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  • [FRMULA03] लाभ और हानि : Profit and Loss Solution Tricks

    [FRMULA03] लाभ और हानि : Profit and Loss Solution Tricks

    लाभ और हानि : Profit and Loss Solution Tricks

    1. प्रतिशत लाभ या प्रतिशत हानि

    100 रुपए पर जितने प्रतिशत लाभ अथवा हानि होती हैं उसे प्रतिशत लाभ अथवा प्रतिशत हानि कहाँ जाता हैं।

    लाभ अथवा हानि का प्रतिशत हमेशा क्रय मूल्य पर ज्ञात किया जाता हैं।

    • प्रतिशत लाभ = लाभ × 100 / क्रय मूल्य
    • प्रतिशत हानि = हानि × 100 / क्रय मूल्य

    उदाहरण 1. 250 रु. की वस्तु को 150 रु. में बेचने पर प्रतिशत लाभ क्या होगा?

    हल:- प्रतिशत लाभ = (विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य)/क्रय मूल्य × 100
    प्रतिशत लाभ = (150 – 120)/120 × 100
    प्रतिशत लाभ = 30/120 × 100
    Ans. 25%

    2. लाभ एवं हानि की स्थिति में विक्रय मूल्य निकालना

    (a). यदि x रु. की वस्तु को y% लाभ पर बेचा जाता हैं तो विक्रय मूल्य = (100 + y)/100 × x

    उदाहरण 2. 500 रु. की वस्तु को कितने में बेचा जाए कि 10% का लाभ हो?

    हल:- विक्रय मूल्य = (100 + 10)/100 × 500
    110/100 × 500
    Ans. 550

    (b). यदि x रु. की वस्तु y% हानि पर बेचने पर विक्रय मूल्य = (100 – y)/100 × x

    उदाहरण 3. 500 रु. की वस्तु को 5% हानि पर बेचा जाता हैं। तो वस्तु का विक्रय मूल्य क्या हैं?

    हल:- विक्रय मूल्य = (100 – 5)/100 × 500
    विक्रय मूल्य = 95/100 × 500
    = 475 रु.
    Ans. 475 रु.

    3. लाभ अथवा हानि होने पर क्रय मूल्य ज्ञात करना।

    (a). किसी वस्तु को x रु. में बेचने पर y% का लाभ होता हैं। तो क्रय मूल्य = 100/(100 + y) × x

    उदाहरण 4. 600 रु. में किसी वस्तु को बेचने पर 20% का लाभ होता हैं। वस्तु का क्रय मूल्य क्या हैं?

    हल:- क्रय मूल्य = 100/(100 + 20) × 600
    = 100/120 × 600
    = 500 रु.
    Ans. 500 रु.

    (b). किसी वस्तु को x में बेचने पर यदि y% की हानि होती हैं तो क्रय मूल्य = 100/(100 – y) × x

    उदाहरण 5. किसी वस्तु को 300 रु. में बेचने पर 25% की हानि होती हैं। वस्तु का क्रय मूल्य क्या हैं?

    हल:- क्रय मूल्य = 100/(100 – 25) × 300
    = 100/75 × 300
    = 400 रु.
    Ans. 400 रु.

    4. (a). किसी वस्तु को x रु. में बेचने पर y% की हानि होती हैं। तो z% लाभ पर बेचने के लिए

    विक्रय मूल्य = (100 + z)/(100 – y) × x

    उदाहरण 6. किसी वस्तु को 480 रु. में बेचने पर 20% की हानि होती हैं। उसे कितने में बेचा जाए ताकि 30% का लाभ हो?

    हल:- विक्रय मूल्य = 130/80 × 480
    = 780 रु.
    Ans. 780 रु.

    (b). किसी वस्तु को x रु. में बेचने पर y% का लाभ होता हैं। तो z% हानि पर बेचने के लिए

    विक्रय मूल्य = (100 – z)/(100 + y) × x

    उदाहरण 7. किसी वस्तु को 375 रु. में बेचने पर 25% का लाभ होता हैं। तो उसे कितने में बेचा जाए ताकि 20% की हानि हो?

    हल:-
    Tricks :- विक्रय मूल्य = 80/125 × 375
    = 240 रु.
    Ans. 240 रु.

    5. (a). यदि A किसी वस्तु को B को x% लाभ पर B, C को Y% लाभ पर C, D को z% लाभ पर बेचें तो D का क्रय मूल्य

    A का क्रय मूल्य × (100 + x)/100 × (100 + y)/100 × (100 + z)/100

    उदाहरण 8. यदि राम 500 रु. की किसी वस्तु को श्याम को 20% लाभ पर, श्याम मोहन को 10% लाभ पर बेचता हैं। तो मोहन का क्रय मूल्य क्या हैं?

    हल:- Tricks:- ? = 500 × 120/100 × 110/100
    = 660 रु.
    Ans. 660 रु.

    (b). (a) में दी गई परिस्थिति में A का क्रय मूल्य
    = D का क्रय मूल्य × 100/(100 + x) × 100/(100 + y) + 100/(100 + z)

    उदाहरण 9. यदि उमेश किसी वस्तु को 20% लाभ पर श्याम को, श्याम उसे 10% लाभ पर उमेश को बेचता हैं। यदि उमेश का क्रय मूल्य 660 रु. हैं। तो पंकज का क्रय मूल्य क्या होगा?

    हल:- प्रश्नानुसार,
    A का क्रय मूल्य = D का क्रय मूल्य × 100/(100 + x) × 100/(100 + y) + 100/(100 + z)
    क्रय मूल्य = 6600 × 100/(100 + 10) × 100/(100 + 20)
    क्रय मूल्य = 6600 × 100/110 × 100/120
    क्रय मूल्य = 6600 × 10/11 × 5/6
    क्रय मूल्य = 100 × 50
    क्रय मूल्य = 5000 रु.
    Ans. 5000 रु.

    उदाहरण 10. मोहन किसी वस्तु को 40% लाभ पर ओमप्रकाश को बेचता हैं और ओमप्रकाश उस वस्तु को 20% लाभ पर मोहन को बेचता हैं। यदि मोहन का क्रय मूल्य 1000 रु. हैं। तो दुर्गेश का क्रय मूल्य क्या होगा?

    हल:- प्रश्नानुसार,
    A का क्रय मूल्य = D का क्रय मूल्य × 100/(100 + x) × 100/(100 + y) + 100/(100 + z)
    क्रय मूल्य = 1000 × 100/(100 + 40) × 100/(100 + 20)
    क्रय मूल्य = 1000 × 100/140× 100/120
    क्रय मूल्य = 1000 × 5/7× 5/6
    क्रय मूल्य = 2500/42
    क्रय मूल्य = 59.52 रु.
    Ans. 59.52 रु.

  • [FRMULA02] औसत के सूत्र [Formula for Average]

    [FRMULA02] औसत के सूत्र [Formula for Average]

    औसत मान = सभी राशियों का योगफल ÷ राशियों की कुल संख्या
    सभी राशियों का योगफल = औसत मान × राशियों की कुल संख्या
    राशियों की कुल संख्या = सभी राशियों का योगफल ÷ राशियों की कुल संख्या

    औसत के सूत्र [Formula for Average]

    दो या दो से अधिक सजातीय पदों का ‘औसत’ वह संख्या है, जो दिए गए पदों के योगफल को उन पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसे ‘मध्यमान’ भी कहा जाता है।

    औसत = सभी राशियों का योग/राशियों की संख्या

    सभी राशियों का योग = औसत × राशियों की संख्या

    जैसे :- x1 , x2 , x3 , . . . . . . xn पदों का औसत = x1 + x2 + x3 + . . . . . . xn/n

    प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1)/2
    n तक की प्राकृत संख्याओं का औसत = (n+1)/2
    लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं का औसत = n/2
    n तक की सम संख्याओं का औसत = (n+2)/2
    लगातार n तक की प्राकृत विषम संख्याओं का औसत = (n+1)/2
    n तक विषम संख्याओं का औसत = n
    लगातार n तक सम संख्याओं का औसत = n+1
    प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1) (2n+1)/6
    प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का औसत = n(n+1)² / 4
    औसत = (पहली संख्या+अंतिम संख्या) / 2
    नए व्यक्ति की आयु = (नया औसत × नयी संख्या) – (पुराना औसत × पुरानी संख्या)
    G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो तो (G₁+G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) + (G₂×A₂) / (G₁ + G₂) होगा।
    G₁ तथा G₂ राशियों का औसत क्रमशः A₁ तथा A₂ हो, तो (G₁ – G₂) राशियों का औसत = (G₁×A₁) – (G₂×A₂) / (G₁ – G₂) होगा।
    औसत के गुण :
    यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की वृद्धि होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की वृद्धि होगी।
    यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की कमी होती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की कमी होगी।
    यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की गुणा की जाती है तो उनके औसत में भी ‘a’ की गुणा होगी।
    यदि सभी संख्याओं को ‘a’ से भाग दिया जाता है तो उनके औसत में भी ‘a’ से भाग होगा।

    औसत पर आधारित महत्वपूर्ण बिंदु


    यदि सभी संख्याओं में x से गुणा किया जाता हैं, तो उनके औसत में x गुणा की कमी होती हैं।
    यदि किसी संख्या में x से भाग किया जाता हैं। तो उनके औसत में भी x से भाग होता हैं।
    अगर सभी संख्याओं में x की वृद्धि होती है, तो उनके औसत में भी x की वृद्धि होती हैं।
    यदि सभी संख्याओं में x की कमी होती है, तो उनके औसत में भी x की कमी होती हैं।
    दो क्रमागत पदों या संख्याओं का अन्तर समान हो, तो औसत = पहली संख्या + अन्तिम संख्या / 2

  • [FRMULA01] संख्या पद्धति(NUMBER SYSTEM):  सूत्र व महत्वपूर्ण तथ्य

    [FRMULA01] संख्या पद्धति(NUMBER SYSTEM): सूत्र व महत्वपूर्ण तथ्य

    संख्या पद्धति(NUMBER SYSTEM): सूत्र व महत्वपूर्ण तथ्य

    संख्या पद्धति ((NUMBER SYSTEM)के सूत्र

    • लगातार प्राकृत संख्याओं के योग = n(n + 1)/2
    • लगातार सम संख्याओं के योग = n/2 (n/2 + 1)
    • लगातार विषम संख्याओं के योग = (n/2 + 1)²
    • दो क्रमागत पदों का अंतर समान हो तो योग = पदों की संख्या (पहला पद + अंतिम पद)/2
    • लगातार प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग = n(n + 1)(2n + 1)/6
    • लगातार प्राकृत संख्याओं के घनों का योग = [n(n + 1)/2]²
    • प्रथम से n तक कि सम संख्याओं का योग = n(n + 1)
    • प्रथम से n तक कि विषम संख्याओं का योग = n²
    • भागफल = भाज्य ÷ भाजक (पूर्ण विभाजन में)
    • भाज्य = भागफल × भाजक (पूर्ण विभाजन में)
    • भाजक = भाज्य ÷ भागफल (पूर्ण विभाजन में)
    • भागफल = (भाज्य – शेषफल) ÷ भाजक (अपूर्ण विभाजन में)
    • भाज्य = भागफल × भाजक + शेषफल (अपूर्ण विभाजन में)
    • भाजक = (भाज्य – शेषफल) ÷ भागफल (अपूर्ण विभाजन में)

    संख्या पद्धति के महत्वपूर्ण बिंदु

    • संख्या 1 न तो भाज्य है और न अभाज्य
    • ऐसी संख्या जो अभाज्य हो एवं सम संख्या हो केवल 2 है।
    • वे दो अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है।
    • जिसमें अभाज्य जोड़ा जाए कहलाती है। जैसे : 5 व 7, 3 व 5, 11 व 13, 17 व 19, 29 व 31 आदि।
    • सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं।
    • सभी पूर्ण संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं।
    • सभी पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होते हैं।
    • सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं।
    • अभाज्य (रूढ़) एवं यौगिक, सम तथा विषम संख्या होती हैं।
    • सभी पूर्णाक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों होती हैं।
    • प्राकृत ( अभाज्य, यौगिक, सम एवं विषम ) एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं।
    • भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं।
    • 2 के अतिरिक्त सभी अभाज्य (रूढ़) संख्याएँ विषम होती हैं।
    • 0 ऋणात्मक एवं धनात्मक नहीं है।
    • शून्य ( 0 ) में किसी भी संख्या का भाग देने पर शून्य आता है अतः 0/a = 0 (यहाँ पर a वास्तविक संख्या है)
    • किसी भी संख्या में शून्य का भाग देना परिभाषित नहीं है अर्थात् यदि किसी भी संख्या में शून्य का भाग देते हैं, तो भागफल अनन्त (Infinite या Non Defined) आता है, अतः a/0 = ∞ (Infinite)
    • किसी संख्या में किसी अंक का जो वास्तविक मान होता है, उसे जातीय मान कहते हैं, जैसे: 5283 में 2 का जातीय मान 2 है।
    • किसी संख्या में किसी अंक का स्थान के अनुसार जो मान होता है उसे उसका स्थानीय मान कहते हैं, जैसे – 5283 में 2 का स्थानीय मान 200 है।
    • दो परिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल सदैव एक परिमेय संख्या होती है।
    • दो अपरिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल कभी परिमेय संख्या तथा कभी अपरिमेय संख्या होता है।
    • एक परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल अथवा योगफल सदैव एक अपरिमेय संख्या होता है।
    • π एक अपरिमेय संख्या है।
    • दो परिमेय संख्याओं या दो अपरिमेय संख्याओं के बीच अनन्त परिमेय संख्याएँ या अनन्त अपरिमेय संख्याएँ हो सकती हैं।
    • परिमेय संख्या को दशमलव निरूपण या तो सीमित होता है या असीमित आवर्ती होता है, जैसे:- 3/4 = 0.75 ( सीमित ) 11/3 = 3.666 (असीमित आवर्ती)
    • अपरिमेय संख्या का दशमलव निरूपण अनन्त व अनावर्ती होता है, जैसे:- √3, √2
    • प्रत्येक सम संख्या का वर्ग एक सम संख्या होती है तथा प्रत्येक विषम संख्या का वर्ग एक विषम संख्या होती है।
    • यदि दशमलव संख्याएँ 0.x तथा 0.xy के रूप में दी होती हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं।
    • 0.x = x/10 तथा 0.xy = xy/100 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक है , तो 10 का , दो अंक हैं, तो 100 का, तीन अंक हैं, तो 1000 का भाग देने पर दशमलव संख्या परिमेय (भिन्न) बन जाती है।
    • यदि अशान्त ( अनन्त ) आवर्ती दशमलव संख्याएँ 0.x तथा xy के रूप की हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं।
    • 0.x̅ = x/9 तथा 0. x̅x̅ = xx/99 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक बार सहित हो , तो 9 का , दो अंक बार सहित हों तो 99 का , तीन अंक हों तो 999 का भाग करके दशमलव संख्या परिमेय में बदल जाती है।
    • यदि अशान्त आवर्ती दशमलव संख्याएँ 0.xy तथा 0.xyz के रूप की हों , तो इन्हें परिमेय संख्या p/q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं – 0.x̅y̅ (xy – x)/90 तथा 0.x̅y̅z̅ = (xyz – x)/990 (यहाँ x , y , z प्राकृतिक अंक हैं)
    • किसी भी पहाड़े का योग उस संख्या (पहाड़े) के 55 गुने के बराबर होता है। अर्थात् n के पहाड़े का योगफल = 55n
  • [FRMULA04] अनुपात और समानुपात : सूत्र [Ratio and Proportion Formulas]

    [FRMULA04] अनुपात और समानुपात : सूत्र [Ratio and Proportion Formulas]

    अनुपात और समानुपात : सूत्र [Ratio and Proportion Formulas]

    अनुपात के प्रकार

    x तथा y के बीच मध्यानुपात = √x. y
    x तथा y के बीच तृतीयानुपात = y²/x
    x तथा y का विलोमानुपात = 1/x : 1/y = y : x

    मिश्रित अनुपात

    दो समान अनुपातों के मिश्रित अनुपात को वर्गानुपात कहते हैं।
    जैसे :- a : b का वर्गानुपात = a² : b²

    किसी अनुपात के वर्गमूल को वर्गमूलानुपाती कहते हैं।
    जैसे :- a : b का वर्गमूलानुपाती = √a : √b

    किसी अनुपात के तृतीय घात को घनानुपाती कहते हैं।
    जैसे :- a : b का घनानुपाती = a³ : b³

    किसी अनुपात के घनमूल को घनमूलानुपाती कहते हैं।
    जैसे :- a : b का घनमूलानुपाती = ∛a : ∛b

    किसी अनुपात के उल्टे को व्युत्क्रमानुपाती कहते हैं।
    जैसे :- a : b का व्युत्क्रमानुपाती = 1/a : 1/b

    जब दो अनुपात परस्पर समान होते हैं , तो वे समानुपाती (Proportional) कहलाते हैं।
    जैसे :- a : b = c : d हो, तब a, b, c तथा d समानुपाती हैं

    विलोमानुपाती (Invertendo) उस अनुपात को कहते हैं , जो स्थान बदल लें।
    जैसे :- a : b = c : d का विलोमानुपात b : a :: d : c

    अर्थात् a/b = c/d या b/a = d/c

    अनुपात के कुछ विशेष गुण :-

    • अनुपात में पहली संख्या अर्थात् x को पूर्ववर्ती (Antecedent) तथा दूसरी संख्या अर्थात् y को अनुवर्ती (Consequent) कहते हैं। x : y = x/y
    • अनुपात हमेशा समान इकाई की संख्या के बीच होता हैं।
    • जैसे :- रुपया : रुपया, किग्रा : किग्रा, घण्टा : घण्टा, सेकण्ड : सेकण्ड आदि।
    • यदि दो अनुपात x : y तथा P : Q दिए गए हैं, तो Px : Qy मिश्रित अनुपात में कहलाएंगे।

    दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती (Mean proportional):

    माना मध्य समानुपाती x है, तब a : x :: x : b (सही स्थिति)
    हल:- x² = a.b ⇒ x = √a.b
    अतः दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती = √a.b होता हैं।
    यदि a : b :: C : d हो , तो a : c :: b : d एकान्तरानुपात (Altermendo) कहलाता है अर्थात् a/b = c/d या a/c = b/d (एकान्तरानुपात)
    यदि a : b :: c : d हो, तो (a + b) : b :: (c + d) : d योगानुपात (Componendo) कहलाता है।
    अर्थात् a/b = c/d, तब (a + b)b = (c + d)d (योगानुपात)
    या a/b + 1 c/d + 1 ⇒ (a + b)/b = (c + d)/d
    यदि a : b :: c : d हो , तब ( a – b ) : b :: ( c – d ) : d अन्तरानुपात ( Dividendo ) कहलाता है।
    अर्थात् a/b = c/d ⇒ a/b – 1 = c/d – 1
    ⇒ (a – b)/b = (c – d)/d (अन्तरानुपात)

    योगान्तरानुपात (Componendo and Dividendo) :

    योगानुपात तथा अन्तरानुपात का सम्मिलन है।
    यदि a : b :: c : d हो , तब ( a + b ) : ( a – b ) :: ( c + d ) : ( c – d ) योगान्तरानुपात है

    दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती (Third Proportional)

    माना दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती x है। तब a : b = b : x (सही स्थिति)
    हल:- a/b : b/x ⇒ b2 = ax
    ∴ x = b²/a
    अतः दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती b²/a होता है।
    तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती ( Fourth Proportional ) माना a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती x है, तब
    a : b = c : r ( सही स्थिति )
    हल:- a/b = c/x
    ⇒ a.x = bc
    ⇒ x bc/a
    अतः तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती = bc/a होता है।

  • [FRMULA05] ब्याज के सूत्र

    ब्याज के सूत्र [Interest Formula]

    साधारण ब्याज के सूत्र

    ब्याज = (मूलधन × समय × दर)/100
    मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज
    मिश्रधन = मूलधन × (100 + ब्याज की दर समय)
    मूलधन = मिश्रधन – साधरण ब्याज
    मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज की दर
    समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर
    ब्याज की दर = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × समय
    मिश्रधन = मूलधन × (100 + समय × दर)
    अधिक जानकारी के लिए साधारण ब्याज की पोस्ट जरूर पढ़िए।

    चक्रवृद्धि ब्याज के सूत्र

    चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन
    चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1]
    चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
    मिश्रधन की गणना निम्न प्रकार की जाती हैं।
    मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय
    मिश्रधन = मूलधन + ब्याज