[WHOLN02] प्राकृत संख्याएँ : प्राकृत संख्याओं के गुण (Natural Number)

प्राकृत संख्याएँ (Natural Number)

गणना करते समय 10 संकेतों 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 का उपयोग किया जाता है तथा गणना का कार्य 1 से प्रारंभ होता है। इन्हीं अंकों को मिलाकर प्राकृत संख्याएँ लिखी जाती हैं। गणना के लिए जिन संख्याओं का उपयोग किया जाता है उन्हें प्राकृत संख्या(Natural Number) कहते हैं।
प्राकृत संख्याओं के समूह को N से दर्शाते हैं।
अर्थात् प्राकृत संख्या (N) = 1,2,3, …. आदि।

सबसे छोटी प्राकृत संख्या 1 है।

प्राकृतिक संख्याओं का फार्मूला

  • प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2
  • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्या का योग = (n/2+1)
  • प्रथम n प्राकृतिक सम संख्याओं का औसत = n+1
  • प्रथम n प्राकृतिक विषम संख्याओं का औसत = n
  • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2

सबसे बड़ी प्राकृत संख्या कौन-सी है?

प्राकृत संख्या 1 से अनंत तक होती है जिसमे सबसे छोटी संख्या ज्ञात करना संभव है किंतु बड़ी संख्या मुस्किल है. यदि कोई संख्या दिया हो, तो बड़ी संख्या ज्ञात किया जा सकता है. अतः सबसे बड़ी प्राकृत संख्या स्व अनंत होता है.

सबसे छोटी प्राकृतिक संख्या कौन सी है?

प्राकृत संख्या 0 से बड़ी और 1 से शुरू होती है. अर्थात, सबसे छोटी प्राकृत संख्या 1 होता है.

0 सबसे छोटी प्राकृत संख्या है?

वास्तव में, 0 से छोटी कोई संख्या नही होती है. क्योंकि, प्राकृत संख्या तो 1 से शुरू ही होती है.

क्या सभी प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या है?

 0 से अनंत तक की सभी प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती है. अर्थात, सभी धनात्मक प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्या होती है.

क्या कोई ऐसी पूर्ण संख्या है जो प्राकृतिक संख्या नहीं है?

हाँ, 0 एक ऐसी पूर्ण संख्या है जो प्राकृतिक संख्या नही है. क्योंकि, प्राकृत संख्या 1 से शुरू होती है.

प्राकृत संख्याओं के गुण (Properties of Natural numbers)

  • दो प्राकृत संख्याओं का आपस में योग करने से या गुणा करने पर प्राकृत संख्या ही प्राप्त होती है।
  • दो प्राकृत संख्याओं का आपस में व्यवकलन (घटाना) या भाग करने से सदैव प्राकृत संख्या प्राप्त नही होती है।
  • दो प्राकृत संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ सकते हैं। दो प्राकृत संख्याओं को किसी भी क्रम में गुणा कर सकते हैं। अर्थात प्राकृत संख्याओं के लिए क्रमविनिमय का नियम योग व गुणन संक्रिया में लागू होता है जबकि घटाने एवं भाग संक्रिया पर लागू नही होता।
  • प्राकृत संख्याओं के लिए साहचार्य नियम योग एवं गुणा संक्रिया में लागू होता है जबकि घटाने एवं भाग संक्रिया में लागू नहीं होता।
  • प्राकृत संख्याओं के लिए गुणा का योग व अन्तर पर बंटन (वितरण) होता है।
  • किसी प्राकृत संख्या मे एक से गुणा या भाग करने पर संख्या का मान नही बदलता।
  • इस प्रकार a,b,c तीन प्राकृत संख्याओं के लिए
    • (a+b) एक प्राकृत संख्या है।
    • (axb) एक प्राकृत संख्या है।
    • a-b सदैव एक प्राकृत संख्या हो आवश्यक नही है।
    • a+b सदैव एक प्राकृत संख्या हो, जरूरी नही है।

Questions

41600 तथा 41006 में कौन सी संख्या बड़ी है?

1 से 100 के बीच की संख्याएँ लिखने के लिए कितने बार 9 का प्रयोग करना पड़ता है?

चार अंकों की सबसे बड़ी प्राकृत संख्या तथा तीन अंकों की सबसे छोटी प्राकृत संख्या के बीच का अंतर निकालिए ?

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