श्रम के आरती (कविता) – भगवती लाल सेन कक्षा 5 हिन्दी

श्रम के आरती (कविता)

काबर डर्राबोन कोनो ल, जब असल पसीना गारत हन

हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन ।

चाहे कोनों हाँसे थूके, रद्दा के काँटा चतवारत हन ।

हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम के आरती उतारत हन ।।

कल अउ कारखाना जतका, मिल मा पोंगा बाजत हावय।

रोज कहत हैं हाँक पार के, जांगर वाला जागत हावय ।

श्रम के आरती (कविता) - भगवती लाल सेन कक्षा 5 हिन्दी

दुनिया के सुख बर दुख सहिके, पथरा ले तेल निकारत हन ।

हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम के आरती उतारत हन ।।

सोना कस तन, बूता के धुन मा, माटी कस करिया जाथे।

नांगर जब गइथे, भुइयाँ के कोरा हाँसत हरिया जाथे।

सुस्ता अमरकुंड आज हम, गजब जतन ले झारत हन ।

हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम के आरती उतारत हन ।।

नइ थकिस कभू चंदा सुरुज, दिन-रात रथे आगू-पाछू ।

रहिथे करनी के नाँव अमर, नइ रहय भरम के बहिरासू ।

जम्मो मनखे बर एक नीत, सुनता-मसाल हम बारत हन ।

हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन ।।

अभ्यास के प्रश्न

गतिविधि-

शिक्षक लइका मन ल दू दल में बाँट के एक-दूसर ले मुँह खरा प्रश्न पूछय ल कहय। प्रश्न अइसन हो सकत हैं-

(क) श्रम के आरती कविता के कवि के नाव बतावव।

उत्तर- श्रम के आरती कविता के कवि के नाव भगवती। लाल सेन है।

(ख) हमन ला कोनो ले काबर नइ डरना चाही?

उत्तर- हम अपन सुखद भविष्य के सेति कड़ा-महिनत कर के पछिना बहावथन तेकर सेति हमन ला कोनो ले नह डरना चाही।

(ग) छत्तीसगढ़ वासी मन श्रम के आरती काबर उत्तारत हैं ?

उत्तर – छत्तीसगढ़ वासी मन अपन सुखद भविष्य अउ देस के हित बर श्रम के आरती उतारत हैं। ।

बोध प्रश्न-

प्रश्न 1. खाल्हे लिखाय प्रश्न मन के उत्तर लिखव-

(क) ‘श्रम के आरती उतारत हन’ के का अर्थ हे?

उत्तर- श्रम के आरती उतारत हन के अर्थ हे कि हम अपन सुखद भविष्य के कारन महिनत करत हन ।

(ख) मिल के पोंगा ह हाँक पार के का कहत हे?

उत्तर-मिल के पोंगा है हमन ल जागे के अउ परिश्रम करके संदेस देवत हे।

(ग) दुनिया ल सुखी बनाय बर छत्तीसगढ़ के मनखे मन का करत हे ?,

उत्तर- दुनिया ल सुखी बनाय बर छत्तीसगढ़ के मनखे मन कठिन परिश्रम करते हे।

(घ) भुइयाँ कइसे हरिया जाथे ? उत्तर- हल चलाय ले भूइयाँ ह हरिया जाथे।

(ङ) कवि के अनुसार काकर नाव अमर हो जाथे ?

उत्तर- कवि के अनुसार संसार म बने (अच्छा) काम करइया मन के नाव अमर हो जाथे।

प्रश्न 2 में पंक्ति मन के अरथ स्पष्ट करव

(क) कल अउर कारखाना . जागत हावय।

उत्तर- व्याख्याखण्ड ल देखव ।

(ख) सोना कस तन हाँसत हरिया जाये।

उत्तर- व्याख्या खण्ड ले देखव ।

(ग) नइ थकिस कभू. भरम के बहिरासू ।

उत्तर- व्याख्या खण्ड ल देखव ।

प्रश्न 3. खाल्हे लिखाय भाव कविता के जैन पंक्ति में आय हे, ओ पंक्ति ल छाँट के लिखव-

(क) संसार के सुख के खातिर हमन दुख सहिके कड़ा महिनत करत हन।

उत्तर- दुनिया के सुख बर दुख सहिके, पथरा ले तेल निकारत हन।

(ख) हमन अमरित कुंड ले बड़ जतन करके अमरित निकालत हन ।

उत्तर- सुस्ता के अमरित कुंड आज हम, गजब जतन ले झारत हन ।।

(ग) जम्मो मनखे वर एक नीत बने, ये सोचके हमन सुनता के मसाल बारत हन।

उत्तर- जम्मो मनखे बर एक नीत, सुनता मशाल हम बारत हन।

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