सम संख्या: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित होती हैं सम संख्या कहलाती है। जैसे: 2, 4, 6, 8, 10, 12 विषम संख्या: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्या कहलाती है। जैसे: 1, 3, 5, 7, 9, 11 … इत्यादि।
सम और विषम संख्या का योगफल
सम संख्या (Even Number) और विषम संख्या (Odd Number) के योगफल से संबंधित नियम सरल हैं। इसे समझने के लिए निम्नलिखित फार्मूले उपयोग किए जा सकते हैं:
1. सम + सम = सम
दो सम संख्याओं का योगफल हमेशा एक सम संख्या होती है।
उदाहरण: 4+6=10 (सम संख्या)
2. विषम + विषम = सम
दो विषम संख्याओं का योगफल हमेशा एक सम संख्या होती है।
उदाहरण: 3+5=8 (सम संख्या)
3. सम + विषम = विषम
एक सम और एक विषम संख्या का योगफल हमेशा एक विषम संख्या होती है।
उदाहरण: 4+5=9 (विषम संख्या)
लगातार सम और विषम संख्याओं के योग
लगातार सम संख्याओं और लगातार विषम संख्याओं के योग के लिए निम्नलिखित सूत्र उपयोग किए जाते हैं:
1. लगातार दो सम संख्याओं का योगफल:
लगातार दो सम संख्याओं के बीच अंतर 2 होता है।
यदि पहली सम संख्या x है, तो दूसरी सम संख्या x+2 होगी।
योगफल = x+(x+2)=2x+2
उदाहरण: 6 और 8 के लिए: 6+8=2(6)+2=12+2=14
2. लगातार दो विषम संख्याओं का योगफल:
लगातार दो विषम संख्याओं के बीच भी अंतर 2 होता है।
यदि पहली विषम संख्या y है, तो दूसरी विषम संख्या y+2 होगी।
योगफल = y+(y+2)=2y+2
उदाहरण: 7 और 9के लिए: 7+9=2(7)+2=14+2=16
3. लगातारn सम संख्याओं का योगफल:
यदि लगातार n सम संख्याओं का योग निकालना है, तो इसका फार्मूला होगा:
योगफल = n(n+1)
उदाहरण: पहली 3 सम संख्याओं (2, 4, 6) का योग: 3(3+1)=3×4=12
4. लगातारn विषम संख्याओं का योगफल:
यदि लगातार n विषम संख्याओं का योग निकालना है, तो इसका फार्मूला होगा:
योगफल = n2
उदाहरण: पहली 3 विषम संख्याओं (1, 3, 5) का योग: 32=9
सारांश:
लगातार दो सम या विषम संख्याओं का योग 2x+2 के रूप में होता है।
लगातार n सम संख्याओं का योग n(n+1) होता है।
लगातार n विषम संख्याओं का योग n2 होता है।
5. लगातार n प्राकृत संख्याओं का योगफल:
लगातार प्राकृत संख्याओं (Natural Numbers) का योग निकालने के लिए एक सामान्य सूत्र होता है, जिसे समीकरण के रूप में लिखा जा सकता है:
योगफल = n(n+1)/2
जहाँ n वह संख्या है, जहाँ तक योग निकालना है।
उदाहरण:
1. यदि आपको 1 से 10 तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालना है, तो n = 10 होगा:
योगफल = 10(10+1)/2
10 x 11/2 = 110/2 = 55
2. यदि आपको 1 से 20 तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालना है, तो n = 20 होगा:
योगफल = 20(20+1)/2 = 20 x 21/2 = 420/2 = 210
सारांश:
पहली n प्राकृत संख्याओं का योग निकालने के लिए फार्मूला है:
योगफल = n(n+1)/2
इस फार्मूले का उपयोग किसी भी संख्या तक की प्राकृत संख्याओं का योग निकालने के लिए किया जा सकता है।
यहाँ सम और विषम संख्याओं, उनके अंतर, लगातार योगफल, और प्राकृत संख्याओं के लगातार योगफल से संबंधित MCQs दिए गए हैं:
MCQ:
1. सम और विषम संख्या का अंतर:
यदि 12 और 7 का अंतर निकाला जाए, तो परिणाम क्या होगा?
a) 5 (सम संख्या)
b) 6 (सम संख्या)
c) 5 (विषम संख्या)
d) 4 (सम संख्या)
उत्तर: c) 5 (विषम संख्या)
किसी विषम संख्या से सम संख्या घटाने पर परिणाम कैसा होगा?
a) हमेशा विषम संख्या
b) हमेशा सम संख्या
c) कभी विषम कभी सम
d) हमेशा शून्य
उत्तर: a) हमेशा विषम संख्या
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
a) दो सम संख्याओं का अंतर विषम होता है।
b) दो विषम संख्याओं का अंतर विषम होता है।
c) विषम संख्या और सम संख्या का अंतर विषम होता है।
d) सम संख्या और विषम संख्या का अंतर सम होता है।
उत्तर: c) विषम संख्या और सम संख्या का अंतर विषम होता है।
2. लगातार सम और विषम संख्याओं का योगफल:
लगातार दो सम संख्याओं का योग निकालने का फार्मूला क्या है?
a) 2x
b) 2x+1
c) 2x+2
d) x+2
उत्तर: c) 2x+2
यदि x=8 हो, तो लगातार दो सम संख्याओं का योगफल क्या होगा?
a) 16
b) 18
c) 20
d) 22
उत्तर: b) 18
लगातार दो विषम संख्याओं का योगफल क्या होगा?
a) 2x+2
b) 2x+1
c) 2x
d) x+1
उत्तर: a) 2x+2
लगातार विषम संख्याओं 11 और 13 का योग क्या होगा?
a) 22
b) 24
c) 26
d) 28
उत्तर: b) 24
3. लगातार प्राकृत संख्याओं का योगफल:
पहली n प्राकृत संख्याओं का योगफल निकालने का फार्मूला क्या है?
a) n(n+1)/2
b) n(n+2)/2
c) n(n+1)
d) n(n+2)
उत्तर: a) n(n+1)/2
पहली 10 प्राकृत संख्याओं का योगफल क्या होगा?
a) 50
b) 55
c) 60
d) 65
उत्तर: b) 55
लगातार n विषम संख्याओं का योगफल क्या होता है?
a) n(n+1)
b) n2
c) 2n
d) 2n+1
उत्तर: b) n2
पहली 5 विषम संख्याओं का योगफल क्या होगा?
a) 25
b) 15
c) 9
d) 36
उत्तर: a) 25
4. प्राकृत संख्याओं का लगातार योगफल:
यदि पहली 7 प्राकृत संख्याओं का योग निकाला जाए, तो परिणाम क्या होगा?
a) 21
b) 28
c) 15
d) 35
उत्तर: b) 28
1 से 100 तक की प्राकृत संख्याओं का योगफल क्या होगा?
गणित में, दो या दो से अधिक संख्याओं या पदों को जोड़ने के बाद योग को परिणाम या उत्तर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यहां, 5 और 7 जोड़ हैं और 12, 5 और 7 का योग है।
योग संकेतन
जब हम संख्याओं को जोड़ते हैं तो प्लस चिह्न (+) का उपयोग किया जाता है। योग जोड़ से प्राप्त परिणाम का नाम है। हम योग को प्रतीक ∑ (सिग्मा) द्वारा निरूपित कर सकते हैं।
अंकों का योग
एक अंक वाली संख्याओं का योग
दो अंकीय संख्याओं का योग
चरण 1: आसानी से समझने के लिए अंकों के बीच पर्याप्त स्थान देकर कॉलम में दिए गए नंबर लिखें।
चरण 2: इकाई अंक को एक साथ जोड़ें, और कैरी (यदि कोई हो) को स्थानांतरित करें। अंततः, यह इकाई स्थान पर मौजूद संख्याओं का योग देता है।
चरण 3: दहाई अंक जोड़ें और पिछले चरण से कैरी करें (यदि कोई हो) और कैरी को स्थानांतरित करें। यह दहाई के स्थान पर संख्याओं का योग देता है।
चरण 4: इस प्रकार, अंतिम पंक्ति के अंक दी गई संख्याओं का योग दर्शाते हैं।
तीन अंकों की संख्याओं का योग
चरण 1: आसानी से समझने के लिए अंकों के बीच पर्याप्त स्थान देकर कॉलम में दिए गए नंबर लिखें।
चरण 2: इकाई अंक को एक साथ जोड़ें, और कैरी (यदि कोई हो) को स्थानांतरित करें। अंततः, यह इकाई स्थान पर मौजूद संख्याओं का योग देता है।
चरण 3: दहाई अंक जोड़ें और पिछले चरण से कैरी करें (यदि कोई हो) और कैरी को स्थानांतरित करें। यह दहाई के स्थान पर संख्याओं का योग देता है।
चरण 4: सैकड़ों स्थानों के अंकों को जोड़ें, और पिछले चरण से संख्या (यदि कोई हो) ले लें। इस प्रकार, यह परिणाम के सैकड़ों या हजारों या दोनों (योग के आधार पर) प्रदान करता है।
चरण 5: इस प्रकार, अंतिम पंक्ति के अंक दी गई संख्याओं का योग दर्शाते हैं।
संख्या के योगफल संबंधित सूत्र-
प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का योग
योग संख्याओं के अनुक्रम के योग या योग का परिणाम है। इस प्रकार, हम प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के अनुक्रम का योग ज्ञात कर सकते हैं।
पहली n प्राकृतिक संख्याएँ हैं:
1, 2, 3, 4,…., n
यह एक AP है जिसका पहला पद a = 1 और अंतिम पद l = n है।
हम जानते हैं कि, AP के n पदों का योग, जब पहला और अंतिम पद ज्ञात हो, इस प्रकार दिया जाता है:
पहले n प्राकृतिक संख्याओं का योग n(n + 1)/2 द्वारा दिया जाता है।
विषम संख्याओं का योग सूत्र
विषम संख्याओं का क्रम है:
1, 3, 5, 7, 9, 11,…..
यह एक AP है जिसका पहला पद a = 1 और दूसरा पद a + d = 3 है।
सार्व अंतर = d = 3 – 1 = 2
प्रथम n विषम संख्याओं का योग है:
विषम संख्या सूत्र का योग n 2 है ।
सम संख्याओं का योग सूत्र
सम संख्याओं का क्रम है:
2, 4, 6, 8, 10,…..
यह एक AP है जिसका पहला पद a = 2 और दूसरा पद a + d = 4 है।
सार्व अंतर = d = 4 – 2 = 2
प्रथम n विषम संख्याओं का योग है:
सम संख्याओं के योग का सूत्र n(n + 1) है।
n प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों का योग
n प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों के योग का सूत्र इस प्रकार दिया गया है:
Σn 2 = [n(n+1)(2n+1)]/6
इस सूत्र का उपयोग पहले n धनात्मक पूर्णांकों के वर्गों का योग ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का योग
n प्राकृतिक संख्याओं के घनों के योग का सूत्र है:
∑n 3 = [n(n + 1)/2] 2
योग पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1: बैग A में 10 गेंदें हैं और बैग B में 17 गेंदें हैं। गेंदों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।
समाधान:
बैग A में गेंदों की संख्या = 10
बैग B में गेंदों की संख्या = 17
गेंदों की कुल संख्या = 10 + 17 = 27
प्रश्न 2: गौतम के पास 2 रुपये के पांच सिक्के हैं, और कमल के पास 10 एक रुपये के सिक्के हैं, जबकि वीना के पास 5 रुपये के सात सिक्के हैं। तो गौतम, कमल और वीना के पास कुल कितनी धनराशि है?
समाधान:
दी गई जानकारी के मुताबिक,
व्यक्ति
मात्रा
गौतम
5 × रु. 2 = रु. 10
कमल
10 × रु. 1 = रु. 10
वीना
7 × रु. 5 = रु. 35
धनराशि का योग = रु. 10 + रु. 10 + रु. 35 = रु. 55
प्रश्न 3: 1 से 100 तक की संख्याओं का योग कितना होता है?
1 से 100 तक की संख्याओं के योग की गणना इस प्रकार की जा सकती है: n = 100 100 प्राकृतिक संख्याओं का योग = [100(100 + 1)/2] = 50 × 101 = 5050
भाज्य अभाज्य और सहभाज्य संख्या / Divisible, Prime and Composite numbers
भाज्य संख्या (Composite Number)
परिभाषा: वह संख्या जो 1 और स्वयं के अलावा अन्य संख्याओं से भी विभाजित हो सकती है, उसे भाज्य संख्या कहा जाता है। अर्थात, जिसके एक से अधिक गुणनखण्ड (factors) होते हैं।
उदाहरण:
4 (गुणनखण्ड: 1, 2, 4)
6 (गुणनखण्ड: 1, 2, 3, 6)
9 (गुणनखण्ड: 1, 3, 9)
इन सभी संख्याओं के 1 और स्वयं के अलावा अन्य गुणनखण्ड हैं, इसलिए ये भाज्य संख्याएँ हैं।
अभाज्य संख्या (Prime Number)
परिभाषा: वह संख्या जो केवल 1 और स्वयं से विभाजित हो सके, उसे अभाज्य संख्या कहते हैं। अर्थात, जिसके केवल दो ही गुणनखण्ड होते हैं – 1 और वह स्वयं।
उदाहरण:
2 (गुणनखण्ड: 1, 2)
3 (गुणनखण्ड: 1, 3)
5 (गुणनखण्ड: 1, 5)
7 (गुणनखण्ड: 1, 7)
ये संख्याएँ केवल 1 और स्वयं से विभाजित होती हैं, इसलिए ये अभाज्य संख्याएँ हैं।
मुख्य अंतर:
अभाज्य संख्याएँ: जिनके केवल दो ही गुणनखण्ड होते हैं (1 और स्वयं), जैसे 2, 3, 5, 7, 11 आदि।
भाज्य संख्याएँ: जिनके एक से अधिक गुणनखण्ड होते हैं, जैसे 4, 6, 8, 9, 12 आदि।
एक महत्वपूर्ण बिंदु:
1 न तो अभाज्य है और न ही भाज्य, इसे विशेष संख्या माना जाता है।
भाज्य संख्या
1 to 100 के बीच कूल 74 संख्याएँ ऐसी है जो की भाज्य संख्याएँ है। भाज्य संख्या 1 से 100 तक की पूरी लिस्ट निचे दी गई है-
4
6
8
9
10
12
14
15
16
18
20
21
22
24
25
26
27
28
30
32
33
34
35
36
38
39
40
42
44
45
46
48
49
50
51
52
54
55
56
57
58
60
62
63
64
65
66
68
69
70
72
74
75
76
77
78
80
81
82
84
85
86
87
88
90
91
92
93
94
95
96
98
99
100
अभाज्य संख्या ( रूढ़ संख्या )
वे 1 से बड़ी प्राकृतिक संख्याएँ, जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त और किसी प्राकृतिक संख्या से विभाजित नहीं होतीं, उन्हें ‘अभाज्य संख्या’ कहते हैं।
अभाज्य संख्या के गुण
0 और 1 अभाज्य संख्याएँ नही है।
2 को छोड़कर सभी अभाज्य संख्याएँ विषम होती हैं।
1 बड़ी पूर्ण संख्याएँ अभाज्य संख्याएँ कहलाती है।
अभाज्य संख्याएँ में केवल और केवल दो गुणनखंड होते है।
अभाज्य संख्याएँ ज्ञात करने की विधि को गुणनखंड विधि कहते है।
अभाज्य संख्याएँ हमेशा 0 और 1 से बड़ी होती है।
1 से बड़ी सभी अभाज्य संख्या 1 से विभाजित हो सकती है।
अभाज्य संख्या 1 और स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से विभाजित नही हो सकती है।
1 से 200 तक अभाज्य संख्या
2
31
73
127
179
3
37
79
131
181
5
41
83
137
191
7
43
89
139
193
11
47
97
149
197
13
53
101
151
199
17
59
103
157
211
19
61
107
163
223
23
67
109
167
227
29
71
113
173
229
अभाज्य संख्याओं के प्रश्न एवं हल
सबसे छोटी अभाज्य संख्या कौनसी हैं?
A. 1 B. 0 C. 2 D. 4
उत्तर:- सबसे छोटी अभाज्य संख्या 2 हैं।
सबसे छोटी अभाज्य संख्या लिखिए जो 9 से बड़ी हो।
A. 11 B. 13 C. 17 D. 23
उत्तर:- 9 से बड़ी अभाज्य संख्याएँ 11, 13, 17, 19, 23 हैं। इनमें सबसे छोटी संख्या 11 हैं।
सबसे बड़ी अभाज्य संख्या लिखिए जो 18 से छोटी हो।
A. 17 B. 15 C. 13 D. 9
उत्तर:- 18 से छोटी अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17 हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या 17 हैं।
20 से छोटी उन अभाज्य संख्याओं के जोड़े लिखिए जिनका अंतर 2 हो?
A. (3, 5), (5, 7), (11, 13), (17, 19) B. (2, 3), (5, 9), (7, 9) (9, 11) C. (1, 3), (5, 7), (7, 9) (19, 19) D. (3, 5), (5, 7), (7, 9) (17, 19)
हल:- प्रश्ननानुसार, 20 से छोटी अभाज्य संख्याएँ – 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19 20 से छोटी अभाज्य संख्याओं के बीच 2 का अंतर उत्तर:- (3, 5), (5, 7), (11, 13), (17, 19)
ऐसी 50 से छोटी अभाज्य संख्याओं के जोड़े लिखिए जिनका अंतर 1 हो?
A. (2, 3) B. (3, 5) C. (11, 13) D. (17, 19)
50 से छोटी अभाज्य संख्याएँ उत्तर:- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47 50 से छोटी अभाज्य संख्याओं के बीच 1 का अंतर (3 – 2 ) = 1
30 और 40 के बीच की अभाज्य संख्याएँ लिखिए?
A. 1 B. 2 C. 3 D. 4
उत्तर:- 30 और 40 के बीच की अभाज्य संख्याएँ – 31, 37 हैं।
संख्याओं को लिखने के लिए जिसकी आवश्यकता होती है उसे अंक कहते हैं। गणित में कुल 10 अंक (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का प्रयोग किया जाता है। सबसे बड़ा अंक 9 तो सबसे छोटा अंक 0 होता है।
संख्या :-
अंको के मिलने से बनता है वह संख्या होता है। संख्या में एक से अधिक अंक होते है। संख्या विभिन्न अंको का बनता है। जैसे 1 और 0 अंक के प्रयोग 10 संख्या बना सकते हैं।
देवनागरी अंक
अंको से संख्या बनाना
1. किसी भी अंक के बड़े-छोटे अंक बनाने के लिए हम ट्रिक जानते है। बड़े अंक बनाने के लिए, जितने भी अंक का पूछा गया उतना 9 लिख देते है तो उस अंक का सबसे बड़ा अंक बन जाता है जैसे चार अंक सबसे बड़ा अंक 9999।
इसी प्रकार , किसी भी अंक के सबसे छोटे अंक बनाने के लिए 1 के बाद 0 लगाते जाते है तो छोटा अंक बन जाता है। जैसे हम चार अंको का छोटा अंक बनाते है तो 1000।
2. किसी भी अंक के प्रयोग करके बड़ा अंक बनाते है तो अंको को अवरोही क्रम (घटते क्रम) में लिख देने से उस अंक के बड़ी संख्या बन जाती है।
जैसे :-1, 9 , 0, 4 के प्रयोग से बड़ी संख्या बनाते है तो अवरोही क्रम में लिखते है 9410 अतः इस अंक के प्रयोग करके नौ हजार चार सौ दस ही सबसे बड़ी संख्या बनेगी।
3. किसी भी अंक के प्रयोग करके छोटे अंक बनाने के लिए हम अंको को आरोही क्रम में लिखते हैं। ध्यान रहे 0 को पहली नही लिख सकते है उसे दूसरे स्थान में लिखा जाता है।
जैसे:- हम 4, 0, 3, 8 के प्रयोग से सबसे छोटी संख्या बनाते हैं तो हम 3048 लिखते है। हम 0 को पहले नही लिख सकते क्योंकि किसी भी संख्या के पहले 0 का महत्व नही होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
संख्या को हमेशा बाएँ से दाएँ पढ़ना चाहिए ।
शून्य का स्थानीय मान सभी स्थानों पर शून्य ही होता है।
किसी भी संख्या को लिखते समय उसे खण्डों में बाँटते हैं। अलग खण्डों के लिए अल्प-विराम लगाते हैं।
संख्याओं में अल्प विराम बाएँ से दाएँ लगाते हैं।
किसी संख्या के ठीक पहले की संख्या पूर्ववर्ती संख्या कहलाती है ।
किसी संख्या के ठीक बाद की संख्या परवर्ती संख्या कहलाती है।
दो अंकों की सबसे बड़ी संख्या के ठीक बाद तीन अंकों वाली सबसे छोटी संख्या आती है।
तीन अंकों वाली सबसे छोटी संख्या के ठीक पहले दो अंकों वाली सबसे बड़ी संख्या आती है।
आरोही क्रम-छोटी संख्या से शुरू करके क्रम से बड़ी संख्या लिखते हैं।
अवरोही क्रम-बड़ी संख्या से शुरू करके क्रम से छोटी संख्या को लिखते हैं।
भारतीय गणना प्रणाली (Indian Numbering System) एक परंपरागत गणना प्रणाली है जो भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। यह प्रणाली विशेष रूप से बड़ी संख्याओं को समूहित करने के तरीके में अद्वितीय है। यहाँ पर संख्या को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जाता है, जैसे लाख, करोड़, अरब, आदि।
भारतीय गणना प्रणाली (Indian Number System)
भारतीय गणना प्रणाली में स्थानिक मूल्य (Place Value) निम्नलिखित है:
एकक (Units): 1
दहाई (Tens): 10
सैकड़ा (Hundreds): 100
हजार (Thousands): 1,000
दस हजार (Ten Thousands): 10,000
लाख (Lakhs): 1,00,000
दस लाख (Ten Lakhs): 10,00,000
करोड़ (Crores): 1,00,00,000
दस करोड़ (Ten Crores): 10,00,00,000
भारतीय गणना प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:
स्थानिक मूल्य (Place Value): प्रत्येक अंक का मान उसकी स्थिति के अनुसार बदलता है, जैसे संख्या 52,43,876 में:
6 एकक (Units)
7 दहाई (Tens)
8 सैकड़ा (Hundreds)
3 हजार (Thousands)
4 दस हजार (Ten Thousands)
2 लाख (Lakhs)
5 दस लाख (Ten Lakhs)
संख्या विभाजन (Number Grouping):
बड़ी संख्याओं को पढ़ने और समझने में आसानी के लिए इन्हें लाख, करोड़, आदि में विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1,23,45,678 को “एक करोड़ तेईस लाख पैंतालीस हजार छह सौ अठहत्तर” पढ़ा जाता है।
अद्वितीय नामकरण (Unique Naming):
भारतीय प्रणाली में बड़ी संख्याओं के लिए विशेष नाम होते हैं, जैसे लाख (Lakh) और करोड़ (Crore), जो अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में नहीं पाए जाते।
उदाहरण:
1,00,000 को “एक लाख” कहा जाता है।
10,00,000 को “दस लाख” कहा जाता है।
1,00,00,000 को “एक करोड़” कहा जाता है।
10,00,00,000 को “दस करोड़” कहा जाता है।
भारतीय गणना प्रणाली की यह संरचना इसे बड़ी संख्याओं को सरलता से पढ़ने और समझने में सहायक बनाती है।
भारतीय गणना प्रणाली (Indian Number System) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण MCQ निम्नलिखित हैं:
1. भारतीय गणना प्रणाली में एक लाख (1,00,000) को क्या कहा जाता है?
(A) Ten Thousand
(B) Lakh
(C) Million
(D) Crore उत्तर: (B) Lakh
2. भारतीय गणना प्रणाली में 10 करोड़ (10,00,00,000) को क्या कहा जाता है?
(A) Million
(B) Billion
(C) Crore
(D) Trillion उत्तर: (C) Crore
3. भारतीय गणना प्रणाली में हजार का स्थान किसके बाद आता है?
(A) इकाई
(B) दहाई
(C) सैकड़ा
(D) लाख उत्तर: (C) सैकड़ा
4. निम्नलिखित में से कौन-सा सही संख्या है जो भारतीय गणना प्रणाली के अनुसार लिखी गई है?
(A) 123,456,789
(B) 1,23,45,678
(C) 12,345,678
(D) 1,234,567 उत्तर: (B) 1,23,45,678
5. भारतीय गणना प्रणाली में “अरब” के बाद कौन-सा स्थान आता है?
(A) खरब
(B) लाख
(C) करोड़
(D) नील उत्तर: (A) खरब
6. भारतीय गणना प्रणाली में 1 लाख की तुलना में 10 करोड़ कितनी बड़ी संख्या है?
(A) 10 गुना
(B) 100 गुना
(C) 1,000 गुना
(D) 10,000 गुना उत्तर: (D) 10,000 गुना
7. 7 अंकों की सबसे छोटी संख्या भारतीय गणना प्रणाली के अनुसार क्या है?
(A) 1,00,000
(B) 1,00,00,000
(C) 10,00,000
(D) 10,000 उत्तर: (C) 10,00,000
8. भारतीय गणना प्रणाली में ‘दस लाख’ को अंग्रेजी में क्या कहा जाता है?
(A) Hundred Thousand
(B) One Million
(C) Ten Million
(D) One Billion उत्तर: (B) One Million
9. भारतीय गणना प्रणाली में एक अरब (1,00,00,00,000) कितने करोड़ होते हैं?
(A) 10 करोड़
(B) 100 करोड़
(C) 1,000 करोड़
(D) 10,000 करोड़ उत्तर: (B) 100 करोड़
10. भारतीय गणना प्रणाली में 10 के स्थान पर क्या अंक होता है?
अंतर्राष्ट्रीय गणना प्रणाली, जिसे आमतौर पर अरबी अंक प्रणाली (Arabic Numerals System) के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में विश्वभर में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली गणना प्रणाली है। इस प्रणाली में निम्नलिखित अंक शामिल होते हैं: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, और 9।
अंतर्राष्ट्रीय गणना प्रणाली (Arabic Numerals System)
यह प्रणाली दशमलव (Decimal) प्रणाली पर आधारित है, जिसका आधार 10 है। इसमें संख्याओं को एक निश्चित स्थान पर रखकर उनकी मान्यता की जाती है। उदाहरण के लिए:
एकांक स्थान (Units place)
दहाई स्थान (Tens place)
सैकड़ा स्थान (Hundreds place)
हजार स्थान (Thousands place)
मिलियन स्थान (Million place) आदि।
यहाँ अंतरराष्ट्रीय गणना प्रणाली पर आधारित कुछ MCQ (Multiple Choice Questions) दिए गए हैं, जो छात्रों के लिए सहायक हो सकते हैं:
1. निम्नलिखित में से कौन-सा संख्या सही रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में लिखा गया है?
A. 1,000,000 B. 10,00,000 C. 1,00,00,000 D. 1000000
उत्तर: A. 1,000,000
2. अंतरराष्ट्रीय गणना प्रणाली में 1,000,000 को किस रूप में पढ़ा जाता है?
A. दस लाख B. एक मिलियन C. दस मिलियन D. एक अरब
उत्तर: B. एक मिलियन
3. निम्नलिखित में से कौन-सा अंतरराष्ट्रीय अंकन प्रणाली का सही स्वरूप है?
A. Ones, Tens, Hundreds, Thousands, Lakhs B. Ones, Tens, Hundreds, Thousands, Millions, Billions C. Ones, Tens, Hundreds, Thousands, Lakhs, Crores D. Ones, Tens, Hundreds, Thousands, Millions, Crores
उत्तर: B. Ones, Tens, Hundreds, Thousands, Millions, Billions
4. 52,763,841 को अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में कैसे पढ़ा जाएगा?
A. पचास दो लाख, सत्ताईस हजार, छः सौ इक्यासी B. पचपन मिलियन, सात लाख, छियासठ हजार, आठ सौ इक्यासी C. पचास मिलियन, सात लाख, छिहत्तर हजार, आठ सौ इक्यासी D. पचास दो मिलियन, सत्तर हजार, छियासी हजार, आठ सौ इक्यासी
उत्तर: C. पचास मिलियन, सात लाख, छिहत्तर हजार, आठ सौ इक्यासी
5. अंतरराष्ट्रीय अंक प्रणाली में “Billions” के बाद कौन-सा स्थान आता है?
A. Trillions B. Millions C. Thousands D. Quadrillions
उत्तर: A. Trillions
6. 7,654,321 को अंतरराष्ट्रीय अंक प्रणाली में क्या कहा जाएगा?
A. सात मिलियन, छः लाख, पचास चार हजार, तीन सौ इक्यासी B. सात मिलियन, छः लाख, पचपन हजार, तीन सौ इक्यासी C. सात मिलियन, छः लाख, पचास चार हजार, तीन सौ इक्कीस D. सात मिलियन, छः लाख, पचास चार हजार, तीन सौ इक्यावन
उत्तर: C. सात मिलियन, छः लाख, पचास चार हजार, तीन सौ इक्कीस
7. 1 Billion में कितने Millions होते हैं?
A. 100 B. 1,000 C. 10 D. 1
उत्तर: C. 1,000
8. 123,456,789 को अंतरराष्ट्रीय अंकन प्रणाली में कैसे पढ़ेंगे?
A. एक सौ तेईस मिलियन, चार लाख, पचास छः हजार, सात सौ इक्यासी B. एक सौ तेईस मिलियन, चार लाख, छप्पन हजार, सात सौ इक्यासी C. एक सौ तेईस मिलियन, चालीस छः लाख, छप्पन हजार, सात सौ इक्यासी D. एक सौ बीस तीन मिलियन, चालीस पांच हजार, छप्पन हजार, सात सौ इक्यासी
उत्तर: B. एक सौ तेईस मिलियन, चार लाख, छप्पन हजार, सात सौ इक्यासी
9. निम्नलिखित में से कौन-सा संख्या अंतरराष्ट्रीय अंकन प्रणाली का हिस्सा नहीं है?
A. Millions B. Billions C. Lakhs D. Trillions
उत्तर: C. Lakhs
10. अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में 12,345,678 को कैसे विभाजित किया जाएगा?
A. 12 Million, 345 Thousand, 678 B. 12 Billion, 345 Million, 678 Thousand C. 12 Thousand, 345 Hundred, 678 D. 12 Crores, 345 Lakhs, 678 Thousands
रोमन गणना प्रणाली (Roman Numerals System) एक प्राचीन गणना प्रणाली है जिसमें अंकों को वर्णमाला द्वारा दर्शाया जाता है। यह प्रणाली रोमन सभ्यता द्वारा प्रयोग की जाती थी और आज भी कुछ विशेष संदर्भों में उपयोग की जाती है।
रोमन गणना प्रणाली(Roman Numerals System)
रोमन गणना प्रणाली में, प्रमुख रोमन संख्याओं के वर्ण हैं: I, V, X, L, C, D, और M, जो निम्नलिखित मानों को दर्शाते हैं:
I = 1
V = 5
X = 10
L = 50
C = 100
D = 500
M = 1000
रोमन गणना प्रणाली: नियम
रोमन गणना प्रणाली में कुछ नियम होते हैं:
एक संकेत के दाईं ओर एक संकेत का अधिकार वहीं होता है। जैसे, II = 2, VIII = 8।
छोटे संकेत, जैसे I, X, C, इस उदाहरण में, बड़े संकेत, जैसे V, L, D, और M,
यदि एक छोटा संकेत एक बड़े संकेत के बाईं ओर होता है, तो यह बड़े संकेत से घटाया जाता है। उदाहरण के लिए:
IV = 4 (5 – 1)
IX = 9 (10 – 1)
XL = 40 (50 – 10)
XC = 90 (100 – 10)
CD = 400 (500 – 100)
CM = 900 (1000 – 100)
एक ही संकेत को लगातार तीन से अधिक बार उपयोग नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, 4 को IIII नहीं, बल्कि IV लिखा जाता है।
इन नियमों के आधार पर, रोमन अंकों को संयोजित कर किसी भी संख्या को लिखा जा सकता है। उदाहरण के लिए:
1987 = MCMLXXXVII
M = 1000
CM = 900
L = 50
XXX = 30
VII = 7
4000 को रोमन संख्या में IV̅ लिखा जाता है।
यहाँ IV̅ में “I” से पहले “V” का अर्थ 4 होता है, और ऊपर की रेखा ( – ) संख्या को 1000 से गुणा करती है।
यहाँ पर रोमन अंक प्रणाली पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण MCQ दिए गए हैं:
प्रश्न 1: रोमन अंक “XVI” का दशमलव मान क्या है?
A) 14
B) 16
C) 18
D) 20 उत्तर: B) 16
प्रश्न 2: रोमन अंक “L” का दशमलव मान क्या है?
A) 100
B) 500
C) 50
D) 5 उत्तर: C) 50
प्रश्न 3: रोमन अंक “C” किस संख्या का प्रतीक है?
A) 50
B) 100
C) 150
D) 200 उत्तर: B) 100
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा सही रोमन अंक है?
A) IIII
B) IV
C) IIV
D) VV उत्तर: B) IV
प्रश्न 5: रोमन अंक “D” का दशमलव मान क्या है?
A) 1000
B) 500
C) 50
D) 100 उत्तर: B) 500
प्रश्न 6: रोमन अंक “IX” किस संख्या का प्रतिनिधित्व करता है?
A) 7
B) 8
C) 9
D) 10 उत्तर: C) 9
प्रश्न 7: रोमन अंक “XL” का दशमलव मान क्या है?
A) 30
B) 40
C) 60
D) 90 उत्तर: B) 40
प्रश्न 8: रोमन अंक “MCMXC” किस संख्या का प्रतीक है?
A) 1900
B) 1990
C) 1950
D) 2000 उत्तर: B) 1990
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा रोमन अंक “94” को सही ढंग से दर्शाता है?
A) XCIV
B) IXIV
C) LXXXXIV
D) IC उत्तर: A) XCIV
प्रश्न 10: 2023 को रोमन अंकों में कैसे लिखा जाता है?
किसी संख्या के ठीक पहले आने वाली संख्या को उस संख्या का पूर्ववर्ती संख्या कहते है। या किसी मूल संख्या में एक घटाने पर प्राप्त संख्या को पूर्ववर्ती संख्या कहते हैं।
जैसे :- 50 का पूर्ववर्ती संख्या 49 है। 50 में एक घटाने पर 49 प्राप्त होता है या 50 से पहले आने वाली संख्या 49 है।
परवर्ती संख्या ( Successor Number)
किसी संख्या के ठीक पहले आने वाली या किसी संख्या पर एक जोड़ने से प्राप्त संख्या को परवर्ती संख्या कहते हैं।
जैसे:- 60 का परवर्ती संख्या 61 होगा। 60 के बाद 61 आता है या 60 में एक जोड़ने पर 61 प्राप्त होता है।
पूर्ववर्ती और परवर्ती संख्या पर महत्वपूर्ण प्रश्न
चार अंको के सबसे छोटी संख्या के पूर्ववर्ती संख्या बताओ?
99 के पूर्ववर्ती संख्या और परवर्ती संख्या के गुणनफल क्या होगा?
किसी भी संख्या के परवर्ती व पूर्ववर्ती संख्या के बीच अंतर कितना होता है?
संख्या 500 के पूर्ववर्ती संख्या और परवर्ती संख्या के योगफल कितना होगा?
किसी संख्या के परवर्ती संख्या भाज्य और पूर्ववर्ती संख्या भाजक हो तो शेषफल कितना होगा?
10000 का पूर्ववर्ती संख्या कितना है?
3333 किसी संख्या का परवर्ती संख्या है तो मूल संख्या को बताओ?
5 का परवर्ती संख्या और 7 का पूर्ववर्ती संख्या के गुणनफल कितना होगा?
709 के परवर्ती संख्या और 907 के पूर्ववर्ती संख्या के योगफल कितना होगा?
पूर्ववर्ती, परवर्ती और मूल संख्या में सबसे बड़ा कौन होता है?
गिनती में उपयोग की जाने वाली सभी संख्याएँ प्राकृतिक संख्या कहलाती हैं।
Ex :- 1, 2, 3, 4, 5,………
सम संख्याएँ (Even Number) :-
ऐसी प्राकृतिक संख्या जो 2 से पूर्णतः विभाजित होती हैं, उन्हें सम संख्या कहा जाता हैं।
Ex :- 2, 4, 6, 8, 10,………
विषम संख्याएँ (Odd Numbers) :-
ऐसी प्राकृतिक संख्या जो 2 से पूर्णतः से विभाजित न हो उन्हें विषम संख्या कहते हैं।
Ex :- 1, 3, 5, 7, 9,………
पूर्णांक संख्याएँ :-
धनात्मक त्रणात्मक और जीरों से मिलकर बनी हुई संख्याएँ पूर्णांक संख्या होती हैं।
Ex :- -3, -2, -1, 0, 1, 2,………
पूर्णांक संख्याएँ तीन प्रकार की होती हैं।
धनात्मक संख्याएँ :- एक से लेकर अनंत तक की सभी धनात्मक संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक हैं। Ex : +1, +2, +3, +4, +5,……… त्रणात्मक संख्याएँ :- 1 से लेकर अनंत तक कि सभी त्रणात्मक संख्याएँ त्रणात्मक पूर्णांक हैं। Ex : -1, -2, -3, -4, -5,……… उदासीन पूर्णांक :- ऐसा पूर्णांक जिस पर धनात्मक और त्रणात्मक चिन्ह का कोई प्रवाह ना पड़े। और यह जीरो होताा हैं। Ex : -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,………
पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers) :-
प्राकृतिक संख्याएँ में 0 से सामिल कर लेने से पूर्ण संख्या बनती हैं।
Ex :- 0, 1, 2, 3, ………
भाज्य संख्या (Composite Numbers) :-
ऐसी प्राकृत संख्या जो स्वंय और 1 से विभाजित होने के अतिरिक्त कम से कम किसी एक अन्य संख्या से विभाजित हो उन्हें भाज्य संख्या कहते हैं।
Ex :- 4, 6, 8, 9, 10, 12, ………
अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers) :-
ऐसी प्राकृतिक संख्याएँ जो सिर्फ स्वंय से और 1 से विभाजित हो और किसी भी अन्य संख्या से विभाजित न हो उन्हें अभाज्य संख्याएँ कहेंगे।
Ex :- 2, 3, 5, 11, 13, 17, ………
सह अभाज्य संख्या (Co-Prime Numbers) :-
कम से कम 2 अभाज्य संख्याओ का ऐसा समूह जिसका (HCF) 1 हो सह अभाज्य संख्या कहलाती हैं।
Ex :- (5, 7), (2, 3)
परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) :-
ऐसी सभी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता हैं। उन्हें परिमेय संख्या कहते है (q हर का मान जीरो नहीं होना चाहिए)
Ex :- 5, 2/3, 11/4, √25
अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) :-
ऐसी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में नही लिखा जा सकता और मुख्यतः उन्हें (√) के अंदर लिखा जाता हैं और कभी भी उनका पूर्ण वर्गमूल नहीं निकलता अपरिमेय संख्या कहते हैं।
Ex :- √3, √105, √11, √17,
नोट : π एक अपरिमेय संख्या हैं।
वास्तविक संख्या (Real Numbers) :-
परिमेय और अपरिमेय संख्याओ को सम्मलित रूप से लिखने पर वास्तविक संख्या प्राप्त होती हैं।
Ex :- √3, 2/5, √15, 4/11,
अवास्तविक संख्या (Imaginary Numbers) :-
ऋणात्मक संख्याओं का वर्गमूल लेने पर जो संख्याएँ बनती हैं, उन्हें काल्पनिक संख्या या अवास्तविक संख्या कहते हैं।
सम संख्या और विषम संख्या / Even Number and Odd Number
सम संख्या और विषम संख्या
सम संख्या (Even Number) :-
वह संख्या जो दो बराबर भागों में बंट जाए वह सम संख्या कहलाता है। जैसे – 2, 4, 6, 8, 10, 12 आदि। सम संख्या को आसानी हम पहचान सकते हैं। जिसके इकाई में 0, 2, 4, 6, 8 अंक हो वह सम संख्या होता है। जैसे – 6754892
वे संख्याएं जो 2 से पूर्णत विभाजित हो जाती हैं, सम संख्या कहलाती है। जैसे 2,4,6,8,10
जिस संख्या के अन्त में 2,4,6,8,0 आयेगा वे सभी सम संख्या हैं
विषम संख्या (Odd Number) :-
वह संख्या जो बराबर दो भागों में नही बंटता है वह विषम संख्या है जैसे – 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13 आदि। विषम संख्या को हम आसानी से पहचान सकते हैं जिस संख्या के इकाई में 1, 3, 5, 7, 9 आये वह विषम संख्या होता है। जैसे – 562491
वे संख्याएं जो 2 से पूर्णत विभाजित नहीं होती है, विषम संख्याएं कहलाती है। जैसे 1,3,5,7,9
जिस संख्या के अन्त में 1,3,5,7,9 आयेगा वे विषम संख्या हैं।
सम और विषम संख्या
महत्वपूर्ण बिंदु
दो सम संख्याओं का योगफल, अंतर, गुणनफल सम संख्या होता है।
दो विषम संख्या के योगफल और अंतर से सम संख्या प्राप्त होता है। जबकि दो विषम संख्या के गुणा से गुणनफल विषम संख्या होता है।
1. दो सम संख्याओं का योगफल सदैव सम संख्या होता है।
उदाहरण = 2+6 = 8, 0+4 = 4, 4+2=6
2. सम और विषम संख्याओं का योगफल सदैव विषम संख्याएं होता है।
उदाहरण = 4+3=7
3. दो विषम संख्याओं का योगफल सदैव सम होता है।
उदाहरण = 9+5 = 14, 7+3 = 10
महत्वपूर्ण प्रश्न
● दो अंको के सबसे बड़े सम संख्या और तीन अंको के सबसे छोटे विषम संख्या का योगफल कितना होता है?
● अंक 2, 4, 8, 1, 0 के प्रयोग (दोबारा प्रयोग नही) करके पांच अंकीय सबसे छोटे विषम संख्या बनाओ?
● 30 और 35 के मध्य सम संख्याओं के गुणनफल कितना होगा?
● दो विषम संख्या को गुणा करने पर गुणनफल कौन सा संख्या होगा?
● एक अंकीय विषम संख्या का योगफल कितना होगा?
● चार अंक के सबसे छोटे विषम संख्या और तीन अंक सबसे बड़े सम संख्या के बीच अंतर कितना होगा?
● अंक 1, 4, 0, 9, 6 से प्रयोग (दोबारा प्रयोग नही) से बने पांच अंकीय सबसे बड़े विषम संख्या और सबसे सम संख्या का योगफल होगा?
● अंक 8 व 9 के प्रयोग करके तीन अंक सबसे बड़े सम संख्या और सबसे छोटे सम संख्या के बीच कितना अंतर है? (कोई एक अंक का दोबारा प्रयोग कर सकते हो)
● दो अंक सबसे छोटे सम संख्या और एक अंक सबसे बड़े सम संख्या का गुणनफल कितना है?
● 4352 में कम से कम कितना जोड़े तो विषम संख्या प्राप्त होगा?
किसी संख्या का इकाई अंक ज्ञात करने करने के लिए दी हुई संख्याओं के इकाई के अंकों की गुणा करते हैं।
उदाहरण के लिए :- 128 x 297 x 562 x 34 में इकाई का अंक क्रमशः 8, 7, 2, 4 हैं जिनका गुणा करने पर हमें 448 प्राप्त होता है जिसके इकाई का अंक 8 हैं। अतः 128 x 297 x 562 x 34 का गुणा करने पर गुणनफल में इकाई का अंक 8 होगा।
Question :- 128 x 297 x 562 x 34 में इकाई का अंक क्या है?
=8 x 7 x2 x 4 (128 x 297 x 562 x 34 में इकाई का अंक लेने पर) = 56 x 2 x 4 (प्रथम दो का गुणा करने पर) = 6 x 2x 4 (56 में इकाई का अंक लेने पर) = 12 x 4 (प्रथम दो का गुना करने पर) =2 x 4 (12 में इकाई का अंक लेने पर) =8 (यही 128 x 297 x 562 x 34 में इकाई का अंक है)
घातांक वाली संख्याओं में इकाई का अंक ज्ञात करना
Rule 1.
यदि घातांक के रूप दी हुई किसी संख्या के इकाई का अंक ज्ञात करना हो तो दी हुई संख्या के आधार में इकाई का अंक यदि 0, 1, 5, 6, हों तो उसका मान निकालने पर इकाई का अंक परिवर्तित नहीं होता। अर्थात उनमें इकाई के अंक क्रमशः 0,1, 5, 6 ही होंगे।
उदाहरण के लिए :- 1019 में इकाई का अंक = 0 586211923 में इकाई का अंक = 1 2965300 में इकाई का अंक = 5
Rule 2.
दी हुई संख्या के आधार में इकाई का अंक यदि 0, 1, 5, 6 नहीं है यानि कि 2, 3, 4, 7, 8, 9 हो तो इनका इकाई का अंक निकलने के लिए उनके घात में 4 से भाग देते हैं। और प्राप्त शेषफल को घात के स्थान पर रखकर हल करते हैं। उदाहरण के लिए :-
Question :- 5621999 में इकाई का अंक क्या होगा?
= 1999 में 4 से भाग देने पर शेषफल 3 प्राप्त होगा = 5623 =23 = 8 (यही 5621999 में इकाई का अंक है)
Rule 3.
किसी भी संख्या की घात में भाग देनें पर जब शेषफल शून्य (0) प्राप्त हो इकाई के अंक इस प्रकार निर्धारित होंगे :-
संख्या के आधार का इकाई का अंक यदि 2, 4, 8 तब इकाई का अंक = 6
संख्या के आधार का इकाई का अंक यदि 3,7, 9 तब इकाई का अंक = 1
Question :- 2992 में इकाई का अंक क्या होगा?
= यहॉ घातांक में भाग देने पर शेषफल शून्य प्राप्त होता है। = आधार के इकाई का अंक 9 है। = जैसा कि आप जान चुके हैं कि भागफल शून्य प्राप्त होने पर, संख्या के आधार का इकाई का अंक यदि 3,7, 9 तब इकाई का अंक = 1 = 1 (यही 2992 में इकाई का अंक है)
Rule 4.
यदि घटाने में पहले वाली संख्या छोटी है उस संख्या में 10 जोड़ देंगे, ना कि उत्तर ऋणात्मक होगा। जैसे :-
Question :- 16925529 – 853714 में इकाई का अंक क्या होगा?
= 5-72 = 5-9 (यहाँ 5, 9 से छोटा है अतः 5 में 10 जोड़ेंगे।) =15-9 = 6 (यही 16925529 – 853714 में इकाई का अंक है)
Rule 5.
यदि किसी संख्या का गुणा करने में उसके मध्य में किसी भी रूप में पांच (5) और दो (2) आता है तो उस संख्या के गुणनफल के अंत में शून्य अवश्य प्राप्त होगा। अर्थात इकाई का शून्य (0) होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं यदि किसी संख्या के मध्य में पांच (5) और दो (2) आता है तो उस संख्या के गुणनफल में इकाई का अंक शून्य होगा।
Question :- 1 से 25 तक सभी संख्याओं का गुणा किया जाये तब इकाई का अंक क्या होगा?
=1x2x3x4x5x 6……….25 = 10x1x3x 4x 6………..25 (5 और 2 का गुणा करने पर) =0 (10 में इकाई का अंक 0 है, जब शून्य का अन्य संख्या में गुणा करेंगे तो शून्य ही प्राप्त होगा) अर्थात गुणा में यदि किसी संख्या के इकाई का अंक शून्य है तो उस संख्या के गुणनफल में इकाई का अंक भी शून्य ही होगा।
संख्याओं का इकाई अंक पर आधारित MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)
· संख्या 2735 का इकाई अंक क्या है?
(A) 3
(B) 5
(C) 7
(D) 2
· जब 5678 को 10 से विभाजित किया जाता है, तो शेषफल के रूप में कौन सा अंक आता है?
(A) 5
(B) 6
(C) 8
(D) 7
· संख्या 7542 के घन का इकाई अंक क्या होगा?
(A) 2
(B) 4
(C) 8
(D) 6
· किस संख्या का वर्गमूल 7 के साथ समाप्त होगा?
(A) 47
(B) 49
(C) 23
(D) 25
· यदि किसी संख्या का इकाई अंक 9 हो, तो उसकी घात संख्या (किसी भी शक्ति पर) का इकाई अंक क्या होगा?
(A) 1
(B) 9
(C) 3
(D) 7
संख्या 2 की घात 10 (210) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 0
B) 2
C) 4
D) 8
उत्तर: A) 0
संख्या 7 की घात 3 (73) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 1
B) 3
C) 7
D) 9
उत्तर: D) 9
संख्या 9 की घात 5 (95) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 1
B) 5
C) 9
D) 3
उत्तर: C) 9
संख्या 4 की घात 7 (47) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 4
B) 6
C) 8
D) 2
उत्तर: B) 6
संख्या 3 की घात 8 (38) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 9
B) 1
C) 3
D) 7
उत्तर: B) 1
संख्या 5 की किसी भी घात का इकाई अंक क्या होगा?
A) 0
B) 2
C) 5
D) 8
उत्तर: C) 5
6782 की घात 4 का इकाई अंक क्या होगा?
A) 4
B) 6
C) 8
D) 2
उत्तर: B) 6
12345 की घात 2 का इकाई अंक क्या होगा?
A) 5
B) 0
C) 1
D) 2
उत्तर: A) 5
437 की घात 3 का इकाई अंक क्या होगा?
A) 7
B) 1
C) 3
D) 9
उत्तर: D) 9
संख्या 8 की घात 6 (86) का इकाई अंक क्या होगा?
A) 2
B) 4
C) 6
D) 8
उत्तर: C) 6
ये प्रश्न संख्याओं के इकाई अंक पर आधारित गणना के लिए उपयोगी हैं।
संख्या पद्धति(NUMBER SYSTEM): सूत्र व महत्वपूर्ण तथ्य
संख्या पद्धति ((NUMBER SYSTEM)के सूत्र
लगातार प्राकृत संख्याओं के योग = n(n + 1)/2
लगातार सम संख्याओं के योग = n/2 (n/2 + 1)
लगातार विषम संख्याओं के योग = (n/2 + 1)²
दो क्रमागत पदों का अंतर समान हो तो योग = पदों की संख्या (पहला पद + अंतिम पद)/2
लगातार प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग = n(n + 1)(2n + 1)/6
लगातार प्राकृत संख्याओं के घनों का योग = [n(n + 1)/2]²
प्रथम से n तक कि सम संख्याओं का योग = n(n + 1)
प्रथम से n तक कि विषम संख्याओं का योग = n²
भागफल = भाज्य ÷ भाजक (पूर्ण विभाजन में)
भाज्य = भागफल × भाजक (पूर्ण विभाजन में)
भाजक = भाज्य ÷ भागफल (पूर्ण विभाजन में)
भागफल = (भाज्य – शेषफल) ÷ भाजक (अपूर्ण विभाजन में)
भाज्य = भागफल × भाजक + शेषफल (अपूर्ण विभाजन में)
भाजक = (भाज्य – शेषफल) ÷ भागफल (अपूर्ण विभाजन में)
संख्या पद्धति के महत्वपूर्ण बिंदु
संख्या 1 न तो भाज्य है और न अभाज्य
ऐसी संख्या जो अभाज्य हो एवं सम संख्या हो केवल 2 है।
वे दो अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है।
जिसमें अभाज्य जोड़ा जाए कहलाती है। जैसे : 5 व 7, 3 व 5, 11 व 13, 17 व 19, 29 व 31 आदि।
सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं।
सभी पूर्ण संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं।
सभी पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होते हैं।
सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं।
अभाज्य (रूढ़) एवं यौगिक, सम तथा विषम संख्या होती हैं।
सभी पूर्णाक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों होती हैं।
प्राकृत ( अभाज्य, यौगिक, सम एवं विषम ) एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं।
भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं।
2 के अतिरिक्त सभी अभाज्य (रूढ़) संख्याएँ विषम होती हैं।
0 ऋणात्मक एवं धनात्मक नहीं है।
शून्य ( 0 ) में किसी भी संख्या का भाग देने पर शून्य आता है अतः 0/a = 0 (यहाँ पर a वास्तविक संख्या है)
किसी भी संख्या में शून्य का भाग देना परिभाषित नहीं है अर्थात् यदि किसी भी संख्या में शून्य का भाग देते हैं, तो भागफल अनन्त (Infinite या Non Defined) आता है, अतः a/0 = ∞ (Infinite)
किसी संख्या में किसी अंक का जो वास्तविक मान होता है, उसे जातीय मान कहते हैं, जैसे: 5283 में 2 का जातीय मान 2 है।
किसी संख्या में किसी अंक का स्थान के अनुसार जो मान होता है उसे उसका स्थानीय मान कहते हैं, जैसे – 5283 में 2 का स्थानीय मान 200 है।
दो परिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल सदैव एक परिमेय संख्या होती है।
दो अपरिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल कभी परिमेय संख्या तथा कभी अपरिमेय संख्या होता है।
एक परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल अथवा योगफल सदैव एक अपरिमेय संख्या होता है।
π एक अपरिमेय संख्या है।
दो परिमेय संख्याओं या दो अपरिमेय संख्याओं के बीच अनन्त परिमेय संख्याएँ या अनन्त अपरिमेय संख्याएँ हो सकती हैं।
परिमेय संख्या को दशमलव निरूपण या तो सीमित होता है या असीमित आवर्ती होता है, जैसे:- 3/4 = 0.75 ( सीमित ) 11/3 = 3.666 (असीमित आवर्ती)
अपरिमेय संख्या का दशमलव निरूपण अनन्त व अनावर्ती होता है, जैसे:- √3, √2
प्रत्येक सम संख्या का वर्ग एक सम संख्या होती है तथा प्रत्येक विषम संख्या का वर्ग एक विषम संख्या होती है।
यदि दशमलव संख्याएँ 0.x तथा 0.xy के रूप में दी होती हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं।
0.x = x/10 तथा 0.xy = xy/100 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक है , तो 10 का , दो अंक हैं, तो 100 का, तीन अंक हैं, तो 1000 का भाग देने पर दशमलव संख्या परिमेय (भिन्न) बन जाती है।
यदि अशान्त ( अनन्त ) आवर्ती दशमलव संख्याएँ 0.x तथा xy के रूप की हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं।
0.x̅ = x/9 तथा 0. x̅x̅ = xx/99 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक बार सहित हो , तो 9 का , दो अंक बार सहित हों तो 99 का , तीन अंक हों तो 999 का भाग करके दशमलव संख्या परिमेय में बदल जाती है।
यदि अशान्त आवर्ती दशमलव संख्याएँ 0.xy तथा 0.xyz के रूप की हों , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं – 0.x̅y̅ (xy – x)/90 तथा 0.x̅y̅z̅ = (xyz – x)/990 (यहाँ x , y , z प्राकृतिक अंक हैं)
किसी भी पहाड़े का योग उस संख्या (पहाड़े) के 55 गुने के बराबर होता है। अर्थात् n के पहाड़े का योगफल = 55n
विभाज्यता के नियम (divisibility rule) उन विधियों को कहते हैं जो सरलता से बता देते हैं कि कोई प्राकृतिक संख्या किसी दूसरी संख्या से विभाजित हो सकती है या नहीं।
विभाज्यता के नियम (Divisibility Rule)
विभाजक
विभाजन की शर्त/शर्तें
उदाहरण
1
स्वत:
सभी पूर्णांक 1 से विभाज्य हैं।
2
संख्या का अन्तिम अंक सम (0, 2, 4, 6, or 8) हो।
1,294: इसमें अन्तिम अंक 4 सम है।
3
दी हुई संख्या के सभी अंकों का योग 3 से विभाजित हो। बहुत बड़ी संख्याओं (जिनके अंकों का योग भी बड़ी संख्या हो) के लिये यह नियम अंकों के योग पर भी लागू किया जाता है।
405:6+3+6=15 जो कि 3 से विभाज्य है। 16,499,205,854,376 के अंकों का योग 69 है; 6 + 9 = 15, 1 + 5 = 6, जो स्पष्टत: 3 से विभाज्य है।
4
संख्या के इकाई स्थान के अंक में दहाई स्थान के अंक का दो गुना जोड़िये। (दहाई स्थान के बांये के सारे अंकों का इसके लिये कोई महत्व नहीं है।)
5,096: 6 + (2 × 9) = 24
अन्तिम दों अंकों से बनी संख्या 4 से विभाज्य हो।
40832: 32 is divisible by 4.
यदि दहाई स्थान पर स्थित अंक सम हो तथा इकाई स्थान पर 0, 4, या 8 हो।यदि दहाई स्थान का अंक विषम हो तथा इकाई स्थान पर 2, या 6.
40832: 3 विषम है, तथा अन्तिम अंक 2 है।
5
अन्तिम अंक 0 या 5.
490: अतिम अंक 0 है।
6
संख्या 2 और 3 दोनो से विभक्त होती हो।
1,458: 1 + 4 + 5 + 8 = 18, 1 + 8 = 9, अत: संख्या 3 से विभाज्य है और साथ ही अन्तिम अंक सम होने के कारण 2 से भी विभाज्य है। इसलिये यह संख्या 6 से विभाज्य है।
अन्तिम अंक में अन्य अंकों के योग का चौगुना जोड़ें।
198: (1 + 9) × 4 + 8 = 48
7
निम्नलिखित प्रक्रिया करने के बाद प्राप्त संख्या 7 से विभाज्य होनी चाहिये:
दायें से बायें तरफ संख्या के अंकों का तीन-तीन का समूह बनाकर इनका एकान्तर योग निकालिये।
1,369,851: 851 – 369 + 1 = 483 = 7 × 69
अन्तिम अंक का दोगुना, बाकी संख्या से घटाइये और जांचिये कि परिणाम 7 से विभाज्य है या नहीं।
483: 48 – (3 × 2) = 42 = 7 x 6.
या, अन्तिम संख्या के पाँच गुने में बाकी बची संख्या को जोड़िये.
483: 48 + (3 × 5) = 63 = 7 x 9.
8
निम्नलिखित प्रक्रिया करने के बाद प्राप्त संख्या 8 से विभाज्य होनी चाहिये:
यदि ‘सैकड़ा’ के स्थान वाला अंक सम है तो अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या की परीक्षा कीजिये कि यह 8 से विभाज्य है या नहीं।
624: 24.
यदि सैकड़ा के स्थान पर वाला अंक विषम है तो अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या में 4 जोड़कर परीक्षा कीजिये कि यह 8 से विभाज्य है या नहीं।.
352: 52 + 4 = 56.
इकाई स्थान के अंक को छोड़कर जो संख्या बचती है उसके दोगुने में इकाई वाला अंक जोड़िये और परीक्षा कीजिये कि यह 8 से विभाज्य है या नहीं।
56: (5 × 2) + 6 = 16.
संख्या के केवल अन्तिम तीन अंकों से बनी संख्या की परीक्षा कीजिये और देखिये कि यह 8 से विभाज्य है या नहीं।
34152: केवल 152 के विभाज्यता की परीक्षा कीजिये: 19 x 8
9
सभी अंकों का योगफल 9 से विभाज्य होना चाहिये। बड़ी संख्याओं के लिये यह क्रिया बार-बार की जा सकती है अर्थात अंकों का योग भी बड़ा हो तो उसकी भी इसी रीति से परीक्षा की जाती है। अन्तिम परिणाम 9 आना चाहिये।
2,880: 2 + 8 + 8 + 0 = 18: 1 + 8 = 9.
10
अन्तिम अंक शून्य (0) होना चाहिये।
130: अन्तिम अंक 0 है।
11
निम्नलिखित प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप प्राप्त संख्या 11 से विभाज्य होनी चाहिये:
एकानतर अंकों (एक-एक अंक छोड़कर) का योग-घटाना कीजिये और देखिये कि यह 11 से विभाजित होता है या नहीं।
918,082: 9 – 1 + 8 – 0 + 8 – 2 = 22.
दायें से बायें तरफ संख्या के अंकों को दो-दो के समूह में योग कीजिये और देखिये कि यह 11 से विभाजित होता है या नहीं।
627: 6 + 27 = 33.
अन्तिम अंक को बाकी बचे अंकों से बनी संख्या से घटाइये और देखिये कि यह 11 से विभाजित होता है या नहीं।
627: 62 – 7 = 55.
12
जो संख़्या,3 और 4 दोनो से विभाज्य़ हो
324: it is divisible by 3 and by 4.
अंतिम अंक को शेष के दोगुने से घटाएं।
324: (32 × 2) − 4 = 60.
13
इन उदाहरणों से प्राप्त संख्या 13 से विभाज्य होनी चाहिए, इस प्रकार:
अंकों को दाएं से बाएं तीन के वैकल्पिक ब्लॉक में जोड़ें, फिर दो योग घटाएं।
2,911,272: − (2 + 272) + 911 = 637
शेष में अंतिम अंक का 4 गुना जोड़ें।
637: 63 + (7 × 4) = 91, 9 + (1 × 4) = 13.
14
यह 2 और 7 से विभाज्य है।
224: it is divisible by 2 and by 7.
अंतिम दो अंकों को शेष के दोगुने में जोड़ें। उत्तर 14 से विभाज्य होना चाहिए।
364: (3 × 2) + 64 = 70.
विभाज्यता नियम 1
प्रत्येक संख्या 1 से विभाज्य है। 1 के लिए विभाज्यता नियम में कोई शर्त नहीं है। किसी भी संख्या को 1 से विभाजित करने पर संख्या स्वयं प्राप्त होगी, चाहे वह संख्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो। उदाहरण के लिए, 3, 1 से विभाज्य है और 3000 भी 1 से पूर्णतः विभाज्य है।
2 का विभाज्यता नियम
यदि कोई संख्या सम है या ऐसी संख्या जिसका अंतिम अंक सम संख्या है यानी 0 सहित 2,4,6,8, तो वह हमेशा 2 से पूर्णतः विभाज्य होती है।
उदाहरण: 508 एक सम संख्या है और 2 से विभाज्य है, लेकिन 509 एक सम संख्या नहीं है, इसलिए यह 2 से विभाज्य नहीं है। 508 2 से विभाज्य है या नहीं, इसकी जांच करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:
संख्या 508 पर विचार करें
बस अंतिम अंक 8 लें और इसे 2 से विभाजित करें
यदि अंतिम अंक 8, 2 से विभाज्य है तो संख्या 508 भी 2 से विभाज्य है।
3 के लिए विभाज्यता नियम
3 के लिए विभाज्यता नियम कहता है कि कोई संख्या 3 से पूर्णतः विभाज्य होती है यदि उसके अंकों का योग 3 से विभाज्य हो।
308, 3 से विभाज्य है या नहीं ?
अंकों का योग लें (अर्थात् 3+0+8= 11)। अब जांचें कि योग 3 से विभाज्य है या नहीं। यदि योग 3 का गुणज है, तो मूल संख्या भी 3 से विभाज्य है। यहाँ, चूँकि 11, 3 से विभाज्य नहीं है, 308 भी 3 से विभाज्य नहीं है।
इसी प्रकार, 516 पूर्णतः 3 से विभाज्य है क्योंकि इसके अंकों का योग अर्थात 5+1+6=12, 3 का गुणज है।
4 का विभाज्यता नियम
यदि किसी संख्या के अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य हैं, तो वह संख्या 4 का गुणज है और 4 से पूर्णतः विभाज्य है।
उदाहरण: संख्या 2308 लें।
अंतिम दो अंकों यानी 08 पर विचार करें। चूँकि 08, 4 से विभाज्य है, मूल संख्या 2308 भी 4 से विभाज्य है।
5 का विभाज्यता नियम
वे संख्याएँ, जिनके अंतिम अंक 0 या 5 हैं, हमेशा 5 से विभाज्य होती हैं। उदाहरण: 10, 10000, 10000005, 595, 396524850, आदि।
6 का विभाज्यता नियम
जो संख्याएँ 2 और 3 दोनों से विभाज्य हैं, वे 6 से भी विभाज्य हैं। अर्थात्, यदि दी गई संख्या का अंतिम अंक सम है और उसके अंकों का योग 3 का गुणज है, तो दी गई संख्या भी 6 का गुणज है।
उदाहरण: 630, संख्या 2 से विभाज्य है क्योंकि अंतिम अंक 0 है। अंकों का योग 6+3+0 = 9 है, जो 3 से भी विभाज्य है। इसलिए, 630, 6 से विभाज्य है।
7 के लिए विभाज्यता नियम
उदाहरण: क्या 1073, 7 से विभाज्य है?
बताए गए नियम से संख्या में से 3 हटाकर उसे दोगुना कर दें, जो 6 हो जाए।
शेष संख्या 107 हो जाती है, अत: 107-6 = 101।
प्रक्रिया को एक बार और दोहराने पर, हमारे पास 1 x 2 = 2 है।
शेष संख्या 10 – 2 = 8.
चूँकि 8, 7 से विभाज्य नहीं है, इसलिए संख्या 1073, 7 से विभाज्य नहीं है।
8 का विभाज्यता नियम
यदि किसी संख्या के अंतिम तीन अंक 8 से विभाज्य हैं, तो वह संख्या 8 से पूर्णतः विभाज्य है।
उदाहरण: संख्या 24344 लें। अंतिम दो अंकों यानी 344 पर विचार करें। चूँकि 344 8 से विभाज्य है, मूल संख्या 24344 भी 8 से विभाज्य है।
9 का विभाज्यता नियम
9 से विभाज्यता का नियम 3 से विभाज्यता नियम के समान है। अर्थात, यदि संख्या के अंकों का योग 9 से विभाज्य है, तो संख्या स्वयं 9 से विभाज्य है।
उदाहरण: 78532 पर विचार करें, क्योंकि इसके अंकों (7+8+5+3+2) का योग 25 है, जो 9 से विभाज्य नहीं है, इसलिए 78532, 9 से विभाज्य नहीं है।
10 का विभाज्यता नियम
10 के लिए विभाज्यता नियम कहता है कि कोई भी संख्या जिसका अंतिम अंक 0 है, वह 10 से विभाज्य है।
उदाहरण: 10, 20, 30, 1000, 5000, 60000, आदि।
11 के लिए विभाज्यता नियम
यदि किसी संख्या के वैकल्पिक अंकों के योग का अंतर 11 से विभाज्य है, तो वह संख्या 11 से पूर्णतः विभाज्य है।
अर्थात, विषम स्थानों के अंकों का योग – सम स्थानों के अंकों का योग = 0 या 11 का गुणज
यह जांचने के लिए कि क्या 2143 जैसी संख्या 11 से विभाज्य है, नीचे निम्नलिखित प्रक्रिया दी गई है।
वैकल्पिक अंकों को समूहित करें अर्थात जो अंक विषम स्थानों पर हैं उन्हें एक साथ और सम स्थानों के अंकों को एक साथ रखें। यहां 24 और 13 दो समूह हैं।
प्रत्येक समूह के अंकों का योग अर्थात 2+4=6 और 1+3= 4 लें
अब योगों का अंतर ज्ञात करें; 6-4=2
यदि अंतर 11 से विभाज्य है, तो मूल संख्या भी 11 से विभाज्य है। यहां 2 वह अंतर है जो 11 से विभाज्य नहीं है।
इसलिए, 2143 11 से विभाज्य नहीं है।
किसी संख्या की 11 से विभाज्यता का परीक्षण करने के लिए कुछ और शर्तें हैं। उन्हें यहां उदाहरणों की सहायता से समझाया गया है:
यदि किसी संख्या के अंकों की संख्या सम है तो शेष संख्या में से पहला अंक जोड़ें और अंतिम अंक घटा दें।
उदाहरण: 3784
अंकों की संख्या = 4
अब, 78 + 3 – 4 = 77 = 7 × 11
इस प्रकार, 3784 11 से विभाज्य है।
यदि किसी संख्या के अंकों की संख्या विषम है तो शेष संख्या में से पहला और अंतिम अंक घटा दें।
उदाहरण: 82907
अंकों की संख्या = 5
अब, 290 – 8 – 7 = 275 × 11
इस प्रकार, 82907 11 से विभाज्य है।
संख्या के दाएँ सिरे से बाएँ सिरे तक दो अंकों के समूह बनाएँ और परिणामी समूहों को जोड़ें। यदि योग 11 का गुणज है, तो संख्या 11 से विभाज्य है।
उदाहरण: 3774 := 37 + 74 = 111 := 1 + 11 = 12
3774 11 से विभाज्य नहीं है.
253 := 2 + 53 = 55 = 5 × 11
253 11 से विभाज्य है.
संख्या के अंतिम अंक को शेष संख्या से घटाएं। यदि परिणामी मान 11 का गुणज है, तो मूल संख्या 11 से विभाज्य होगी।
उदाहरण: 9647
9647 := 964 – 7 = 957
957 := 95 – 7 = 88 = 8 × 11
इस प्रकार, 9647 11 से विभाज्य है।
12 का विभाज्यता नियम
यदि संख्या 3 और 4 दोनों से विभाज्य है, तो वह संख्या 12 से पूर्णतः विभाज्य है।
उदाहरण: 5864
अंकों का योग = 5 + 8 + 6 + 4 = 23 (3 का गुणज नहीं)
अंतिम दो अंक = 64 (4 से विभाज्य)
दी गई संख्या 5864 4 से विभाज्य है लेकिन 3 से नहीं; इसलिए, यह 12 से विभाज्य नहीं है।
13 के लिए विभाज्यता नियम
किसी भी संख्या के लिए, यह जांचने के लिए कि क्या वह 13 से विभाज्य है, हमें संख्या के अंतिम अंक का चार गुना शेष संख्या में जोड़ना होगा और प्रक्रिया को तब तक दोहराना होगा जब तक आपको दो अंकों की संख्या नहीं मिल जाती। अब जांचें कि वह दो अंकों की संख्या 13 से विभाज्य है या नहीं। यदि यह विभाज्य है, तो दी गई संख्या 13 से विभाज्य है।
उदाहरण के लिए: 2795 → 279 + (5 x 4)
→ 279 + (20)
→ 299
→ 29 + (9 x 4)
→ 29 + 36
→65
संख्या 65, 13 से विभाज्य है, 13 x 5 = 65.
यहाँ विभाज्यता के नियमों (Divisibility Rules) से संबंधित कुछ MCQs दिए गए हैं:
MCQ:
1. 123456 संख्या को किससे विभाजित करने के लिए विभाज्यता का नियम है: “अंतिम अंक 2, 4, 6, 8 या 0 होना चाहिए”?
(a) 2
(b) 3
(c) 5
(d) 9
उत्तर : a) 2
2. किसी संख्या को 3 से विभाजित करने के लिए कौन-सा विभाज्यता नियम है?
(a) अंतिम अंक 0 या 5 होना चाहिए।
(b) सभी अंकों का योग 3 से विभाज्य होना चाहिए।
(c) अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य होने चाहिए।
(d) संख्या का अंतिम अंक 2, 4, 6, 8 या 0 होना चाहिए।
उत्तर : b) सभी अंकों का योग 3 से विभाज्य होना चाहिए।
3. 5432 संख्या को 5 से विभाजित करने के लिए कौन-सा नियम लागू होगा?
(a) सभी अंकों का योग 5 होना चाहिए।
(b) अंतिम अंक 0 या 5 होना चाहिए।
(c) अंतिम दो अंक 25 से विभाज्य होने चाहिए।
(d) संख्या 4 से विभाज्य होनी चाहिए।
उत्तर : b) अंतिम अंक 0 या 5 होना चाहिए।
4. संख्या 1236 को 4 से विभाजित करने के लिए कौन-सा विभाज्यता नियम है?
(a) अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य होने चाहिए।
(b) अंतिम तीन अंक 4 से विभाज्य होने चाहिए।
(c) सभी अंकों का योग 4 से विभाज्य होना चाहिए।
(d) अंतिम अंक 4 होना चाहिए।
उत्तर : a) अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य होने चाहिए।
5. संख्या 176 को 8 से विभाजित करने के लिए कौन-सा विभाज्यता नियम लागू होता है?
(a) अंतिम दो अंक 8 से विभाज्य होने चाहिए।
(b) अंतिम तीन अंक 8 से विभाज्य होने चाहिए।
(c) सभी अंकों का योग 8 से विभाज्य होना चाहिए।
(d) अंतिम अंक 0 या 8 होना चाहिए।
उत्तर : b) अंतिम तीन अंक 8 से विभाज्य होने चाहिए।
6. 396 को 9 से विभाजित करने का नियम क्या है?
(a) सभी अंकों का योग 9 से विभाज्य होना चाहिए।
(b) अंतिम अंक 9 होना चाहिए।
(c) अंतिम दो अंक 9 से विभाज्य होने चाहिए।
(d) संख्या का अंतिम अंक 0 या 9 होना चाहिए।
उत्तर : a) सभी अंकों का योग 9 से विभाज्य होना चाहिए।
7. संख्या 132 को 6 से विभाजित करने के लिए कौन-सा नियम लागू होता है?
(a) संख्या 2 और 3 दोनों से विभाज्य होनी चाहिए।
(b) अंतिम अंक 6 होना चाहिए।
(c) सभी अंकों का योग 6 होना चाहिए।
(d) अंतिम दो अंक 6 से विभाज्य होने चाहिए।
उत्तर : a) संख्या 2 और 3 दोनों से विभाज्य होनी चाहिए।
8. संख्या 3725 को 25 से विभाजित करने के लिए कौन-सा विभाज्यता नियम है?
(a) अंतिम अंक 0 या 5 होना चाहिए।
(b) अंतिम दो अंक 25 से विभाज्य होने चाहिए।
(c) सभी अंकों का योग 25 से विभाज्य होना चाहिए।
(d) अंतिम तीन अंक 25 से विभाज्य होने चाहिए।
उत्तर : b) अंतिम दो अंक 25 से विभाज्य होने चाहिए।
9. किसी संख्या को 11 से विभाजित करने का विभाज्यता नियम क्या है?
(a) सभी अंकों का योग 11 से विभाज्य होना चाहिए।
(b) अंतिम अंक 11 होना चाहिए।
(c) वैकल्पिक अंकों के योग का अंतर 11 से विभाज्य होना चाहिए।
(d) अंतिम दो अंक 11 से विभाज्य होने चाहिए।
उत्तर : c) वैकल्पिक अंकों के योग का अंतर 11 से विभाज्य होना चाहिए।
10. संख्या 17250 को 10 से विभाजित करने का नियम क्या है?
(a) अंतिम अंक 5 होना चाहिए।
(b) अंतिम अंक 0 होना चाहिए।
(c) अंतिम दो अंक 10 से विभाज्य होने चाहिए।
(d) संख्या का अंतिम अंक 2 या 5 होना चाहिए।
उत्तर : b) अंतिम अंक 0 होना चाहिए।
ये MCQs छात्रों को विभाज्यता के नियमों को समझने में मदद करेंगे।
अतः अभीष्ट लघुत्तम समापवर्त्य 24 वह छोटी से छोटी संख्या हैं जो 4, 8, 12 तीनों से पूरी-पूरी तरह विभाजित हो जाती हैं।
अपवर्त्य या गुणज (Multiple): लघुत्तम समापवर्त्य निकालने का तरीका
अपवर्त्य या गुणज (Multiple)
अपवर्त्य या गुणज (Multiple) :- किसी संख्या का अपवर्त्य वे सभी संख्याएँ होती हैं जिसमें उस संख्या से पूर्ण भाग किया जाता हैं।
3 और 6 संख्या 18 के गुणनखंड है । यहाँ 18, संख्या 3 और 6 का गुणज अथवा अपवर्त्य (Multiple) है। इसी प्रकार 48 = 4 x 12 यह दर्शाता है कि 4 और 12, संख्या 48 के अपवर्तक हैं तथा 48, 4 और 12 का एक अपवर्त्य है। अपवर्त्य को गुणज भी कहते हैं।
किसी संख्या में प्राकृतिक संख्याओं (1, 2, 3, …… ) से गुणा करने पर उस संख्या के विभिन्न गुणज अथवा अपवर्त्य प्राप्त होते हैं।
तीनों संख्याओं में संख्या 18 समान अपवर्त्य है। अतः उपरोक्त संख्या का समापवर्त्य 18 है। संख्याओं के समान अपवर्त्यों को उनका समापवर्त्य कहते हैं।
उपरोक्त सारणी से,
कोई संख्या अपने प्रत्येक अपवर्तक का अपवर्त्य होती है।
किसी संख्या का प्रत्येक अपवर्त्य उस संख्या से बड़ा या उसके बराबर होता है।
प्रत्येक संख्या स्वयं का एक अपवर्त्य है।
किसी संख्या के अपवर्त्यों की संख्या असीमित होती है।
यह भी जाने- किसी भी संख्या में से उसके अंकों का योगफल घटाने पर प्राप्त अन्तर सदैव 9 का अपवर्त्य होता है। उदाहरणार्थ कोई एक संख्या 4253 लेते हैं। अब देखते है कि इस संख्या के अंकों का योगफल =4+2+5+3=14 अब संख्या 4253 में से अंकों का योगफल 14 घटाने पर प्राप्त अन्तर =4253-14 =4239 =9×471 अतः अंतर 9 का अपवर्त्य है।
जब आप 8 में 5 का गुणा करते हैं तो गुणनफल 40 प्राप्त होता है।
यहाँ 8 x 5 = 40 में, 8 गुण्य, 5 गुणक तथा 40 गुणनफल है। 8 व 5 को 40 का गुणनखंड कहते हैं।
लघुत्तम समापवर्त्य निकालने का तरीका
अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा
भाग विधि द्वारा
(a). अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा
सर्वप्रथम दी गई संख्या को अभाज्य गुणनखण्डों के रूप में व्यक्त करें। फिर इन संख्याओं के सभी अभाज्य गुणनखण्डों के सबसे बड़े घातांकों वाली संख्याओं का प्राप्त गुणनखण्ड ही लघुत्तम समापवर्त्य हैं।
उदाहरण 1. 32, 64 तथा 128 का लघुत्तम समापवर्त्य ज्ञात कीजिए?
(a). सबसे पहले दशमलव के बाद अधिकतम अंकों वाली संख्या का पता लगाइए।
(b). यदि दशमलव के बाद अधिकतम दो अंक हो, तो सभी अंकों में 100 से गुणा करके उसे पूर्ण संख्या में बदल देगें।
अगर दशमलव के बाद अधिकतम तीन, चार या पाँच अंक हो, तो उसमें क्रमशः 1000, 10000 या 100000 से गुणा करके उसे पूर्ण संख्या में बदल देगें।
(c). प्राप्त पूर्ण संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य ज्ञात करेंगें। उसके बाद प्राप्त लघुत्तम समापवर्त्य में 100, 1000, 10000 से गुणा किया गया था। भाग देने के बाद जो संख्या प्राप्त होगी वही दी गई संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य होगा।
उदाहरण 10. 0.12, 4.8, 0.72 तथा 1.20 का लघुत्तम समापवर्त्य ज्ञात कीजिए?
हल:- यहाँ दशमलव के बाद अधिकतम दो अंक हैं। इसलिए सभी संख्याओं को 100 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या = 12, 480, 72, 120
इन संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य = 1440 अभीष्ट लघुत्तम समापवर्त्य = 1440/100 लघुत्तम समापवर्त्य = 14.40
दो से अधिक संख्याओं का महत्तम समापवर्तक वह बड़ी से बड़ी संख्या हैं जिसमें वह सभी संख्याएँ पूरी-पूरी विभाजित हो जाती हैं। जैसे:- 4, 8, 12 का महत्तम समापवर्तक 4 हैं।
अपवर्तक या गुणनखण्ड (Factor): महत्तम समापवर्तक निकालने का तरीका
अपवर्तक या गुणनखण्ड (Factor)
किसी संख्या का अपवर्तक वे सभी संख्याएँ हैं जो उस संख्या को पूर्णतः विभाजित कर देती हैं। जैसे :-
माना दो संख्याओं x और y का महत्तम समापवर्तक ज्ञात करना हैं। जबकि (y > x) → y, x से बड़ा हैं। बड़ी संख्याओं में छोटी संख्या से भाग देगें।
उदाहरण 3. 8, 36 और 72 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
उदाहरण 4. 48, 36 और 72 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
भिन्नों का महत्तम समापवर्तक
भिन्नों का महत्तम समापवर्तक (L.C.M.) = अंशों का महत्तम समावतर्क / हरों का लघुत्तम समापवर्त्य
उदाहरण 5. 5/6, 5/8, 10/21 तथा 2/3 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
हल:- प्रश्ननानुसार, दी गई भिन्नों का महत्तम समापवर्तक = 5, 5, 10 और 2 का महत्तम समापवर्तक / 6, 8, 21 और 3 का लघुत्तम समापवर्त्य महत्तम समापवर्तक = 1/168
उदाहरण 6. 1/7, 2/3, 4/5 तथा 5/7 का लघुत्तम समापवर्त्य ज्ञात कीजिए?
हल:- प्रश्ननानुसार, दी गई भिन्नों का महत्तम समापवर्तक = 1, 2, 4 और 5 का महत्तम समापवर्तक / 7, 3, 5 और 7 का लघुत्तम समापवर्त्य महत्तम समापवर्तक = 1/105
घातांक का महत्तम समापवर्तक
(a). जब दी गयी संख्याओं का आधार समान हो, तो सर्वाधिक घात वाली संख्या ही दिए गए संख्याओं का महत्तम समापवर्तक होगा।
उदाहरण 7. 7², 7⁹, 7¹⁴ तथा , 7³² का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
हल:- समान आधार पर 7 हैं। तथा न्यूनतम घात 7² का हैं। महत्तम समापवर्तक = 7²
उदाहरण 8. 5⁻¹, 5⁻², 5⁻⁴, 5⁻⁶ तथा 5⁻¹² का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
हल:- आधार 8 समान हैं तथा न्यूनतम घात 8⁻¹² की हैं। महत्तम समापवर्तक = 8⁻¹²
(b). जब आधार समान नहीं हो तथा आधार में कोई उभयनिष्ठ गुणन खण्ड नहीं हो, तो दिए गए संख्याओं का गुणनखण्ड ही महत्तम समापवर्तक 1 होगा।
उदाहरण 9. 2³, 4² और 8² का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
चूँकि आधार (2) समान हैं इसलिए महत्तम समापवर्तक 1 नहीं होगा। इसका महत्तम समापवर्तक 8 होगा।
दशमलव संख्याओं का महत्तम समापवर्तक
(a). सबसे पहले दशमलव के बाद अधिकतम अंकों वाली संख्या का पता लगाइए।
(b). यदि दशमलव के बाद अधिकतम दो अंक हो, तो सभी अंकों में 100 से गुणा करके उसे पूर्ण संख्या में बदल देगें।
अगर दशमलव के बाद अधिकतम तीन, चार या पाँच अंक हो, तो उसमें क्रमशः 1000, 10000 या 100000 से गुणा करके उसे पूर्ण संख्या में बदल देगें।
(c). प्राप्त पूर्ण संख्याओं का महत्तम समापवर्तक ज्ञात करेंगें। उसके बाद प्राप्त महत्तम समापवर्तक में 100, 1000, 10000 से गुणा किया गया था। भाग देने के बाद जो संख्या प्राप्त होगी वही दी गई संख्याओं का महत्तम समापवर्तक होगा।
उदाहरण10. 0.05, 0.10, तथा 0.025 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात कीजिए?
हल:- यहाँ दशमलव के बाद अधिकतम तीन अंक हैं। इसलिए सभी संख्याओं को 1000 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या = 50, 100, तथा 25
इन संख्याओं का महत्तम समापवर्तक = 25 अभीष्ट लघुत्तम समापवर्त्य = 25/1000 लघुत्तम समापवर्त्य = 0.025
(1) शून्य कोण: वह कोण जिसका माप 0° हो शून्य कोण कहलाता है।
(2) सरल कोण: वह कोण जिसका माप 180° हो सरल कोण कहलाता है।
(3) न्यूनकोण: वह कोण जो 0° से बड़ा तथा 90° से छोटा हो, न्यूनकोण कहलाता है।
(4) समकोण: वह कोण जिसकी माप 90° हो समकोण कहलाता है। समकोण में एक भुजा दूसरी भुजा पर लम्ब होती है।
(5)अधिक कोण: एक कोण जिसका माप 90° से अधिक परन्तु 180° से कम हो अधिक कोण कहलाता है।
(6) प्रतिवर्ती कोण (वृहत् कोण): वह कोण जिसका माप समकोण 180° से अधिक तथा 360° से कम हो, प्रतिवर्ती कोण कहलाता है।
(7) सम्पूर्ण कोण: यदि कोई किरण अपने प्रारम्भिक बिन्दु के चारों ओर एक पूरा चक्कर लगाने के बाद अपने प्रारम्भिक स्थिति से सम्पाती हो जाए तो इस प्रकार बना कोण सम्पूर्ण कोण कहलाता है। यह कोण 360° का होता है।
समान प्रकार की दो राशियों / वस्तुओं के बीच सम्बन्ध को अनुपात कहते हैं। दो राशियों का अनुपात एक भिन्न के बराबर होता है , अतः यह प्रदर्शित करता है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी कम या अधिक है। माना, एक राशि x तथा दूसरी राशि y है, तब इनके बीच अनुपात = x : y
अनुपात: सारणी समझ और अभ्यास
अनुपात: सारणी
पूर्वपद (Antecedent):
अनुपात में पहले स्थान पर आने वाले पद को पूर्वपद कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 3:5 है, तो यहाँ 3 पूर्वपद है। यह उस वस्तु या संख्या को दर्शाता है जिसकी पहले तुलना की जा रही है।
उत्तरपद (Consequent):
अनुपात में दूसरे स्थान पर आने वाले पद को उत्तरपद कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 3:5 है, तो 5 उत्तरपद है। यह दूसरी संख्या या वस्तु है जिसकी तुलना की जा रही है।
अनुपात का उदाहरण:
यदि किसी कक्षा में 10 लड़के और 15 लड़कियाँ हैं, तो लड़के और लड़कियों का अनुपात 10:15 होगा। इसमें:
पूर्वपद (Antecedent) = 10 (लड़के)
उत्तरपद (Consequent) = 15 (लड़कियाँ)
अनुपात: समझ
50 पुस्तकों एवं 10 पुस्तकों के मध्य अनुपात = 50:10 = 5:1 राम की उम्र 20 वर्ष एवं श्याम की उम्र 30 वर्ष है। दोनों के उम्र के मध्य अनुपात =20:30=2:3 400 किलो गेहूं एवं 100 किलो गेहूं के मध्य अनुपात = 400: 100 = 4:1 राशि a तथा राशि b के मध्य अनुपात = a : b
अनुपात: अभ्यास
एक स्कूल में कुल विद्यार्थियों की संख्या 1500 है। उसमें से लड़कियों की संख्या 600 है। लड़कों तथा लड़कियों की संख्या का अनुपात ज्ञात कीजिए?
20 गुब्बारों को दो बच्चों के बीच 2: 3 के अनुपात में बांटिए। बताइए दोनों को कितने-कितने गुब्बारे मिले ?
राजेश और जावेद ने मिलकर एक दुकान खोली। दुकान में राजेश ने 45000 रु तथा जावेद ने 36000 रु लगाए। बताइए राजेश और जावेद द्वारा लगाई पूंजियों का मूल अनुपात क्या है ?
किसी परीक्षा में 117 परीक्षार्थियों में से 65 असफल हो गए तो सफल और असफल परीक्षार्थियों की संख्या में क्या अनुपात है ?
रत्ना और शीला ने मिलकर अपने चाचा के बगीचे से 18 आम तोड़े। दोनों अब इस आम को आपस में बाँटना चाहते हैं। रत्ना चाहती है कि उम्र के अनुपात में आमों को बांटना चाहिए। अब बताइए कि ऐसे बाँटने पर रत्ना और शीला को कितने-कितने आम मिलेंगे जबकि रत्ना की उम्र 15 वर्ष तथा शीला की उम्र 12 वर्ष है।
तीन कॉपियों की कीमत 16.50 रू. है। तो 7 कॉपियों की कीमत ज्ञात कीजिए।
किसी मज़दूर की 25 दिनों की आय 1500 रु. है। उसकी 30 दिनों की आय ज्ञात कीजिए।
यदि 22 मीटर कपड़े का मूल्य 704 रु है तो 20 मीटर कपड़े का मूल्य क्या होगा ?
हमने सीखा
दो समान राशियों का अनुपात यह दर्शाता है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी है।
दो राशियों का अनुपात प्रायः उनके सरलतम रूप में व्यक्त किया जाता है। जैसे na : nb को a :b लिखा जाता है।
दी गई राशियों से पहले एक राशि का इकाई मान ज्ञात कर फिर वांछित संख्या में राशियों का मान ज्ञात करने की विधि को ऐकिक विधि कहा जाता है।
यदि दो अनुपात x : y तथा P : Q दिए गए हैं, तो Px : Qy मिश्रित अनुपात में कहलाएंगे।
दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती (Mean proportional):–
माना मध्य समानुपाती x है, तब a : x :: x : b (सही स्थिति) हल:- x² = a.b ⇒ x = √a.b अतः दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती = √a.b होता हैं। यदि a : b :: C : d हो , तो a : c :: b : d एकान्तरानुपात (Altermendo) कहलाता है अर्थात् a/b = c/d या a/c = b/d (एकान्तरानुपात) यदि a : b :: c : d हो, तो (a + b) : b :: (c + d) : d योगानुपात (Componendo) कहलाता है। अर्थात् a/b = c/d, तब (a + b)b = (c + d)d (योगानुपात) या a/b + 1 c/d + 1 ⇒ (a + b)/b = (c + d)/d यदि a : b :: c : d हो , तब ( a – b ) : b :: ( c – d ) : d अन्तरानुपात ( Dividendo ) कहलाता है। अर्थात् a/b = c/d ⇒ a/b – 1 = c/d – 1 ⇒ (a – b)/b = (c – d)/d (अन्तरानुपात)
योगान्तरानुपात (Componendo and Dividendo) :
योगानुपात तथा अन्तरानुपात का सम्मिलन है। यदि a : b :: c : d हो , तब ( a + b ) : ( a – b ) :: ( c + d ) : ( c – d ) योगान्तरानुपात है
दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती (Third Proportional) –
माना दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती x है। तब a : b = b : x (सही स्थिति) हल:- a/b : b/x ⇒ b2 = ax ∴ x = b²/a अतः दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती b²/a होता है। तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती ( Fourth Proportional ) माना a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती x है, तब a : b = c : r ( सही स्थिति ) हल:- a/b = c/x ⇒ a.x = bc ⇒ x bc/a अतः तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती = bc/a होता है।
यहां कुछ अनुपात एवं समानुपात पर आधारित सरल से जटिल MCQ प्रश्न दिए गए हैं, जो नवोदय प्रवेश परीक्षा के लिए उपयुक्त हैं:
सरल प्रश्न:
दो संख्याओं का अनुपात 5:3 है। यदि दूसरी संख्या 27 है, तो पहली संख्या क्या होगी?
(A) 45
(B) 15
(C) 40
(D) 9
उत्तर: (A) 45
तीन संख्याओं का अनुपात 2:3:5 है। यदि उनकी कुल योग 100 है, तो तीसरी संख्या क्या होगी?
(A) 20
(B) 30
(C) 50
(D) 40
उत्तर: (C) 50
मध्यम कठिनाई:
एक ट्रक और एक कार की गति का अनुपात 4:5 है। यदि ट्रक 80 किमी/घंटा की गति से चल रही है, तो कार की गति कितनी होगी?
(A) 60 किमी/घंटा
(B) 90 किमी/घंटा
(C) 100 किमी/घंटा
(D) 120 किमी/घंटा
उत्तर: (C) 100 किमी/घंटा
यदि तीन संख्याओं का अनुपात 1:2:3 है और तीसरी संख्या 48 है, तो पहली संख्या क्या होगी?
(A) 8
(B) 16
(C) 24
(D) 12
उत्तर: (D) 12
जटिल प्रश्न:
एक कक्षा में लड़के और लड़कियों का अनुपात 7:5 है। यदि कक्षा में कुल 60 छात्र हैं, तो कितने लड़के हैं?
(A) 25
(B) 35
(C) 30
(D) 40
उत्तर: (B) 35
A और B का अनुपात 4:5 है। यदि A की संख्या को 25% बढ़ाया जाए और B की संख्या को 10% घटाया जाए, तो नया अनुपात क्या होगा?
(A) 5:4
(B) 5:6
(C) 6:5
(D) 7:6
उत्तर: (C) 6:5
एक क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों की ऊँचाई का औसत अनुपात 6:5 है। यदि एक खिलाड़ी की ऊँचाई 180 सेमी है, तो दूसरी खिलाड़ी की ऊँचाई क्या होगी?
(A) 150 सेमी
(B) 160 सेमी
(C) 170 सेमी
(D) 175 सेमी
उत्तर: (B) 150 सेमी
Here are some multiple-choice questions (MCQs) on Ratio and Proportion in Hindi:
Ratio and Proportion MCQ
प्रश्न 1: दो संख्याएँ 3:5 के अनुपात में हैं। यदि इनका योग 80 है, तो छोटी संख्या क्या है?
a) 30 b) 35 c) 40 d) 25
उत्तर: a) 30
प्रश्न 2: यदि 20 से 30 का अनुपात ज्ञात करें, तो वह क्या होगा?
a) 2:3 b) 3:2 c) 4:3 d) 5:3
उत्तर: a) 2:3
प्रश्न 3: तीन संख्याएँ 2:3:5 के अनुपात में हैं। यदि उनका कुल योग 100 है, तो सबसे बड़ी संख्या क्या होगी?
a) 20 b) 30 c) 40 d) 50
उत्तर: c) 40
प्रश्न 4: A और B का अनुपात 4:7 है। यदि A की संख्या 20 है, तो B की संख्या क्या होगी?
a) 30 b) 35 c) 25 d) 40
उत्तर: b) 35
प्रश्न 5: 100 ग्राम मिठाई में चीनी और आटा का अनुपात 3:2 है। मिठाई में चीनी की मात्रा कितनी होगी?
a) 60 ग्राम b) 40 ग्राम c) 50 ग्राम d) 30 ग्राम
उत्तर: d) 30 ग्राम
प्रश्न 6: यदि 12, 16, और 20 का अनुपात ज्ञात करें, तो वह क्या होगा?
a) 3:4:5 b) 2:3:4 c) 1:2:3 d) 4:5:6
उत्तर: a) 3:4:5
प्रश्न 7: एक कक्षा में लड़के और लड़कियों का अनुपात 5:7 है। यदि कक्षा में कुल 36 लड़कियाँ हैं, तो लड़कों की संख्या क्या होगी?
a) 20 b) 24 c) 30 d) 32
उत्तर: b) 24
प्रश्न 8: एक वस्तु की कीमत 2000 रुपये है। यदि कीमत को 3:4 के अनुपात में बढ़ाया जाए, तो नई कीमत क्या होगी?
a) 2500 रुपये b) 2400 रुपये c) 2600 रुपये d) 3000 रुपये
उत्तर: d) 3000 रुपये
These MCQs can be used for practice in understanding Ratio and Proportion concepts in Hindi. Would you like to explore more, or focus on a specific difficulty level?
दो दशमलव संख्याओं की आपस में तुलना की जा सकती है। तुलना संख्या के पूर्ण भाग (जो कि दशमलव बिंदु की बाईं ओर के अंक होते हैं) से शुरू की जाती है। यदि पूर्ण भाग समान हैं तो दशांश स्थान के अंकों की तुलना की जाती है और यदि ये भी समान हों तो अगले अंक को देखें यह क्रम आगे बढ़ता रहता है।
दशमलवों का प्रयोग
दशमलवों का प्रयोग धन, लंबाई और भार (वज़न) की इकाइयों को दर्शाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 16. यदि 1/36.18 = 0.0276 हो, तो 1/0.0003618 का मान क्या होगा?
हल:- यहाँ 1/36.18 में दशमलव का स्थान (हर – अंश) = 2 – 0 = 2 फिर 1/0.0003618 में दशमलव का स्थान = 7 – 0 = 7 अतः (+5) के लिए पाँच शून्य और रखे जाएंगे। 1/0.0003618 = 0.0276 × 100000 = 2760 उत्तर:- 2760
प्रश्न 17. यदि 1/36.18 = 0.0276 हो, तो 1/3618 का मान ज्ञात करें? हल: यहाँ 1/36.18 में दशमलव का स्थान (हर – अंश) = 2 – 0 = 2 और फिर 1/3618 = 0 – 2 = -2 (-2) के लिए हम परिणाम में 2 अंक पहले दशमलव बैठा देंगे। 1/3618 = 0.000276 उत्तर:- 0.000276
जब अनुचित भिन्न के अंश को हर से भाग दिया जाता है, तब प्राप्त भागफल को पूर्णांक संख्या, शेषफल को अंश और भाजक को हर के रूप में लिखा जाता है। तो इस प्रकार से प्राप्त भिन्न को मिश्र भिन्न कहते हैं।
2. मिश्र भिन्न को अनुचित भिन्न में बदलना
इसमें मिश्र भिन्न की पूर्णांक संख्या को हर से गुणा करने के बाद प्राप्त संख्या को अंश से जोड़ देते हैं जोड़ने के बाद प्राप्त संख्या को अंश तथा हर का मान पहले वाला रहता है। तो इस प्रकार से लिखी संख्या को अनुचित भिन्न कहते हैं।
किसी भी भिन्न का जोड़ करने से पहले हमें यह देखना होगा कि उनका हर समान है या नहीं। यदि दोनों भिन्नों का हर समान है तो हम हर को वैसा ही रखकर अंशों को जोड़ देंगे। जैसे –
3/5 + 3/5 ( इन दोनों भिन्नों का हर समान है तब ) = 3 + 3/5 = 6/5 उत्तर
अगर हर समान ना हो तो
भिन्नों का जोड़ करते समय यदि भिन्नों का हर समान नहीं है तब हम उन भिन्नों के हर का लघुत्तम समापवर्त्य LCM लेते हैं फिर LCM को दूसरी भिन्न के हर से भाग करके जो उत्तर आएगा उसको पहली भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे तथा पहली भिन्न के हर से LCM को भाग करके जो उत्तर आएगा उसे दूसरी भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे और प्राप्त दोनों अंशो को जोड़ देंगे तथा हर की जगह Lcm लिख देंगे।
भिन्नों का घटाना / Subtraction of fraction
अगर भिन्नों का हर समान हो
किसी भी भिन्न की घटा करने से पहले हमें यह देखना होगा कि उनका हर समान है या नहीं। यदि दोनों भिन्नों का हर समान है तो हम हर को वैसा ही रखकर अंशों को घटा देंगे। जैसे –
3/5 – 2/5 ( इन दोनों भिन्नों का हर समान है तब ) = 3 – 2/5 = 1/5 उत्तर
अगर हर समान ना हो तो
भिन्नों की घटा करते समय यदि भिन्नों का हर समान नहीं है तब हम उन भिन्नों के हर का लघुत्तम समापवर्त्य LCM लेते हैं फिर LCM को दूसरी भिन्न के हर से भाग करके जो उत्तर आएगा उसको पहली भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे तथा पहली भिन्न के हर से LCM को भाग करके जो उत्तर आएगा उसे दूसरी भिन्न के अंश से गुणा करके लिख देंगे और प्राप्त दोनों अंशो को घटा देंगे तथा हर की जगह Lcm लिख देंगे। जैसे-
भिन्नों को गुणा / Multiplication of fraction
दो भिन्नों की गुणा करने के लिए हमें किसी विशेष नियम का पालन नहीं करना होता। दो भिन्नों की गुणा करने के लिए दोनों भिन्नों के अंश को आपस मे गुणा करके लिख देंगे तथा दोनों भिन्नों के हर को आपस मे गुणा करके लिख देंगे।
3/5 × 6/7
जैसा कि हम देख सकते हैं कि आने वाली भिन्न का हर 35 होगा। अब हम आने वाली भिओंन के अंश को ज्ञात करने के लिए दोनों भिन्नों के अंशों को गुना कर देंगे।
3 × 6 = 18
हम देख सकते हैं अब हमने अंश भी ज्ञात कर लिया है। अब हम अंश एवं हर को एक दुसरे के ऊपर लिख देंगे। अतः
इन भिन्नों के गुना का हल होगा : 18/35
भिन्नों का भाग / Division of fraction
दो भिन्नों का भाग करने के लिए सबसे पहले दूसरी भिन्न को उल्टा करके लिख देते हैं जैसे दूसरी भिन्न के अंश को उसके हर की जगह लिख देंगे तथा हर को अंश की जगह लिख देंगे। ऐसा करने से भाग का निशान बदलकर गुणा का निशान हो जाएगा। उसके बाद भिन्नों की गुणा कर देंगे। जैसा अभी हमने किया था।
इन्हें याद रखें
प्रत्येक भिन्न में अंश ऊपर और हर नीचे होता है।
ऐसी सभी भिन्नें जो किसी इकाई के एक ही हिस्से को प्रदर्शित करती हैं, उन्हें तुल्य भिन्नें कहते हैं।
समान हर वाली भिन्नों को जोड़ने के लिए भिन्नों के अंशों को जोड़कर अंश में लिखते हैं और हर को एक ही बार हर में लिखते हैं।
समान हर वाली भिन्नों को घटाने के लिए भिन्नों के अंशों को घटाकर अंश में लिखते हैं और हर को एक ही बार हर में लिखते हैं।
दो भिन्नों का गुणा करने के लिए अंशों का गुणा कर अंश में लिखते हैं तथा हरों का गुणा कर हर में लिखते हैं इस तरह मिलने वाली भिन्न ही दोनों भिन्नों का गुणनफल है।
भिन्नों का भाग करने के लिए भाजक के अंश को हर के स्थान पर तथा हर को अंश के स्थान पर रखकर भाज्य से गुणा करना चाहिए।
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है। आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।
बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं। जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है। उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रकार
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है- (i)उत्तम पुरुषवाचक(ii)मध्यम पुरुषवाचक(iii)अन्य पुरुषवाचक
(i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-
जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है। जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।
उदाहरण- मैं स्कूल जाऊँगा। हम मतदान नहीं करेंगे। यह कविता मैंने लिखी है। बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई। मैंने उसे धोखा नहीं दिया।
(ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-
जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है। जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।
उदाहरण- तुमने गृहकार्य नहीं किया है। तुम सो जाओ। तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ? तू घर देर से क्यों पहुँचा ? तुमसे कुछ काम है।
(iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है। जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।
उदाहरण- वे मैच नही खेलेंगे। उन्होंने कमर कस ली है। वह कल विद्यालय नहीं आया था। उसे कुछ मत कहना। उन्हें रोको मत, जाने दो। इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।
निश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए- तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है। किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है। उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए- मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था। पानी में कुछ गिर गया है। यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
संबंधवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।
प्रश्नवाचक सर्वनाम
प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है। जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए- टोकरी में क्या रखा है। बाहर कौन खड़ा है। तुम क्या खा रहे हो? उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।
निजवाचक सर्वनाम
‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना। इस प्रकार, जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।
‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है। उदाहरण- आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक) आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय) ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)
सर्वनाम के रूपान्तर
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-
1 से 30 तक के घनों में 1 से 30 तक की सभी संख्याओं के घनों की सूची है। 1 से 30 तक के घनों का मान 1 से 27000 तक है। इन मानों को याद करने से छात्रों को समय लेने वाले समीकरणों को जल्दी से सरल बनाने में मदद मिलेगी। घातीय रूप में किसी भी संख्या x का घन (x) 3 के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
प्रतिपादक रूप: (x) 3
उच्चतम मूल्य: 30 3 = 30 × 30 × 30 = 27000
निम्नतम मान: 1 3 = 1 × 1 × 1 = 1
घन संख्या तालिका [Cube Number Table]
सीखने वाले क्यूब्स 1 से 30 छात्रों को 1 से 27000 तक सभी सही क्यूब्स को पहचानने में मदद कर सकते हैं और ज्ञात क्यूब्स के बीच इंटरपोलेट करके क्यूब रूट का अनुमान लगा सकते हैं। 1 से 30 तक के घनों के मान नीचे दी गई तालिका में सूचीबद्ध हैं।
1 से 30 तक सभी क्यूब्स की सूची
1 3 = 1
2 3 = 8
3 3 = 27
4 3 = 64
5 3 = 125
6 3 = 216
7 3 = 343
8 3 = 512
9 3 = 729
10 3 = 1000
11 3 = 1331
12 3 = 1728
13 3 = 2197
14 3 = 2744
15 3 = 3375
16 3 = 4096
17 3 = 4913
18 3 = 5832
19 3 = 6859
20 3 = 8000
21 3 = 9261
22 3 = 10648
23 3 = 12167
24 3 = 13824
25 3 = 15625
26 3 = 17576
27 3 = 19683
28 3 = 21952
29 3 = 24389
30 3 = 27000
छात्रों को सलाह दी जाती है कि गणित में तेजी से गणना करने के लिए इन घन संख्याओं 1 से 30 तक के मानों को अच्छी तरह से याद कर लें।
घन 1 से 30 – सम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका सम संख्याओं के लिए 1 से 30 तक के घनों के मान दर्शाती है।
2 3 = 8
4 3 = 64
6 3 = 216
8 3 = 512
10 3 = 1000
12 3 = 1728
14 3 = 2744
16 3 = 4096
18 3 = 5832
20 3 = 8000
22 3 = 10648
24 3 = 13824
26 3 = 17576
28 3 = 21952
30 3 = 27000
घन 1 से 30 – विषम संख्याएँ
नीचे दी गई तालिका विषम संख्याओं के लिए 1 से 30 तक के घनों के मान दर्शाती है।
1 3 = 1
3 3 = 27
5 3 = 125
7 3 = 343
9 3 = 729
11 3 = 1331
13 3 = 2197
15 3 = 3375
17 3 = 4913
19 3 = 6859
21 3 = 9261
23 3 = 12167
25 3 = 15625
27 3 = 19683
29 3 = 24389
1 से 30 तक के घनों की गणना कैसे करें?
1 से 30 तक के घनों के मान की गणना करने के लिए , हम नीचे दी गई विधि का उपयोग कर सकते हैं:
गुणन अपने आप में:
इस विधि में, एक ही संख्या को तीन बार गुणा किया जाता है और परिणामी गुणनफल हमें उस संख्या का घन देता है। उदाहरण के लिए, 7 का घन = 7 × 7 × 7 = 343। यहाँ, परिणामी उत्पाद “343” हमें संख्या “7” का घन देता है। यह तरीका छोटी संख्या के लिए अच्छा काम करता है।
संख्याओं से पूर्ण घन संख्या की पहचान व निर्माण
बताइये कि संख्या 23625 पूर्ण घन है अथवा नहीं?
वह छोटी से छोटी संख्या ज्ञात कीजिए जिसे 68600 में गुणा करने पर गुणनफल पूर्ण घन संख्या हो?
वह छोटी से छोटी संख्या ज्ञात कीजिए जिसे 408375 में भाग करने पर भागफल पूर्ण घन हो जाए?
किसी विशेष समूह में स्थित संख्या के सुव्यवस्थित क्रम को संख्या श्रृंखला कहते हैं. संख्या श्रृंखला के अंतर्गत कुछ संख्याएँ एक विशेष क्रम में दी होती हैं. दिए गए क्रम में किसी विशेष स्थान को रिक्त छोड़ दिया जाता है. दी गई श्रृंखला के रिक्त स्थानों को दिए गए विकल्पों में से चुना जाता है. संख्या शृंखला में होने वाले परिवर्तनों के कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं-
संख्या श्रृंखला/ दी गई श्रृंखला के आधार पर रिक्त स्थानों को भरना
जोड़ संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ, एक निश्चित जोड़ के साथ बढ़ती है. जैसे- (i) +1,+2,+3.+4,+5,+6 …. (ii) +3,+3,+3, +3. +3, +3,
घटाव संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ, एक निश्चित घटाव से घटती हैं. जैसे- (i) -1 .- 2,-3,-4,-5,-6, (ii) -3,-3,-3,-3,-3,-3,
गुणा संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ, एक-दूसरे को किसी निश्चित संख्या से गुणा करने पर प्राप्त होती हैं. जैसे- (i) x1,x 2, x 3, x4, x 5, x 6, (ii) x3, x 3, x 3, x 3, x 3, x 3.
भाग संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ, एक-दूसरे को किसी निश्चित संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती हैं. जैसे- (i) + 1,+2. +3, +4, +5, +6, (ii) +3,+3, +3. + 3, + 3, + 3,
वर्ग संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ, एक निश्चित वर्ग संख्या से बढ़ती या घटती हैं. जैसे- (i) +(1)2,+(2)2,+(3)3,+(4)2,+(5)2,+(6)2, (ii) -(1)2,-(2)2,-(3)3,-(4)2,-(5)2,-(6)2,
घन संख्या श्रृंखला-
जब संख्याएँ एक निश्चित घन संख्या से बढ़ती या घटती हैं जैसे- (i) +(1)3,+(2)3,+(3)3,+(4)3,+(5)3,+(6)3 … (ii) – (1)3,- (2)3,-(3)3,-(4)3,-(5)3,-(6)3,.
जोड़ और गुणा संख्या श्रृंखला-
जब संख्या श्रृंखला में परिवर्तन जोड़-गुणा या गुणा-जोड़ के कारण होता है. जैसे- (i) +1 x2, +2 x 2, +3 x 2, +4 x 2, +5 x 2, +6 x2. (ii) x2+1,x2+2, x2+3,x2+4, x 2+5, x 2+6 ……….
घटाव और गुणा संख्या श्रृंखला-
जब संख्या श्रृंखला में परिवर्तन घटाव-गुणा या गुणा-घटाव के कारण होता है. जैसे- (i) -1×2,-2×2,-3×2,-4×2,-5x 2,-6x 2, (ii) x2-1,x2-2,x2-3,x2-4,x2-5,x 2-6,
जोड़ और भाग संख्या श्रृंखला-
जब संख्या श्रृंखला में परिवर्तन जोड़-भाग या भाग-जोड़ के कारण होता है. जैसे- (i) + 1 + 2. + 2 + 2, + 3 + 2, + 4 + 2, + 5 + 2, (ii) +2+1,+2+2,+2+3,+2+4,+2+5, +2+6 …
घटाव और भाग संख्या श्रृंखला-
जब संख्या श्रृंखला में परिवर्तन घटाव-भाग या गुणा-भाग के कारण होता है. जैसे- (i) -1+2,-2+2,-3+2 .- 4+2,-5 +2,-6+2, (ii) +2-1,+2-2,+2-3,+2-4,+2-5,+2-6,
कोष्ठक के अंदर भी ऋण चिह्न है और बाहर भी ऋण चिह्न है । तब चिह्न का आपस मे गुणा होता है वहा पर धन (+) चिह्न बन जाता है
3 – (- 3 ) + 4 = 3 + 3 + 4 = 10
धन ( + )× धन ( + ) = धन( + )
5 + (4) = ?
हम धन चिह्न का धन चिह्न से गुणा करते है तब भी धन (+) ही बनता है ।
5 + (4) = 9
धन ( + )× ऋण ( – ) = ऋण ( – )
5 + (-4) =?
अब हमारे पास दो चिह्न साथ में है जो कि एक धन (+) ओर एक ऋण (-) चिह्न है । तब इनका आपस मे गुणा करने पर ऋण (-) चिह्न बनता है ।
= 5 – 4 = 1
ऋण ( – ) × धन( + ) = ऋण ( – )
11 – (+3 ) = ?
इस उदाहरण में पहले धन चिह्न था फिर ऋण चिह्न था अगर इसका ठीक उलट हो तो जैसे पहले ऋण चिह्न फिर धन चिह्न तब भी आपस मे गुणा करने पर हमें ऋण चिह्न ही मिलेगा ।