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  • [HIND05] सर्वनाम: परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

    [HIND05] सर्वनाम: परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

    जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।

     राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है।
    आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।

    सर्वनाम के भेद

    सर्वनाम के छ: भेद होते है-
    (1)पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal pronoun)
    (2)निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative pronoun)
    (3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite pronoun)
    (4)संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
    (5)प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
    (6)निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)

    पुरुषवाचक सर्वनाम:-

     बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

    ‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
    जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
    उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।

    पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रकार

    पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
    (i)उत्तम पुरुषवाचक (ii)मध्यम पुरुषवाचक (iii)अन्य पुरुषवाचक

    (i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-

    जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
    जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।

    उदाहरण- मैं स्कूल जाऊँगा।
    हम मतदान नहीं करेंगे।
    यह कविता मैंने लिखी है।
    बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई।
    मैंने उसे धोखा नहीं दिया।

    (ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-

    जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
    जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।

    उदाहरण- तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
    तुम सो जाओ।
    तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ?
    तू घर देर से क्यों पहुँचा ?
    तुमसे कुछ काम है।

    (iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-

    जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
    जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।

    उदाहरण- वे मैच नही खेलेंगे।
    उन्होंने कमर कस ली है।
    वह कल विद्यालय नहीं आया था।
    उसे कुछ मत कहना।
    उन्हें रोको मत, जाने दो।
    इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।

    निश्चयवाचक सर्वनाम

    जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।
    जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।

    वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
    तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है।
    किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।
    उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

    अनिश्चयवाचक सर्वनाम

    जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
    जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।

    वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
    मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था।
    पानी में कुछ गिर गया है।
    यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

    संबंधवाचक सर्वनाम

    जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
    जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।

    प्रश्नवाचक सर्वनाम 

    प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है।
    जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।

    वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
    टोकरी में क्या रखा है।
    बाहर कौन खड़ा है।
    तुम क्या खा रहे हो?
    उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।

    निजवाचक सर्वनाम 

    ‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना।
    इस प्रकार,
    जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
    जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।

    ‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है।
    उदाहरण-
    आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक)
    आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय)
    ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)

    सर्वनाम के रूपान्तर 

    कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-

    • मैं- मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा; 
    • तुम- तुम्हें, तुम्हारा; 
    • हम- हमें, हमारा; 
    • वह- उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको; 
    • यह- इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे; 
    • कौन- किसने, किसको, किसे।
  • [HIND04] संज्ञा के भेद

    [HIND04] संज्ञा के भेद

    किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

    संज्ञा के भेद

    संज्ञा के पाँच भेद होते है-
    (1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
    (2)जातिवाचक (Common noun)
    (3)भाववाचक (Abstract noun)
    (4)समूहवाचक (Collective noun)
    (5)द्रव्यवाचक (Material noun)

    व्यक्तिवाचक संज्ञा

    जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    जैसे-
    व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।

    वस्तु का नाम- कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।

    स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।

    दिशाओं के नाम- उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।

    देशों के नाम- भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।

    राष्ट्रीय जातियों के नाम- भारतीय, रूसी, अमेरिकी।

    समुद्रों के नाम- काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।

    नदियों के नाम- गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।

    पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।

    नगरों, चौकों और सड़कों के नाम- वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।

    पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम- रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।

    ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम- पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।

    दिनों, महीनों के नाम- मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।

    त्योहारों, उत्सवों के नाम- होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।

    जातिवाचक संज्ञा

     जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।

    ‘लड़का’ से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।

    ‘पशु-पक्षयों’ से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।

    ‘वस्तु’ से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।

    ‘नदी’ से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।

    ‘मनुष्य’ कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।

    ‘पहाड़’ कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।

    भाववाचक संज्ञा 

    जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
    जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में ‘उत्साह’ से मन का भाव है। ‘ईमानदारी’ से गुण का बोध होता है। ‘बचपन’ जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।

    भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है.

    (1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

    जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञााजातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाा
    स्त्री-स्त्रीत्वभाई-भाईचारा
    मनुष्य-मनुष्यतापुरुष-पुरुषत्व, पौरुष
    शास्त्र-शास्त्रीयताजाति-जातीयता
    पशु-पशुताबच्चा-बचपन
    दनुज-दनुजतानारी-नारीत्व
    पात्र-पात्रताबूढा-बुढ़ापा
    लड़का-लड़कपनमित्र-मित्रता
    दास-दासत्वपण्डित-पण्डिताई
    अध्यापक-अध्यापनसेवक-सेवा

    विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

    विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा
    लघु-लघुता, लघुत्व, लाघववीर-वीरता, वीरत्व
    एक-एकता, एकत्वचालाक-चालाकी
    खट्टा-खटाईगरीब-गरीबी
    गँवार-गँवारपनपागल-पागलपन
    बूढा-बुढ़ापामोटा-मोटापा
    नवाब-नवाबीदीन-दीनता, दैन्य
    बड़ा-बड़ाईसुंदर-सौंदर्य, सुंदरता
    भला-भलाईबुरा-बुराई
    ढीठ-ढिठाईचौड़ा-चौड़ाई
    लाल-लाली, लालिमाबेईमान-बेईमानी
    सरल-सरलता, सारल्यआवश्यकता-आवश्यकता
    परिश्रमी-परिश्रमअच्छा-अच्छाई
    गंभीर-गंभीरता, गांभीर्यसभ्य-सभ्यता
    स्पष्ट-स्पष्टताभावुक-भावुकता
    अधिक-अधिकता, आधिक्यगर्म-गर्मी
    सर्द-सर्दीकठोर-कठोरता
    मीठा-मिठासचतुर-चतुराई
    सफेद-सफेदीश्रेष्ठ-श्रेष्ठता
    मूर्ख-मूर्खताराष्ट्रीयराष्ट्रीयता

    (3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

    क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा
    खोजना-खोजसीना-सिलाई
    जीतना-जीतरोना-रुलाई
    लड़ना-लड़ाईपढ़ना-पढ़ाई
    चलना-चाल, चलनपीटना-पिटाई
    देखना-दिखावा, दिखावटसमझना-समझ
    सींचना-सिंचाईपड़ना-पड़ाव
    पहनना-पहनावाचमकना-चमक
    लूटना-लूटजोड़ना-जोड़
    घटना-घटावनाचना-नाच
    बोलना-बोलपूजना-पूजन
    झूलना-झूलाजोतना-जुताई
    कमाना-कमाईबचना-बचाव
    रुकना-रुकावटबनना-बनावट
    मिलना-मिलावटबुलाना-बुलावा
    भूलना-भूलछापना-छापा, छपाई
    बैठना-बैठक, बैठकीबढ़ना-बाढ़
    घेरना-घेराछींकना-छींक
    फिसलना-फिसलनखपना-खपत
    रँगना-रँगाई, रंगतमुसकाना-मुसकान
    उड़ना-उड़ानघबराना-घबराहट
    मुड़ना-मोड़सजाना-सजावट
    चढ़ना-चढाईबहना-बहाव
    मारना-मारदौड़ना-दौड़
    गिरना-गिरावटकूदना-कूद

    समूहवाचक संज्ञा

    जिस संज्ञा शब्द से वस्तु के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
    जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।

    द्रव्यवाचक संज्ञा

    जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
    जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।

    संज्ञा के रूपान्तर

    लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।

    नर खाता है- नारी खाती है।
    लड़का खाता है- लड़की खाती है।

    वचन के अनुसार

    लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
    लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
    एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।

    कारक- चिह्नों के अनुसार

    लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
    लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।

  • [HIND03] वाक्य के भाग

    [HIND03] वाक्य के भाग

    वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही है।

    वाक्य के भाग

    वाक्य के दो भेद होते है-
    (1)उद्देश्य (Subject)
    (2)विद्येय (Predicate)

    उद्देश्य

    वाक्य का वह भाग है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।

    जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।
    इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं।
    जैसे- 1. संज्ञा- मोहन गेंद खेलता है।
    2. सर्वनाम- वह घर जाता है।
    3. विशेषण- बुद्धिमान सदा सच बोलते हैं।
    4. क्रिया-विशेषण- पीछे मत देखो।
    5. क्रियार्थक संज्ञा- तैरना एक अच्छा व्यायाम है।
    6. वाक्यांश- भाग्य के भरोसे बैठे रहना कायरों का काम है।
    7. कृदन्त- लकड़हारा लकड़ी बेचता है।

    विद्येय

     उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विद्येय कहते है। जैसे- पूनम किताब पढ़ती है।
    इस वाक्य में ‘किताब पढ़ती’ है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।

    विशेष-आज्ञासूचक वाक्यों में विद्येय तो होता है किन्तु उद्देश्य छिपा होता है। जैसे- वहाँ जाओ। खड़े हो जाओ।

    विधेय के भाग-
    विधेय के छः भाग होते है-
    (i) क्रिया-वह हाथ में ‘गेंद लिए’ जाता है।
    (ii) क्रिया के विशेषण-मोहन ‘धीरे-धीरे’ पढ़ता है
    (iii) कर्म- वह ‘रामायण’ पढ़ता है।
    (iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
    (v) पूरक
    (vi)पूरक के विशेषण।

    पूरक के रूप में आनेवाला शब्द संज्ञा, विशेषण, सम्बन्धवाचक तथा क्रिया-विशेषण होता हैं।
    जैसे- 1. संज्ञा : मेरा बड़ा भाई ‘दुकानदार’ है।
    2. विशेषण : वह आदमी ‘सुस्त’ है।
    3. सम्बन्धवाचक : ये पाँच सौ रुपये ‘तुम्हारे’ हुए।
    4. ‘क्रिया-विशेषण’ : आप ‘कहाँ’ थे।

  • [HIND02] वर्णमाला का ज्ञान

    [HIND02] वर्णमाला का ज्ञान

    भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। और इस ध्वनि को वर्ण कहते है। जैसे- अ, ई, व, च, क, ख् इत्यादि। वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते है- (1)स्वर (vowel) (2) व्यंजन (Consonant)

    वर्णमाला का ज्ञान

    स्वर

    जिन वर्णों के उच्चारण में फेफ़ड़ों की वायु बिना रुके (अबाध गति से) मुख से निकल जाए, उन्हें स्वर कहते हैं।
    इसके उच्चारण में कंठ, तालु का उपयोग होता है, जीभ, होठ का नहीं।

    हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर है
    जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ ऋ

    स्वरमात्राशब्द-प्रयोग
    राम
    िदिन
    तीर
    कृषक
    गुलाब
    फूल
    केला
    मैना
    कोमल
    सौरभ

    अयोगवाह

    हिंदी वर्णमाला में ऐसे वर्ण जिनकी गणना न तो स्वरों में और न ही व्यंजनों में की जाती हैं। उन्हें अयोगवाह कहते हैं।

    अं, अः अयोगवाह कहलाते हैं। वर्णमाला में इनका स्थान स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले होता है। अं को अनुस्वार बिन्दु ( ं ) तथा अः को विसर्ग ( ः) के रूप में लिखा जाता है।

    व्यंजन

    व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं, जिनके उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती है।
    जैसे- क, ख, ग, च, छ, त, थ, द, भ, म इत्यादि।

    व्यंजन तीन प्रकार के होते है-
    (1)स्पर्श व्यंजन(Mutes)
    (2)अन्तःस्थ व्यंजन(Semivowels)
    (3)उष्म या संघर्षी व्यंजन(Sibilants)

    स्पर्श व्यंजन

    ये 25 व्यंजन होते है-

    (1)कवर्ग- क ख ग घ ङ ये कण्ठ का स्पर्श करते है।

    (2)चवर्ग- च छ ज झ ञ ये तालु का स्पर्श करते है।

    (3)टवर्ग- ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़) ये मूर्धा का स्पर्श करते है।

    (4)तवर्ग- त थ द ध न ये दाँतो का स्पर्श करते है।

    (5)पवर्ग- प फ ब भ म ये होठों का स्पर्श करते है।

    अन्तःस्थ व्यंजन

    ये व्यंजन 4 होते है- य, र, ल, व। इनका उच्चारण जीभ, तालु, दाँत और ओठों के परस्पर सटाने से होता है, किन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता। अतः ये चारों अन्तःस्थ व्यंजन ‘अर्द्धस्वर’ कहलाते हैं।

    उष्म या संघर्षी व्यंजन

    उष्म व्यंजनों का उच्चारण एक प्रकार की रगड़ या घर्षण से उत्पत्र उष्म वायु से होता हैं।
    ये भी 4 व्यंजन होते है- श, ष, स, ह।

    संयुक्त व्यंजन:-

    वर्णमाला में ऐसे व्यंजन वर्ण जो दो अक्षरों को मिलाकर बनाए गए है, वो संयुक्त व्यंजन कहलाते है।

    ये संख्या में 6 हैं :

    क्ष = क् + ष + अ = क्ष (रक्षक, भक्षक, क्षोभ, क्षय)

    त्र = त् + र् + अ = त्र (पत्रिका, त्राण, सर्वत्र, त्रिकोण)

    ज्ञ = ज् + ञ + अ = ज्ञ (सर्वज्ञ, ज्ञाता, विज्ञान, विज्ञापन)

    श्र = श् + र् + अ = श्र (श्रीमती, श्रम, परिश्रम, श्रवण)

     ड और ढ के नीचे बिन्दु लगाकर दो नये अक्षर ड़ और ढ़ बनाये गये हैं। ये भी संयुक्त व्यंजन हैं।

  • [HIND01] व्याकरण के अंग

    [HIND01] व्याकरण के अंग

    व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है।

    मार दिया को ने राम श्याम।
    इस वाक्य से अर्थ स्पष्ट नहीं होता क्योंकि कर्ता, कर्म तथा कारक निश्चित स्थान पर नहीं हैं।

    व्याकरण के अंग

    व्याकरण के मुख्यतः 3 अंग हैं-
    (1) वर्ण-विचार
    (2) शब्द-विचार
    (3) वाक्य विचार

    वर्ण विचार या अक्षर:- 

    भाषा की उस छोटी ध्वनि (इकाई) को वर्ण कहते है जिसके टुकड़े नही किये सकते है।
    जैसे- अ, ब, म, क, ल, प आदि।

    इसमें वर्णमाला, वर्णों के भेद, उनके उच्चारण, प्रयोग तथा संधि पर विचार किया जाता है।

    शब्द-विचार:- 

    वर्णो के उस मेल को शब्द कहते है जिसका कुछ अर्थ होता है।
    जैसे- कमल, राकेश, भोजन, पानी, कानपूर आदि।

    इसमें शब्द-रचना, उनके भेद, शब्द-सम्पदा तथा उनके प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।

    वाक्य-विचार:- 

    अनेक शब्दों को मिलाकर वाक्य बनता है। ये शब्द मिलकर किसी अर्थ का ज्ञान कराते है।
    जैसे- सब घूमने जाते है।
    राजू सिनेमा देखता है।

  • [HIND06] वाक्यांश के लिए एक शब्द

    [HIND06] वाक्यांश के लिए एक शब्द

    हिंदी व्याकरण / वाक्यांश के लिए एक शब्द

    1. जिसे गिना न जा सके – अगणित
    2. जो कुछ भी नहीं जानता हो – अज्ञ
    3. जो बहुत थोड़ा जानता हो – अल्पज्ञ
    4. जिसका जन्म नहीं होता – अजन्मा
    5. पुस्तकों की समीक्षा करने वाला – समीक्षक , आलोचक
    6. जिसकी आशा न की गई हो – अप्रत्याशित
    7. जो इन्द्रियों से परे हो – अगोचर
    8. जो विधान के विपरीत हो – अवैधानिक
    9. जो संविधान के प्रतिकूल हो – असंवैधानिक
    10. जिसे भले-बुरे का ज्ञान न हो – अविवेकी
    11. जिसके समान कोई दूसरा न हो – अद्वितीय
    12. जिसे वाणी व्यक्त न कर सके – अनिर्वचनीय
    13. जैसा पहले कभी न हुआ हो – अभूतपूर्व
    14. जो व्यर्थ का व्यय करता हो – अपव्ययी
    15. बहुत कम खर्च करने वाला – मितव्ययी
    16. सरकारी गजट में छपी सूचना – अधिसूचना
    17. जिसके पास कुछ भी न हो – अकिंचन
    18. दोपहर के बाद का समय – अपराह्न
    19. जिसका निवारण न हो सके – अनिवार्य
    20. देहरी पर रंगों से बनाई गई चित्रकारी – अल्पना
    21. आदि से अन्त तक – आघन्त
    22. जिसका परिहार करना सम्भव न हो – अपरिहार्य
    23. जो ग्रहण करने योग्य न हो – अग्राह्य
    24. जिसे प्राप्त न किया जा सके – अप्राप्य
    25. जिसका उपचार सम्भव न हो – असाध्य
    26. भगवान में विश्वास रखने वाला – आस्तिक
    27. भगवान में विश्वास न रखने वाला- नास्तिक
    28. आशा से अधिक – आशातीत
    29. ऋषि की कही गई बात – आर्ष
    30. पैर से मस्तक तक – आपादमस्तक
    31. अत्यंत लगन एवं परिश्रम वाला – अध्यवसायी
    32. आतंक फैलाने वाला – आंतकवादी
    33. देश के बाहर से कोई वस्तु मंगाना – आयात
    34. जो तुरंत कविता बना सके – आशुकवि
    35. नीले रंग का फूल – इन्दीवर
    36. उत्तर-पूर्व का कोण – ईशान
    37. जिसके हाथ में चक्र हो – चक्रपाणि
    38. जिसके मस्तक पर चन्द्रमा हो – चन्द्रमौलि
    39. जो दूसरों के दोष खोजे – छिद्रान्वेषी
    40. जानने की इच्छा – जिज्ञासा
    41. जानने को इच्छुक – जिज्ञासु
    42. जीवित रहने की इच्छा- जिजीविषा
    43. इन्द्रियों को जीतने वाला – जितेन्द्रिय
    44. जीतने की इच्छा वाला – जिगीषु
    45. जहाँ सिक्के ढाले जाते हैं – टकसाल
    46. जो त्यागने योग्य हो – त्याज्य
    47. जिसे पार करना कठिन हो – दुस्तर
    48. जंगल की आग – दावाग्नि
    49. गोद लिया हुआ पुत्र – दत्तक
    50. बिना पलक झपकाए हुए – निर्निमेष
    51. जिसमें कोई विवाद ही न हो – निर्विवाद
    52. जो निन्दा के योग्य हो – निन्दनीय
    53. मांस रहित भोजन – निरामिष
    54. रात्रि में विचरण करने वाला – निशाचर
    55. किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता – पारंगत
    56. पृथ्वी से सम्बन्धित – पार्थिव
    57. रात्रि का प्रथम प्रहर – प्रदोष
    58. जिसे तुरंत उचित उत्तर सूझ जाए – प्रत्युत्पन्नमति
    59. मोक्ष का इच्छुक – मुमुक्षु
    60. मृत्यु का इच्छुक – मुमूर्षु
    61. युद्ध की इच्छा रखने वाला – युयुत्सु
    62. जो विधि के अनुकूल है – वैध
    63. जो बहुत बोलता हो – वाचाल
    64. शरण पाने का इच्छुक – शरणार्थी
    65. सौ वर्ष का समय – शताब्दी
    66. शिव का उपासक – शैव
    67. देवी का उपासक – शाक्त
    68. समान रूप से ठंडा और गर्म – समशीतोष्ण
    69. जो सदा से चला आ रहा हो – सनातन
    70. समान दृष्टि से देखने वाला – समदर्शी
    71. जो क्षण भर में नष्ट हो जाए – क्षणभंगुर
    72. फूलों का गुच्छा – स्तवक
    73. संगीत जानने वाला – संगीतज्ञ
    74. जिसने मुकदमा दायर किया है – वादी
    75. जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर किया है – प्रतिवादी
    76. मधुर बोलने वाला – मधुरभाषी
    77. धरती और आकाश के बीच का स्थान – अन्तरिक्ष
    78. हाथी के महावत के हाथ का लोहे का हुक – अंकुश
    79. जो बुलाया न गया हो – अनाहूत
    80. सीमा का अनुचित उल्लंघन – अतिक्रमण
    81. जिस नायिका का पति परदेश चला गया हो – प्रोषित पतिका
    82. जिसका पति परदेश से वापस आ गया हो – आगत पतिका
    83. जिसका पति परदेश जाने वाला हो – प्रवत्स्यत्पतिका
    84. जिसका मन दूसरी ओर हो – अन्यमनस्क
    85. संध्या और रात्रि के बीचकी वेला – गोधुलि
    86. माया करने वाला – मायावी
    87. किसी टूटी-फूटी इमारत का अंश – भग्नावशेष
    88. दोपहर से पहले का समय – पूर्वाह्न
    89. कनक जैसी आभा वाला – कनकाय
    90. हृदय को विदीर्ण कर देने वाला – हृदय विदारक
    91. हाथ से कार्य करने का कौशल – हस्तलाघव
    92. अपने आप उत्पन्न होने वाला – स्त्रैण
    93. जो लौटकर आया है – प्रत्यागत
    94. जो कार्य कठिनता से हो सके – दुष्कर
    95. जिसने किसी दूसरे का स्थान अस्थाई रूप से ग्रहण किया हो – स्थानापन्
    96. जो देखा न जा सके – अलक्ष्य
    97. बाएँ हाथ से तीर चला सकने वाला – सव्यसाची
    98. वह स्त्री जिसे सूर्य ने भी न देखा हो – असुर्यम्पश्या
    99. यज्ञ में आहुति देने वाला – हौदा
    100. जिसे नापना सम्भव न हो – असाध्य