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Tag: पूर्ण संख्या पर संक्रियायें( Whole number )

  • [WHOLN08] पूर्ण संख्या के भाग संक्रिया और भागफल की जाँच

    भाग का अर्थ है किसी संख्या को दूसरी संख्या से इस प्रकार विभाजित करना कि यह पता चले कि पहली संख्या में दूसरी संख्या कितनी बार समाहित हो सकती है।

    उदाहरण: 12÷3=4
    यह बताता है कि 12 में 3 , चार बार समाहित होता है।

    पूर्ण संख्याओं में भाग की विशेषताएँ:

    1. शून्य का भाग (Division of Zero):
      • यदि शून्य को किसी गैर-शून्य संख्या से विभाजित किया जाए, तो परिणाम हमेशा 0 होता है।
      • उदाहरण: 0÷5=0
    2. शून्य से भाग (Division by Zero):
      • किसी भी संख्या को 0 से विभाजित करना अपरिभाषित (Undefined) होता है।
      • उदाहरण: 5÷0 अपरिभाषित है।
    3. स्वयं से भाग (Division by Itself):
      • किसी भी संख्या को उसी संख्या से विभाजित करने पर परिणाम 1 होता है।
      • उदाहरण: 7÷7=1
    4. 1 से भाग (Division by One):
      • किसी भी संख्या को 1 से विभाजित करने पर परिणाम वही संख्या होती है।
      • उदाहरण: 9÷1=9
    5. भागफल पूर्ण संख्या नहीं हो सकता (Quotient May Not Be a Whole Number):
      • यदि विभाज्य (Dividend) विभाजक (Divisor) से पूरी तरह विभाजित नहीं होता, तो भागफल पूर्ण संख्या नहीं होगा।
      • उदाहरण: 7÷2=3 शेषफल 1 (यह पूर्ण संख्या नहीं है)।

    भाग की प्रक्रिया (Steps for Division):

    1. विभाज्य (Dividend): वह संख्या जिसे विभाजित किया जा रहा है।
    2. विभाजक (Divisor): वह संख्या जिससे विभाजन किया जा रहा है।
    3. भागफल (Quotient): विभाजन का परिणाम।
    4. शेषफल (Remainder): बची हुई संख्या जो विभाजित नहीं हो सकी।

    उदाहरण:
    13÷4

    • 13 = विभाज्य
    • 4 = विभाजक
    • भागफल = 3
    • शेषफल = 1

    उदाहरण:

    उदाहरण 1:

    15÷3=5
    यह बताता है कि 15 में 3, पाँच बार समाहित होता है।

    उदाहरण 2:

    20÷4=5
    यह बताता है कि 20 में 4, पाँच बार समाहित होता है।

    उदाहरण 3:

    10÷0
    यह अपरिभाषित है।

    उदाहरण 4:

    0÷6=0
    क्योंकि शून्य को किसी भी संख्या से विभाजित करने पर परिणाम 000 होता है।


    भाग से जुड़े प्रश्न:

    प्रश्न 1:

    24÷6 का मान ज्ञात करें।
    उत्तर: 24÷6=4

    प्रश्न 2:

    35÷5 का मान ज्ञात करें।
    उत्तर: 35÷5=7

    प्रश्न 3:

    18÷4 का भागफल और शेषफल ज्ञात करें।
    उत्तर:

    • भागफल = 4
    • शेषफल = 2

    भागफल की जाँच (Verification of Division):

    भागफल की जाँच करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभाजन सही तरीके से किया गया है या नहीं। इसे विभाजन का सत्यापन भी कहा जाता है।


    विभाजन का सूत्र (Division Formula):

    विभाजन के लिए उपयोग किया जाने वाला मुख्य सूत्र है:विभाज्य=(विभाजक×भागफल)+शेषफल


    चरणबद्ध प्रक्रिया (Step-by-Step Process):

    1. विभाजन का परिणाम प्राप्त करें:
      • भागफल और शेषफल निकालें।
    2. सूत्र का उपयोग करें:
      • विभाजक और भागफल को गुणा करें।
      • प्राप्त परिणाम में शेषफल जोड़ें।
    3. विभाज्य से तुलना करें:
      • यदि अंतिम परिणाम विभाज्य के बराबर है, तो विभाजन सही है।
      • यदि परिणाम विभाज्य से मेल नहीं खाता, तो विभाजन में त्रुटि है।

    उदाहरण:

    मान लें:विभाज्य=25, विभाजक=4, भागफल=6, शेषफल=1

    जाँच करें:विभाज्य=(विभाजक×भागफल)+शेषफल

    25=(4×6)+1

    25 = 24 + 1

    25=25(सत्य)

    निष्कर्ष: विभाजन सही है।


    उदाहरण (त्रुटि की जाँच):

    मान लें:विभाज्य=50, विभाजक=6, भागफल=8, शेषफल=3

    जाँच करें:विभाज्य=(विभाजक×भागफल)+शेषफल

    50=(6×8)+3

    50 = 48 + 3

    50≠51 (त्रुटि

    निष्कर्ष: विभाजन गलत है। सही भागफल और शेषफल निकालें।

  • [WHOLN07] पूर्ण संख्या के गुणन संक्रिया (Multiplication)

    गुणन का अर्थ है एक संख्या को दूसरी संख्या के साथ कई बार जोड़ने के बराबर।
    उदाहरण: 3×4 का अर्थ है 3+3+3+3=12


    पूर्ण संख्याओं के गुणन की विशेषताएँ:

    1. किसी भी संख्या का शून्य से गुणा (Multiplication by Zero):
      • किसी भी संख्या का शून्य से गुणा करने पर परिणाम हमेशा 0 होता है।
      • उदाहरण: 5×0=0
    2. किसी भी संख्या का 1 से गुणा (Multiplication by One):
      • किसी भी संख्या का 1 से गुणा करने पर परिणाम वही संख्या होती है।
      • उदाहरण: 7×1=7
    3. क्रमविनिमय गुण (Commutative Property):
      • पूर्ण संख्याओं के गुणन में संख्याओं के क्रम को बदलने पर परिणाम नहीं बदलता।
      • उदाहरण: 4×3=3×4=12
    4. संचय गुण (Associative Property):
      • यदि तीन या अधिक पूर्ण संख्याओं का गुणन किया जाए, तो उन्हें किसी भी क्रम में समूहित किया जा सकता है।
      • उदाहरण: (2×3)×4=2×(3×4)=24
    5. वितरण गुण (Distributive Property):
      • गुणा जोड़ने या घटाने पर वितरित होता है।
      • उदाहरण: 2×(3+4)=(2×3)+(2×4)=6+8=14

    उदाहरण:

    उदाहरण 1:

    5×3=15
    यह 5 का 3 बार जोड़ने के बराबर है: 5+5+5=15

    उदाहरण 2:

    7×0=0
    क्योंकि किसी भी संख्या का शून्य से गुणा 0 होता है।

    उदाहरण 3:

    8×1=8
    क्योंकि किसी भी संख्या का 1 से गुणा वही संख्या होती है।

    उदाहरण 4:

    4×(2+3)=(4×2)+(4×3)=8+12=20


    गुणन से जुड़े प्रश्न:

    प्रश्न 1:

    6×4 का मान ज्ञात करें।
    उत्तर: 6×4=24

    प्रश्न 2:

    0×25 का मान क्या होगा?
    उत्तर: 0×25=0

    प्रश्न 3:

    10×(5+2) का मान ज्ञात करें।
    उत्तर: 10×(5+2)=(10×5)+(10×2)=50+20=70

  • [WHOLN06] पूर्ण संख्याओं के बीच का अंतर (Subtraction)

    पूर्ण संख्याओं के बीच का अंतर उन संख्याओं को घटाकर (Subtraction) प्राप्त किया जाता है।
    अंतर = बड़ी संख्या – छोटी संख्या


    विशेषताएँ:

    1. अंतर हमेशा एक पूर्ण संख्या होता है।
    2. यदि दोनों पूर्ण संख्याएँ समान हैं, तो उनका अंतर शून्य (0) होता है।
    3. पूर्ण संख्याओं का अंतर ऋणात्मक नहीं होता जब बड़ी संख्या से छोटी संख्या घटाई जाती है।

    उदाहरण:

    उदाहरण 1:

    दो पूर्ण संख्याएँ 15 और 8 हैं।
    अंतर = 15−8=7

    उदाहरण 2:

    दो पूर्ण संख्याएँ 20 और 20 हैं।
    अंतर = 20−20=0

    उदाहरण 3:

    दो पूर्ण संख्याएँ 50 और 25 हैं।
    अंतर = 50−25=25

    पूर्ण संख्याओं के अंतर से संबंधित कुछ प्रश्न:

    प्रश्न 1:

    100 और 45 के बीच का अंतर ज्ञात करें।
    उत्तर: 100−45=55

    प्रश्न 2:

    यदि एक संख्या 75 है और दूसरी संख्या 50 है, तो उनका अंतर क्या होगा?
    उत्तर: 75−50=25

    प्रश्न 3:

    0 और 36 के बीच का अंतर क्या है?
    उत्तर: 36−0=36

  • [WHOLN01] पूर्ण संख्या : पूर्ण संख्याओं के गुण (Whole Number)

    पूर्ण संख्या : पूर्ण संख्याओं पर संक्रियाएँ (Whole Number)

    प्राकृतिक संख्याओं (1, 2, 3, 4, ……) में शून्य (0) को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, पूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं। पूर्ण संख्याओं को W से प्रदर्शित करते हैं। या फिर इसे इस तरह से भी परिभाषित किया जा सकता हैं “शून्य ‘0’ से लेकर अनंत तक की संख्याओं को पूर्ण संख्याएँ कहते हैं।” उदाहरण: 0, 1, 2, 3, 4, ……। ∞ आदि

    स्मरणीय बिंदु:

    • शून्य (0) सबसे छोटी एवं पहली पूर्ण संख्या है।
    • सभी प्राकृतिक संख्याएँ पूर्ण-संख्याएँ हैं।
    • चूंकि प्रत्येक पूर्ण संख्या से बड़ी पूर्ण संख्याएँ होती हैं अतः कोई भी पूर्ण संख्या सबसे बड़ी पूर्ण संख्या नहीं होती है।

    पूर्ण संख्याओं के गुण

    • प्राकृत संख्या के सभी गुण पूर्ण संख्याओं के लिए भी सही हैं।
    • सबसे छोटी पूर्ण संख्या 0 है।
    • संख्या रेखा पर 0 से दाहिने ओर क्रमशः पूर्ण संख्या बढ़ते क्रम में दिखायी गयी है। अर्थात् 0+1 = 1,1+1 =2, … , 101 + 1 = 102, 102 + 1 = 103, 103 + 1 = 104, … , इत्यादि।
    • संख्या रेखा पर दाहिने ओर से बाँए ओर का क्रम घटते क्रम में है, जैसे ….. 4,3,2,1,0
    • सबसे बड़ी पूर्ण संख्या नहीं दिखाई जा सकती। क्योंकि यदि आप कोई बड़ी से बड़ी संख्या सोचते हैं तो उसमें एक जोड़ कर उसकी अगली बड़ी संख्या प्राप्त की जा सकती है। जो उस संख्या की परवर्ती संख्या होगी।

    योग का संवरक गुण: 

    जब किसी दो पूर्ण संख्याओं का आपस में जोड़ा जाता हैं तो प्राप्त योगफल सदैव पूर्ण संख्या होता है, यह पूर्ण संख्याओं के योग का संवरक प्रगुण है।

    उदाहरणार्थ:-11 + 9 = 20 इन दोनों संख्याओं का योग 20 एक पूर्ण संख्या है।

    योग का क्रम-विनिमेय गुण: 

    जब किसी दो पूर्ण संख्याओं को जोड़ा जाता हैं तो उनके योगफल पर संख्याओं के क्रम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, इसे ही योग का क्रम-विनिमेय प्रगुण है।

    उदाहरणार्थ: 14 + 33 = 47
    33 + 14 = 4

    योग का तत्समक अवयव: 

    किसी पूर्ण संख्या में यदि शून्य को जोड़ा जाता है तो योगफल वही संख्या प्राप्त होती है। इसी कारण शून्य को पूर्ण संख्याओं में योग का तत्समक अवयव कहते हैं।

    शून्य को पूर्ण संख्याओं के लिए योज्य तत्समक भी कहते हैं।
    उदाहरणार्थ: 3 + 0 = 0 + 3 = 3

    योग का साहचर्य गुण: 

    तीन पूर्ण संख्याओं को क्रम में जोड़ते समय किन्हीं दो पूर्ण संख्याओं का समूह पहले बना लेने से योगफल में अंतर नहीं पड़ता है, यह योग संक्रिया का साहचर्य प्रगुण है।

    उदाहरणार्थ: (11+33) +102 = 11+ (33+102) = 11+33+102

    पूर्ण संख्याएँ एवं पूर्ण संख्याओं पर संक्रियाएँ

    रहीम के पास 100 पेज की एक कॉपी है जिसमें उसने 80 पेज पर गणित तथा 20 पेज पर विज्ञान का कार्य किया है। उसकी इस कॉपी में कितने पेज शेष बचे?

    50 की पूर्ववर्ती संख्या 49 है 17 की पूर्ववर्ती संख्या 16 है। क्या शून्य की भी पूर्ववर्ती संख्या होगी?

    रामू की माँ ने रामू को 5 लड्डू दिए। रामू ने 2 लड्डू मोहन को खिला दिये और 3 रामू ने खा लिये। अब रामू के पास कितने लड्डू बचे?

  • [WHOLN02] प्राकृत संख्याएँ : प्राकृत संख्याओं के गुण (Natural Number)

    [WHOLN02] प्राकृत संख्याएँ : प्राकृत संख्याओं के गुण (Natural Number)

    प्राकृत संख्याएँ (Natural Number)

    गणना करते समय 10 संकेतों 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 का उपयोग किया जाता है तथा गणना का कार्य 1 से प्रारंभ होता है। इन्हीं अंकों को मिलाकर प्राकृत संख्याएँ लिखी जाती हैं। गणना के लिए जिन संख्याओं का उपयोग किया जाता है उन्हें प्राकृत संख्या(Natural Number) कहते हैं।
    प्राकृत संख्याओं के समूह को N से दर्शाते हैं।
    अर्थात् प्राकृत संख्या (N) = 1,2,3, …. आदि।

    सबसे छोटी प्राकृत संख्या 1 है।

    प्राकृतिक संख्याओं का फार्मूला

    • प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2
    • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्या का योग = (n/2+1)
    • प्रथम n प्राकृतिक सम संख्याओं का औसत = n+1
    • प्रथम n प्राकृतिक विषम संख्याओं का औसत = n
    • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2

    सबसे बड़ी प्राकृत संख्या कौन-सी है?

    प्राकृत संख्या 1 से अनंत तक होती है जिसमे सबसे छोटी संख्या ज्ञात करना संभव है किंतु बड़ी संख्या मुस्किल है. यदि कोई संख्या दिया हो, तो बड़ी संख्या ज्ञात किया जा सकता है. अतः सबसे बड़ी प्राकृत संख्या स्व अनंत होता है.

    सबसे छोटी प्राकृतिक संख्या कौन सी है?

    प्राकृत संख्या 0 से बड़ी और 1 से शुरू होती है. अर्थात, सबसे छोटी प्राकृत संख्या 1 होता है.

    0 सबसे छोटी प्राकृत संख्या है?

    वास्तव में, 0 से छोटी कोई संख्या नही होती है. क्योंकि, प्राकृत संख्या तो 1 से शुरू ही होती है.

    क्या सभी प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या है?

     0 से अनंत तक की सभी प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती है. अर्थात, सभी धनात्मक प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्या होती है.

    क्या कोई ऐसी पूर्ण संख्या है जो प्राकृतिक संख्या नहीं है?

    हाँ, 0 एक ऐसी पूर्ण संख्या है जो प्राकृतिक संख्या नही है. क्योंकि, प्राकृत संख्या 1 से शुरू होती है.

    प्राकृत संख्याओं के गुण (Properties of Natural numbers)

    • दो प्राकृत संख्याओं का आपस में योग करने से या गुणा करने पर प्राकृत संख्या ही प्राप्त होती है।
    • दो प्राकृत संख्याओं का आपस में व्यवकलन (घटाना) या भाग करने से सदैव प्राकृत संख्या प्राप्त नही होती है।
    • दो प्राकृत संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ सकते हैं। दो प्राकृत संख्याओं को किसी भी क्रम में गुणा कर सकते हैं। अर्थात प्राकृत संख्याओं के लिए क्रमविनिमय का नियम योग व गुणन संक्रिया में लागू होता है जबकि घटाने एवं भाग संक्रिया पर लागू नही होता।
    • प्राकृत संख्याओं के लिए साहचार्य नियम योग एवं गुणा संक्रिया में लागू होता है जबकि घटाने एवं भाग संक्रिया में लागू नहीं होता।
    • प्राकृत संख्याओं के लिए गुणा का योग व अन्तर पर बंटन (वितरण) होता है।
    • किसी प्राकृत संख्या मे एक से गुणा या भाग करने पर संख्या का मान नही बदलता।
    • इस प्रकार a,b,c तीन प्राकृत संख्याओं के लिए
      • (a+b) एक प्राकृत संख्या है।
      • (axb) एक प्राकृत संख्या है।
      • a-b सदैव एक प्राकृत संख्या हो आवश्यक नही है।
      • a+b सदैव एक प्राकृत संख्या हो, जरूरी नही है।

    Questions

    41600 तथा 41006 में कौन सी संख्या बड़ी है?

    1 से 100 के बीच की संख्याएँ लिखने के लिए कितने बार 9 का प्रयोग करना पड़ता है?

    चार अंकों की सबसे बड़ी प्राकृत संख्या तथा तीन अंकों की सबसे छोटी प्राकृत संख्या के बीच का अंतर निकालिए ?

  • [MCQ01] प्राकृत व पूर्ण संख्याएँ: (Natural Number and Whole Number MCQ)

    [MCQ01] प्राकृत व पूर्ण संख्याएँ: (Natural Number and Whole Number MCQ)

    प्राकृत संख्या व पूर्ण संख्याएँ (Natural Number and Whole Number MCQ)

    यहाँ प्राकृत संख्याओं (Natural Numbers) और पूर्ण संख्याओं (Whole Numbers) से संबंधित कुछ MCQs दिए गए हैं:

    MCQ:

    निम्नलिखित में से कौन-सी प्राकृत संख्याओं का सेट है?

    • a) {0, 1, 2, 3, 4, 5}
    • b) {1, 2, 3, 4, 5}
    • c) {−1, 0, 1, 2, 3}
    • d) {0, −1, −2, −3, −4}

    उत्तर: b) {1, 2, 3, 4, 5}

    निम्नलिखित में से पूर्ण संख्याओं का समूह कौन-सा है?

    • a) {0, 1, 2, 3, 4}
    • b) {1, 2, 3, 4, 5}
    • c) {−1, −2, 1, 2, 3}
    • d) {−1, 0, 1, 2, 3}

    उत्तर: a) {0, 1, 2, 3, 4}

    प्राकृत संख्याओं का सबसे छोटा मान कौन-सा है?

    • a) 0
    • b) 1
    • c) −1
    • d) 2

    उत्तर: b) 1

    पूर्ण संख्याओं का सबसे छोटा मान कौन-सा है?

    • a) 0
    • b) 1
    • c) −1
    • d) 2

    उत्तर: a) 0

    निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

    • a) सभी प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ होती हैं।
    • b) सभी पूर्ण संख्याएँ प्राकृत संख्याएँ होती हैं।
    • c) 0 एक प्राकृत संख्या है।
    • d) −1 एक पूर्ण संख्या है।

    उत्तर: a) सभी प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ होती हैं।

    कौन-सा विकल्प केवल पूर्ण संख्याएँ दर्शाता है?

    • a) {1, 2, 3, 4, 5}
    • b) {0, 1, 2, 3, 4}
    • c) {−1, 0, 1, 2, 3}
    • d) {1, −2, 3, −4, 5}

    उत्तर: b) {0, 1, 2, 3, 4}

    निम्नलिखित में से कौन-सा संख्या समूह प्राकृत संख्याओं का नहीं है?

    • a) {1, 2, 3, 4, 5}
    • b) {0, 1, 2, 3, 4}
    • c) {2, 3, 4, 5, 6}
    • d) {1, 3, 5, 7}

    उत्तर: b) {0, 1, 2, 3, 4}

    निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

    • a) 0 प्राकृत संख्या है।
    • b) 0 पूर्ण संख्या है।
    • c) −1 पूर्ण संख्या है।
    • d) 0 और −1 दोनों प्राकृत संख्याएँ हैं।

    उत्तर: b) 0 पूर्ण संख्या है।

    संख्या 1 किसके अंतर्गत आती है?

    • a) केवल प्राकृत संख्याएँ
    • b) केवल पूर्ण संख्याएँ
    • c) प्राकृत और पूर्ण दोनों संख्याएँ
    • d) इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: c) प्राकृत और पूर्ण दोनों संख्याएँ

  • [WHOLN03] पूर्णांक संख्या और संख्या रेखा / Integers and Number Lines

    [WHOLN03] पूर्णांक संख्या और संख्या रेखा / Integers and Number Lines

    पूर्णांक संख्या और संख्या रेखा /Integers and Number Lines

    पूर्णांक संख्या के प्रकार

    पूर्णांक संख्याएँ तीन प्रकार की होती हैं।

    1. धनात्मक पूर्णांक

    एक से लेकर अनंत तक की सभी धनात्मक संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक कहलाती हैं।

    कोई भी पूर्णांक संख्या जिसके आगे धनात्मक या ऋणात्मक का कोई चिन्ह नहीं लगा हो ऐसी संख्याएँ पूर्णांक संख्याएँ कहलाती हैं।

    उदाहरण :- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, …………. ∞

    ये सभी संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक के अंतर्गत आती हैं।

    धनात्मक संख्याएँ पूर्णांक संख्या रेखा पर शून्य के दायीं और स्थित होती हैं अतः ये संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक के अंतर्गत आएगी।

    2. ऋणात्मक पूर्णांक

    1 से लेकर अनंत तक कि सभी ऋणात्मक संख्याएँ ऋणात्मक पूर्णांक कहलाती हैं।

    • ऋणात्मक पूर्णांक संख्यायों के आगे ऋणात्मक चिन्ह लगा होता है।
    • ऋणात्मक संख्याएँ संख्या रेखा पर शून्य के बायीं और स्थित होती हैं।
    • जो संख्याएँ शून्य से छोटी होती है वे ऋणात्मक पूर्णांक कहलाती हैं।

    उदाहरण :- -1, -2, -3, -4, -5, -6, -7, -8, -9 ……..……∞

    ये सभी संख्याएँ ऋणात्मक पूर्णांक के अंतर्गत आती हैं।

    3. उदासीन पूर्णांक

    ऐसा पूर्णांक जो न तो कोई धनात्मक पूर्णांक है और न ही ऋणात्मक पूर्णांक है। उदासीन पूर्णांक कहलाता हैं यह शून्य पूर्णांकों के अंतर्गत आता हैं।

    उदाहरण :-  0

    पूर्णांक संख्या के महत्वपूर्ण तथ्य

    • संख्या 0, 1, -1, 2, -2, 3, -3, ……….…….∞ पूर्णांक संख्या कहलाती हैं।
    • संख्या +1, +2, +3, +4, ……………∞ धनात्मक पूर्णांक कहलाती हैं।
    • संख्या -1, -2, – 3, – 4, ……………….∞ पूर्णांक कहलाती हैं।
    • संख्या 0, + 1, + 2, + 3, + 4, ऋणेत्तर पूर्णांक कहलाते हैं।
    • सभी धनात्मक पूर्णांक संख्या रेखा पर 0 के दायीं ओर तथा सभी ऋणात्मक पूर्णांक संख्या रेखा पर 0 के बायीं ओर स्थित होते हैं।
    • ऋणेत्तर पूर्णांक पूर्ण संख्या ही कहलाती हैं।
    • दो पूर्णांक जिनका योग शून्य हो एक-दूसरे के योज्य प्रतिलोम कहलाते हैं। ये एक दूसरे के ऋणात्मक भी कहलाते हैं।

    पूर्णांकों का जोड़ना, घटाना, गुणा एवं भाग

    दो पूर्णांकों के योग का नियम

    • (-) + (-) = (+)
    • (+) + (+) = (+)
    • (-) + (+) = (-)
    • (+) + (-) = (-)

    समान चिन्ह वाले पूर्णांक का जोड़ :-

    पूर्णांक का जोड़

    विभिन्न चिन्ह वाले पूर्णांकों का जोड़ :-

    पूर्णांकों का जोड़

    दो पूर्णांकों को घटाने के नियम

    • (-) – (-) = (-)
    • (+) – (+) = (-)
    • (-) – (+) = (+)
    • (+) – (-) = (+)

    समान चिन्ह वाले पूर्णांकों को घटाना :-

    पूर्णांकों को घटाना

    विभिन्न चिन्ह वाले पूर्णांकों को घटाना :-

    पूर्णांकों को घटाना

    दो पूर्णांकों के गुणनफल का नियम

    • (-) × (-) = (+)
    • (+) × (+) = (+)
    • (-) × (+) = (-)
    • (+) × (-) = (-)
     पूर्णांकों के गुणनफल

    दो पूर्णांकों के विभाजन के नियम

    • (-) ÷ (-) = (+)
    • (+) ÷ (+) = (+)
    • (-) ÷ (+) = (-)
    • (+) ÷ (-) = (-)

    शून्य के दाँईं ओर प्राकृत संख्याएँ हैं और बाँयी ओर ऋणात्मक संख्याएँ। धनात्मक संख्याएँ, ऋणात्मक संख्याएँ तथा शून्य को मिलाकर पूर्णांक बनते हैं। (I) = { … …………..- 3,-2,1,0,1,2,3,4,5 ………… } आदि।

    जिस प्रकार सबसे बड़ी पूर्ण संख्या नहीं है उसी प्रकार सबसे बड़ी पूर्णांक भी नहीं है। क्या आप सबसे छोटी पूर्णांक सोच सकते हैं ?

    विभाजन के नियम
    • धनात्मक पूर्णांकों का योगफल सदैव धनात्मक पूर्णांक तथा दो ऋणात्मक पूर्णांकों का योगफल सदैव ऋणात्मक पूर्णांक होता है।
    • एक धनात्मक एवं एक ऋणात्मक पूर्णांक का योगफल धनात्मक पूर्णांक होगा यदि धनात्मक पूर्णांक का आंकिक मान अधिक हो तथा योगफल ऋणात्मक होगा यदि ऋणात्मक पूर्णांक का आंकिक मान अधिक हो।
    • पूर्णांकों को जोड़ने में उन सभी गुणों का पालन होता है। जिनका पूर्ण संख्याएँ पालन करती है। दो पूर्णांकों का योग एक पूर्णांक ही होगा।
    • सभी पूर्णांकों के योग में क्रम विनिमय नियम लागू होता है।
    • दो पूर्णांकों का योग हमेशा एक पूर्णांक संख्या होती है, यही पूर्णांकों के योग के लिए संवरक नियम है।
    • पूर्णांकों में शून्य जोड़ने पर उनके मान में कोई परिवर्तन नहीं आता है।

    योज्य प्रतिलोम / योज्य तत्समक

    5 में क्या जोड़े कि शून्य प्राप्त हो?
    अर्थात् 5+ (-5) = 0 (योज्य तत्समक)
    इसी प्रकार (-7) में क्या जोड़े कि शून्य प्राप्त हो?
    अर्थात् (-7) + (+7) =0 (योज्य तत्समक)
    यहाँ (-5) योज्य प्रतिलोम है 5 का तथा + 7 योज्य प्रतिलोम है (-7) का।
    अतः किसी संख्या का योज्य प्रतिलोम वह संख्या है जिसे उस संख्या के साथ जोड़ने पर योज्य तत्समक (शून्य) प्राप्त होता है।
    संख्या + संख्या का योज्य प्रतिलोम = योज्य तत्समक

    पूर्णांक संख्या से संबंधित प्रश्न उत्तर

    Q.1 पूर्णांकों के युग्मों के योग ज्ञात कीजिए?

    (1). -6, – 2
    (a). 10
    (b). -10
    (c). 4
    (d). -4

    हल:- -6 और – 4 दोनों के चिन्ह ऋण हैं।
    अतः -6 + (-4) = -(6 + 4)
    Ans. -10

    (2). +8, – 2
    (a). 10
    (b). -10
    (c). 6
    (d). -6

    हल:- +8 और -2 के चिन्ह विपरीत हैं।
    अतः +8 + (-2) = 8 – 2
    Ans. 6

    Q.2 घटाइए?

    (1). -5 में से 3
    (a). 2
    (b). -2
    (c). 8
    (d). -8

    हल:- 3 का योज्य प्रतिलोम = – 3 हैं।
    अतः -5 – 3 = -5 + (-3)
    = – (5 + 3)
    = – 8

    (2). -8 में से -2
    (a). 6
    (b). -6
    (c). 10
    (d). -10

    हल:- -2 का योज्य प्रतिलोम = 2 हैं।
    अतः -8 – (-2) = -8 + (+2)
    = – 8 + 2
    = – 6

    Q.3 -9 और -2 के बीच में कितने पूर्णांक हैं?

    (a). 6
    (b). 8
    (c). 4
    (d). 10

    हल:- -9 और – 2 के बीच पूर्णांक -8, -7, -6, -5, -4, और -3 हैं।
    अतः -9 और -2 के बीच 6 पूर्णांक हैं।

    Q.4 परिकलित कीजिए?

    1 – 2 + 3 – 4 + 5 – 6 + 7 – 8 + 9 – 10
    (a). -2
    (b). -3
    (c). -5
    (d). 5

    हल:- 1 – 2 + 3 – 4 + 5 – 6 + 7 – 8 + 9 – 10
    = (1 + 3 + 5 + 7 + 9) – (2 + 4 + 6 + 8 + 1 + 0)
    = 25 – 30
    = – 5

    Q.5 दो पूर्णांकों का योग 56 हैं। यदि इनमें से एक पूर्णांक – 32 हैं। तो दूसरा पूर्णांक ज्ञात कीजिए?

    (a). 55
    (b). 66
    (c). 77
    (d). 88

    हल:- प्रश्नानुसार,
    दोनों पूर्णांकों का योग 56 हैं। इसलिए दूसरा पूर्णांक 56 में से (-32) घटाने पर प्राप्त होगा।
    = 56 – (-32)
    = 56 + 32
    = 88

    Q.6 अंक 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 को इसी क्रम में लिखिए तथा इनके बीच में ‘+’ या ‘-‘ इस तरह रखिए कि 5 प्राप्त हों?

    (a). 3
    (b). 5
    (c). 7
    (d). 9

    हल:- 0 + 1- 2 + 3 – 4 + 5 – 6 + 7 – 8 + 9
    = (0 + 1 + 3 + 5 + 7 + 9) – (2 + 4 + 6 + 8)
    = 25 – 20
    = 5

  • [WHOLN04] सम / विषम प्राकृत संख्याओं का योग और अंतर

    [WHOLN04] सम / विषम प्राकृत संख्याओं का योग और अंतर

    सम संख्या: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित होती हैं सम संख्या कहलाती है।
    जैसे: 2, 4, 6, 8, 10, 12
    विषम संख्या: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्या कहलाती है।
    जैसे: 1, 3, 5, 7, 9, 11 … इत्यादि।

    सम और विषम संख्या का योगफल

    सम संख्या (Even Number) और विषम संख्या (Odd Number) के योगफल से संबंधित नियम सरल हैं। इसे समझने के लिए निम्नलिखित फार्मूले उपयोग किए जा सकते हैं:

    1. सम + सम = सम

    • दो सम संख्याओं का योगफल हमेशा एक सम संख्या होती है।
    • उदाहरण: 4+6=10 (सम संख्या)

    2. विषम + विषम = सम

    • दो विषम संख्याओं का योगफल हमेशा एक सम संख्या होती है।
    • उदाहरण: 3+5=8 (सम संख्या)

    3. सम + विषम = विषम

    • एक सम और एक विषम संख्या का योगफल हमेशा एक विषम संख्या होती है।
    • उदाहरण: 4+5=9 (विषम संख्या)

    लगातार सम और विषम संख्याओं के योग

    लगातार सम संख्याओं और लगातार विषम संख्याओं के योग के लिए निम्नलिखित सूत्र उपयोग किए जाते हैं:

    1. लगातार दो सम संख्याओं का योगफल:

    • लगातार दो सम संख्याओं के बीच अंतर 2 होता है।
    • यदि पहली सम संख्या x है, तो दूसरी सम संख्या x+2 होगी।

    योगफल = x+(x+2)=2x+2

    उदाहरण:
    6 और 8 के लिए:
    6+8=2(6)+2=12+2=14

    2. लगातार दो विषम संख्याओं का योगफल:

    • लगातार दो विषम संख्याओं के बीच भी अंतर 2 होता है।
    • यदि पहली विषम संख्या y है, तो दूसरी विषम संख्या y+2 होगी।

    योगफल = y+(y+2)=2y+2

    उदाहरण:
    7 और 9के लिए:
    7+9=2(7)+2=14+2=16

    3. लगातार n सम संख्याओं का योगफल:

    यदि लगातार n सम संख्याओं का योग निकालना है, तो इसका फार्मूला होगा:

    योगफल = n(n+1)

     उदाहरण:
    पहली 3 सम संख्याओं (2, 4, 6) का योग:
    3(3+1)=3×4=12

    4. लगातार n विषम संख्याओं का योगफल:

    यदि लगातार n विषम संख्याओं का योग निकालना है, तो इसका फार्मूला होगा:

    योगफल = n2

    उदाहरण: पहली 3 विषम संख्याओं (1, 3, 5) का योग: 32=9

    सारांश:

    • लगातार दो सम या विषम संख्याओं का योग 2x+2 के रूप में होता है।
    • लगातार n सम संख्याओं का योग n(n+1) होता है।
    • लगातार n विषम संख्याओं का योग n2 होता है।

    लगातार प्राकृत संख्याओं (Natural Numbers) का योग निकालने के लिए एक सामान्य सूत्र होता है, जिसे  समीकरण  के रूप में लिखा जा सकता है:

    योगफल =  n(n+1)/2

    जहाँ n वह संख्या है, जहाँ तक योग निकालना है।

    1. यदि आपको 1 से 10 तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालना है, तो n = 10 होगा:

    योगफल = 10(10+1)/2

    10 x 11/2  = 110/2  = 55

    2. यदि आपको 1 से 20 तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालना है, तो n = 20 होगा:

    योगफल = 20(20+1)/2 = 20 x 21/2  = 420/2  = 210

     सारांश:

    पहली n प्राकृत संख्याओं का योग निकालने के लिए फार्मूला है: 

    योगफल =  n(n+1)/2

    इस फार्मूले का उपयोग किसी भी संख्या तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालने के लिए किया जा सकता है।

    यहाँ सम और विषम संख्याओं, उनके अंतर, लगातार योगफल, और प्राकृत संख्याओं के लगातार योगफल से संबंधित MCQs दिए गए हैं:

    MCQ:

    यदि 12 और 7 का अंतर निकाला जाए, तो परिणाम क्या होगा?

    • a) 5 (सम संख्या)
    • b) 6 (सम संख्या)
    • c) 5 (विषम संख्या)
    • d) 4 (सम संख्या)

    उत्तर: c) 5 (विषम संख्या)

    किसी विषम संख्या से सम संख्या घटाने पर परिणाम कैसा होगा?

    • a) हमेशा विषम संख्या
    • b) हमेशा सम संख्या
    • c) कभी विषम कभी सम
    • d) हमेशा शून्य

    उत्तर: a) हमेशा विषम संख्या

    निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

    • a) दो सम संख्याओं का अंतर विषम होता है।
    • b) दो विषम संख्याओं का अंतर विषम होता है।
    • c) विषम संख्या और सम संख्या का अंतर विषम होता है।
    • d) सम संख्या और विषम संख्या का अंतर सम होता है।

    उत्तर: c) विषम संख्या और सम संख्या का अंतर विषम होता है।

    2. लगातार सम और विषम संख्याओं का योगफल:

    लगातार दो सम संख्याओं का योग निकालने का फार्मूला क्या है?

    • a) 2x
    • b) 2x+1
    • c) 2x+2
    • d) x+2

    उत्तर: c) 2x+2

    यदि x=8 हो, तो लगातार दो सम संख्याओं का योगफल क्या होगा?

    • a) 16
    • b) 18
    • c) 20
    • d) 22

    उत्तर: b) 18

    लगातार दो विषम संख्याओं का योगफल क्या होगा?

    • a) 2x+2
    • b) 2x+1
    • c) 2x
    • d) x+1

    उत्तर: a) 2x+2

    लगातार विषम संख्याओं 11 और 13 का योग क्या होगा?

    • a) 22
    • b) 24
    • c) 26
    • d) 28

    उत्तर: b) 24

    3. लगातार प्राकृत संख्याओं का योगफल:

    पहली n प्राकृत संख्याओं का योगफल निकालने का फार्मूला क्या है?

    • a) n(n+1)/2
    • b) n(n+2)/2
    • c) n(n+1)
    • d) n(n+2)  

    उत्तर: a) n(n+1)/2  

    पहली 10 प्राकृत संख्याओं का योगफल क्या होगा?

    • a) 50
    • b) 55
    • c) 60
    • d) 65

    उत्तर: b) 55

    लगातार n विषम संख्याओं का योगफल क्या होता है?

    • a) n(n+1)
    • b) n2
    • c) 2n
    • d) 2n+1 

    उत्तर: b) n2  

    पहली 5 विषम संख्याओं का योगफल क्या होगा?

    • a) 25
    • b) 15
    • c) 9
    • d) 36

    उत्तर: a) 25

    4. प्राकृत संख्याओं का लगातार योगफल:

    यदि पहली 7 प्राकृत संख्याओं का योग निकाला जाए, तो परिणाम क्या होगा?

    • a) 21
    • b) 28
    • c) 15
    • d) 35

    उत्तर: b) 28

    1 से 100 तक की प्राकृत संख्याओं का योगफल क्या होगा?

    • a) 5050
    • b) 5000
    • c) 5150
    • d) 4500

    उत्तर: a) 5050

    लगातार दो प्राकृत संख्याओं का योगफल कैसा होता है?

    • a) विषम संख्या
    • b) सम संख्या
    • c) दोनों
    • d) इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: a) विषम संख्या

  • [WHOLN05] पूर्ण संख्या के योगफल (Sum of Whole Numbers)

    [WHOLN05] पूर्ण संख्या के योगफल (Sum of Whole Numbers)

    संख्या के योगफल (Sum of Numbers)

    गणित में, दो या दो से अधिक संख्याओं या पदों को जोड़ने के बाद योग को परिणाम या उत्तर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यहां, 5 और 7 जोड़ हैं और 12, 5 और 7 का योग है।

    योग संकेतन

    जब हम संख्याओं को जोड़ते हैं तो प्लस चिह्न (+) का उपयोग किया जाता है। योग जोड़ से प्राप्त परिणाम का नाम है। हम योग को प्रतीक ∑ (सिग्मा) द्वारा निरूपित कर सकते हैं।

    अंकों का योग

    एक अंक वाली संख्याओं का योग

    दो अंकीय संख्याओं का योग

    चरण 1: आसानी से समझने के लिए अंकों के बीच पर्याप्त स्थान देकर कॉलम में दिए गए नंबर लिखें।

    चरण 2: इकाई अंक को एक साथ जोड़ें, और कैरी (यदि कोई हो) को स्थानांतरित करें। अंततः, यह इकाई स्थान पर मौजूद संख्याओं का योग देता है।

    चरण 3: दहाई अंक जोड़ें और पिछले चरण से कैरी करें (यदि कोई हो) और कैरी को स्थानांतरित करें। यह दहाई के स्थान पर संख्याओं का योग देता है।

    चरण 4: इस प्रकार, अंतिम पंक्ति के अंक दी गई संख्याओं का योग दर्शाते हैं।

    तीन अंकों की संख्याओं का योग

    चरण 1: आसानी से समझने के लिए अंकों के बीच पर्याप्त स्थान देकर कॉलम में दिए गए नंबर लिखें।

    चरण 2: इकाई अंक को एक साथ जोड़ें, और कैरी (यदि कोई हो) को स्थानांतरित करें। अंततः, यह इकाई स्थान पर मौजूद संख्याओं का योग देता है।

    चरण 3: दहाई अंक जोड़ें और पिछले चरण से कैरी करें (यदि कोई हो) और कैरी को स्थानांतरित करें। यह दहाई के स्थान पर संख्याओं का योग देता है।

    चरण 4: सैकड़ों स्थानों के अंकों को जोड़ें, और पिछले चरण से संख्या (यदि कोई हो) ले लें। इस प्रकार, यह परिणाम के सैकड़ों या हजारों या दोनों (योग के आधार पर) प्रदान करता है।

    चरण 5: इस प्रकार, अंतिम पंक्ति के अंक दी गई संख्याओं का योग दर्शाते हैं।

    संख्या के योगफल संबंधित सूत्र-

    प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का योग

    योग संख्याओं के अनुक्रम के योग या योग का परिणाम है। इस प्रकार, हम प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के अनुक्रम का योग ज्ञात कर सकते हैं।

    पहली n प्राकृतिक संख्याएँ हैं:

    1, 2, 3, 4,…., n

    यह एक AP है जिसका पहला पद a = 1 और अंतिम पद l = n है।

    हम जानते हैं कि, AP के n पदों का योग, जब पहला और अंतिम पद ज्ञात हो, इस प्रकार दिया जाता है:

    पहले n प्राकृतिक संख्याओं का योग n(n + 1)/2 द्वारा दिया जाता है।

    विषम संख्याओं का योग सूत्र

    विषम संख्याओं का क्रम है:

    1, 3, 5, 7, 9, 11,…..

    यह एक AP है जिसका पहला पद a = 1 और दूसरा पद a + d = 3 है।

    सार्व अंतर = d = 3 – 1 = 2

    प्रथम n विषम संख्याओं का योग है:

    विषम संख्या सूत्र का योग n 2 है ।

    सम संख्याओं का योग सूत्र

    सम संख्याओं का क्रम है:

    2, 4, 6, 8, 10,…..

    यह एक AP है जिसका पहला पद a = 2 और दूसरा पद a + d = 4 है।

    सार्व अंतर = d = 4 – 2 = 2

    प्रथम n विषम संख्याओं का योग है:

    सम संख्याओं के योग का सूत्र n(n + 1) है।

    n प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों का योग

    n प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों के योग का सूत्र इस प्रकार दिया गया है:

    Σn 2 = [n(n+1)(2n+1)]/6

    इस सूत्र का उपयोग पहले n धनात्मक पूर्णांकों के वर्गों का योग ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

    n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का योग

    n प्राकृतिक संख्याओं के घनों के योग का सूत्र है:

    ∑n 3 = [n(n + 1)/2] 2

    योग पर आधारित प्रश्न

    प्रश्न 1: बैग A में 10 गेंदें हैं और बैग B में 17 गेंदें हैं। गेंदों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।

    समाधान:

    बैग A में गेंदों की संख्या = 10

    बैग B में गेंदों की संख्या = 17

    गेंदों की कुल संख्या = 10 + 17 = 27

    प्रश्न 2:  गौतम के पास 2 रुपये के पांच सिक्के हैं, और कमल के पास 10 एक रुपये के सिक्के हैं, जबकि वीना के पास 5 रुपये के सात सिक्के हैं। तो गौतम, कमल और वीना के पास कुल कितनी धनराशि है?

    समाधान:

    दी गई जानकारी के मुताबिक,

    व्यक्तिमात्रा
    गौतम5 × रु. 2 = रु. 10
    कमल10 × रु. 1 = रु. 10
    वीना7 × रु. 5 = रु. 35

    धनराशि का योग = रु. 10 + रु. 10 + रु. 35 = रु. 55

    प्रश्न 3: 1 से 100 तक की संख्याओं का योग कितना होता है?

    1 से 100 तक की संख्याओं के योग की गणना इस प्रकार की जा सकती है:
    n = 100
    100 प्राकृतिक संख्याओं का योग = [100(100 + 1)/2] = 50 × 101 = 5050

  • [WHOLN09] इकाई तत्समक और योग और गुणनफल तत्समक

    [WHOLN09] इकाई तत्समक और योग और गुणनफल तत्समक

    इकाई तत्समक और योग और गुणनफल तत्समक

    तत्समक दो होते है- गुणन और योज्य तत्समक I

    गुणन तत्समक 1 होता है गुणन तत्समक वह संख्या होती है जिससे किसी संख्या को गुणा करने पर वही संख्या प्राप्त होती है I

    योज्य तत्समक 0 होता है योज्य तत्समक के साथ किसी संख्या को जोड़ने पर वही संख्या प्राप्त होती है I

  • [NUMS12] भाज्य अभाज्य संख्या / Divisible Prime numbers

    [NUMS12] भाज्य अभाज्य संख्या / Divisible Prime numbers

    भाज्य अभाज्य और सहभाज्य संख्या / Divisible, Prime and Composite numbers

    भाज्य संख्या (Composite Number)

    • परिभाषा: वह संख्या जो 1 और स्वयं के अलावा अन्य संख्याओं से भी विभाजित हो सकती है, उसे भाज्य संख्या कहा जाता है। अर्थात, जिसके एक से अधिक गुणनखण्ड (factors) होते हैं।
    • उदाहरण:
      • 4 (गुणनखण्ड: 1, 2, 4)
      • 6 (गुणनखण्ड: 1, 2, 3, 6)
      • 9 (गुणनखण्ड: 1, 3, 9)
      इन सभी संख्याओं के 1 और स्वयं के अलावा अन्य गुणनखण्ड हैं, इसलिए ये भाज्य संख्याएँ हैं।

    अभाज्य संख्या (Prime Number)

    • परिभाषा: वह संख्या जो केवल 1 और स्वयं से विभाजित हो सके, उसे अभाज्य संख्या कहते हैं। अर्थात, जिसके केवल दो ही गुणनखण्ड होते हैं – 1 और वह स्वयं।
    • उदाहरण:
      • 2 (गुणनखण्ड: 1, 2)
      • 3 (गुणनखण्ड: 1, 3)
      • 5 (गुणनखण्ड: 1, 5)
      • 7 (गुणनखण्ड: 1, 7)
      ये संख्याएँ केवल 1 और स्वयं से विभाजित होती हैं, इसलिए ये अभाज्य संख्याएँ हैं।

    मुख्य अंतर:

    • अभाज्य संख्याएँ: जिनके केवल दो ही गुणनखण्ड होते हैं (1 और स्वयं), जैसे 2, 3, 5, 7, 11 आदि।
    • भाज्य संख्याएँ: जिनके एक से अधिक गुणनखण्ड होते हैं, जैसे 4, 6, 8, 9, 12 आदि।

    एक महत्वपूर्ण बिंदु:

    • 1 न तो अभाज्य है और न ही भाज्य, इसे विशेष संख्या माना जाता है।

    भाज्य संख्या

    1 to 100 के बीच कूल 74 संख्याएँ ऐसी है जो की भाज्य संख्याएँ है। भाज्य संख्या 1 से 100 तक की पूरी लिस्ट निचे दी गई है-

    468
    91012
    141516
    182021
    222425
    262728
    303233
    343536
    383940
    424445
    464849
    505152
    545556
    575860
    626364
    656668
    697072
    747576
    777880
    818284
    858687
    889091
    929394
    959698
    99100

    अभाज्य संख्या ( रूढ़ संख्या )

    वे 1 से बड़ी प्राकृतिक संख्याएँ, जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त और किसी प्राकृतिक संख्या से विभाजित नहीं होतीं, उन्हें ‘अभाज्य संख्या’ कहते हैं।

    अभाज्य संख्या के गुण

    • 0 और 1 अभाज्य संख्याएँ नही है।
    • 2 को छोड़कर सभी अभाज्य संख्याएँ विषम होती हैं।
    • 1 बड़ी पूर्ण संख्याएँ अभाज्य संख्याएँ कहलाती है।
    • अभाज्य संख्याएँ में केवल और केवल दो गुणनखंड होते है।
    • अभाज्य संख्याएँ ज्ञात करने की विधि को गुणनखंड विधि कहते है।
    • अभाज्य संख्याएँ हमेशा 0 और 1 से बड़ी होती है।
    • 1 से बड़ी सभी अभाज्य संख्या 1 से विभाजित हो सकती है।
    • अभाज्य संख्या 1 और स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से विभाजित नही हो सकती है।

    1 से 200 तक अभाज्य संख्या

    23173127179
    33779131181
    54183137191
    74389139193
    114797149197
    1353101151199
    1759103157211
    1961107163223
    2367109167227
    2971113173229

    अभाज्य संख्याओं के प्रश्न एवं हल

    सबसे छोटी अभाज्य संख्या कौनसी हैं?

    A. 1
    B. 0
    C. 2
    D. 4

    उत्तर:- सबसे छोटी अभाज्य संख्या 2 हैं।

    सबसे छोटी अभाज्य संख्या लिखिए जो 9 से बड़ी हो।

    A. 11
    B. 13
    C. 17
    D. 23

    उत्तर:- 9 से बड़ी अभाज्य संख्याएँ 11, 13, 17, 19, 23 हैं। इनमें सबसे छोटी संख्या 11 हैं।

    सबसे बड़ी अभाज्य संख्या लिखिए जो 18 से छोटी हो।

    A. 17
    B. 15
    C. 13
    D. 9

    उत्तर:- 18 से छोटी अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17 हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या 17 हैं।

    20 से छोटी उन अभाज्य संख्याओं के जोड़े लिखिए जिनका अंतर 2 हो?

    A. (3, 5), (5, 7), (11, 13), (17, 19)
    B. (2, 3), (5, 9), (7, 9) (9, 11)
    C. (1, 3), (5, 7), (7, 9) (19, 19)
    D. (3, 5), (5, 7), (7, 9) (17, 19)

    हल:- प्रश्ननानुसार,
    20 से छोटी अभाज्य संख्याएँ – 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19
    20 से छोटी अभाज्य संख्याओं के बीच 2 का अंतर
    उत्तर:- (3, 5), (5, 7), (11, 13), (17, 19)

    ऐसी 50 से छोटी अभाज्य संख्याओं के जोड़े लिखिए जिनका अंतर 1 हो?

    A. (2, 3)
    B. (3, 5)
    C. (11, 13)
    D. (17, 19)

    50 से छोटी अभाज्य संख्याएँ
    उत्तर:- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47
    50 से छोटी अभाज्य संख्याओं के बीच 1 का अंतर (3 – 2 ) = 1

    30 और 40 के बीच की अभाज्य संख्याएँ लिखिए?

    A. 1
    B. 2
    C. 3
    D. 4

    उत्तर:- 30 और 40 के बीच की अभाज्य संख्याएँ – 31, 37 हैं।

    50 से छोटी अभाज्य संख्याओं की संख्या कितनी हैं?

    A. 12
    B. 13
    C. 14
    D. 15

    50 से छोटी अभाज्य संख्याएँ
    उत्तर:- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47,

    एक अंक की सभी भाज्य संख्याओं की संख्या कितनी हैं?

    A. 5
    B. 4
    C. 6
    D. 8

    1 अंक की सभी भाज्य संख्या
    उत्तर:- 2, 3, 5, 7 हैं।

    1 से 100 के बीच कितनी अभाज्य संख्याएँ होती हैं?

    A. 12
    B. 24
    C. 25
    D. 30

    उत्तर:- 1 से 100 के बीच 25 अभाज्य संख्याएँ होती हैं।

    प्रथम 4 अभाज्य संख्याओं का योग बताइए?

    A. 15
    B. 17
    C. 23
    D. 29

    हल:- प्रश्ननानुसार,
    प्रथम 4 अभाज्य संख्याएँ = 2, 3, 5, 7,
    प्रथम 4 अभाज्य संख्याओं का योग = 2 + 3 + 5 + 7
    उत्तर:- 17

    8 अभाज्य संख्याओं का औसत क्या हैं?

    A. 4.890
    B. 8.984
    C. 9.625
    D. 10.789

    हल: प्रश्नानुसार,
    प्रथम 8 अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19 हैं।
    औसत = (2+3+5+7+11+13+17+19) / 8
    = 77 / 8
    उत्तर:- 9.625

    लगातार 10 अभाज्य संख्याओं का योग हैं?

    A. 112
    B. 137
    C. 129
    D. 142

    हल:-लगातार 20 अभाज्य संख्याएँ : 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29
    लगातार 20 अभाज्य संख्याओं का योग = 2 + 3 + 5 + 7 + 11 + 13 + 17 + 19 + 23 + 29
    उत्तर:- 129

    लगातार 15 अभाज्य संख्याओं का योग हैं?

    A. 204
    B. 280
    C. 304
    D. 384

    हल:- प्रश्ननुसार,
    लगातार 25 अभाज्य संख्याएँ : 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 33, 35, 37, 39
    लगातार 20 अभाज्य संख्याओं का योग = 2 + 3 + 5 + 7 + 11 + 13 + 17 + 19 + 23 + 29 + 31 + 33 + 35 + 37 + 39
    उत्तर:- 304

    निम्न में किन संख्याओं के बीच में केवल एक ही अभाज्य संख्या है?

    a. 40 तथा 50
    b. 60 तथा 70
    c. 80 तथा 90
    d. 90 तथा 100

    निम्नलिखित में कौन सी अभाज्य संख्या है?

    a. 91
    b. 93
    c. 95
    d. 97

    MCQ:

    निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या अभाज्य (Prime) है?

    • a) 4
    • b) 7
    • c) 9
    • d) 12

    उत्तर: b) 7

    15 और 28 के बीच संबंध क्या है?

    • a) ये सह-अभाज्य (Co-prime) हैं।
    • b) ये अभाज्य (Prime) हैं।
    • c) ये भाज्य (Composite) हैं
    • d) इनमें से कोई नहीं।

    उत्तर: a) ये सह-अभाज्य हैं।

    निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या भाज्य (Composite) है?

    • a) 11
    • b) 13
    • c) 15
    • d) 17

    उत्तर: c) 15

    कौन-सी संख्या अभाज्य नहीं है?

    • a) 3
    • b) 5
    • c) 9
    • d) 11

    उत्तर: c) 9

    सह-अभाज्य संख्याओं के लिए कौन-सा कथन सही है?

    • a) दोनों संख्याएँ अभाज्य होनी चाहिए।
    • b) दोनों संख्याएँ भाज्य होनी चाहिए।
    • c) दोनों संख्याओं का महत्तम समापवर्तक (HCF) 1 होना चाहिए।
    • d) दोनों संख्याओं का लघुत्तम समापवर्तक (LCM) 1 होना चाहिए।

    उत्तर: c) दोनों संख्याओं का महत्तम समापवर्तक (HCF) 1 होना चाहिए।

    35 और 18 के बीच संबंध क्या है?

    • a) ये सह-अभाज्य हैं।
    • b) ये अभाज्य हैं।
    • c) ये भाज्य हैं।
    • d) इनमें से कोई नहीं।

    उत्तर: a) ये सह-अभाज्य हैं।

    निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या भाज्य है?

    • a) 23
    • b) 19
    • c) 29
    • d) 24

    उत्तर: d) 24

    13 और 14 के बीच संबंध क्या है?

    • a) ये सह-अभाज्य हैं।
    • b) ये अभाज्य हैं।
    • c) ये भाज्य हैं।
    • d) इनमें से कोई नहीं।

    उत्तर: a) ये सह-अभाज्य हैं।

    निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या अभाज्य संख्या है?

    • a) 21
    • b) 22
    • c) 23
    • d) 24

    उत्तर: c) 23

    निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या सह-अभाज्य (Co-prime) नहीं है?

    • a) 8 और 15
    • b) 14 और 25
    • c) 17 और 19
    • d) 12 और 18

    उत्तर: d) 12 और 18

    ये MCQs छात्रों को भाज्य, अभाज्य, और सह-अभाज्य संख्याओं के बीच के अंतर को समझने में सहायता करेंगे।