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[HIND04] संज्ञा के भेद

किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

संज्ञा के भेद

संज्ञा के पाँच भेद होते है-
(1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
(2)जातिवाचक (Common noun)
(3)भाववाचक (Abstract noun)
(4)समूहवाचक (Collective noun)
(5)द्रव्यवाचक (Material noun)

व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे-
व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।

वस्तु का नाम- कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।

स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।

दिशाओं के नाम- उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।

देशों के नाम- भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।

राष्ट्रीय जातियों के नाम- भारतीय, रूसी, अमेरिकी।

समुद्रों के नाम- काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।

नदियों के नाम- गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।

पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।

नगरों, चौकों और सड़कों के नाम- वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।

पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम- रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।

ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम- पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।

दिनों, महीनों के नाम- मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।

त्योहारों, उत्सवों के नाम- होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।

जातिवाचक संज्ञा

 जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।

‘लड़का’ से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।

‘पशु-पक्षयों’ से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।

‘वस्तु’ से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।

‘नदी’ से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।

‘मनुष्य’ कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।

‘पहाड़’ कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।

भाववाचक संज्ञा 

जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में ‘उत्साह’ से मन का भाव है। ‘ईमानदारी’ से गुण का बोध होता है। ‘बचपन’ जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है.

(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञााजातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाा
स्त्री-स्त्रीत्वभाई-भाईचारा
मनुष्य-मनुष्यतापुरुष-पुरुषत्व, पौरुष
शास्त्र-शास्त्रीयताजाति-जातीयता
पशु-पशुताबच्चा-बचपन
दनुज-दनुजतानारी-नारीत्व
पात्र-पात्रताबूढा-बुढ़ापा
लड़का-लड़कपनमित्र-मित्रता
दास-दासत्वपण्डित-पण्डिताई
अध्यापक-अध्यापनसेवक-सेवा

विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा
लघु-लघुता, लघुत्व, लाघववीर-वीरता, वीरत्व
एक-एकता, एकत्वचालाक-चालाकी
खट्टा-खटाईगरीब-गरीबी
गँवार-गँवारपनपागल-पागलपन
बूढा-बुढ़ापामोटा-मोटापा
नवाब-नवाबीदीन-दीनता, दैन्य
बड़ा-बड़ाईसुंदर-सौंदर्य, सुंदरता
भला-भलाईबुरा-बुराई
ढीठ-ढिठाईचौड़ा-चौड़ाई
लाल-लाली, लालिमाबेईमान-बेईमानी
सरल-सरलता, सारल्यआवश्यकता-आवश्यकता
परिश्रमी-परिश्रमअच्छा-अच्छाई
गंभीर-गंभीरता, गांभीर्यसभ्य-सभ्यता
स्पष्ट-स्पष्टताभावुक-भावुकता
अधिक-अधिकता, आधिक्यगर्म-गर्मी
सर्द-सर्दीकठोर-कठोरता
मीठा-मिठासचतुर-चतुराई
सफेद-सफेदीश्रेष्ठ-श्रेष्ठता
मूर्ख-मूर्खताराष्ट्रीयराष्ट्रीयता

(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा
खोजना-खोजसीना-सिलाई
जीतना-जीतरोना-रुलाई
लड़ना-लड़ाईपढ़ना-पढ़ाई
चलना-चाल, चलनपीटना-पिटाई
देखना-दिखावा, दिखावटसमझना-समझ
सींचना-सिंचाईपड़ना-पड़ाव
पहनना-पहनावाचमकना-चमक
लूटना-लूटजोड़ना-जोड़
घटना-घटावनाचना-नाच
बोलना-बोलपूजना-पूजन
झूलना-झूलाजोतना-जुताई
कमाना-कमाईबचना-बचाव
रुकना-रुकावटबनना-बनावट
मिलना-मिलावटबुलाना-बुलावा
भूलना-भूलछापना-छापा, छपाई
बैठना-बैठक, बैठकीबढ़ना-बाढ़
घेरना-घेराछींकना-छींक
फिसलना-फिसलनखपना-खपत
रँगना-रँगाई, रंगतमुसकाना-मुसकान
उड़ना-उड़ानघबराना-घबराहट
मुड़ना-मोड़सजाना-सजावट
चढ़ना-चढाईबहना-बहाव
मारना-मारदौड़ना-दौड़
गिरना-गिरावटकूदना-कूद

समूहवाचक संज्ञा

जिस संज्ञा शब्द से वस्तु के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।

द्रव्यवाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।

संज्ञा के रूपान्तर

लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।

नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।

वचन के अनुसार

लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।

कारक- चिह्नों के अनुसार

लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।

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