हमारा छत्तीसगढ़ – श्री लखनलाल गुप्ता कक्षा 8 हिंदी

उच्च गिरि कानन से संयुक्त, भव्य भारत का अनुपम अंश ।

जहाँ था करता शासन सुभग, वीर गर्वित गोंडों का वंश ।।

नर्मदा, महानदी, शिवनाथ आदि सरिताएँ पूत ललाम ।

प्रवाहित होतीं, कलकल नाद, हमारा छत्तिसगढ़ अभिराम ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के पाठ ‘हमारा छत्तीसगढ़ से लिया गया है। इसके कवि श्री लखनलाल गुप्ता जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुन्दरता का वर्णन किया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि ऊँचे-ऊँचे पर्वतों और जंगलों से युक्त हमारा छत्तीसगढ़ विशाल एवं सुन्दर भारत का एक अनुपम भाग है। यहाँ कभी वीर एवं गौरवशाली गोंड वंश के शासक शासन करते थे। छत्तीसगढ़ की धरती पर महानदी, शिवनाथ आदि सुन्दर नदियाँ कल-कल का नाद करती हुई बहती है। सचमुच हमारा छत्तीसगढ़ बड़ा ही सुन्दर है।

रत्नपुर करता गौरव प्रकट, सुयश गाता प्राचीन मलार ।

नित्य उन्नति – अवनति का दृश्य देखता दलहा खड़ा उदार ।।

तीर्थथल राजिम परम पुनीत और शिवरीनारायण धन्य ।

कह रहे महानदी तट सतत, यहाँ की धर्म कथाएँ रम्य ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के पाठ ‘हमारा छत्तीसगढ़ से लिया गया है। इसके कवि श्री लखनलाल गुप्ता जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पर्याश में कवि ने छत्तीसगढ़ के प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों का गौरव गान किया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि छत्तीसगढ़ का रतनपुर नगर यहाँ के प्राचीन गौरव को प्रकट कर रहा है। इसी तरह प्राचीन ऐतिहासिक नगरी मल्हार यहाँ के सुन्दर यश का गान कर रही है। इन प्राचीन नगरों के साथ-साथ दलहा पहाड़ सदा से यहां की उन्नति एवं अवनति का दृश्य देखता हुआ अपने स्थान पर उदारता के साथ खड़ा हुआ है अर्थात् दलहा पहाड़ इसकी उन्नति एवं अवनति का साक्षी है। राजिम एवं शिवरीनारायण यहां के अत्यन्त पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ बहने वाली महानदी के तट जैसे निरन्तर यहाँ की रमणीक धर्म-कथाओं को कह रहे हैं। आशय यह है कि के तट पर अनेक धार्मिक स्थल स्थित है।

प्रकृति का क्रीडास्थल कमनीय, यहाँ है वन संपदा अपार ।

भूमि में भरा हुआ है विपुल, कोयले लोहे का भंडार ।।

यहाँ का है सुंदर साहित्य हुए हैं बड़े-बड़े विद्वान |

कीर्ति है जिनकी व्याप्त विशेष, आज भी हैं पाते सम्मान ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के पाठ ‘हमारा छत्तीसगढ़ से लिया गया है। इसके कवि श्री लखनलाल गुप्ता जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पर्याश में कवि ने छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सम्पदा, यहाँ के साहित्य एवं विद्वानों के यश का गान किया है।

व्याख्या – प्रकृति द्वारा प्रदत्त वन सम्पदा का अपार भण्डार भूमि में भरा हुआ है, उसी प्रकार कोयला, लोहा आदि का अपार भण्डार होने से राज्य प्रकृति का क्रीड़ास्थल प्रतीत होता है। वन सम्पदा की तुलना सुन्दर स्त्री से की है। कवि कहते है कि छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास काफी प्राचीन एवं सुन्दर है। ऐसे बड़े-बड़े विद्वानों का कथन है कि जिनका यश आज भी प्रकृति विशेष में व्याप्त है, जिसके कारण से विद्वान विशेष सम्मान को प्राप्त करते हैं।

कौन कहता यह पिछड़ा हुआ? अग्रसर है उन्नति की ओर ।

कटोरा यही धान का कलित, चाहते सभी कृपादृग कोर ।।

नहीं यह कभी किसी से न्यून अन्न दे करता है उपकार।

उर्वरा इसकी पावन भूमि अन्न उपजाती विविध प्रकार ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के पाठ ‘हमारा छत्तीसगढ़ से लिया गया है। इसके कवि श्री लखनलाल गुप्ता जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने छत्तीसगढ़ की उर्वरा भूमि का यशगान करते हुए बताया है कि सभी इसकी कृपा-दृष्टि चाहते हैं।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि कौन कहता है कि छत्तीसगढ़ पिछड़ा हुआ है। यह निरन्तर उन्नति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। यह धान का सुन्दर कटोरा है अर्थात् यहां बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन होता है। इसीलिए सभी इसकी कृपा-दृष्टि चाहते हैं सभी लोग धान के लिए छत्तीसगढ़ का मुँह ताकते है। हमारा छत्तीसगढ़ किसी से कम नहीं है, किसी प्रान्त से पीछे नहीं है। यह अनाज देकर सबकी भलाई करता है। यहाँ की धरती अत्यन्त उपजाऊ है, इसीलिए यह तरह-तरह के अन्नों को उपजाती है।

ईश से विनय यही करबद्ध, प्रगति पथ पर होवे गतिमान ।

हमारा छत्तीसगढ़ सुख धाम, करें सादर इसका गुणगान।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के पाठ ‘हमारा छत्तीसगढ़ से लिया गया है। इसके कवि श्री लखनलाल गुप्ता जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने छत्तीसगढ़ की प्रगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि ईश्वर से हाथ जोड़कर यही प्रार्थना है कि छत्तीसगढ़ प्रगति के पथ पर सदैव आगे बढ़ता रहे हमारा छत्तीसगढ़ सुखों का धाम है अर्थात् यहां के निवासियों को कोई कष्ट नहीं है। आओ, इसका आदरपूर्वक गुणगान करें।

अभ्यास

पाठ से-

प्रश्न 1. किन-किन नदियों के कलकल नाद से छत्तीसगढ़ अभिराम बनता है ?

उत्तर- महानदी, शिवनाथ तथा इनकी सहायक नदियाँ अरपा खारुन, जॉक, हसदो आदि के कलकल नाद से छत्तीसगढ़ अभिराम बनता है।

प्रश्न 2. कविता के सन्दर्भ में यह राज्य किस प्रकार उन्नति की ओर अग्रसर है ?

उत्तर – कविता के सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य निरन्तर उन्नति के पद पर आगे बढ़ रहा है। यहाँ बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन होता है। जिसके कारण इसे “धान का कटोरा” भी कहा जाता है। इसलिए इसकी कृपा दृष्टि सभी चाहते हैं।

प्रश्न 3. कवि का ईश्वर से करबद्ध विनय क्या और क्यों है?

उत्तर-कवि का ईश्वर से करबद्ध विजय है कि छत्तीसगढ़ प्र के पद पर सदैव आगे बढ़ता रहे। क्योंकि हमारा छत्तीसगढ़ सुखों का धाम है अर्थात् यहाँ के निवासियों को कोई कष्ट नहीं है।

प्रश्न 4. हमारा छत्तीसगढ़ किन-किन सम्पदाओं से परिपूर्ण है ?

उत्तर- हमारे छत्तीसगढ़ में प्रकृति वन सम्पदा का अपार भण्डार भूमि में भरा हुआ है, उसी प्रकार कोयला, लोहा आदि का अपार भण्डार होने से राज्य प्रकृति का क्रीड़ा स्थल प्रतीत होता है, छत्तीसगढ़ इतिहास काफी प्राचीन एवं सुन्दर है।

प्रश्न 5. कविता की पंक्ति ‘कृपादृग कोर’ के द्वारा कवि किन भादों को व्यक्त करना चाहता है ?

उत्तर- कृपादृग कोर के द्वारा कवि ने कविता की पंक्ति में छत्तीसगढ़ बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन करता है। इसलिए सभी इसकी कृपा दृष्टि चाहते हैं। ताकि सभी लोगों को यहाँ से अन्न मिल सके।

प्रश्न 6. भव्य भारत का अनुपम अंश कवि ने किसे और क्यों कहा है?

उत्तर- भव्य भारत का अनुपम अंश कवि ने छत्तीसगढ़ को कहा है, क्योंकि यहाँ के ऊँचे-ऊँचे पर्वतों, जंगलों से युक्त, वन सम्पदा से परिपूर्ण हमारा छत्तीसगढ़ विशाल एवं सुन्दर भारत का एक अनुपम भाग है।

प्रश्न 7. छत्तीसगढ़ की यह भूमि, हम पर किस प्रकार उपकार करती है ?

उत्तर- छत्तीसगढ़ की भूमि में उपजाऊपन की मात्रा अधिक है। अनेक प्रकार के अन्न उपजाने की क्षमता रखती है जो पूरे देश को अन्न प्रदान करती है। इसी प्रकार यह धरती हम पर उपकार करती है।

प्रश्न 8. महानदी का तट क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर- महानदी के तट पर राजिम, शिवरीनारायण, सिरपुर जैसे धार्मिक स्थल स्थित हैं जो निरन्तर धर्म की सुन्दर कथाएँ कहते रहते हैं। इसलिए महानदी का तट प्रसिद्ध है।

प्रश्न 9. कवि ने ईश्वर से क्या प्रार्थना की है ?

उत्तर- कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि हमारा राज्य प्रगति के रास्ते पर लगातार चलता रहे। इसकी उन्नति दिनों-दिन होती रहे। सभी इसके गुणों का निरन्तर गान करें। किसी भी रूप में यह पिछले न पाये।

प्रश्न 10. कवि ने छत्तीसगढ़ को प्रकृति का कमनीय क्रीड़ा स्थल क्यों कहा है ?

उत्तर- छत्तीसगढ़ की धरती पर प्रकृति के सभी रूपों की सुषमा विद्यमान है, इसलिए कवि ने छत्तीसगढ़ को प्रकृति का कमनीय क्रीडा-स्वल कहा है।

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