स्वामी आत्मानंद (जीवनी) कक्षा 5 हिन्दी

स्वामी आत्मानंद (जीवनी)

ए हा साठ बछर पहिली के बात ए ओ समे म छोटे-छोटे नौकरी अमोल हो गे रहिस। नौकरी ला पाय बर जवनहा मन गजब उदिम करय। फेर एक झन जवनहा अइसे निकलिस जउन हा सब ले बड़े परीक्षा पास करके नौकरी नइ माँगिस। भारतीय प्रशासनिक सेवा आजो सबले बड़े नौकरी म जाए के रद्दा ए ए परीक्षा ल पास करइया मन कलेक्टर, कमिश्नर बनथें। इही परीक्षा ल रायपुर जिला के बरबंदा गाँव म 06 अक्टूबर 1929 म गुनिक बेटा पास कर लिस। फेर ओकर मन म रिहिस खुल्ला रहिके सेवा करे के भाव । स्वामी विवेकानंद के रद्दा म चलके सेवा करे के भाव। ओहा बडे परीक्षा पास करके छोड़ दिस नौकरी के रद्दा अउ स्वामी विवेकानंद के मानव सेवा के रद्दा म चलिस उही जवान आगू चल छत्तीसगढ़ के नाँव देश भर में बगराइस । ओला हमन स्वामी आत्मानंद के नाँव ले जानथन । ओकर नानपन के नाँव तुलेन्द्र रिहिस।

स्वामी आत्मानंद के महतारी के नाँव भाग्यवती अउ ददा के नाँव धनीराम रहिस। बरबंदा के किसान परिवार म जन्मे धनीराम गांधी जी के रद्दा म रेंगइया गुरुजी रहिस। वर्धा के आश्रम म धनीराम ल बुनियादी शिक्षक के काम मिलिस। सँग म तुलेन्द्र घलो वर्धा आश्रम गइस। गांधी जी जब घूमे बर जाय त तुलेन्द्र ओकर लउठी ल कभू कभू धर केआगू आगू चल दय। गांधी जी के आसिरबाद नान्हे तुलेन्द्र ल मिलिस। उही हा जवान हो के विवेकानंद आश्रम नागपुर में रहिके गणित विषय म एम.एस-सी. करिस । सबले हुसियार विद्यार्थी होय के खातिर तुलेन्द्र ला सोन के मेडल मिलिस। फेर आश्रम म रहत-रहत तुलेन्द्र के मन म मानव सेवा के भाव जाग गे। स्वामी विवेकानंद के संदेस अउ सिद्धांत ओकर हिरदे म बस गे। थोरिक दिन अपन घर रायपुर में रहिस। तभे एक दिन तुलेन्द्र अपन महतारी ल पूछिस – “दीदी, जाँव ?” ओहा अपन महतारी ल दीदी कहय ।

स्वामी आत्मानंद (जीवनी) कक्षा 5 हिन्दी

महतारी समझिस, कहूँ जाय बर पूछत होही ? कहि दिस, “जा न बेटा”। बस ओ बात ल महतारी के आसिरबाद मान के तुलेन्द्र रायपुर ले नागपुर आ गे। घर के मन गजब खोजिन दाई ददा रोइन – ललइन । दुनो रायपुर ले नागपुर गइन । तुलेन्द्र मिल गे, विवेकानंद आश्रम म। ददा धनी राम किहिस- “बेटा चल घर सन्यासी झन बन। हमर आँखी के पुतरी अस। हमला जग अँधियार लागत है। तोर नान- नान भाई-बहिनी हैं। तँय बड़े बेटा अस घर चल । ” तुलेन्द्र कहिस- “बाबू जी नहीं है तो मोला रद्दा बताए हस चिट्ठी मन मा लिखस के बेटा

बने रद्दा म रेंगे कर कुमारग म झन चलबे। भगवान राम सहीं दुख पा के आन ला सुख देवें ।

सबके सेवा करबे। अपन-पर के भेद झन करने तोरे बात ला धर के ए रद्दा म आगू बढ़ गेंव बाबू।”

• बेटा के बात सुनके धनीराम अकबकागे। महतारी कहिस “बेटा बने काहत है। दाई-ददा बर तो सबो संसो करथे ये बेटा हा जग भर के संसो करत है। जान दव बने रद्दा म दुनो परानी घर आगें ।

बेटा रहिगे आश्रम मा तुलेन्द्र के नॉव धरागे ब्रह्मचारी तेज चैतन्य रामकृष्ण आश्रम म रहिके काम करे लगिस तेज चैतन्य है। फेर बड़े-बड़े तिरिथ अउ हिमालय पहाड़ म गइस गुरु मन के बात सुनिस। तपसिया करिस। रामकृष्ण मिशन नागपुर आश्रम आइस प्रवचन, सेवा के काम चलिस। ब्रह्मचारी तेज चैतन्य छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ महिमा ला जानय जनावय। रायपुर म स्वामी विवेकानंद हा नानपन में दू बछर अपन महतारी बाप के संग बूढ़ापारा म रहिस। स्वामी आत्मानंद ह सोचिस, जिहाँ दू बछर स्वामी विवेकानंद रहिस ओ रायपुर में कुछ करना चाही। इही सोच के रायपुर में बनइस विवेकानंद आश्रम ये संकल्प ले गइस विवेकानंद शताब्दी बरस म

1960 म तेज चैतन्य हा सन्यास ले के स्वामी आत्मानंद बनिस । स्वामी आत्मानंद आश्रम म गरिबहा लड़का मन रहि के पढ़िन लिखिन । ओमन सब आज बडे-बडे पद म हावय।

स्वामी आत्मानंद ह जंगल के बीच नारायणपुर म आश्रम शुरू करिस। बड़े स्कूल बनइस । आदिवासी लइका मन ल पढ़ाना शुरू करिस । आज नारायणपुर के स्कूल ले निकले लइका मन देस भर म बड़े काम करत हैं। अकाल-दुकाल म स्वामी आत्मानंद गाँव-गाँव म जुन्ना तरिया ल अउ कोइवइस। पचरी बँधवइस किसान मन ल मदद करिस ।

विवेकानंद आश्रम रायपुर म बहुत बड़ पुस्तकालय खोलिस। आज छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव सरकार हा स्वामी आत्मानंद के नाँव में पुस्तकालय खोले है।

स्वामी आत्मानंद के पाँच भाई म एक भाई बडे साहित्यकार बनिस। उही भाईडॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा ह छत्तीसगढ़ के बड़ड़ म सुन्दर गीत लिखिस “जय हो, जय हो छत्तीसगढ़ मइया”, इही गीत ह चारों मुड़ा सुने जाथे।

दू भाई स्वामी आत्मानंद के रद्दा म चलके सन्यासी होगें। एक भाई ओमप्रकाश वर्मा, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है। ओम प्रकाश वर्मा आत्मानंद विद्यापीठ घलो चलायें। उहाँ लइका मन ल पढ़ाय जाथे। आदिवासी अउ गरीब लइका मन ल पढाए-लिखाय के बड़े जगा बनगे हे विद्यापीठ हा स्वामी आत्मानंद के बताय रद्दा म चलइया बहुत झन हैं। सेवा, दया अउ समता के बिचार ह चारों मुड़ा बगरत है। लिखई-पढ़ई के उजास ला चारों मुड़ा बगराय के उदिम म सब लगे हैं।

अभ्यास के प्रश्न

बोध प्रश्न

प्रश्न 1. खाल्हे लिखे प्रश्न मन के उत्तर लिखव

(क) स्वामी आत्मानंद के बचपन के नाव का रहिस?

उत्तर- स्वामी आत्मानंद के बचपन के नाव तुलेन्द्र रहिस।

(ख) गाँधीजी संग ओकर भेंट कहाँ होइस ?

उत्तर- गाँधीजी संग ओकर भेंट वर्धा आश्रम म होइस ।

(ग) स्वामी आत्मानंद कहाँ रहिके पढ़िस ?

उत्तर- स्वामी आत्मानंद नागपुर के विवेकानंद आश्रमः म रहके गणित विषय म एम.एस.सी. करिस पढिस 

(घ) स्वामी आत्मानंद काकर विचार ले जादा प्रभावित रहिस ?

उत्तर- स्वामी आत्मानंद विवेकानंद के विचार ले जादा प्रभावित रहिस ।

प्रश्न 2. सही उत्तर छाँट के लिखव-

(क) विवेकानंद आश्रम रायपुर के स्थापना कोन करिस?

1. स्वामी विवेकानंद, 2. स्वामी रामकृष्ण, 3. स्वामी आत्मानंद 2. स्वामी रामदास।

उत्तर- स्वामी आत्मानंद ।

(ख) स्वामी आत्मानंद ह आदिवासी लड़कामन के पढ़ेवर आश्रम कहाँ बनाइस?

2. कोंडागाँव, 2. बस्तर, 3. दंतेवाड़ा 4. नारायणपुर।

उत्तर- नारायणपुर

प्रश्न 3 मानवसेवा अउ युवा जागृति बर स्वामीआत्मानंद ह का का काम करिस, ओला लिखव ।

उत्तर- मानवसेवा अठ युवा जागृति वर स्वामी आत्मानंद ह आदिवासी लइकामन ल पढ़ायवर नारायणपुर में आश्रम खोलिस अकाल, दुकाल में स्वामीजी गाँव-गाँव म जुन्न तरिया ल अठ कोइवइस पचरी बंधवाइस किसान मन ल मदद करिस। विवेकानंद आश्रम रायपुर में बहुत बड़ पुस्तकालय खोलिस

प्रश्न 4.

( क ) ” अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार, इन्द्रावती पखारय तोर पड़याँ जय हो जय छत्तीसगढ़ मैया” गीत ल कोन लिखे है? ए गीत के बारे में अपन संगवारी मन संग गोठियाव ।”

उत्तर- ये गीत ल स्वामी आत्मानंद के भाई डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ह लिखे है।

(ख) आठ दस लड़का के दल बनाके ये गीत ल गावव अउ भाव अभिनय करके नाचव ।

उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।

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