सुनता के डोर (कहानी) कक्षा 5 हिन्दी

सुनता के डोर

एक जंगल म परेवा अउ मुसवा रहँय । दुनो झन सँगवारी रहिन । परेवा अउ मुसवा के मितान बनना ह समझ म नइ आवत हे फेर मन मिल जाये तब अइसन बात के बारे म कोनो नइ सोचय । मुसवा अउ परेवा एक-दूसर ल अतका जादा परेम करय, जइसन सग भाइ मन करर्थे । उँकर मया ल देख के कउँवा मन म सोंचथे- “ये दुनो झन मोर सँगवारी बन जाँय त बढ़िया हो जातिस, काबर के सँगवारी मन बेरा – बेरा म काम आये, अउ दुनो झन ल मितान बनाय बर ठान लिस। ओ मुसवा के तीर म जाके कहिस “मुसवा भइया! तोर अउ परेवा के मितानी ल देखेंव त मोरो अंतस म मया जाग गे । तोर ले बिनती करत हँव, तैं ह मोला अपन मितान बना लेते त बढ़िया हो जातिस । ” मुसवा ” फेर तैं ह कउँवा अउ मँय मुसवा, भला कइसे निभ सकत हन ? काबर के मुसवा अउ कउँवा म तो जनमजात दुस्मनी हे, फेर तोर उपर बिसवास कइसे करेंव ? नहीं भाई, दुरिहा रह उही ह बने है ।”

कउवा- “मोर उपर भरोसा कर, मैं तोर अहित नइ होवन देवँव। तैं ह मोला अपन मितान बना लेबे त अपन आप ल मय भागमानी समझहूँ अउ कहूँ मोला अपन मितान नइ बनाय त बिन खाय पिये मर जाहूँ ।”सिरतोन बात आय, कउनो कउँवा के बोली लबारी होतिस त कउँवा के अंतस नइ डोलतिस । कउँवा सच्चा रहिस। मुसवा ल कउँवा के उपर बिसवास होगे अउ कउँवा ह ओकरे संग पेड़ म रहे लागिसाब तो तीन मितान जुरिया में परेवा, मुसवा अउ कउँवा । ये तीनो सँगवारी मजा म रहे लगिन।

थोरिक दिन बाद उहाँ दुकाल परिस। अन्न के एक दाना मिलना घलो मुसकुल होगे। अइसन हालत में देख के कउँवा ह मुसवा अउ परेवा ल किहिस- “सँगवारी हो अब इहाँ जादा दिन ले रहना मुस्कुल हे। मोर बिचार म ये जघा ल छोड़ के आन डहर चल देना चाही। इहाँ ले दुरिहा म दुसर हरियर- हरियर जंगल अउ तरिया हे, उहाँ जाके रहिबो ओ तरिया म मोर एक झन मितान रहिथे । जउन ह बेरा-बेरा मँदद करही अउ थोरको दुख नइ होन दय । “

पहिली तो दुनो झन नइ मानिन, फेर कउँवा ह जिद करिस, तब परेवा अउ मुसवा मन जाय बर राजी होगें। मुसवा ल कउँवा ह अपन चोंच म उठा लिस अउ परेवा हवा में उड़ावत ओकर संग चल दिस। तीनों तरिया तीर पहुँचगें तब कउँवा के मितान केछुवा सन उकर भेंट होइस केछुवा अपन मितान मन के मान-गउन करे बर कोनो परकार के कमी नइ करिस |

एक दिन ये चारों मितान गोठियात रिहिन तभे एक ठन मिरगा दउँड़त-दउँड़त तीर म आ गे। ओ ह हँफरत-हँफरत कहिस – “कुछू जानत हव, बड़ जबर दुख अवइया हे, बाँचे बर हे त तुरते भाग चलव ।”

कछुवा ह कहिस- “अरे भइ कुछ बता तो भला का होवइया हे ? जनउला तो नइ जनावत हस।” मिरगा कहिस- “इहाँ ले थोरिक दुरिहा म नँदिया के करार म एक झन राजा के सेना हे अउ काली ओ सेना ह इही डहर ले जाही सुने हँव अब तुमन जानव भई । अइसन हालत में हमर इहाँ रहना परान देवउल आय। “

अतका बात ल सुन के सबो मितान संसो म परगे ए तो जानत हन सेना जेती ले जाही, रउर मचा देही । काबर के राजा के सेना अतलँगहा होथे। सबोझन गुनत-गुनत थक गँ फेर कोनो उदीम नइ सूझिस | आखरी म कउँवा ह किहिस “सँगवारी हो, मोर मन म एक ठन बात आए है। ये जंगल ल छोड़ के जाए म हमर भलइ हे, जियत रहिबो त इहाँ अउ आ जबो।

अउ सबो सँगवारी मन चल दिन। केछुवा अउ मुसवा तो भुइयाँ म रेंगत-रेंगत जावत रहँय, परेवा अउ कउँवा उड़त उड़त उँकर सँग देवत रहँय केछुवा पानी म रहइया जीव आय एखर सेती भुइयाँ म रेंगना अड़बड़ मुसकुल होगे। फेर इहाँ तो जीव ला बचाय के सवाल रहय। एक झन शिकारी के आँखी म केछुवा हा दिख गे। शिकारी ह तुरते-तुरत केछुवा ल फाँदा म फँसा डारिस । केछुवा ल शिकारी के फाँदा म फँसत देख के चारों सँगवारी मन रोय लगिन अउ सन्सो करे लगिन ।गजब गुने के बाद कउँवा किहिस- “सँगवारी हो! एक ठन उदिम मोर अंतस म आए है, जेकर ले कछुवा फाँदा ले उबर जाही।” सबो झन केहे लगिन – “का बात आय ? तुरते बता । “

कउँवा- “बात ए हे, मिरगा ह नँदी के तीर म मुरदा बरोबर सुत जाय, अउ मैं ओकर देह म देखाए बर चोंच मारहूँ। शिकारी ह मिरगा ल उठाय बर केछुवा ल भुइयाँ म रख दिही । जतका बेरा म ओहर मिरगा तक पहुँचही ओतका बेरा म मुसवा ह केछुवा के फाँदा ल काट के निकाल दिही। केछुवा झट ले पानी म उतर जाही अउ मुसवा बिल म घुसर जाही। ओती मिरगा के तीर म शिकारी आए ल धरही त मँय उड़ा जाहूँ, अतके म मिरगा उठ के भाग जाही। फेर शिकारी के एक्को उदिम काम नइ करय।” अइसन करे बर सबो झन एके सुनता होगे।

मिरगाह बताय काम ल करिस। शिकारी मिरगा ल मर गे हे जानके जाल में फँसे केछुवा ल भुइयाँ म फेंक दिस अउ मिरगा ल लाए बर नँदी के तीर म चल दिस। पहिली बनाय उदिम के मुताबिक मुसवा ह फाँदा ला काट दिस अउ केछुवा ह पानी म कूद गे। शिकारी के हाथ ले शिकार निकलगे। शिकारी देखत रहिगे। ओ हर फाँदा ल सकेलिस अउ घर चल दिस। अइसने जुरमिल के सुनता म अउ सँघरा रहे म अड़बड़ मुसकुल काम घलो बन जाथे।

प्रश्न और अभ्यास

गुरुजी कक्षा के लइका मन ल दू दल म बाँट के एक दूसर ल मुहँ अखरा प्रश्न पूछे ल कहँय-

जइसे

प्रश्न 1. कउँवा परेवा ल कइसे बिसवास देवइस?

उत्तर- कउवा परेवा ल विश्वास देवइस कि मोर उपर भरोसा कर मैं तोर अहित नइ होवन देवव।

प्रश्न 2. चारों मितान गोठियावत रहिथें त मिरगा ह आके का कहिथे ?

उत्तर- चारों मितान गोठियावत रहिथे त मिरगा है आके का कहिथे कि इहा ले थोरिक दुरिहा म नदिया के करार म एक झन राजा के सेनाहे अठ काली ओ सेना ह इही डाहर ले जाही सुने हव ।

प्रश्न 3. मुसवा ह फँदा ल नइ काटतिस त का होतिस?

उत्तर- मुसवा ह फँदा ल नइ काटतिस त केछवा के प्राण नइ वाचतिस ।

प्रश्न 4. सिकारी के मन में का बात आइस?

उत्तर- सिकारी के मन में लालच के बात आइस.

बोध प्रश्न-

प्रश्न. खाल्हे लिखाय प्रश्नों के उत्तर लिखव

(क) परवा अठ मुसवा ल देख कवा के मन म का विचार आइस?

उत्तर परेवा अब मुसवा ल देख कठेया के मन में ये विचार आये कि ए दूनो झन मोर संगवारी बन जाय त बढ़िया ही जातिकावर कि वामन बेराबेरा म काम आये।

(ख) मुसवा के तीर में जा के कई वाह ओला का कहिस?

उत्तर- मुधा के तीर में जाके कह कहिस- मुसा भया तोर परेवा के मिनी देखके मोरो अंतम

(ग) मुसवाह कर्डबा ला मितान कायर नइ बनाय कहिस?

उत्तर- मुख्या अठ कसा के जन्मजात दुश्मनी रहिस। इही खातिर मुसा हकवाला मानव कहिस।

(घ) मुसवाह कबाल मितान कइसे बना लिए।

उत्तर-कर्ता के परान त्यागे के बात सुनके मुवा ओकर उपर विश्वास होगे अउ ओहा का मान बना लिए।

(ङ) दुकाल परिस त कठेवा ह अपन संगवारी मन कहाँ लेगिस अठ वहाँ कोन मिलिस?

उत्तर- दुकाल परिसता है अपने संगवारी मन स दूसर रियर-हरियर जंगल अतरिया में लेगिस अब यहाँ कर एक इनमितान वा मिलिस।

(च) नदियों के करार में कोन मन ठाड़े रहिस अब ओला सबी संगवारी मन कायर हरवत रहिनरे

उत्तर— नदियों के करार में एक झन राजा के सामन ताड़े रहिस। ए सेना मन जैती से जाती, तर मथा देही। राजा सेना हो। संगम अपन परान जाय के भयले गत रहिन ।

(छ) केछुआ ल सिकारी के फैदा से उबारे वर कर्डबा ह का उदिम करिस?

उत्तर—केछुआ ल सिकारी के पैदा से हमारे कर हुए उदिम करिस कि मिरगाह नदी के गरम मुरदाबरोबर सुत जाप, अठ मैं जोकर हमारा।

मरणात उठाएर सारख विही मेहरगा तक पहुँच ही देश में के फैदा न काट के निकाल दि पानी उतर जाडी असा बिल म घुस जाही ।

प्रश्न 2. कहानी लड़के बताए गोठल कोन कोन ल किहिस-

1. यह तोर विनती करत हुँ तय है मोला अपन मितान बना लेते त बढ़िया हो जतिस

उत्तर- ए. गोठ लकवा मुसाले कहिस।

2. बड़े जबर दुख अवया हे बाँचे बरहे त तुरते भाग जलय।

उत्तर- ए. गोठ ल मिरगाह चारों सँवारी ले कहिस।

3. ये जंगल छोड़ जाय में हमर भलड़ है जियत रहियो त इहाँ अब आ जाबो ?

उत्तर-ए गोठ लफडा परेवा अउ मुसबा ले कहिस।

प्रश्न 3 खाल्ले में लिखे वाक्य ल प अ विचार के लिखव का होतिस ?

  1. कउवां सँग म नइ रहितिस ?

उत्तर-कउवां संग मन रहितिस त ओ मन ह नाना उदिम खोज के न निकाले कतिस

2. सिकारी ह फाँदा ल फेंक के मिरगा मेर नड़ जातिस ता का होतिस?

उत्तर-शिकारी ह फैदा ल फेंक के मिरगा मेर न जातिस स केलवा के परान नई बाचतिस।

4. सुनता के डोर पाठ में तुमन ल काकर काम अउ गोठ बने लागिस अउ कावर? अपन विचार पाँच वाक्य में लिखव

उत्तर- सुनता के डोर पाठ में हमन ल कउँवा के काम अउ गोठ बने लागिस कावर कि ओठा हरदम अपन संगवारी मन के हित चाहये। ओखर मन उपर कोनो विपत्ति आय ले पहिली उदिम खोज निकालय ओखरे ले छुवा के परान बचगे.

प्रश्न 4. तुमन कोन कोन छत्तीसगढ़ी कहावत ल जानथव, सोचव अठ लिखव

उत्तर- 1. छत्तीसगढ़ी कहावत-

1. मान जाने अंगना टेढ़ा।

2. करिया अक्षर भैंस बरोबर

3. पर के भेदी लंका वाये।