औसत के सूत्र

औसत के सूत्र [Formula for Average]

औसत के सूत्र

दो या दो से अधिक सजातीय पदों का ‘औसत’ वह संख्या है, जो दिए गए पदों के योगफल को उन पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसे ‘मध्यमान’ भी कहा जाता है।

औसत = सभी राशियों का योग/राशियों की संख्या

सभी राशियों का योग = औसत × राशियों की संख्या

जैसे :- x1 , x2 , x3 , . . . . . . xn पदों का औसत = x1 + x2 + x3 + . . . . . . xn/n

प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1)/2
n तक की प्राकृत संख्याओं का औसत = (n+1)/2
लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं का औसत = n/2
n तक की सम संख्याओं का औसत = (n+2)/2
लगातार n तक की प्राकृत विषम संख्याओं का औसत = (n+1)/2
n तक विषम संख्याओं का औसत = n
लगातार n तक सम संख्याओं का औसत = n+1
प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1) (2n+1)/6
प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का औसत = n(n+1)² / 4
औसत = (पहली संख्या+अंतिम संख्या) / 2
नए व्यक्ति की आयु = (नया औसत × नयी संख्या) – (पुराना औसत × पुरानी संख्या)
G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो तो (G₁+G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) + (G₂×A₂) / (G₁ + G₂) होगा।
G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो, तो (G₁ – G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) – (G₂×A₂) / (G₁ – G₂) होगा।
औसत के गुण :
यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की वृद्धि होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की वृद्धि होगी।
यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की कमी होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की कमी होगी।
यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की गुणा की जाती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की गुणा होगी।
यदि सभी संख्याओं को ‘a’ से भाग दिया जाता है तो उनके औसत में भी ‘a’ से भाग होगा।