मिनी महात्मा – आलम शाह खान कक्षा 8 हिन्दी

अभ्यास

पाठ से-

प्रश्न 1. वह जरा सी बात क्या थी, जिसकी वजह से मोहन लगातार रोए जा रहा था ?

उत्तर- वह जरा-सी बात यह थी कि पुलिस अंकल ने मोहन को एक चपत लगा दी थी, पर इस जरा-सी बात पर मोहन ने बड़ा बखेड़ा खड़ा कर रखा था, परन्तु मोहन गांधीजी को अपना आदर्श मानकर कार्य कर रहा था।

प्रश्न 2. “जा जा कुछ नहीं हुआ। पीट दिया हमने। करले जो – कुछ करना है। अब शेरसिंह के भीतर बैठा “पुलिसवाला बोला” इस कथन में पुलिसवाला लिखने के पीछे लेखक का क्या भाव है ?

उत्तर- इस कथन में पुलिसवाला लिखने के पीछे लेखक का भाव यह है कि पुलिस वाला अपने वर्दी का रौब झाड़ता है। पुलिस सभी के मदद के लिए होती है। किन्तु पुलिस वाला मोहन के साथ अन्याय कर रहा था। इससे उसके क्रोध भाव का पता चलता है।

प्रश्न 3. सबके समझाने के बाद भी मोहन घर क्यों नहीं जा रहा था ?

उत्तर- मोहन के मन में एक ही बात चल रहीं थी कि पुलिस अंकल ने बिना किसी कारण के उसे चपत क्यों लगा दी। मोहन पुलिस अंकल से अपना कसूर पूछना चाहता था। इसलिए मोहन घर नहीं जा रहा था।

प्रश्न 4. शेरसिंह की पत्नी ने लोगों से क्या और कैसे कहा ? उत्तर- शेरसिंह की पत्नी ने लोगों से हाथ जोड़कर वहाँ से चले जाने को कहा।

प्रश्न 5. मोहन ने अपने व्यवहार में विरोध को शामिल कर साबित किया कि अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है। कैसे ?

उत्तर- मोहन को बिना कसूर के शेरसिंह ने मारा था। इसलिए वह शेरसिंह के दरवाजे तक कसूर पूछने चला गया और शेरसिंह को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी।

प्रश्न 6. “लड़का जिरह किये जाता है, इसे कौन समझाये ?” लोग किस आधार पर ऐसा कह रहे थे ?

उत्तर-लोग मोहन को समझा-समझाकर थक गये कि अगर पुलिस अंकल ने उसे एक चपत लगा भी दी तो क्या हो गया ? किन्तु •मोहन सुनने के लिए तैयार नहीं था। उसका तर्क था कोई बड़ा उन्हें रोकता टोकता तो क्या वह उसको चाँटा जड़ देते ? मुझे इसलिए पीट दिया कि मैं बच्चा हूँ, छोटा और कमजोर हूँ। इसलिए लोग कह रहे थे कि लड़का कूढ़ मगज है, जिरह किये जाता है, इसे कौन समझाये।

प्रश्न 7. इस पाठ में कुछ वाक्य ऐसे हैं जिनमें बालकों की बात पर ध्यान न देने का भाव छिपा है। ऐसे चार वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिये।

उत्तर-(1) ‘अरे भाई, बड़े हैं, जरा जल्दी होगी, किसी ने उन्हें नहीं टोका एक तुम्ही उनके आड़े आ गये।’

(2) कोई बड़ा उन्हें रोकता टोकता तो क्या वह उसको चाँटा जड़ देते ?

(3) लड़का जिरह किये जाता है, कूढ़ मगज है, इसे कौन समझाये ?”

(4) ‘रोता है, तो रोने दो-कब तक रोयेगा ?”

प्रश्न 8. ‘बात मान भी जा बेटे !’ मैं उनसे कह दूँगी, ‘आगे से ऐसा सुलूक न करें बच्चों के साथ। लिखिये इस वाक्य में-

-मैं’ किसके लिए आया है ? -‘उनसे’ किसके लिए आया है ?
– ‘ऐसा सुलूक’ कहकर किस सुलूक की बात कही गयी है?
‘मान भी जा बेटे’ में कौन-सा भाव छिपा है ?

उत्तर- ‘मैं’ मोहन की माँ के लिए आया है।
‘उनसे’ सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह के लिए आया है।
‘ऐसा सुलूक’ कहकर पुलिस सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह द्वारा मोहन के साथ मार-पीट करने की बात कही गयी है। ‘मान भी जा बेटे’ में पुलिस सब-इंस्पेक्टर के दुर्व्यवहार को सहन कर लेने का भाव छिपा है।

प्रश्न 9. कहानी में आये निम्नलिखित पात्रों के बारे में अपने जो राय बनायी हो, उसे पात्रवार चार-पाँच पंक्तियों में लिखिए- (क) शेरसिंह, (ख) मोहन की माँ, (ग) मोहन, (घ) शेरसिंह की पत्नी।

उत्तर- (क) शेरसिंह- शेरसिंह एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर है। वह सब पर अपनी वर्दी का रौब झाड़ता है। वह शीघ्र ही मारपीट करने पर उतर आता है। वह अपने पद के घमण्ड में यह भी भूल जाता है कि बच्चों के साथ कैसा सुलूक किया जाना चाहिए। वह अपनी गलती, स्वीकार नहीं करना चाहता।

(ख) मोहन की माँ-मोहन की माँ एक सरल स्वभाव की महिला है वह पुलिस वालों से झंझट मोल नहीं लेना चाहती। वह दुनियादारी की बातों को समझती है। वह जानती है कि गलती शेरसिंह की है, पर वह उसके अन्यायपूर्ण कृत्य को चुपचाप सहन कर लेना चाहती है।

(ग) मोहन मोहन एक स्वाभिमानी बालक है। वह पुलिस सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह द्वारा अकारण किये गये दुर्व्यवहार को चुपचाप सहन कर लेना नहीं चाहता। वह अन्याय का डटकर विरोध करता है। उसकी तर्कसंगत बातों के आगे पुलिस अधिकारी को झुकना पड़ता है।

(घ) शेरसिंह की पत्नी शेरसिंह की पत्नी दयालु स्वभाव की समझदार महिला है। वह मोहन को अपने पुत्र जैसा समझती है। उसकी दृष्टि में मोहन ने कोई गलत काम नहीं किया। इसलिए वह मोहन और अपने पति शेरसिंह दोनों को समझाती है।

पाठ से आगे-

प्रश्न 1. फरीद बाबा के व्यक्तित्व का वह कौन-सा पहलू है जिसके माध्यम से उन्होंने झगड़े को आसानी से सुलझा दिया। हर समाज में इस तरह के लोग होते हैं। अपने आसपास के ऐसे लोगों के बारे में समूह में चर्चा कर उनके मानवीय पहलुओं को लिखिए।

उत्तर- (i) फरीद बाबा एक समझदार व्यक्ति थे। (ii) उन्होंने बड़ी समझदारी से शेरसिंह को मोहन से माफी माँगने के लिए समझाया। फरीद बाबा जैसे व्यक्ति समाज में रहना अति आवश्यक है ऐसे लोग हमारे घर के आस-पास भी है।

प्रश्न 3. मिनी महात्मा शीर्षक कहानी में मोहन ने महात्मा गाँधी के किन सिद्धान्तों का पालन किया ? अपने मित्रों से बात कर लिखिए।

उत्तर- मोहन ने महात्मा गाँधी के सिद्धान्त- “अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है।” का पालन किया।

प्रश्न 4. कतार में लगकर कोई भी सामान लेने के क्या फायदे और नुकसान आपको लगते हैं। अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।

उत्तर- कतार में लगकर समान लेना अच्छा है। इससे सभी को सुविधा होती है। नियम का पालन होता है जो पहले आएगा वह कतार में सबसे आगे रहेगा। कतार में लगकर समान लेने वाले और देने वाले दोनों को सुविधा होती है। ऐसा न करने पर पूरी तरह अव्यवस्था फैल जाती है।

प्रश्न 5. फरीद बाबा ने पुलिस अंकल को भीतर जाकर क्या समझाया होगा, जिसे सुनकर पुलिस अंकल अपनी गलती स्वीकार करने आ गये ?

उत्तर-फरीद बाबा ने पुलिस अंकल को समझाया होगा कि. तो अबोध बालक छोटी उम्र का है परन्तु तुम तो बड़े हो, समझदार हो अतः क्षमा में ही बड़प्पन होता है और इस प्रकार इन बातों को सुनकर पुलिस अंकल ने अपनी स्वीकार कर ली।

प्रश्न 6. इस कहानी को पढ़कर आपकी क्या राय समझ बनती है ? लिखिए।

उत्तर- इस कहानी को पढ़कर हमारी यह राय बनती है कि महापुरुषों के सिद्धांतों को केवल याद कर लेना ही पर्याप्त नहीं है अपितु उसे आचरण में उतारते हुए उन सिद्धांतों को जीवन भर अपनाना चाहिए। इसके लिए भले ही कष्ट सहना पड़े, समाज का विरोध सहकर भी अपने निश्चय पर अडिग रहना चाहिए तब गलत व्यक्ति को सुधारा जा सकता है और गलती मानने के लिए बाध्य भी कर सकते हैं।

प्रश्न 7. मोहन के प्रति शेरसिंह ने जो दुर्व्यवहार किया था। मोहन विरोध गाँधीजी द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलकर कर रहा था। महात्मा गाँधी द्वारा इस सम्बन्ध में क्या मार्ग सुझाया गया था ? मोहम द्वारा किए जा रहे उक्त व्यवहार से आप कहाँ तक सहमत हैं ? लिखिए।

उत्तर- मोहन द्वारा किए जा रहे व्यवहार से हम सहमत है-अन्याय या अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है। अतः अन्याय का विरोध करना उचित है। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो अन्याय बढ़ता जाएगा।

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