जीवन के दोहे ठाकुर जीवन सिंह कक्षा 5 हिन्दी

जीवन के दोहे ठाकुर जीवन सिंह

धुर्रा- माटी ल घलो, कभू न समझैं नीच ।

पालन-पोसन इहि करय, कमल फुलय इहि कीच ।।

चारी चुगली ल समझ, खजरी, खसरा रोग ।

खजुवावत सुख होत हे पाछू दुख ला भोग ।।

टीका-बाना के धरे, होत न कोनो संत ।

भीतर तो महुरा भरे, बाहिर बने महंत ।।

जउन गाँव जाना नहीं, पूछे के का काम ।

पेड़ गिनाई बिरथ है, फर खाये ले काम ।।

मूँड़ सलामत हे अगर, पागा मिलय पचास ।

हाथ – गोड़ के रहत ले झन कर दूसर आस । ।

बात निकल बात ले, सँवरय बिगड़य बात |

बात-बात दुध-भात हे, बात म जूता लात।।

छोटे-मोटे बात बर, बहस बहुत बेकार

उलझव झन तकरार मा, चुप्पी एमा सार । ।

प्रश्न और अभ्यास

कक्षा ल दू दल में बांट के आपस में सवाल-जवाब के गतिविधि करवाए जाय तेखर पाछू गुरुजी पाठ उपर मुहंखरा प्रश्न पूछय प्रश्न अइसन हो सकत हे.

(क) चारी- चुगली काबर नइ करना चाही?

उत्तर- चारीचुगली करना बने नई होय बाद में दुख भोगे वर पड़ थे।

(ख) छोटे-मोटे तुछ बात बर बहस काबर नई करना चाही ?

उत्तर- छोटे-मोटे तुछ बात बर बहस करे ले तकरार पैदा होथे।

बोध प्रश्न

प्रश्न 1. खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर लिखव

(क) छोटे अउ गरीब मनखे के कायर हिनमान नइ करना चाही ?

उत्तर- छोटे अउ गरीब मनखे के घलो इज्जत होथे जैसे, कमल कीचड़ में उगथे लेकिन ओला भगवान म चढ़ाये जाथे। इही खातिर ओकर हिनमान नइ करना चाही।

(ख) चारी चुगली ल खजरी रोग काबर केहे गे हे?

उत्तर- जैसे मनखे के मुँह ह खजवाथे त ओहा चारी-चुगली करथे उही परकार खजरी रोग में शरीर ह खजुवाथे इही खातिर चारीचुगली ल खजरी रोग केहेंगे है।

(ग) टीका-बाना घर के मनखे ह का बनके देखाना चाहथे।

उत्तर- टीका-बाना घर के मनखे ह संत बनके देखाना, चाहथे । ।

(घ) बहस करे ले बने चुप रहना हे, कावर?

उत्तर- बहस करे ले तकरार ह बढ्थे, इही खातिर चुप रहना चाही।

(ङ) मूड़ सलामत रहे ले का मिलथे?

उत्तर- मूड़ सलामत रहे ले पचास पागा मिलथे।

प्रश्न 3. अधूरा दोहा ल पूरा करव

(क) टीका-बाना के घरे, होत न कोनो संत।

भीतर तो महुरा भरे, बाहिर बने महंत ॥

(ख) जउन गाँव जाना नहीं, पूछे के का काम।।

पेड़ गिनाई विरथ है, फर खाये ले काम

प्रश्न 4. ओ दोहाल, छाँट के लिखव

(क) जेन “म फर खाये ले काम, पेड़ गिने के का काम” हाना प्रयोग होय है।

उत्तर- पेड़ गिनाई बिरथ है, फल खाय ले काम ।।

(ख) जेन म मूड़ अउ पागा के बात है।

उत्तर- मूड सलामत हे अगर, पागा मिलय पचास।

(ग) जेन म बात ले बात संवरे-बिगड़े के बात केहे हे।

उत्तर- बात निकलथे बात ले, सँवरय बिगड़य बात।

(घ) जेन म गरीब अउ अपन ले छोटे पद वाले मनखे के अपमान न करना चाही केहे गे हे।

उत्तर- घुर्रा-माटी ल चलो कभू न समझन नीच

(ङ) जेन म बात म दूध-भात मिल सकथे अउ बात म जूता लात घलो मिल सकथे केहे गेहे।

उत्तर- बात निकलचे बात ले, सेंवरय बिगड़य बात बात-बात दूध-भात है, बात में जूता लात ॥