[HIND03] वाक्य के भाग

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही है।

वाक्य के भाग

वाक्य के दो भेद होते है-
(1)उद्देश्य (Subject)
(2)विद्येय (Predicate)

उद्देश्य

वाक्य का वह भाग है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।

जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।
इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं।
जैसे- 1. संज्ञा- मोहन गेंद खेलता है।
2. सर्वनाम- वह घर जाता है।
3. विशेषण- बुद्धिमान सदा सच बोलते हैं।
4. क्रिया-विशेषण- पीछे मत देखो।
5. क्रियार्थक संज्ञा- तैरना एक अच्छा व्यायाम है।
6. वाक्यांश- भाग्य के भरोसे बैठे रहना कायरों का काम है।
7. कृदन्त- लकड़हारा लकड़ी बेचता है।

विद्येय

 उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विद्येय कहते है। जैसे- पूनम किताब पढ़ती है।
इस वाक्य में ‘किताब पढ़ती’ है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।

विशेष-आज्ञासूचक वाक्यों में विद्येय तो होता है किन्तु उद्देश्य छिपा होता है। जैसे- वहाँ जाओ। खड़े हो जाओ।

विधेय के भाग-
विधेय के छः भाग होते है-
(i) क्रिया-वह हाथ में ‘गेंद लिए’ जाता है।
(ii) क्रिया के विशेषण-मोहन ‘धीरे-धीरे’ पढ़ता है
(iii) कर्म- वह ‘रामायण’ पढ़ता है।
(iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
(v) पूरक
(vi)पूरक के विशेषण।

पूरक के रूप में आनेवाला शब्द संज्ञा, विशेषण, सम्बन्धवाचक तथा क्रिया-विशेषण होता हैं।
जैसे- 1. संज्ञा : मेरा बड़ा भाई ‘दुकानदार’ है।
2. विशेषण : वह आदमी ‘सुस्त’ है।
3. सम्बन्धवाचक : ये पाँच सौ रुपये ‘तुम्हारे’ हुए।
4. ‘क्रिया-विशेषण’ : आप ‘कहाँ’ थे।