विजयबेला – श्री जगदीश चंद्र माथुर कक्षा 8 हिंदी

अभ्यास

पाठ से-

प्रश्न 1. इस एकांकी की घटना किस समय की है ?

उत्तर- इस एकांकी की घटना सन् 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय की है, जो दिल्ली के बादशाह बहादुरशाह जफर कानपुर के नाना साहब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के नेतृत्व में लड़ा गया था। प्रश्न 2. कुँवर सिंह विश्वनाथ पर क्यों नाराज हुए ?

उत्तर- विश्वनाथ महाराज कुँवर सिंह को घायल समझकर उसके भाई अमरसिंह द्वारा भेजी गई चिट्ठी को नहीं पढ़ता है इसीलिए कुँवरसिंह

विश्वनाथ पर नाराज हुए। प्रश्न 3. भीमा अपने सरदार से बाबू वीर कुँवर सिंह के बारे में क्या कहता है ?

उत्तर- भीमा अपने सरदार से बाबू वीर कुँवर सिंह के बुद्धि की तारीफ करता है तथा उनके पराक्रम के विषय में कहता है। प्रश्न 4. कुँवर सिंह ने अपनी बाँह काटकर गंगाजी को क्यों अर्पित

कर दी ?

उत्तर- गंगा नदी पार करते समय कुँवर सिंह की बाँह में फिरंगी की गोली आकर लगी, जिससे उनकी बाँह में गहरा घाव हो गया था। अतः कुँवर सिंह ने फिरंगी की गोली के घाव से सड़ती हुई भुजा को अलग कर देना उचित समझा। इस कारण उन्होंने अपनी बाँह काटकर गंगा जी को अर्पित कर दी।

प्रश्न 5. बच्चे-बच्चे के जबान पर चढ़े कुँवर सिंह के गीत का भाव

क्या है ?

उत्तर – राजा कुँवर सिंह के शासन काल में सबके काम बन जाया करते थे। राजा कुँवर सिंह गरीबों के सरदार थे। जिनके पास जाने में उन्हें कभी शरम नहीं आयी। ऐसे राजा पर आज का दिन गर्व महसूस करता है।

प्रश्न 6. आप यह कैसे सिद्ध करेंगे कि सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में सभी वर्ग के लोगों ने भाग लिया था ?

उत्तर- सन् 1857 का संग्राम भारत की आजादी की शुरुआत मानी जाती है, जो कि अंग्रेजों के विरुद्ध करो या मरो की नीति पर आधारित था। इस संग्राम में बहादुरशाह जफर, तांत्याटोपे, कुँवरसिंह, नाना रानी लक्ष्मीबाई, पेशवा, भोंसले आदि वीर पुरुषों ने अपने-अपने इलाकों में अन्तिम साँस तक संग्राम किया। उक्त संग्राम भारत के सम्पूर्ण क्षेत्रों में विस्तारित हुआ। इतिहास गवाह है कि इस संग्राम में हर समुदाय हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, क्षत्रिय आदि ने अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया। इससे यह सिद्ध होता है कि सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया। प्रश्न 7. कुँवर सिंह ने वह कौन-सी शक्ति बतायी जिसके बल पर वे भोजपुर के राजा बने थे ?

उत्तर- कुँवर सिंह ने अपने साथ भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, ग्वालों और रैयतों की शक्ति बनायी जिसके बल पर वे भोजपुर के राजा थे। यही है जिसकी आवाज मेरे गले से निकलती थी और फिरंगी भाग जाते थे, क्षेत्र के बिना ज्योति कैसी, प्रजा के बिना राजा कैसा इसलिये उनका साथ न छोड़ना।

कैसे?

प्रश्न 8. किसकी बदौलत कुँवर सिंह किनारे पर आ सके और

उत्तर- कुँवर सिंह भीमा मल्लाह की बदौलत किनारों पर आ सके भीमा अल्लाह अपनी कमर में रस्सी बांधकर नदी में उतरे और तैरते हुए नाव के पास पहुँचकर कमर में बंधी रस्सी को नाम से बांध दिया। फिर कुँवरसिंह को नाव में बिठाकर रस्सी को धीरे-धीरे खींचते हुए

किनारे लाया गया। प्रश्न 9. कुँवर सिंह के अनुसार युद्ध की क्या हुनर (कला) है ? उत्तर-युद्ध में असली हुनर शतरंजी चालों में मात पर मात देने

में है।

प्रश्न 10. अंग्रेजों ने मेरे भोजपुर के गरीब रैयातों को सताया, जिनके अरमानों का मैं आईना हूँ’ संवाद के द्वारा एकाकीकार कुँवर सिंह के किन भावों को व्यक्त करना चाहता है ?

उत्तर- एकांकीकार कुँवर सिंह के देश प्रेम तथा गरीब रैयतों के प्रति प्रेम के भावों को व्यक्त करना चाहा है। प्रश्न 11. अनोखी भेंट क्या है और कुँवर सिंह भेंट किसे देते है ?

उत्तर- अनोखी भेट कुँवरसिंह की भुजा है जिस पर गोली लगी

थी। कुँवर सिंह भेंट गंगा मैया को देते हैं।

प्रश्न 12. कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए क्या

सीख देते हैं और क्यों ?

उत्तर- कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए सीख देते हैं कि जेठ रैयत, मल्लाह, किसान यही है वह शक्ति जिसके बल पर कुँवर सिंह भोजपुर का राजा है। यही है वह तुरही जिसकी आवाज मेरे गले से निकलती थी और फिरंगी भाग निकलते थे, प्रजा के बिना राजा कैसा इनका साथ मत छोड़ना क्योंकि युद्ध में सफलता भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, खालों और रैथालों के कारण मिली।

प्रश्न 13. नावो को गंगाजी में हुवा देने के लिए महाराज कुँवर सिंह में क्यों आदेश दिया था ?

उत्तर-यदि नावों का पता फिरंगियों को हो जाता तो वे इसे नुकसान पहुँचा देते और आने वाले समय में इन नावों का उपयोग नहीं हो पाता। इसलिए नावों को गंगा जी में डुबा देने के लिए महाराज कुँवर सिंह ने आदेश दिया था।

प्रश्न 14. महाराज कुँवर सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने में इतनी सफलता किनके कारण मिली ? उत्तर- महाराज कुँवर सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध करने में

इतनी सफलता भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, ग्वालों और रैयतों के

कारण मिली। प्रश्न 15. महाराज कुँवर सिंह बहुत अधिक बीमार होने पर भी जगदीशपुर जाने के लिए क्यों बेताब थे ?

उत्तर- महाराज कुँवर सिंह फिरंगियों से बदला लेना चाहते थे। इसलिए वे बहुत अधिक बीमार होने पर भी जगदीशपुर जाने के लिए। बेताब थे। प्रश्न 16. कुँवर सिंह ने भीमा से कहा था, “मुझे भी एक साल से

नशा है।” उन्हें कैसा नशा था ?

उत्तर- महाराज कुँवर सिंह ने भीमा से कहा था, मुझे भी एक साल से नशा है, मुझे विदेशियों ने एक विशेष प्रकार का नशा दिया है। उनसे कुशलतापूर्वक युद्ध करना मेरे जीवन का लक्ष्य है। उन्हें मात-पर-मात मिलती रहे। अंग्रेजो सेनाधिकारियों के छक्के छुड़ाना चाहता हूँ। इस नशे में जो आनन्द है, वह आनन्द किसी अन्य नशे में नहीं है। उन्हें यही नशा था।

प्रश्न 17. इन पंक्तियों का अर्थ प्रसंग देकर लिखिये-

(क) मैं मौत से डरता नहीं, पर मौत को न्यौता भी नहीं देता। प्रसंग प्रस्तुत पंक्ति में महाराज कुँवर सिंह कहते हैं कि वे सोच-समझकर युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं।

अर्थ-कुँवर सिंह कहते हैं मुझे मौत का भय नहीं है। मैं युद्ध से पीछे नहीं हटता, किन्तु मैं सोच-समझकर युद्ध के लिए आगे बढ़ता हूँ। अति उत्साह में शत्रु सेना के बीच घुसकर मैं अपनी मृत्यु को निमन्त्रण नहीं देता।

(ख) कलावंत अपना हुनर दिखाने में चोट खा गया तो उसकी वह चोट सिंगार हो जाती है।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्ति में कुँवर सिंह ने युद्ध में लगे घावों को वीरों का श्रृंगार बताया है। अर्थ- कुँवर सिंह कहते हैं-युद्ध एक कला है और योद्धा एक कलाकार है युद्ध करते हुए यदि उसके शरीर में चोट लग जाये तो

उसकी वह चोट सामान्य घाव नहीं होती, बल्कि वह उस वीर के शरीर का

श्रृंगार हो जाती है।

(ग) नेह के बिना ज्योति कैसी, प्रजा के बिना राजा कैसा ? प्रसंग इस पंक्ति में कुँवर सिंह ने प्रजा को राजा की शक्ति बताया है।

अर्थ-कुँवर सिंह कहते हैं-तेल के बिना ज्योति नहीं जल सकती, उसी प्रकार प्रजा के बिना राजा शक्तिहीन है। प्रजा ही राजा की शक्ति है।

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