[HIND01] व्याकरण के अंग

व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है।

मार दिया को ने राम श्याम।
इस वाक्य से अर्थ स्पष्ट नहीं होता क्योंकि कर्ता, कर्म तथा कारक निश्चित स्थान पर नहीं हैं।

व्याकरण के अंग

व्याकरण के मुख्यतः 3 अंग हैं-
(1) वर्ण-विचार
(2) शब्द-विचार
(3) वाक्य विचार

वर्ण विचार या अक्षर:- 

भाषा की उस छोटी ध्वनि (इकाई) को वर्ण कहते है जिसके टुकड़े नही किये सकते है।
जैसे- अ, ब, म, क, ल, प आदि।

इसमें वर्णमाला, वर्णों के भेद, उनके उच्चारण, प्रयोग तथा संधि पर विचार किया जाता है।

शब्द-विचार:- 

वर्णो के उस मेल को शब्द कहते है जिसका कुछ अर्थ होता है।
जैसे- कमल, राकेश, भोजन, पानी, कानपूर आदि।

इसमें शब्द-रचना, उनके भेद, शब्द-सम्पदा तथा उनके प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।

वाक्य-विचार:- 

अनेक शब्दों को मिलाकर वाक्य बनता है। ये शब्द मिलकर किसी अर्थ का ज्ञान कराते है।
जैसे- सब घूमने जाते है।
राजू सिनेमा देखता है।