आतिथ्य – आत्मकथा श्री भदंत आनंद कौशल्यायन कक्षा 8 हिंदी

अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1. लेखक के द्वारा की गई पदयात्रा का कारण क्या था ?

उत्तर- लेखक के द्वारा की गई पदयात्रा का कारण अपने चलने के सामर्थ्य की परीक्षा करना था।

प्रश्न 2. हेडमास्टर जी ने लेखक को अपने घर पर न ठहरने की क्या वजह बताई ?

उत्तर- हेडमास्टर जी ने लेखक को कहा “यहाँ आस-पास कई। चोरियाँ हो गई हैं। हम अपने घर किसी को नहीं ठहरने देते।” यही वजह बताई।

प्रश्न 3. थकावट के दुःख से भी अधिक दर्द या मर्माहत अभि का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का क्या कारण हो सकता है ?

उत्तर – थकावट के दुःख से भी अधिक दर्द या मर्माहत अभिमान का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का कारण है कि-दिनभर पैदल यात्रा के बाद लेखक थके हुए थे उन्हें हेडमास्टर से उम्मीद थी कि वह रात विश्राम करने देंगे किन्तु हेडमास्टर जी ने विश्राम करने की अनुमति नहीं। दी और उन्हें धर्मशाला भेज दिया। लेखक को थकान के कारण जितना दुःख हो रहा था उससे अधिक पीड़ा भीतर के आहत अभिमान की थी।

प्रश्न 4. थके हुए लेखक के मन में हेडमास्टर जी के घर ठहरने को लेकर कौन-कौन सी भावनाएँ उठ रही थीं ?

उत्तर-थके हुए लेखक सोच रहे थे कि आगे के कस्बे में हेडमास्टर जी के घर पहुँचकर यदि मिलेगा तो गरम-गरम पानी से पैर धोऊँगा हो सकता है गरम तेल भी मलने को मिल जाए और कहीं गरम दूध मिल जाए तो क्या कहना।

प्रश्न 5. हेडमास्टर से मिलने से पूर्व और उसके बाद में लेखक के मनोभावों में क्या परिवर्तन हुआ?

उत्तर- हेडमास्टर से मिलने से पूर्व लेखक ने सुन रखा था 12 हेडमास्टर भले आदमी हैं। वे अपने घर में एक रात रुकने की अनुमति दे किन्तु आशा के विपरीत हेडमास्टर ने उन्हें अपने घर ठहरने की अनुमति नहीं दी। अतः लेखक को अपनी थकावट की पीड़ा अधिक दर्द का अहसास हुआ। से भी

प्रश्न 6. परिचय-पत्र देकर हेडमास्टर के विचारों में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ होगा? सोचकर लिखिये।

उत्तर- हेडमास्टर पहले लेखक को चोर समझ रहे थे और उनकी बातों पर विश्वास नहीं कर रहे थे किन्तु परिचय-पत्र देखकर उनके विचारों में परिवर्तन हुआ होगा। हेडमास्टर जान गये होंगे कि लेखक कोई बुरा आदमी न होकर एक शिक्षित एवं जिज्ञासु यात्री है

प्रश्न 7. लेखक चोर नहीं था, इस बात का विश्वास दिलाने के लिए उसने क्या किया ?

उत्तर-लेखक चोर नहीं था, इस बात का विश्वास दिलाने के लिए उसने अपना परिचय पत्र दिखाया।

प्रश्न 8. लेखक के अनुसार जीवन के पथ पर अकेले चलना क्यों कठिन है?

उत्तर-जैसे सड़क पर चलने के लिये नियमों का पालन करना पड़ता है वैसे ही हमें जीवन पथ पर सफलतापूर्वक चलने के लिये महापुरुषों के बताये गये वचनों को अपनाकर उनका अनुसरण करना चाहिए, इससे हमारा जीवन रूपी सफर सरल हो जाता है।

प्रश्न 9. गहरी सहानुभूति दिखाने वाले की आज्ञा का उल्लंघन आसान नही होता, “इस पंक्ति के द्वारा लेखक अपने दुखिया भिक्षुक मित्र के किन भावों को बताना चाहता है ?

उत्तर- लेखक ने भिक्षुक मित्र के पास बैठकर अपने ऊपर घटित किस्सा सुनाया भिक्षुक सहानुभूति के साथ घटित किस्से को सुना। अंधे भिखारी ने अपने हाथों से लेखक के दर्द भरे पैरों को टटोला और नीचे से ऊपर तक कसकर बाँध दिया। उसने कहा, “अब थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहो। लेखक भिक्षुक के गहरी सहानुभूति दिखाने वाले आज्ञा को कैसे ठुकरा सकता था और वह मूर्तियत् बैठा रहा। लेखक दुखिया मित्र के सहानुभूति भरे भाव को बताना चाहता है।

प्रश्न 10. “उन्हें क्या मालूम कि जो उनके लिए अँधेर है, वह मेरे लिए महाअँधेर है।” लेखक ने महाअंधेर किसे कहा है ?

उत्तर- लेखक धर्मशाला की खोज में भटक गया लोग लेखक को चोर समझने लगे। लोग कहते, देखिए न अंधेर है, अभी-अभी निकला था, फिर इतनी जल्दी हिम्मत की है, उन्हें मालूम नहीं था कि जो उनके लिए अँधेर है वह लेखक के लिए महाअँधेर है। विपत्ति पड़ने पर कहते हैं मति मारी जाती है। महाअँधेर का अर्थ है कि लोग लेखक को चोर समझकर पुलिस को बुलाना चाहते थे।

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