं जो संख्याओं द्वारा की जाती है। वह राशि जिसका एक निश्चित संख्यात्मक मान हो, अचर राशि कहलाती है। वह राशि जिसके कई संख्यात्मक मान हो सकते है, चर राशि कहलाती है। अंकगणित में हम एक निश्चित मान बाली संख्या का उपयोग करते हैं, जबकि बीजगणित में ऐसे अक्षरों का प्रयोग करते हैं जिसका मान एक से अधिक हो सकता है। किसी संख्या का बीजीय भाग चर राशि कहलाता है। p = 4a में p और a चर राशि तथा 4 अचर राशि है।
अपने ज्यामिति बॉक्स में रखी परकार परकार में पेंसिल लगाकर उसको थोड़ा सा फैलाइए। परकार की नोंक को कॉपी के बीचों-बीच रखकर पेंसिल वाले सिरे को चारों ओर घुमाइए। ध्यान रहे परकार की नोंक कॉपी पर अपनी जगह से नहीं हटनी चाहिए। इस प्रकार बनी आकृति वृत्त कहलाती है।
जिस स्थान पर परकार की नोक आपने रखी थी वहाँ पेंसिल की सहायता से एक बिंदु बनाकर “O”लिखें यह बिन्दु “O” वृत्त का केन्द्र है। अब वृत्त पर कई बिंदु A,B,C एवं D बनाकर निम्न दूरियों को मापें
OA = OB = OC = OD =
OA,OB, OC एवं OD की लम्बाई समान है। ये सभी वृत की “त्रिज्या” हैं।
आपने वृत्त पर स्थित दो बिंदुओं को मिलाते हुए कई रेखाखण्डों को जीवा या चापकर्ण कहते हैं। सबसे बड़ी जीवा केन्द्र से होकर जाती है, व्यास कहलाती है केन्द्र से जाने वाली प्रत्येक जीवा सबसे लम्बी जीवा है और आप यह भी जानते हैं कि किसी बिन्दु से असंख्य रेखाखण्ड खींचे जा सकते हैं, इसलिए किसी वृत्त में भी असंख्य व्यास खींचे जा सकते हैं। किसी वृत्त का व्यास, त्रिज्या का दुगुना होता है। अर्थात् त्रिज्या व्यास की आधी होती है।’ किसी भी बन्द आकृति के घेरे की लम्बाई ही उस आकृति का परिमाप है।
प्रत्येक वृत्त का परिमाप तथा व्यास का अनुपात एक ही (स्थिरांक) होता है। इस स्थिरांक को ग्रीक अक्षर (π) (पाई) से दर्शाते हैं तथा इसका मान लगभग 2 या 3.14 के बराबर होता है।
अभ्यास
3.2 सेमी त्रिज्या के वृत्त में 6.4 सेमी की एक जीवा खीचिए।
एक वृत्त की रचना कीजिए जिसकी सबसे बड़ी जीवा की लम्बाई 8 सेमी है।
किसी वृत्त की त्रिज्या 7 सेमी है तो उसका परिमाप क्या होगा?
प्रश्न-1 नीचे दिये गये कथन सत्य हैं अथवा असत्य पहचानिए – एक बिन्दु से असंख्य रेखाखंड खींचे जा सकते हैं। दो बिन्दु से गुजरने वाली असंख्य सरल रेखाएँ खींची जा सकती हैं। रेखाखंड की केवल लम्बाई होती है, चौड़ाई नहीं। एक रेखाखंड में यदि चार बिन्दु लिए जाएं तो ये सभी बिन्दु संरेख बिन्दु होते हैं। तीन असंरेख बिन्दु से अधिकतम दो रेखाखंड खींचे जा सकते हैं।
किरण
किरण का एक प्रारंभिक बिंदु होता है और वह किसी एक दिशा में लगातार बढ़ती रहती है।
सरल रेखा
सरल रेखा दोनों दिशाओं में लगातार बढ़ती रहती है।
रेखाखंड
रेखाखंड सरल रेखा का एक निश्चित भाग है जिसका प्रारंभिक एवं अंतिम बिन्दु निश्चित होता है, तथा रेखाखंड को नापा जा सकता है।
सरल रेखा एवं किरण की लंबाई को मापा नहीं जा सकता।
दो रेखाएँ एक दूसरे को अधिकतम एक ही बिंदु पर काटती हैं।
एक बिन्दु से होकर असंख्य रेखाएँ खींची जा सकती हैं तथा एक बिंदु से असंख्य किरणें खींची जा सकती है।
किसी संख्या का उसी संख्या के साथ बार-बार गुणा कर संक्षिप्त रूप लेखन को हम घातीय संकेतन भी कहते हैं। जैसे :- 3 x 3 x 3 x 3 = 34. यहाँ 3 आधार है तथा 4 घात है।
“जब दो समान आधार वाली घातीय राशियों का गुणा होता है, तो गुणनफल में आधार वही रहता है तथा उनकी घातें आपस में जुड़ जाती हैं।”
घातांक क्या होता है? (exponent in hindi)
घातांक वह संख्या होती है जो हमें बताती है की किसी संख्या को कितने बार खुद से ही गुना करना है। जैसे : 23 में हम देख सकते हैं कि हमें 2 को तीन बार खुद से गुना करना पड़ेगा।
हम 2 को तीन बार खुद से गुना करेंगे तो हमारे पास उसका घन आ जाएगा। तो इसी प्रकार घातांक हमें बताते हैं कि हमें संख्या को कितनी बार खुद से ही गुना करना पडेगा।
घातांक के नियम: (rules of exponent in hindi)
घातांक के मुख्यतः 6 नियम होते हैं वे निम्न है :
नियम 1: a0 = 1
शून्य के अलावा अगर कोई भी संख्या के ऊपर अगर 0 घात है तो उसका मान 1 हो जाएगा।
उदाहरण :
80 = 1
जैसा कि आप देख सकते हैं 2 एक संख्या है एवं इसके घात के रूप में 0 या शून्य है। जब ऐसा होता है तो संख्या का मान स्वत ही 1 हो जाता है। यहाँ पर भी 2 कि घात 0 होने से इस संख्या का मान 1 हो गया है।
नियम 2: a-m = 1/am
अगर किसी संख्या की घात में ऋणात्मक चिन्ह है तो फिर वह संख्या 1 के भाग में चली जायेगी एवं उसकी घात धनात्मक हो जायेगी।
उदाहरण :
3-3= 1/33 = 1/27
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा की 3 संख्या की घात 3 है लेकिन वह ऋणात्मक है। हम यह भी जानते हैं कि जब ऋणात्मक घात होती है तो वह संख्या 1 के भाग में चली जाती है लेकिन उसकी घात धनात्मक हो जाती है।
नियम 3: am x an = am+n
अगर किन्हीं ऐसी दो संख्याएं जिनका मूल समान है लेकिन घात अलग है उन्हें गुना किया जाता है अगर उन दो संख्याओं को गुना किया जाता है तो उनकी घात का योग हो जाता है।
उदाहरण:
22 x 23 = 22+3 = 25
= 2x2x2x2x2 = 32
जैसा कि आपने देखा ऊपर हमारे पास एक जगह 2 कि घात 2 थी एवं एक जगह 2 कि घात 3 थी। जब हमने उन दोनों संख्याओं को गुना किया तो फिर उन दोनों संख्याओं कि घात का योग हो गया।
नियम 4 : am/an = am-n
अगर किन्हीं ऐसी दो संख्याओं का भाग दिया जाता हैं जिनका मूल ह्या आधार समान है तो उन दोनों संख्याओं की घात घटा हो जाती हैं एवं हम एक ही आधार लेते हैं।
उदाहरण:
25/23 = 25-3 = 22 = 4
जैसा कि आपने देखा की ऊपर हमारे पास दो संख्याएं थी जिनका आधार समान the लेकिन उनके घात अलग अलग थे। ऐसी संख्याओं को जब भाग दिया गया तो उनका आधार एक हो गया एवं जो संख्या अंश में थी उसकी घात में से हर वाली संख्या की घात घटा हो गयी।
नियम 5 : (am)n : amxn
अगर कोई संख्या घात के साथ कोष्ठक में होती है एवं कोष्ठक के बाहर भी कोई घात होती है तो दोनों घाटों का गुना होता है। गुना होने बाद जो घात आती है वाही घात उस संख्या कि घात होती है। फिर हम उस संख्या को उतनी बार गुना करके उसका हल निकालते हैं।
उदारहण :
(22)3 = 26 = 64
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा की हमारे पास संख्या 2 थी जिसकी घात 2 थी एवं कोष्ठक के बहार 3 घात थी तो 2 एवं तीन घात का गुना हो गया। इससे घात 6 हो गयी इससे 2 को 6 बार गुना किया गया जिससे हमारे पास 64 आया।
नियम 6 : am/n =n√am = (n√a)m
उदाहरण :
642/3 = (3√64)2 = (4)2 = 16
विश्व की जनसंख्या लगभग 5×109 हैं तथा विश्व का सतही क्षेत्रफल लगभग 4×1011 वर्ग किलोमीटर हैं तो प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग कितने व्यक्ति रहते होंगे?
वह छोटी से छोटी संख्या ज्ञात कीजिए जिसे 68600 में गुणा करने पर गुणनफल पूर्ण घन संख्या हो?
वह छोटी से छोटी संख्या ज्ञात कीजिए जिसे 408375 में भाग करने पर भागफल पूर्ण घन हो जाए?
वर्गमूल
किसी संख्या का वर्गमूल ज्ञात करने के लिए हमने उसके अभाज्य गुणनखण्डों में से समान गुणनखण्डों के दो-दो के जोड़े बनायेंगे । प्रत्येक जोड़े में से एक-एक संख्या लेकर उनका गुणनफल ज्ञात कर लेंगे। यही दी गई संख्या का वर्गमूल होगा।
512 का वर्गमूल ज्ञात कीजिए।
यदि एक वर्गाकार चित्र का क्षेत्रफल 2025 वर्ग सेमी हो तब चित्र की एक भुजा की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
एक व्यक्ति अपने बाग में 11025 आम के पौधे इस प्रकार लगाता है कि हर पंक्ति में उतने ही पौधे हैं जितनी पंक्तियाँ हैं तो बाग में कितनी पंक्तियाँ हैं?
भाग विधि से वर्गमूल ज्ञात करना
संख्या के इकाई की ओर से आरंभ करते हुए संख्याओं के जोड़े बनाइए। जोड़े बनाने के लिए संख्याओं के ऊपर एक छोटी सी आड़ी रेखा खींच सकते हैं। संख्या को भाग चिह्न के भीतर रखिए। अब ऐसा बड़ा से बड़ा भाजक ढूँढ़िए जिसका वर्ग संख्या के पहले जोड़े से बड़ा न हो।
भाजक और भागफल में वर्ग संख्या को रखते हुए उनके गुणनफल जोड़े के नीचे रखकर घटाइए।
भाजक में उतनी ही संख्या जोड़िए। योगफल को उसके नीचे लिखिए।
जो शेष बचा है , उसके आगे पूरी एक जोड़ी संख्या उतारकर रखिए। यह नया भाज्य बनेगा।
अब हमें भाजक के योगफल के आगे और भागफल के आगे एक ऐसी संख्या रखनी है जिससे उस संख्या और नए भाजक का गुणनफल अधिक न हो। यदि हम भागफल में जितनी संख्या रखें तो भाजक में भी उतनी ही संख्या रखेंगे, जिससे नया भाजक का निर्माण होगा।
क्रमशः भागफल में वर्ग संख्या को रखते हुए उनके गुणनफल जोड़े के नीचे रखकर घटाइए।
भाजक में उतनी ही संख्या जोड़िए। योगफल को उसके नीचे लिखिए। जब तक कि शेष 0 ना बच जाये।
भाग विधि से 625 का वर्गमूल ज्ञात करें।
घनमूल ज्ञात करना
किसी संख्या का घनमूल निकालने के लिए उसके अभाज्य गुणनखंण्डों में से समान गुणनखंण्डों के तीन-तीन के त्रिक (तिकड़ी) बनाएँगे तथा ऐसी प्रत्येक तिकड़ी से एक-एक संख्या लेकर उनका गुणनफल ज्ञात कर लेंगे। यही दी गई संख्या का घनमूल होगा। 512 का घनमूल ज्ञात कीजिए।
हमने सीखा (We Have Learnt)
यदि n कोई संख्या है तब nxn या n2 इसका वर्ग कहलाएगा और nxnxn या n3 इसका घन।
जिन संख्याओं के इकाई में 2,3,7 या 8 हो वे पूर्ण वर्ग संख्याएँ नहीं हो सकती हैं।
यदि पूर्ण वर्ग संख्या के अन्त में सम संख्या में शून्य हो तो वे भी पूर्ण वर्ग संख्या होगी।
सम संख्याओं के वर्ग एवं घन सदैव सम संख्याएँ एवं विषम संख्याओं के वर्ग एवं घन सदैव विषम संख्याएँ होती हैं।
किसी प्राकृत संख्या n का वर्ग, प्रारम्भिक n विषम संख्याओं के योगफल के बराबर होता है।
यदि तीन संख्याएँ इस प्रकार हो कि बड़ी संख्या का वर्ग शेष दोनों संख्याओं के वर्गों के योग के बराबर हो तब संख्याएँ पाइथागोरिय त्रिक कहलाती है। जैसे 32+ 42 = 52 अतः (3,4,5) पाइथोगोरीय त्रिक है।
वर्गमूल को ‘√ ‘चिह्न के द्वारा प्रदर्शित करते हैं। इस चिह्न को करणी चिह्न कहते हैं।
एक बगीचे में 7 क्यारियाँ हैं, प्रत्येक क्यारी में गुलाब के 15 पौधे लगाए गए। बताओ, बगीचे में गुलाब के कुल कितने पौधे लगे?
एक टोकरी में 25 संतरे हैं। बताओ, ऐसी ही 5 टोकरियों में कितने संतरे होंगे?
एक दर्जी एक दिन में 12 शर्ट सिलता है। बताओ, वह 4 दिन में कितने शर्ट सिल लेगा?
एक विद्यालय में 65 बच्चे हैं। पिकनिक के लिए सभी ने 15-15 रु. जमा किये। बताओ कुल कितने रुपये जमा हुए ?
राधा को 14 कॉपियों की आवश्यकता है। यदि प्रत्येक कॉपी का मूल्य 16 रुपये हो तो राधा को कितने रुपयों की आवश्यकता होगी ?
एक छोटे बॉक्स में 12 कुल्फियाँ रखी जा सकती हैं। एक बड़े बॉक्स में उससे 15 गुना ज्यादा कुल्फियाँ रखी जा सकती हैं। बताओ बड़े बॉक्स में कितनी कुल्फियाँ रखी जा सकती हैं।
साड़ी की 25 अलग-अलग डिजाइन हैं। प्रत्येक डिजाइन में 16 रंग है। दुकानदार अपनी दुकान के लिए हर तरह की साड़ी खरीदना चाहता है। बताओ उसे कम-से-कम कितनी साड़ियाँ खरीदनी पड़ेंगी ?
एक कुर्सी की कीमत 436 रुपये है तो वैसी ही 35 कुर्सियाँ कितने रुपये में मिलेंगी ? महेश घर से 3000 रुपये लेकर बाजार गया उसने 175 रुपये प्रति सेट के हिसाब से पुस्तक के 12 सेट खरीदे। बताओ उसके पास कितने रुपये बचे ?
ऐसे कथन जिनमें चरांक शामिल हों और दोनों पक्ष बराबर हों, समीकरण कहलाते हैं, अर्थात् समानता वाले वे कथन जिनमें एक या एक से अधिक बीजीय अंक होते हैं “समीकरण” कहलाते हैं। इसमें बराबर के बायीं ओर के समस्त चर और अचर पदों को समीकरण का “बायाँ पक्ष” और दायें ओर के समस्त पदों को समीकरण का “दायाँ पक्ष” कहते हैं।
निम्नलिखित कथनों में अज्ञात संख्या y का प्रयोग करके समीकरण में बदलिए-
किसी संख्या के दुगुने में से 3 कम करने पर 17 आता है।
किसी संख्या का छठा भाग 7 है।
किसी संख्या एवं 5 का अन्तर 8 है।
किसी संख्या में 7 का गुणा कर 5 घटाने से 9 बचता है।
किसी संख्या का दोगुना 10 है संख्या क्या होगी?
किसी संख्या के दुगने में 35 जोड़ा जाए तब 85 प्राप्त होता है। वह संख्या क्या होगी ?
25 पैसे के कितने सिक्के 10 रु. के बराबर होगें ?
उमा के पास कुछ मीटर कपड़ा है। उसमें से 2-2 मीटर कपड़े के वह 4 पर्दे बना देती है उसके बाद भीउसके पास 5 मीटर कपड़े बचे रहते है तब प्रारंभ में उसके पास कितने मीटर कपड़े थे ?
किसी संख्या के आधे में से यदि 4 घटाये तब 6 प्राप्त होता है संख्या क्या होगी ?
हमने सीखा
किसी भी समस्या को समीकरण के द्वारा हल करने के लिए निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए-
समस्या को अच्छी तरह पढ़िए एवं निर्धारित कीजिए कि कौन-कौन सी ज्ञात राशि एवं कौन-कौन सी अज्ञात राशि है।
अज्ञात राशि को x, y, z इत्यादि से व्यक्त कीजिए।
समस्या को एक-एक शब्द के अनुसार जहाँ तक संभव हो, गणितीय कथन में परिवर्तित कीजिए।
वे राशियाँ निर्धारित कीजिए जो बराबर हों और उनसे एक उचित समीकरण बनाइए।
समीकरण को अज्ञात राशि के लिए हल कीजिए।
यह जाँच कीजिए कि आपका उत्तर समस्या में दी हुई शर्तों को संतुष्ट करता है अथवा नहीं।
किसी संख्या को उसी संख्या से गुणा करने पर जो गुणनफल प्राप्त होता है, उस गुणनफल को उस संख्या का वर्ग कहते हैं तथा उस संख्या को उस गुणनफल का वर्गमूल कहते हैं।
वर्ग एवं वर्गमूल के सूत्र
किसी संख्या n के वर्ग को n2 से प्रदर्शित किया जाता है, जबकि वर्गमूल को √n से प्रदर्शित किया जाता है।
एक प्राकृत संख्या एक पूर्ण वर्ग कहलाती है, यदि वह किसी प्राकृत संख्या का वर्ग है। अर्थात्य दि m = n2 हो, तो m एक पूर्ण वर्ग है, जहाँ m और n प्राकृत संख्याएँ हैं।
जब किसी संख्या को स्वयं उसी से गुणा किया जाए तो उससे प्राप्त संख्या उस संख्या का वर्ग कहलाती है।
सम संख्याओं के वर्ग और घन सम संख्याएँ होती हैं।
विषम संख्याओं के वर्ग और घन विषम संख्याएँ होती हैं।
एक पूर्ण वर्ग (1 के अतिरिक्त) को सदैव समान अभाज्य गुणनखंडों के युग्मों के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
एक पूर्ण वर्ग की इकाई का अंक केवल 0, 1, 4, 5, 6 या 9 हो सकता है।
उस संख्या का वर्ग जिसकी इकाई का अंक- 1 या 9 है, 1 पर समाप्त होता है। 2 या 8 है, 4 पर समाप्त होता है। 3 या 7 है, 9 पर समाप्त होता है। 4 या 6 है, 6 पर समाप्त होता है। 5 है, 5 पर समाप्त होता है।
संख्या n और n+1 के वर्गों के बीच में 2n प्राकृत संख्याएँ हैं।
वह संख्या जिसके अंत में शून्यों की संख्या विषम हो, एक पूर्ण वर्ग नहीं होती है।
प्रथम n विषम प्राकृत संख्याओं का योग n2 से प्राप्त होता है।
तीन प्राकृत a, b और c संख्याओं में, यदि a2 + b2 = c2 हो, तो कहा जाता है कि उनसे एक पाइथागोरियन त्रिक बनती है।
संख्या x का वर्गमूल वह संख्या है जिसका वर्ग x होता है।
वर्गमूल निकालने की विधि
वर्गमूल दो विधियों द्वारा निकाला जाता है (i) गुणनखण्ड विधि (ii) भाग विधि
बड़ी संख्या का वर्गमूल भाग विधि द्वारा निकालना चाहिए।
यदि किसी संख्या में दशमलव के बाद अंकों की संख्या विषम हो तो अन्त में एक शून्य लगाएं।
किसी संख्या में दशमलव के बाद जितने अंक होते हैं , वर्गमूल में दशमलव के बाद उसके आधे अंक होते हैं , जैसे किसी संख्या में दशमलव के बाद 4 अंक हैं, तो वर्गमूल में 2 अंक, जैसे:- √0.09 = 0.3
एक या दो अंकों वाली संख्या का वर्गमूल एक अंक वाली संख्या होती है . तीन या चार अंक वाली संख्या का वर्गमूल दो अंकों वाली संख्या होती है 5 या 6 अंकों वाली संख्या का वर्गमूल 3 अंकों वाली संख्या तथा 6, 7 और 8 अंकों वाली संख्या का वर्गमूल 4 अंकों वाली संख्या होती है।
यदि किसी संख्या में इकाई के स्थान पर 2, 3, 7 या 8 हो, तो उस संख्या का वर्गमूल पूरा – पूरा नहीं निकलता। अतः दशमलव संख्या में प्राप्त होता है।
1 को छोड़कर किसी भी संख्या का वर्ग 3 या 4 के गुणज से 1 अधिक होता है, अथवा 3 या 4 का गुणज होता है।
यदि n कोई धन पूर्णांक है, तो
(n + 1)² – n² = ( n + 1 + n ) ( n + 1 – n ) = ( 2n + 1 ) यथा (6)² – (5)² = (2 × 5 + 1) = 11
दो अंकों की संख्या जिसके इकाई स्थान पर 5 हो , का वर्ग निम्न प्रकार करते हैं।
भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M) = अंशों का ल.स./हरों का म.स. भिन्नों का महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = अंशों का म.स./हरों का ल.स. ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या ल.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ म.स. म.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ ल.स. पहली संख्या = (ल.स. × म.स) ÷ दूसरी संख्या दूसरी संख्या = (ल.स. × म.स) ÷ पहली संख्या
लघुत्तम समापवर्त्य पर आधारित प्रश्न
Q.1 12, 24, 48 का गुणनखण्ड विधि से लघुत्तम समापवर्त्य निकालिए? A. 12 B. 28 C. 36 D. 48
Q.8 3/4, 6/7, 8/9 का लघुत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए? A. 24 B. 3 C. 3/56 D. 8
हल:- प्रश्नानुसार, 3/4, 6/7, 8/9 का लघुत्तम समापवर्तक भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = अंशों का लघुत्तम समावतर्क / हर का महत्तम समावतर्क लघुत्तम समापवर्तक = (3, 6, और 8 का ल. स.)/(4, 6, और 7 का म. स.) लघुत्तम समापवर्तक = 24/1 लघुत्तम समापवर्तक = 24 Ans. 24
Q.8 5/7, 7/8 एवं 8/9 का लघुत्तम समापवर्तक हैं? A. 120 B. 280 C. 360 D. 480
हल:- प्रश्नानुसार, 5/7, 7/8 एवं 8/9 का लघुत्तम समापवर्तक भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = अंशों का लघुत्तम समावतर्क / हर का महत्तम समावतर्क लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = (5, 7, 8 का ल. स.)/(7,8,9 का म.स.) लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = 280 Ans. 280
Q.9 1/3, 5/6, 2/9, 4/27 का लघुत्तम समापवर्तक हैं? A. 10/27 B. 20/3 C. 20/27 D. 1/54
हल:- प्रश्नानुसार, 1/3, 5/6, 2/9, 4/27 का लघुत्तम समापवर्तक भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = अंशों का लघुत्तम समावतर्क / हर का महत्तम समावतर्क अभीष्ट ल.स. = 1, 5, 2 तथा 4 का ल.स./3, 6, 9 तथा 27 का म.स. अभीष्ट ल.स. = 20/3 Ans. 20/3
Q.10 छोटे से छोटा वह भिन्न जो 6/7, 5/14, 10/21 से पुर्णतः विभक्त हो जाए हैं? A. 30/98 B. 60/90 C. 30/7 D. 60/147
हल:- प्रश्नानुसार, भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = अंशों का लघुत्तम समावतर्क / हर का महत्तम समावतर्क अभीष्ट ल. स. = (6,5,10 का ल. स.)/(7,14,21 का म.स.) 30/7 Ans. 30/7
Q.11 0.9, 0.18, 3.6, 7.2, 0.144 का लघुत्तम समापवर्तक क्या हैं? A. 1.44 B. 7.2 C. 12.96 D. 18.32
हल:- प्रश्नानुसार, 0.9, 0.18, 3.6, 7.2, 0.144 दशमलव के बाद अधिकतम तीन अंक हैं। इसलिए सभी संख्याओं को 1000 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या = 900, 180, 3600, 7200 तथा 144 इन संख्याओं का ल. स. = 7200 अभीष्ट ल. स. = 7200/100 लघुत्तम समापवर्तक = 7.2 Ans. 7.2
Q.12 x² + xy + y² और x³ – y³ का L.C. M. होगा? A. x – y B. x² – y² C. x³ – y³ D. x² + xy + y²
Q.23 2.4, 0.36 और 7.2 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए? A. 12 B. 120 C. 1.2 D. 0.12
हल:- प्रश्नानुसार, 2.4, 0.36, 7.2 दशमलव के बाद अधिकतम दो अंक हैं। इसलिए सभी संख्याओं को 100 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या = 240, 36, तथा 720 इन संख्याओं का ल. स. = 12 अभीष्ट ल. स. = 12/100 लघुत्तम समापवर्तक = 0.12 Ans. 0.12
Q.24 7⁸, 7⁶, 7⁵, 7¹⁰ महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए? A. 7⁸ B. 7⁷ C. 7⁵ D. 7¹⁰
हल:- सभी संख्याओं का आधार 7 हैं। तथा सबसे छोटी घात 7⁵ का हैं। लघुत्तम समापवर्त्य = 7⁵ Ans. 7⁵
Q.25 2.4, 0.36 तथा 7.2 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए? A. 12 B. 120 C. 12.9 D. 15.7
हल:- प्रश्नानुसार, चूंकि दशमलव के बाद अधिकतम दो अंक हैं, इसलिए सभी संख्याओं को 100 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या = 240, 36 तथा 720 होंगे। 240 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 5 36 = 2 × 2 × 3 × 3 720 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 5 240, 36, 720 का म.स. = 2 × 2 3 240, 36, 720 का म.स. = 12 अभीष्ट म.स. = 12/100 अभीष्ट म.स. = 0.12 Ans. 0.12
Q.26 यदि (x – a), (x² – x – 6) और (x² + 3x – 18) का महत्तम समापवर्तक हैं, तो a का मान होगा? A. 2 B. 4 C. 6 D. 8
हल:- प्रश्नानुसार, (x² – x – 6) = (x² – x – 6) (x² – x – 6) = x² – 3x + 2x – 6 (x² – x – 6) = x(x – 3) + 2(x – 3) (x² – x – 6) = (x – 3)(x + 3) (x² + 3x – 18) = (x² + 3x – 18) (x² + 3x – 18) = x² + 6x – 3x – 18 (x² + 3x – 18) = x (x + 6) – 3(x + 6) (x² + 3x – 18) = (x – 3)(x + 6) म.स. = 1 = (x – 3) म.स. = 1 = (x – a) x – 3 = x – a x – x – a = – 3 – a = – 3 a = 3 Ans. 3
Q.27 1295/1591 को जब निम्नतम पद में से घटाया जाए तो संख्या प्राप्त होगी? A. 35/37 B. 37/43 C. 35/43 D. 43/35
हल:- प्रश्नानुसार, 1295 और 1591 महत्तम समापवर्तक = 37 (1295÷37)/(1591÷37) Ans. 35/43
Q.28 a²−1, a³−1 और 8a³−8a का महत्तम समापवर्तक हैं? A. a + 1 B. a – 1 C. a² + 1 D. a² – 1
हल:- प्रश्नानुसार, a²−1 = (a + 1)(a – 1) a³−1 = (a – 1)(a² + a +1) 8a³−8a = 8a (a -1)(a² + a +1) महत्तम समापवर्तक = (a – 1) Ans. a – 1
1 से 50 तक की संख्याओं का वर्ग संख्या/Square number
वर्ग 1 से 50, 1 से 50 तक की सभी संख्याओं के वर्गों (Square number) की सूची है। 1 से 50 तक के वर्गों का मान 1 से 2500 के बीच है। इन मानों को याद करने से छात्रों को समय लेने वाले समीकरणों को जल्दी से सरल बनाने में मदद मिलेगी। घातीय रूप में वर्ग 1 से 50 को (x) 2 के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
वर्ग 1 से 50 :
प्रतिपादक रूप: (x) 2
उच्चतम मूल्य: 50 2 = 2500
न्यूनतम मान: 1 2 = 1
वर्ग 1 से 50 सीखने से छात्रों को 1 से 2500 तक के सभी पूर्ण वर्गों को पहचानने में मदद मिल सकती है और ज्ञात वर्गों के बीच अंतर्वेश करके एक वर्गमूल का अनुमान लगा सकते हैं। वर्ग 1 से 50 तक के मान नीचे तालिका में सूचीबद्ध हैं।
1 से 50 तक सभी वर्गों की सूची
12 = 1
22 = 4
32 = 9
42 = 16
52 = 25
62 = 36
72 = 49
82 = 64
92 = 81
102 = 100
112 = 121
122 = 144
132 = 169
142 = 196
152 = 225
162 = 256
172 = 289
182 = 324
192 = 361
202 = 400
212 = 441
222 = 484
232 = 529
242 = 576
252 = 625
262 = 676
272 = 729
282 = 784
292 = 841
302 = 900
312 = 961
322 = 1024
332 = 1089
342 = 1156
352 = 1225
362 = 1296
372 = 1369
382 = 1444
392 = 1521
402 = 1600
412 = 1681
422 = 1764
432 = 1849
442 = 1936
452 = 2025
462 = 2116
472 = 2209
482 = 2304
492 = 2401
502 = 2500
वर्ग 1 से 50 – सम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका सम संख्याओं के वर्ग 1 से 50 तक के मानों को दर्शाती है।
22 = 4
42 = 16
62 = 36
82 = 64
102 = 100
122 = 144
142 = 196
162 = 256
182 = 324
202 = 400
222 = 484
242 = 576
262 = 676
282 = 784
302 = 900
322 = 1024
342 = 1156
362 = 1296
382 = 1444
402 = 1600
422 = 1764
442 = 1936
462 = 2116
482 = 2304
502 = 2500
वर्ग 1 से 50 – विषम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका विषम संख्याओं के लिए 1 से 50 तक के वर्गों का मान दर्शाती है।
12 = 1
32 = 9
52 = 25
72 = 49
92 = 81
112 = 121
132 = 169
152 = 225
172 = 289
192 = 361
212 = 441
232 = 529
252 = 625
272 = 729
292 = 841
312 = 961
332 = 1089
352 = 1225
372 = 1369
392 = 1521
412 = 1681
432 = 1849
452 = 2025
472 = 2209
492 = 2401
वर्ग 1 से 50 के मानों की गणना कैसे करें?
1 से 50 तक के वर्गों की गणना करने के लिए, हम निम्नलिखित विधियों में से किसी एक का उपयोग कर सकते हैं:
विधि 1: स्वयं से गुणा करना।
विधि 2: बुनियादी बीजगणितीय सर्वसमिकाओं का उपयोग करना:
34 का वर्ग ज्ञात करने के लिए, हम 34 को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं:
विकल्प 1: (30 + 4)
विकल्प 2: (40 – 6)
अगले चरण में, हम बुनियादी बीजगणितीय पहचान सूत्र का उपयोग करते हैं और विकल्प 1: [30² + 4² + (2 × 30 × 4)] या विकल्प 2: [40² + 6² – (2 × 40 × 6)] प्राप्त करते हैं। व्यंजकों को और हल करने पर, हमें विकल्प 1: (900 + 16 + 240) = 1156 या विकल्प 2: (1600 + 36 – 480) = 1156 मिलता है।
वर्गमूल 1 से 10 तक की सभी संख्याओं के वर्गमूलों की सूची है। वर्गमूल में ऋणात्मक और धनात्मक दोनों मान हो सकते हैं। 1 से 10 तक वर्गमूल के धनात्मक मान 1 से 3.16228 तक हैं।
1 से 10 तक के वर्गमूलों में 1, 4 और 9 संख्याएँ पूर्ण वर्ग हैं और शेष संख्याएँ अपूर्ण वर्ग हैं अर्थात् उनका वर्गमूल अपरिमेय होगा। वर्गमूल 1 से 10 को मूल रूप में √x के रूप में व्यक्त किया जाता है और घातीय रूप में इसे (x) ½ के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
वर्गमूल 1 से 10:
कट्टरपंथी रूप में: √x
घातीय रूप में: (x) ½
जहाँ x 1 से 10 के बीच की कोई संख्या है।
वर्गमूल 1 से 10 तक
वर्गमूल 1 से 10 सीखने से आपको समय लेने वाले लंबे समीकरणों को जल्दी से सरल बनाने में मदद मिलेगी। 1 से 10 तक के वर्गमूलों का मान दशमलव के 3 स्थानों तक नीचे तालिका में सूचीबद्ध है।
1 से 10 तक का वर्गमूल 3 दशमलव स्थानों तक गोल
√1 = 1
√2 = 1.414
√3 = 1.732
√4 = 2
√5 = 2.236
√6 = 2.449
√7 = 2.646
√8 = 2.828
√9 = 3
√10 = 3.162
छात्रों को सलाह दी जाती है कि गणित में तेजी से गणना करने के लिए इन वर्गमूलों को 1 से 10 तक के मानों को अच्छी तरह से याद कर लें। इसकी पीडीएफ कॉपी को सेव करने के लिए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।
पूर्ण वर्गों के लिए वर्गमूल 1 से 10
नीचे दी गई तालिका पूर्ण वर्गों के लिए 1 से 10 तक के वर्गमूलों के मानों को दर्शाती है ।
√1 = 1
√4 = 2
√9 = 3
अपूर्ण वर्गों के लिए वर्गमूल 1 से 10 तक
नीचे दी गई तालिका गैर-परिपूर्ण वर्गों के लिए 1 से 10 वर्गमूल के मानों को दर्शाती है।
ब्याज = (मूलधन × समय × दर)/100 मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज मिश्रधन = मूलधन × (100 + ब्याज की दर समय) मूलधन = मिश्रधन – साधरण ब्याज मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज की दर समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर ब्याज की दर = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × समय मिश्रधन = मूलधन × (100 + समय × दर) अधिक जानकारी के लिए साधारण ब्याज की पोस्ट जरूर पढ़िए।
चक्रवृद्धि ब्याज के सूत्र
चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1] चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन मिश्रधन की गणना निम्न प्रकार की जाती हैं। मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय मिश्रधन = मूलधन + ब्याज
प्रतिशत का अर्थ (प्रति + शत) प्रत्येक सौ पर या 100 में से x प्रतिशत का अर्थ 100 में से x
x% = x/100
भिन्न x/y को प्रतिशत में बदलने के लिए भिन्न को 100 से गुणा करते है।
किसी वस्तु का x/y भाग = उस वस्तु का (x/y) × 100
x का y प्रतिशत = x × y 100
x, y का कितना प्रतिशत है = x/y × 100
y, x से कितना प्रतिशत अधिक है = (y – x)/x × 100
y, x से कितना प्रतिशत कम है = (x – y)/x × 100
प्रतिशत वृद्धि = वृद्धि/प्रारंभिक मान × 100
प्रतिशत कमी = कमी/प्रारंभिक मान × 100
x को R % बढ़ाने पर, x(1 + R/100) प्राप्त होगा
x को R % घटाने पर, x(1 – R/100) प्राप्त होगा
अन्य महत्वपूर्ण सूत्र :
x में y % की वृद्धि होने पर नई संख्या ज्ञात करना = (100 + y)/100 × x
यदि x का मान y से R% अधिक है तो y का मान x से R % में कम हैं = R/(100 + R × 100)%
यदि x का मान y से R% कम है तो y का मान x से R % में अधिक हैं = R/(100 – R × 100)%
किसी वस्तु के मूल्य में R% वृद्धि होने पर भी वस्तु पर कुल खर्च ना बढ़े इसके लिए वस्तु की खपत में R% कमी = R/(100 + R × 100)%
किसी वस्तु के मूल्य में R% कमी होने पर भी वस्तु पर कुल खर्च ना घटे इसके लिए वस्तु की खपत में R% वृद्धि = ( R/(100 – R× 100)%
यदि A = x × y तो x में m% परिवर्तन एवं y में n% परिवर्तन के कारण A में प्रतिशत परिवर्तन = m + n + mn/100, जहाँ वृद्धि के लिए + एवं कमी के लिए – चिन्ह का उपयोग किया जाएगा ।
यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक कार्य पूरा करने में x दिन का समय लगे, तो व्यक्ति द्वारा 1 दिन में किया गया कार्य 1/x होगा।
यदि किसी व्यक्ति द्वारा 1 दिन में 1/x भाग कार्य किया जाता है, तो व्यक्ति द्वारा पूरा कार्य समाप्त करने में x दिन लगेंगे।
यदि किसी कार्य को करने के लिए व्यक्तियों की संख्या बढ़ाई जाए, तो कार्य समाप्त होने में उसी अनुपात में समय कम लगता है।
यदि किसी व्यक्ति A की कार्य करने की क्षमता, किसी अन्य व्यक्ति B की कार्य करने की क्षमता की x गुनी हो, तो किसी कार्य को करने में A को B के समय का 1/x गुना समय लगेगा।
यदि A तथा B किसी कार्य को भिन्न-भिन्न समय मे करते हों, तो (A का कार्य) : (B का कार्य) = (B द्वारा लिया समय) : (A द्वारा लिया समय)
यदि m₁ व्यक्ति, h₁ घण्टे/दिन कार्य करके d₁ दिनों में w₁ कार्य करते हैं, तो m₂ व्यक्ति, h₂ घण्टे/दिन कार्य करके d₂ दिनों में w₂ कार्य करने के लिए (m₁ d₁ h₁)/w₁ = (m₂ d₂ h₂)/h₂
यदि A किसी काम को x दिन में तथा B उसी काम को y दिन में करता हैं, तो काम पूरा होने में (x × y)/(x + y) दिन का समय लगेगा।
यदि A तथा B किसी काम को x दिन में तथा A अकेला उसी काम को y दिन में कर सकता हैं, तो B अकेला उसी कार्य को (xy)/(x – y) दिन में पूरा करेगा।
यदि एक हौज को एक पाइप द्वारा h₁ घण्टों में तथा दूसरे पाइप द्वारा h₂ घण्टों में भरा जाता हैं, तो दोनों पाइपों को एक साथ खोल देने पर वह हौज (h₁ × h₂)/(h₁ + h₂) घण्टों में भर जाएगा।
यदि A, B तथा C किसी काम को क्रमशः x, y तथा z दिनों में कर सकते हैं, तो तीनों मिलकर उसी काम को (x × y × z)/(xy + yz + zx)
कार्य और समय के MCQ
कार्य और समय (Work and Time) से संबंधित MCQ (Multiple Choice Questions) छात्रों को इस महत्वपूर्ण अवधारणा को समझने और इसका अभ्यास करने में मदद करेंगे। नीचे दिए गए हैं MCQ प्रश्न, उनके उत्तर, और साथ में हल करने के लिए निर्देश:
निर्देश:
प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्पों में से एक सही उत्तर चुनें।
कार्य और समय के प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित महत्वपूर्ण सूत्रों का उपयोग करें:
यदि कोई व्यक्ति A दिन में कार्य करता है, तो उसकी एक दिन की कार्य क्षमता होगी: 1/A
यदि कोई व्यक्ति एक दिन में कार्य का 1/A भाग करता है, तो पूरा कार्य करने में उसे A दिन लगेंगे।
यदि दो व्यक्ति मिलकर कार्य करते हैं, तो उनकी संयुक्त कार्य क्षमता होगी: (1/A) + (1/B) जहाँ A और B उनके व्यक्तिगत कार्य के दिन हैं।
सभी प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उत्तर चुनने से पहले उचित समय दें।
प्रश्न 1:
यदि A किसी काम को 10 दिनों में पूरा कर सकता है और B उसी काम को 15 दिनों में, तो A और B मिलकर काम को कितने दिनों में पूरा करेंगे?
a) 6 दिन
b) 7 दिन
c) 8 दिन
d) 9 दिन
उत्तर: a) 6 दिन समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/10 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/15 दोनों की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/10) + (1/15) = (3 + 2)/30 = 5/30 = 1/6 इसलिए, A और B मिलकर 6 दिनों में काम पूरा करेंगे।
प्रश्न 2:
यदि C किसी कार्य को 12 दिनों में पूरा करता है, तो C 3 दिनों में उस काम का कितना हिस्सा पूरा करेगा?
a) 1/2
b) 1/3
c) 1/4
d) 1/5
उत्तर: b) 1/4 समाधान: C की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/12 C 3 दिनों में काम का भाग = 3 × (1/12) = 3/12 = 1/4
प्रश्न 3:
A किसी काम को 8 दिनों में पूरा करता है, जबकि B उसी काम को 12 दिनों में करता है। यदि दोनों मिलकर काम करें, तो वे 4 दिन में काम का कितना हिस्सा पूरा करेंगे?
a) 2/3
b) 1/2
c) 3/4
d) 5/6
उत्तर: c) 3/4 समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/8 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/12 दोनों की एक दिन की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/8) + (1/12) = (3 + 2)/24 = 5/24 4 दिन में पूरा किया गया काम = 4 × (5/24) = 20/24 = 5/6
प्रश्न 4:
यदि A अकेले किसी काम को 16 दिनों में और B अकेले उसे 24 दिनों में पूरा करता है, तो A और B मिलकर उस काम को कितने दिनों में पूरा करेंगे?
a) 8 दिन
b) 9 दिन
c) 10 दिन
d) 11 दिन
उत्तर: a) 9.6 दिन समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/16 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/24 दोनों की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/16) + (1/24) = (3 + 2)/48 = 5/48 इसलिए, A और B मिलकर 48/5 = 9.6 दिन में काम पूरा करेंगे।
प्रश्न 5:
A अकेले 12 दिनों में काम पूरा करता है और B अकेले 18 दिनों में। यदि दोनों मिलकर 4 दिन तक काम करें, तो शेष काम को पूरा करने में A को कितने दिन और लगेंगे?
a) 4 दिन
b) 3 दिन
c) 2 दिन
d) 5 दिन
उत्तर: c) 2 दिन समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/12 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/18 दोनों की 4 दिन की संयुक्त कार्य क्षमता = 4 × (1/12 + 1/18) = 4 × (5/36) = 20/36 = 5/9 शेष काम = 1 – 5/9 = 4/9 अब, A शेष काम को अकेले करेगा, तो समय = शेष काम ÷ A की कार्य क्षमता = (4/9) ÷ (1/12) = 4 × 12/9 = 16/9 ≈ 2 दिन
प्रश्न 6:
C किसी काम को 18 दिनों में कर सकता है और D उसी काम को 9 दिनों में। यदि दोनों मिलकर 3 दिनों तक काम करें, तो कितना काम पूरा हो जाएगा?
a) 1/2
b) 2/3
c) 3/4
d) 5/6
उत्तर: b) 2/3 समाधान: C की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/18 D की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/9 दोनों की एक दिन की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/18) + (1/9) = (1 + 2)/18 = 3/18 = 1/6 3 दिन में पूरा किया गया काम = 3 × 1/6 = 1/2
प्रश्न 7:
यदि A और B किसी काम को क्रमशः 20 और 30 दिनों में पूरा करते हैं, तो A और B मिलकर काम को कितने दिनों में पूरा करेंगे?
a) 10 दिन
b) 12 दिन
c) 15 दिन
d) 18 दिन
उत्तर: b) 12 दिन समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/20 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/30 दोनों की एक दिन की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/20) + (1/30) = (3 + 2)/60 = 5/60 = 1/12 इसलिए, A और B मिलकर 12 दिनों में काम पूरा करेंगे।
प्रश्न 8:
एक व्यक्ति 8 घंटे में 1 काम पूरा करता है, जबकि दूसरा व्यक्ति उसी काम को 12 घंटे में पूरा करता है। दोनों मिलकर काम को कितने घंटे में पूरा करेंगे?
a) 4.8 घंटे
b) 5 घंटे
c) 6 घंटे
d) 7 घंटे
उत्तर: a) 4.8 घंटे समाधान: पहले व्यक्ति की एक घंटे की कार्य क्षमता = 1/8 दूसरे व्यक्ति की एक घंटे की कार्य क्षमता = 1/12 दोनों की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/8) + (1/12) = (3 + 2)/24 = 5/24 इसलिए, दोनों मिलकर काम को 24/5 = 4.8 घंटे में पूरा करेंगे।
प्रश्न 9:
A और B मिलकर एक काम को 16 दिन में पूरा कर सकते हैं। A अकेले उसी काम को 24 दिन में करता है। B अकेले कितने दिनों में काम पूरा करेगा?
a) 48 दिन
b) 32 दिन
c) 40 दिन
d) 36 दिन
उत्तर: d) 48 दिन समाधान: A और B मिलकर 1 दिन में किया गया काम = 1/16 A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/24 B की कार्य क्षमता = (1/16 – 1/24) = (3 – 2)/48 = 1/48 इसलिए, B अकेले 48 दिनों में काम करेगा।
प्रश्न 10:
A किसी कार्य को 18 दिनों में और B उसी कार्य को 12 दिनों में पूरा करता है। यदि A और B मिलकर 4 दिन काम करते हैं, तो शेष कार्य को पूरा करने में B को कितने दिन लगेंगे?
a) 3 दिन
b) 4 दिन
c) 2 दिन
d) 5 दिन
उत्तर: a) 2 दिन समाधान: A की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/18 B की एक दिन की कार्य क्षमता = 1/12 दोनों की संयुक्त कार्य क्षमता = (1/18) + (1/12) = (2 + 3)/36 = 5/36 4 दिन में पूरा किया गया कार्य = 4 × (5/36) = 20/36 = 5/9 शेष कार्य = 1 – 5/9 = 4/9 अब, B शेष कार्य को अकेले करेगा, तो समय = शेष कार्य ÷ B की कार्य क्षमता = (4/9) ÷ (1/12) = 4 × 12/9 = 48/9 = 5.33 दिन
प्रश्न 11:
C और D मिलकर एक काम को 15 दिनों में कर सकते हैं। C अकेले उसे 25 दिनों में कर सकता है। D अकेले उस काम को कितने दिनों में पूरा करेगा?
a) 30 दिन
b) 40 दिन
c) 37.5 दिन
d) 45 दिन
उत्तर: b) 37.5 दिन समाधान: C और D मिलकर 1 दिन में किया गया काम = 1/15 C की कार्य क्षमता = 1/25 D की कार्य क्षमता = (1/15 – 1/25) = (5 – 3)/75 = 2/75 इसलिए, D अकेले 75/2 = 37.5 दिनों में काम पूरा करेगा।
प्रश्न 12:
एक काम को पूरा करने में A को 9 दिन और B को 18 दिन लगते हैं। दोनों मिलकर कितने दिनों में काम का 1/3 हिस्सा पूरा करेंगे?
a) 3 दिन
b) 2 दिन
c) 1.5 दिन
d) 4 दिन
उत्तर: b) 2 दिन समाधान: A की कार्य क्षमता = 1/9 B की कार्य क्षमता = 1/18 संयुक्त कार्य क्षमता = (1/9) + (1/18) = 3/18 = 1/6 1/3 कार्य को पूरा करने का समय = (1/3) ÷ (1/6) = 2 दिन
समय दूरी और चाल के सूत्र [Time Distance and Speed Formulas]
चाल (Speed) :-
किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा इकाई समय में चली गई दूरी, चाल कहलाती हैं।
चाल का सूत्र = चाल = दूरी / समय
चाल का मात्रक (Unit of Speed): चाल का मात्रक मीटर/सेंटीमीटर अथवा किलोमीटर/घण्टा होता हैं।
यदि चाल मीटर/सेंटीमीटर में हैं, तो किलोमीटर/घण्टा = 18/5 × मीटर/सेंटीमीटर यदि चाल किलोमीटर/घण्टा में हैं, तो मीटर/सेंटीमीटर = 5/18 × किलोमीटर/घण्टा
दूरी (Distance) :-
किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा स्थान परिवर्तन को तय की गई दूरी कहा जाता हैं।
दूरी का सूत्र :- दूरी = चाल × समय
समय (Time) :-
किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा इकाई चाल से चली गई दूरी, उसके समय को निर्धारित करती हैं।
समय का सूत्र :- समय = दूरी / चाल
सापेक्ष चाल (Relative Speed) :-
यदि दो वस्तुएं क्रमशः a किलोमीटर/घण्टा व b किलोमीटर/घण्टा की चाल से चल रही हैं, तब
दोनों विपरीत दिशा में हो, तो सापेक्ष चाल = (a + b) किलोमीटर/घण्टा
दोनों समान दिशा में हो, तो सापेक्ष चाल = (a – b) किलोमीटर/घण्टा
रेलगाड़ी और प्लेटफॉर्म (Train and Platform) :-
जब कोई रेलगाड़ी किसी लम्बी वस्तु/स्थान (प्लेटफार्म/पुल/दूसरी रेलगाड़ी) को पार करती हैं, तो रेलगाड़ी को अपनी लम्बाई के साथ-साथ उस वस्तु की लम्बाई के बराबर अतिरिक्त दूरी भी तय करनी पड़ती हैं,
अर्थात कुल दूरी = रेल की लम्बाई + प्लेटफॉर्म/पुल की लम्बाई
महत्वपूर्ण तथ्य :
(a). चाल को किलोमीटर/घण्टा से मीटर/सेकेण्ड में बदलने के लिए 5/18 से गुणा तथा चाल को मीटर/सेकेंड से किलोमीटर/घण्टा में बदलने के लिए 18/5 से गुणा करते हैं।
औसत चाल = (कुल चली गई दूरी) / (कुल लगा समय)
(b). यदि कोई वस्तु निश्चित दूरी को x किलोमीटर/घण्टा तथा पुनः उसी दूरी को y किलोमीटर/घण्टा की चाल से तय करती हैं, तो पूरी यात्रा के दौरान उसकी
औसत चाल = (2 × x × y) / (x + y) किलोमीटर/घण्टा होगी।
(c). यदि दो वस्तु एक ही दिशा में a किलोमीटर/घण्टा तथा b किलोमीटर/घण्टा की चाल से गति कर रही हैं, जिनका गति प्रारम्भ करने का स्थान तथा समय समान हैं, तो उनकी सापेक्ष चाल (a – b) किलोमीटर/घण्टा होगी।
(d). यदि दो वस्तु विपरीत दिशा में a किलोमीटर/घण्टा तथा b किलोमीटर/घण्टा की चाल से गति कर रही हैं, जिनका गति प्रारम्भ करने का स्थान व समय समान हैं, तो उनकी सापेक्षिक चाल (a + b) किलोमीटर/घण्टा होगी।
(e). यदि A तथा B चाल में अनुपात a : b हो तो एक ही दूरी तय करने में इनके द्वारा लिया गया समय का अनुपात b : a होगा।
(f). जब एक व्यक्ति A से B तक x किलोमीटर/घण्टे की चाल से जाता हैं तथा t₁ समय देर से पहुँचता हैं तथा जब वह y किलोमीटर/घण्टे की चाल से चलता हैं, तो t₂ समय पहले पहुँच जाता हैं, तो
A तथा B के बीच की दूरी = (चालों का गुणनफल) × (समयान्तर) / (चालों में अंतर)
2D आकृतियों की समझ अर्जित करता है। कागज को मोड़कर तथा डॉट ग्रिड पर पेपर कटिंग, सरल रेखा से बने 2D आकृतियों को पहचानता है।
2D आकृतियों का वर्णन भुजाओं की संख्या कोनों की संख्या (शीर्ष) तथा विकर्णो की संख्या के आधार पर करता है। जैसे किताब के कवर में 4 भुजा, 4 कोने तथा दो विकर्ण होते हैं।
सरल आकृतियों तथा संख्याओं के पैटर्न का विस्तार कर सकता है।