क्यूँ क्यूँ छोरी (चरित्र)- महाश्वेता देवी कक्षा 5 हिन्दी

क्यूँ क्यूँ छोरी (चरित्र)

छोटी-सी लड़की थी वह! क़रीब दस साल की एक बड़े-से साँप का पीछा कर रही थी। मैं उसके पीछे भागी और उसकी चोटी पकड़कर उसे ले आई। “ना, मोइना ना,” मैं उस पर चिल्लाई ।

“क्यूँ?” उसने पूछा।

“वो कोई धामन – वामन नहीं है, नाग है,नाग,” मैंने उससे कहा । “तो ! नाग को क्यूँ न पकडू?”

“क्यों पकड़ो?” मैंने कुछ नाराजगी के साथ पूछा ।

“पता है, हम साँप खाते हैं! मुंडी काट दो, चमड़ा बेच दो, मांस पकाकर खा लो”, उसने बड़े भोलेपन से उत्तर दिया।

“नहीं, इसे नहीं”, मैंने उसे समझाते हुए कहा । तुम्हें ऐसा नहीं करना है । “

“हाँ, हाँ, करूँगी,” उसने हठपूर्वक कहा।

” पर क्यों ऐसा करोगी?” मैं उसे शबर सेवा समिति के दफ्तर तक ले आई। उसकी माँ

‘खीरी’ वहाँ एक टोकरी बुन रही थी ।

“चलो, थोड़ा आराम कर लो” मैंने कहा ।

क्यूँ क्यूँ छोरी (चरित्र)- महाश्वेता देवी कक्षा 5 हिन्दी

“क्यूँ?” उसने फिर कहा ।

“क्यूँ नहीं ? थकी नहीं हो क्या?” मैंने पूछा।

मोना ने नकारते हुए सिर हिलाते हुए कहा- “बाबू की बकरियाँ कौन घर लाएगा? और लकड़ी लाना, पानी लाना, चिड़िया पकड़ने का फंदा लगाना, सब कौन करेगा?” उसके इन प्रश्नों को सुनकर मैं कुछ सोचने लगी।

खीरी ने उससे कहा- “बाबू ने जो चावल भेजा है, उसके लिए उन्हें धन्यवाद देना न भूलना।”

“क्यूँ? क्यूँ दूँ उसे धन्यवाद ? उसकी गोशाला धोती हूँ, हजारों काम करती हूँ उसके लिए। कभी धन्यवाद देता है मुझे? मैं क्यूँ उसे धन्यवाद दूँ?”

मोना अपने काम पर भाग गई। खीरी सिर हिलाती रह गई। फिर मुझसे बोली “ऐसी लड़की नहीं देखी कभी। बस क्यूँ ! क्यूँ की रट लगाए रहती है। गाँव के पोस्टमास्टर ने तो उसका नाम ही ‘क्यूँ क्यूँ छोरी’ रख दिया है।” “मोइना मुझे तो अच्छी लगती है,” मैंने खीरी से कहा।

“इतनी जिद्दी है कि एक बात पकड़ ले तो उससे हटती नहीं,” खीरी ने कहा। मोइना आदिवासी लड़की थी; शबर जाति की शबर लोग गरीब और भूमिहीन थे। पर शबर कभी शिकायत करते सुनाई नहीं देते थे। सिर्फ मोइना ही थी जो सवाल पर सवाल करती जाती।

“क्यूँ मुझे मीलों चलना पड़ता है नदी से पानी लाने के लिए? क्यूँ रहते हैं हम पत्तों की झोंपड़ी में? हम दिन में दो बार चावल क्यूँ नहीं खा सकते?”

मोइना गाँव के संपन्न लोगों की बकरियाँ चराया करती थी। न तो वह अपने को दीन-हीन समझती थी, न ही मालिकों का अहसान मानती थी। वह अपना काम करती, काम खत्म होने पर घर आ जाती और बुदबुदाती रहती “क्यूँ उनका बचा खुचा खाऊँ मैं? मैं तो बढ़िया खाना खाऊँगी। शाम को हरे पत्तोंवाली भाजी (साग) और चावल और केकड़े मिर्चीवाले।

सभी घरवालों के साथ बैठकर खाऊँगी।”

वैसे शबर अपनी लड़कियों को आम तौर पर काम पर नहीं भेजते। पर मोइना की माँ, खीरी, एक पाँव से लँगड़ी थी। वह ज्यादा चल-फिर नहीं सकती थी। उसके पिता काम की लाश में दूर, जमशेदपुर गए थे और उसका भाई, गोरो, जलाऊ लकड़ी लेने जंगल जाता था । सो मोइना को भी काम करना पड़ता था।

उस अक्टूबर में मैं ‘शबर सेवा समिति’ के दफ्तर में पूरा एक माह रुकी। एक सुबह मोइना ने घोषणा की कि वह समितिवाली झोंपड़ी में मेरे साथ रहेगी ।

“बिल्कुल नहीं” खीरी ने कहा ।

“क्यूँ नहीं? इतनी बड़ी झोंपड़ी है। एक बुढ़िया के लिए कितनी जगह चाहिए?”

“तुम्हारे काम का क्या होगा?” मैंने उससे पूछा ।

“काम के बाद आया करूँगी”, उसने तुरंत ही अपना निर्णय सुना दिया। और वह एक जोड़ी कपड़े तथा एक नेवले के साथ आ पहुँची।

“यह बस जरा-सा खाना खाता है और बुरे साँपों को दूर भगा आता है,” उसने कहा।

” अच्छेवाले साँपों को मैं पकड़कर माँ को दे देती हूँ। क्या बढ़िया तरीवाला साँप (साग) बनाती है माँ।

तुम्हारे लिए भी थोड़ा लाऊँगी।”

समिति के विद्यालय की शिक्षिका, मालती ने मुझसे कहा- “आप तो तंग आ जाएँगी इसकी क्यूँ क्यूँ सुनते-सुनते । “

और वाकई, वह अक्टूबर ऐसा बीता कि पूछो मत। “क्यूँ, मुझे बाबू की बकरियाँ चरानी पड़ती हैं? उसके लड़के खुद क्यूँ नहीं चराते? मछलियाँ बोल क्यूँ नहीं पातीं? अगर कई तारे सूरज से बड़े हैं तो वे इतने छोटे क्यूँ नजर आते हैं?” और “हर रात को तुम सोने के

पहले किताबें क्यूँ पढ़ती हो?”

“इसलिए कि किताबों में तुम्हारी क्यूँ क्यूँ के जवाब मिलते हैं,” मैंने उसे उत्तर दिया । यह सुन वह चुप रही। उसने कमरा ठीक-ठाक किया। फूलोंवाले पौधे को पानी दिया, नेवले को मछली दी। फिर उसने कहा- ” मैं पढ़ना सीखूँगी और अपने सारे सवालों के जवाब खुद ढूँढ़ निकालूँगी।”

जो-जो वह मुझसे सीखती, वह बकरियाँ चराते समय दूसरे बच्चों को बताती । “कई तारे तो सूरज से भी बड़े हैं, सूरज पास है इसलिए बड़ा दिखता है। मछलियाँ हमारी तरह बातें नहीं करतीं। मछलियों की अपनी भाषा है, जो सुनाई नहीं देती। तुम्हें पता है पृथ्वी गोल है?”

एक साल बाद जब मैं उस गाँव में दुबारा पहुँची, तो सबसे पहले मोइना की आवाज ही सुनाई दी।

“स्कूल क्यूँ बंद है?” समिति के स्कूल के अंदर एक मिमियाती बकरी को अपने साथ घसीटते हुए वह मालती से ललकारने जैसी आवाज में पूछ रही थी।

“क्या मतलब है तुम्हारा, क्यों बंद है कहने का ?”

“तो तुम्हें रोक कौन रहा है?”

” पर कोई कक्षा ही नहीं लगी। कहाँ पढूँ ?”

” स्कूल का समय पूरा हो चुका है। “

“क्यूँ?” उसने फिर प्रश्न किया ।

“तुम जानती हो मोइना, मैं सुबह नौ बजे से ग्यारह बजे तक कक्षा लगाती हूँ ।” मोइना ने पाँव पटकते हुए कहा- “तुम समय बदल क्यूँ नहीं देती? मुझे बाबू की बकरियाँ चरानी होती हैं सुबह मैं तो केवल ग्यारह बजे के बाद ही आ सकती हूँ। तुम पढ़ाओगी नहीं तो मैं सीखूँगी कहाँ से? मैं बूढ़ी माँ को बता दूँगी कि बकरी चरानेवाले या गाय चरानेवाले, हम लोगों में से कोई भी नहीं आ सकेगा, अगर स्कूल का समय नहीं बदला तो।”

तभी उसने मुझे देखा और अपनी बकरी ले नौ दो ग्यारह हो गई । शाम को घूमते-घूमते मैं मोइना की झोपड़ी पर गई। मोइना चौके के पास मजे से बैठी, अपनी छोटी बहन और बड़े भाई को बता रही थी। “एक पेड़ काटो तो दो पेड़ लगाओ। खाने के पहले हाथ धोओ, जानते हो क्यूँ? पेट दर्द हो जाएगा, अगर नहीं धोओगे तो तुम कुछ नहीं जानते। जानते हो क्यूँ? क्योंकि तुम स्कूल नहीं जाते। “

गाँव में जब प्राइमरी स्कूल खुला तो उसमें दाखिल होनेवाली पहली लड़की मोना थी। मोइन अब बीस साल की है। वह समिति के स्कूल में पढ़ाती है। अगर तुम उसके स्कूल के पास से गुजरो तो निश्चित ही तुम्हें उसकी आवाज सुनाई देगी – “आलस मत करो। मुझसे सवाल करो। पूछो, क्यूँ मच्छरों को खत्म करना चाहिए? ध्रुवतारा हमेशा उत्तर की ओर के आकाश में ही क्यूँ रहता है? पेड़ क्यूँ नहीं काटने चाहिए ?”

और दूसरे बच्चे भी अब पूछना सीख रहे हैं-“क्यूँ?”

वैसे मोइना को पता नहीं है कि उसकी कहानी लिखी जा रही है। अगर उसे पता चल जाए तो कहेगी, “क्यूँ? मेरे ही बारे में क्यूँ?”

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. मोइना द्वारा पूछे गए क्यूँ क्यूँ वाले पाँच प्रश्नों को लिखो ।

उत्तर- मोइना द्वारा पूछे गये क्यूँ क्यूँ वाले पाँच प्रश्न-

(1) क्यूँ मुझे मीलों चलना पड़ता है नदी से पानी लाने के लिए ?

(2) क्यूँ रहते हैं हम पत्तों की झोपड़ी में ?

(3) हम दिन में दो बार चावल क्यूँ नहीं खा सकते ?

(4) ध्रुव तारा हमेशा उत्तर की ओर के आकाश में ही क्यूँ रहता है ?

(5) पेड़ क्यूँ नहीं काटने चाहिए?

प्रश्न 2. मोइना ने स्कूल का समय बदलने के लिये क्या-क्या तर्क दिये ?

उत्तर- मोइना ने स्कूल का समय बदलने के लिए निम्न तर्क दिये –

( 1 ) मैं बूढ़ी माँ को बता दूँगी कि बकरी चराने वाले या गाय चराने वाले हम लोगों में से कोई भी नहीं आ सकेगा, अगर स्कूल का समय नहीं बदला तो (2) मुझे बाबू की बकरियाँ चरानी होती है सुबह ।

प्रश्न 3. मोड़ना के भाई और पिता के बारे में पाठ में क्या बताया गया है ?

उत्तर- मोइना का भाई जलाऊ लकड़ी लेने जंगल जाता था। उसके पिता काम की तलाश में दूर, जमशेदपुर गये थे।

प्रश्न 4. अगर तुम्हें किसी व्यक्ति को बताना हो कि मोड़ना कैसी लड़की थी तो तुम उसके बारे में क्याबताओगे /बताओगी?

उत्तर- मोइना एक शबर जाति की आदिवासी लड़की थी। वह हर समय सवाल पर सवाल करती थी। वह इतनी जिद्दी थी कि एक बात पकड़ ले तो उससे हटती नहीं थी। वह गाँव के संपन्न लोगों के यहाँ बकरियाँ चराया करती थी। वह अपने को दीन-हीन नहीं समझती थी, ना ही मालिकों का एहसान मानती थी। वह किसी का बचा खुचा खाना पसंद नहीं करती थी। वह साँप का तरीवाला साग बहुत पसंद करती थी। वह स्कूल में पढ़ना चाहती थी ताकि वह अपने सवालों का जवाब ढूँढ सके। जब गाँव में स्कूल खुला तो मोइना पहली लड़की थी जो स्कूल में दाखिल हुई। वह पढ़- लिखकर उसी स्कूल में शिक्षिका बनी।

प्रश्न 5. नीचे लिखे वाक्यों को पाठ के घटनाक्रम अनुसार लिखो।

(क) वह साँप का पीछा कर रही थी।

(ख) गाँव में जब स्कूल खुला तो उसमें दाखिल होने वाली पहली लड़की मोड़ना थी।

(ग) पोस्ट मास्टर ने उसका नाम क्यूँ क्यूँ छोरी रख दिया।

(घ) एक जोड़ी कपड़े और नेवले के साथ आ पहुँची।

उत्तर- पाठ के घटनाक्रम के अनुसार-

(क) वह साँप का पीछा कर रही थी।

(ख) पोस्ट मास्टर ने उसका नाम क्यूँ क्यूँ छोरी रख दिया।

(ग) एक जोड़ी कपड़े और नेवले के साथ आ पहुँची।

(घ) गाँव में जब स्कूल खुला तो उसमें दाखिल होने भवाली पहली लड़की मोइना थी।

प्रश्न 6. नीचे मोइना के द्वारा कहे गये वाक्य उद्धृत ‘हैं। इन वाक्यों से मोड़ना के चरित्र की क्या विशेषताएँ । प्रकट होती हैं?

(क) ”मैं पढ़ना सीखूंगी और सारे सवालों के जवाब खुद ढूंढकर निकालूंगी।”

उत्तर- मोहना आदिवासी लड़की थी। यह पढ़-लिखकर अपने सवालों का जवाब ढूंढना चाहती थी। इससे उसके चरित्र की जिज्ञासु निडर एवं स्वाभिमानी बनने की विशेष प्रगट होती है।

(ख) “तुम पढ़ाओगी नहीं तो मैं सीखूंगी कहाँ से ?”

उत्तर- इस वाक्य से मोड़ना के चरित्र की पढ़ाई के प्रति ललक, एकाग्रचितता और जागरुकता की विशेषताएँ प्रगट होती हैं।

प्रश्न 7. नीचे लिखे प्रश्नों के तीन-तीन उत्तर दिए गए हैं। सही उत्तर चुनकर लिखो।

(क) मोड़ना पड़ना चाहती थी क्योंकि वह पह लिखकर

(1) नौकरी करना चाहती थी,

(2) वह अपने प्रश्नों के उत्तर स्वयं खोजना चाहती थी,

(3) वह आस-पड़ोस की लड़कियों को पढ़ाना चाहती थी।

उत्तर- वह अपने प्रश्नों के उत्तर स्वयं खोजना चाहती थी।

(ख) “क्यूँ उनका बचा खुचा खाऊँ मैं ?” इस सोच से मोइना के चरित्र के किस गुण का पता लगता है ?

1. घमंड, 2. आत्म-सम्मान, 3. क्रोध

उत्तर- आत्म-सम्मान ।

प्रश्न 2. नीचे लिखे कथनों में से जो सही हो उनके सामने और जो गलत हो उसके सामने चिन्ह लगाओ-

(1) मोइना आदिवासी लड़की थी। (√)

(2) मोइना का नेवला बुरे साँपों को मारता है। (x)

(3) शबर जाति के लोग आमतौर पर लड़कियों को काम पर भेजते हैं। (x)

(4) मोइना की माँ खीरी तरी वाली सब्जी नहीं बनाती थी। (x)

(5) मोइना को पता है कि उसकी कहानी लिखी जा रही है। (x)

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