सोन के फर (कहानी) कक्षा 5 हिन्दी

सोन के फर (कहानी)

गजब दिन के बात आय। एक ठन गाँव रहिस। इहाँ के आदमी मन खेती-किसानी के बुता करें। जेकर खेत खार नइ रहँय, ओमन छेरी-पठरू अउ गाय गरुवा राखे रहँय। उही मन ल चरावय । दूध-दही, गोबर, छेना बेच के अपन गुजर-बसर करें ।

इही गाँव म सुखराम नाँव के मनखे रहिस। ओकर खेती खार नइ राहय त ओहा छेरी-पठरू राखे रहय। ओहा दिन भर जंगल झाड़ी म जाके छेरी चरावय। संझा होय ले गाँव लहुट जाय। छेरी पठरू मन हरियर-हरियर पाना-पतउवा खाके मेछरावत लहुटँ ।

एक दिन के बात आय। सुखराम ह छेरी-पठरू ल लेके जंगल म दुरिहा निकलगे। जेठ के महिना रहय । आगी के आँच कस घाम । घाम म फुतकी ह कुधरा कस तिपगे रहय। तीर तखार म पानी के बूँद नइ रहय, सुखराम पियास के मारे तरमरा गे। फेर का करय ? थक के रूख के छइँहा तरी बइठगे। छेरी-पठरू मन उही मेर बगर के चरत रहँ ।

थोरिक म शंकर भगवान ह उही मेर आइस । ओहा सुखराम ल पियास के मारे तालाबेली करत देखिस । ओहा साधु के भेस बनाइस। हाथ म पानी भरे कमंडल धरे ओकर तीर म जाके पूछिस – “कस जी सुखराम, तैंय ह काबर तालाबेली देत हस ? “

ओहा कहिस – “का बतावँव महराज, पियास के मारे मोर जीव छूटत है।”

शंकर भगवान ल दया आ गिस ओहा कमंडल के पानी ल सुखराम तिर मढ़ा दिस अउ एक पसर फर ओला दिस। ओहा कहिस, “खाय के पुरती ल खा ले। बाँचही तेन ल घर के पठेरा म मढ़ा देबे | ” सुखराम ह चार ठन फर ल खाइस गटर गटर पानी पीइस बाँचिस तेन फर ल पंछा के छोर म बाँध के धर लिस।

दिन भर के थके-माँदे सुखराम ह संझाकुन घर लहुटिस । अपन गोसइन सुखिया संग गोठियाइस – बताइस बाँचे फर ल रँधनी के पठेरा म कलेचुप मढ़ा दिस। खटिया म परतेच ओकर नींद परगे । कुकरा बासत ओकर नींद खुलिस। हाथ मुँह धोके रँधनी म गिस पठेरा ल देखिस । सुखराम अकचका गे ओ फर मन सोन के हो गे रहय ।

ओला कलेचुप धर लिस अउ छेरी मन ल ढील के जंगल डहर चल दिस। सुखराम मने मन म गद्गद होवत रहय। फेर संसो घलोक करय सोन के फर ल का करेंव? “दिनभर ह बीत गे। रातभर ओला नींद नइ आइस दूसर दिन शहर जाके बेचे बर सोचिस । ओहा बड़े फजर उठ गिस सुखिया ल छेरी पठरू ल चराय बर भेज दिस।

लकर-धकर रेंग के सुखराम शहर गिस सोनार मेर जाके सोन के फर ल देखाइस । चमचमावत सोनहा फर ल देख के सोनार के लार टपके लगिस ओ हा पूछिस “येला तउलव” ?

सुखराम कहिस- “हाँ भइया येला झटकन तउल अउ मोला पइसा दे।” सोनार झट ले फर ल तराजू म तउलिस रुपिया के गड्डी ओला दे दिस घर जाके सुखराम सुखिया ल सबे बात ल बता दिस दुनो सुनता करके नवा घर बनवाइन। भँड़वा बरतन नवा-नवा बिसा लिन । सुखिया के तन भर जेवर ल देखके पारा-परोस के मन अकचका जाँय जेने देखय तेने पूछय “कहाँ ले अनेक पइसा पायेव?”

दुनो झन सिधवा रहिन । सबो झन ल सहीं बात ल बता दीन के उँखर घर म सोन के फर है। ओला बेच के पइसा भँजा लेथन। गाँव भरके मनखे ए बात ल जान डरिन । एक दिन के बात आय। चार झन चोरहा मनखे मन सुखराम घर आइन अउ पूछिन “चल तो देखा, कहाँ हे सोन के फर ?”

सुखराम भल ल भल जानिस ओ हा चारो झन ल रँधनीघर म लेगिस अउ पठेरा म माढ़े फर ल देखा दिस। चमचमावत सोन के फर ल देखिन त चोर मन के मन में लालच आगे, ओमन कलेचुप ओकर घर ले निकलगें।

अधरतिहा चोर मन सुखराम घर फर के चोरी करे बर खुसरिन । खटर पटर आरो पा के सुखिया के नींद उमचगे। ओहा सुखराम ल उठाइस सुखराम ह चोर मन ल चीन्ह डारिस | ओमन सोन के फर ल धरलिन अउ भागते भागिन ।

दूसर दिन सुखराम गाँव म बइठका कराइस सोन के फर पाय के अउ चोरी होय के बात ल सफी – सफा पंच मन ल बताइस संग में सुखिया घलोक रहिस, चोर मन ल बइठका म बलाइस। ओमन फर ल धरके आइन । पंच ह चोर मन ल लतेइ के पूछिस कस जी! सुखराम कहत हे तेन बात ह सिरतोन ए ? “चोर मन सकपकागें, ओमन चोरी करे के सबो बात ल बता दिन। पंच मन फर ल माँगिन। चोर मन फर ल लानके दीन त सब देखिन के फर मन ह कच्चा होगे रहा।

कच्चा फर ल पंच मन सुखराम ल फेर दे दिन। ओहा रँधनीघर के पठेरा म फर ल मढ़ा दिस । फर सोन के होगे। चारों चोर मन ल पंच मन फटकारिन “पछीना के कमइ ले मनखे ल सुख मिलथे। चोरी ठगी ले काम कभू नइ बनय चोर मन कभू महल नइ बनावय । “

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. खाल्हे म लिखे प्रश्न मन के जवाब लिखव

(क) सुखराम छेरी पठरु चराए बर कहाँ गय रहिस?

उत्तर- सुखराम छेरी पठरु चराय बर जंगल गय रहिस।

(ख) सुखराम काबर तालाबेली होत रहिस ?

उत्तर- सुखराम पियास के मारे तालाबेली होत रहिस।

(ग) सुखराम ल कोन पानी दिस ?

उत्तर- सुखराम ल शंकर देवता पानी दिस।

(घ) साधु के दे फर का होगे ?

उत्तर- साधु के दे फर ह सोन के होगे।

(ङ) सुखराम सोन के फर ला का करिस ?

उत्तर- सुखराम सोन के फर ला शहर जाके बेच दिस अउ उही रुपया ले नवा घर बनवाइस ।

(च) सुखराम के गोसइन के का नाव रहिस ?

उत्तर- सुखराम के गोसइन के नाव सुखिया रहिस।

प्रश्न 2. सुखराम के बारे म चार वाक्य लिखव ।

उत्तर- 1. सुखराम गाँव के मनखे रहिस।

2. सुखराम छेरी-पठरु चरावय ।

3. सुखराम के गोसइन सुखिया रहिस।

4. सुखराम अब्बड़ सिधवा रहिस।

प्रश्न 3. तुमन कहानी ल धियान लगा के पढ़े हव अब लिखव के ए बात ल कोन ह कोन ल कहिस-

(क) कस जी सुखराम तैहा काबर ताला बेली देत हस?

उत्तर – ए बात ल शंकर देवता ह सुखराम ले कहिस।

(ख) हाँ भइया। एला झटकन तउल अउ मोला पइसा दे।

उत्तर- ए बात ला सुखराम ह सोनार ले कहिस।

(ग) चल तो देखा, कहाँ है सोन के फर ?

उत्तर- एबाल चोरमन हे सुखराम से कहिस।

(घ) कस जी सुखराम कहत है तेन बात है सिरतोन ए।

उत्तर- ए. बात ल पंचमन चोर से कसि।

प्रश्न 4. साधु के ए बात ला घियान लगा के पड़व अउ खाल्हे में लिखाय प्रश्न के जवाब लिखय-

“खाए के पुरती ल खा ले। याँचहि तेन ल घर के पठेरा म मढ़ा देखे।”

(क) साधु सुखराम ल का दिस?

उत्तर- साधु सुखराम ल चार टन फर दिस।

(ख) बांचे फरल पठेश में राखेवर काबर कहिस है

उत्तर- बाँचे फर ल पटेराम राखेर इहि खातिर कहिस कि वो फरह सोत के हो नाही।

प्रश्न 5 खाल्हे में लिखे वाक्य ल धियान देके पढ़व अउ गुन के लिखव के का हो तिस-

(क) शंकर जी नइ आतिस त ?

उत्तर- शंकर जी नई आदित सुखराम विश्वास के मारे मर जतिस

(ख) सोन के फर नई वेचतिस त ?

उत्तर-‘सोन के फर ल नइ बेचविस त ओखर बारे म कोई नई जान सकतीस

(ग) बइठका म चोर मन ल नइ बलातिस त ?

उत्तर- बइठका में चोर मन न नइ बलाविस व सुखराम ल सोन के फर नई मिलतिस

प्रश्न 6. ए लोककथा में काकर काम सबले बने लगिस? कारन समेत पाँच वाक्य म अपन विचार लिखय।

उत्तर- ए लोक कथा में शंकर भगवान के काम ह सबले बने लगिस ओकर कारन सोचे लिखे ह

1. शंकर भगवान है बहुत दयलु रहिस।

2. ओहर सुखराम के पिवास ल पानी दे के बुझाइस

3. शंकर भगवान है सुखराम ले खाए बर फर दे के ओकर भूख ल शांत करिस।

4. शंकर भगवान ह बांचे फर ल सोन के फर बना देइस

5. सोन के फर दे के शंकर भगवान है गरीब सुखराम ल अमीर बना दिस।